Author Topic: Adventure Tourism in Uttarakhand - उत्तराखण्ड में साहसिक पर्यटन  (Read 24708 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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XXTH NATIONAL KAYAKING & CANOEING CHAMPIONSHIP
21st-25th October 2009, Bhimtal (Nainital) Uttarakhand


Kayaking is technically an isokinetic Dynamic sport that involves symmetric, rhythmical movement and Canoe is a cycle of motion which produce maximum boat speed. Kayaking & Canoeing is an Olympic game where 16 medals are at stake.

Kayaking is for all categories (Jr, Sub Jr, senior) in both Men & Women where as Canoe is only for Men section in all categories (Jr, Sub jr men) the event is played in 200 mtr, 500 mtr, 1000 mrt. In k1, k2, k4, & c1, c2, c4 where the no. signifies number of players sitting in the boat and K Stands for Kayak and C stands for Canoe.

http://www.ukcra.org.in/forthcomingevent.html

हेम पन्त

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School children in Nainital learning parasailing

Uttarakhand Government’s newly constructed adventure sports wing, a batch of school children are being trained in parasailing in Nainital.

This camp has a batch of 30 school children, including five girls from various local schools. It will be in action until November 26 in Nainital.

The school children are very excited with the prospect of trying out parasailing.

“There are many career options in this field now a days. This training will also help in case in future we join army or naval forces,” said Mukesh Joshi, a trainee.

However, this camp is not a one-off case.

The State Government has launched a new adventure sports wing under the aegis of its tourism department to develop and train the youth of the state in a variety of adventure sports.

“Uttarakhand’s infrastructure allows for better training of the youngsters in adventure sports. We have developed a special wing to provide training in adventure sports and encourage youth to take up these sports as a means of livelihood in their future,” said Lata Bisht, Adventure Sports Officer, Kumaon region, Uttarakhand.

The new wing will soon be holding many more such camps to provide training to the youth of the state in other adventure sports as well. (ANI)


Read more: http://www.thaindian.com/newsportal/india-news/school-children-in-nainital-learning-parasailing_100279988.html#ixzz0Y2T52xgi


Devbhoomi,Uttarakhand

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हेम पन्त

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उत्तराखंड में उपलब्ध विभिन्न साहसिक गतिविधियां - पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग, स्कीइंग, नाइट सफारी आदि

Adventure activities in Uttarakhand - Paragliding, Rafting, Skiing, Night Safari etc.   

हेम पन्त

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देहरादून, जागरण संवाददाता: देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के साथ-साथ गढ़वाल मंडल विकास निगम ने अब देहरादून और मसूरी के स्कूल, कालेज, शैक्षणिकसंस्थानों, प्रबंध एवं तकनीकी संस्थानों के छात्र-छात्राओं को भी अपने मार्केटिंग एजेंडे में शामिल किया है। युवाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले इस वर्ग के लिए खासतौर पर चार नए पैकेज टूर डिजाइन किए गए हैं। जिसमें युवाओं की पसंदीदा राफ्टिंग, वोटिंग, क्याकिंग, केनोईग, कैंपिंग, जंगल सफारी जैसी गतिविधियों को शामिल किया गया है। पहाड़ी सूबे में पर्यटन व तीर्थाटन के क्षेत्र में सबसे बड़े नेटवर्क वाले जीएमवीएन ने देशी-विदेशी पर्यटकों के साथ ही लोकल टूरिस्ट को भी बंद कमरे से बाहर निकालने की रणनीति बनाई है। युवाओं के इस खास वर्ग के लिए चार विशेष पैकेज टूर डिजाइन किए गए हैं। इनमें दो टूर एक दिवसीय, तो बाकी दो दिवसीय टूर शामिल हैं। पहला टूर डाकपत्थर-आसन झील का है, जिसमें मोटर वोटिंग, पैडल वोटिंग, वाटर सर्फिंग, वाटर स्कीईग, क्याकिंग, केनोईग जैसे आकर्षण मौजूद हैं। ऋषिकेश-शिवपुरी के दूसरे टूर में युवा छात्र-छात्राएं को गंगा की तेज लहरों में राफ्टिंग का रोमांच महसूस होगा। साथ ही, तीर्थनगरी ऋषिकेश में आध्यात्म को महसूस करने का भी मौका मिलेगा। कौडियाला-ऋषिकेश वाले तीसरे टूर में दो दिन व एक रात का समय लगेगा। जिसमें राफ्टिंग, साइट-सीन के अलावा बीच-कैंपिंग का भी लुत्फ उठाया जा सकेगा। चौथे टूर हरिद्वार-चीला में बच्चे जहां धर्मनगरी के आध्यात्मिक माहौल से रूबरू होंगे, वहीं राजाजी नेशनल पार्क की चीला सेंच्युरी में तीस किमी की जंगल सफारी के दौरान वाइल्ड लाइफ के रोमांच को भी महसूस करेंगे। निगम के प्रबंध निदेशक बीवीआर पुरुषोत्तम ने बताया कि इसके लिए बाकायदा इन पर्यटन गतिविधियों की जानकारियों वाली बुकलेट तैयार की जा रही है। जिसके जरिए देहरादून व मसूरी के स्कूल-कालेजों व विभिन्न संस्थानों में इन पैकेज टूरों की मार्केटिंग की जाएगी।

हेम पन्त

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Foreign Tourists enjoying Treking in Nandadevi treking Route.

Source : www.nandadevitrek.in


हेम पन्त

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जी-न्यूज (उत्तराखण्ड) पर कोमल मेहता की न्यूज रिपोर्ट
 
www.youtube.com/watch?v=qPLQkboGRJc

हेम पन्त

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कार्बेट नेशनल पार्क, रामनगर के पास स्थित मरचूला महाशीर मछली की एंगलिंग (कांटे में फंसाकर मछली को दुबारा पानी में छोड़ना) के लिये काफी प्रसिद्ध होता जा रहा है. इस नयी पर्यटन गतिविधि पर ज्यादा जानकारी पाने के लिये जहांगीर राजू जी का ब्लाग देखें..

dewalthalpost.blogspot.com/2010/09/blog-post_1815.html

हेम पन्त

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Bungee Jumping in Mohan Chatti, Uttarakhand..

रोमांचक खेल बंजी जंपिंग का आनन्द उठाने की व्यवस्था हमारे देश में पहले भी थी। कुछ संस्थाएं क्रेन की सहायता से देश के तमाम प्रमुख शहरों में इस खेल का आयोजन करती रही हैं, लेकिन देश के उत्तराखंड राज्य में मोदनचट्टी उभरा है दुस्साहसी रोमांचक खेलों के गौरवशाली गढ़ के रूप में। यहां 83 मीटर की ऊंचाई से जंपिंग के लिए पहला फिक्स प्लेटफॉर्म बना है। अगर है हिम्मत तो कर लीजिए ‘जंपइन हाइट्स’ की यात्रा का इंतजाम! हाल ही में बंजी जंपिंग की यात्रा कर लौटी दामिनी की रिपोर्ट।

‘हैव द गट्स?’ यानी है आप में वह दम! यह पंच लाइन है ‘जंपइन हाइट्स’ की। मगर मैं 83 मीटर की ऊंचाई पर, खासतौर से ‘बंजी जंपिंग’ के लिए ही बने और भारत ही नहीं, बल्कि पूरे एशिया में पहली बार बने उस प्लेटफॉर्म से जंप के लिए ‘एच’ पाइंट की तरफ बढ़ते हुए कुछ सोच रही थी। ऐसा क्या था वहां, जो मुझे एक ही सप्ताह के भीतर तीसरी बार बंजी जंपिंग के लिए जंपइन हाइट्स तक खींच ले चला गया? इस तीसरी यात्रा और छठी जंप द्वारा मैं क्या सिर्फ दम-खम साबित करने वाले प्रमाणपत्र को पाने के लिए यहां हूं?

प्लेटफॉर्म के अंतिम छोर पर पहुंचने पर जंप मास्टर टोबी और जैक ने आश्चर्यभरी मुस्कान से मेरा स्वागत किया। खासतौर पर न्यूजीलैंड से बुलाए गए दुनिया के सबसे दुस्साहसी रोमांचक खेलों के इन महारथियों ने जब आगे बढ़ कर गले से लगाते हुए कहा, ‘वेलकम बैक द रियल जंपिंग क्वीन!’ तो मन में कहीं गहरे अपने ही प्रति सम्मान की एक हल्की-सी लहर महसूस हुई। सिर्फ एक बार रबर कॉर्ड (रस्सी) के सहारे कूदने की तैयारी करते हुए मैं बार-बार अब भी यही सोचे जा रही थी कि क्यों हूं मैं यहां। इसके बाद हवा में 83 मीटर की ऊंचाई पर, पंजों के सहारे प्लेटफॉर्म पर टिकी और एड़ी वाला पिछला हिस्सा हवा में थामे मैंने आहिस्ता-से अपने जंप मास्टर द्वारा सहारे के लिए थामे हाथों को छुड़ा लिया। ऊपर गहरे नीले लगते आसमान, मजबूत चट्टानी पहाड़, उस पर बिखरी हरियाली से होते हुए नीचे घाटी में बहती नदी पर दौड़ गई, जिसमें मुझे कूदना था। फिर कब यह सभी विलुप्त होकर मेरे शांत-स्थिर मन में उतर गए, कब मेरी बांहें उसी अवस्था में खुल कर फैल गईं, मुझे नहीं पता। यही वह क्षण था, जिसमें मैं पूरी तरह से उपस्थित भी थी और लोप भी हो चुकी थी। किसी समाधि, किसी ध्यान जैसा वह एक क्षण!

इसी अवस्था में जीते पलों में मैंने अपने आपको बादलों की गोद में बूंद-सी गिरती भारहीन, धरती की गोद में आहिस्ता से छोड़ दिया। यह सिर्फ उन पलों में सिमटा रह गया। उस लचीली रस्सी पर झटके खाते मैं अपने शरीर को हवा में मोड़ती, उछालती, घुमाती नाच रही थी। यह सम्मोहन टूटा ऊपर प्लेटफॉर्म से सीटी बजा कर प्रशंसा में हाथ हिलाते अपने जंप मास्टर टोबी की झलक और नीचे जंपइन हाइट्स के क्रू-मैंबर्स की  जोरदार तालियों, सीटियों और हर्ष-ध्वनि से, जो सभी-के-सभी मेरे स्वागत के लिए नीचे नदी के किनारे आ जुटे थे।

जब क्रू-मैंबर रूपा ने मेरे हवा में झूलते शरीर को बैंबू-सपोर्ट के सहारे नदी के किनारे खींच कर मेरे सेफ्टी-कॉर्ड खोले और गले लगा कर मुस्कुराते हुए ‘क्या अब भी आपको विनर बैच (सम्मान सूचक चिन्ह) लगाने की जरूरत है?’ तो जवाब में मेरे चेहरे पर शांत मुस्कराहट थी। सभी क्रू-मैंबर्स से गले मिलते मैं उस नदी के किनारे पर दूर जाकर एकांत में बैठ गई। शांत! निशब्द! स्थिर! यह रोमांच की छलांग नहीं, बल्कि हौसलों की उड़ान थी।

वहीं ठहर जाने की लालसा को रोक, मैंने उस पार कदम बढ़ाए, जो ऊपर जंपइन हाइट्स के कार्यालय तक ले जाता है। नदी को पार करके, ट्रेकिंग करके ऊपर आते हुए भी कई अनुभव बाकी थे। कदम-कदम पर आसपास की हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता पांव बांध देती थी। ट्रेकिंग के रास्ते में कुछ ऊंचाई पर पीले रंग की बैंच लगी हुई हैं। बैंच पर बैठ मैं सोच ही रही थी कि अचानक कहीं से निकला गीदड़ मुझे देख उल्टे पांव दौड़ गया। दम साधे मैं अभी संयत हो ही रही थी कि दूसरी ओर से पेड़ों पर कूदता-फांदता बंदरों का पूरा झुंड ही पास से गुजर गया तेजी से, बिना डरे, बिना डराए।

मुझे अपने जीवन का अब तक का सबसे दुर्लभ दृश्य भी दिखा दिया, पहली बार पत्थरों पर देर तक, दूर तक मंडराती तितलियों को देखने का। यह महसूस करने का कि खुशबू सिर्फ फूलों में ही नहीं, प्रदूषण मुक्त मिट्टी और पत्थरों में भी हो सकती है।

कर्नल मनोज और पूर्व सैन्य अधिकारी राहुल ने बंजी जंपिंग प्लेटफॉर्म बना कर जैसे एक्सट्रीम एडवेंचर गेम्स के लिए पहला फिक्स मोहनचट्टी को पर्यटन के एक नए आकर्षण के साथ देश का गौरव बढ़ाते हुए पूरे एशिया के नक्शे में खास दर्जा दिला दिया है।

दुनियाभर में इस तरह के खेलों में अपनी पहचान रखने वाले देश, न्यूजीलैंड से डेविड अलार्डेस ने इन बंजी प्लेटफॉर्म के तकनीकी व सुरक्षा इंतजामों के लिए ख्यातिप्राप्त विश्वस्तरीय टेक्नीशियन, ऑपरेटर्स और जंप मास्टर्स की टीम बुलाई। प्लेटफॉर्म के डिजाइन से लेकर इस केंद्र की सुविधाएं, रखरखाव, क्रू-मैंबर्स के व्यवहार, विशेषता को विश्व स्तर का बनाने का श्रेय डेविड अलार्डेस को जाता है।

एक्सट्रीम एडवेंचर गेम्स जोन जंपइन हाइट्स सिर्फ रोमांचक खेलों का गढ़ नहीं, एक बड़ी चुनौती है उस उबलते नौजवान-लापरवाह खून के लिए, जो महानगर की सड़कों पर बाइक दौड़ाते, जिग-जैक ड्राइविंग करके अपनी और दूसरों की जान खतरे में डालते हैं। बिना हेलमेट या सीट बेल्ट लगाए ड्राइविंग करने  वाले, ठीक हरी बत्ती पर लापरवाही से सड़क पार करने में ही साहस समझने वाले लोगों को चुनौती देता है जंपइन हाइट्स। यहां प्रमाणपत्र और बैच बिकते नहीं हैं, सिर्फ सफलतापूर्वक की गई जंप के बाद ही मिलते हैं। वह भी जांबाज पहाड़ी हसीना रूपा के हाथों। अगर दम-खम है तो आइए, रोमांच की छलांग और हौसलों की उड़ान के लिए पहाड़ी गांव मोहनचट्टी के जंपइन हाइट्स पर।

कब जाएं मानसून और बर्फबारी के समय को छोड़ कर यहां पूरे वर्ष जाया जा सकता है। यहां साप्ताहिक अवकाश वृहस्पतिवार को होता है।

कैसे पहुंचें वायु मार्ग से : यहां का निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट देहरादून में स्थित है। इस हवाई अड्डे से मोहनचट्टी की दूरी लगभग 50 किलोमीटर है। दिल्ली से यहां के लिए नियमित उड़ानें हैं।

रेल मार्ग से : हरिद्वार यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन है। हरिद्वार से भी मोहनचट्टी की दूरी लगभग 50 किलोमीटर ही है।

सड़क मार्ग से : दिल्ली से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मोहनचट्टी पहुंचने के लिए पहले ऋषिकेश पहुंचना होता है। वहां से लक्ष्मण झूला के पास, तपोवन स्थित बिड़ला गेस्ट हाउस के बाहर से सीधे जंपइन हाइट्स की स्पेशल बंजी कोच गाड़ी आपको गंतव्य तक ले जाएगी। पूर्णत: वातानुकूलित यह कोच सुबह 9.30 से दोपहर 2 बजे तक हर घंटे में उपलब्ध होती है। इसका चार्ज आना-जाना मिला कर लगभग दो सौ रुपये आता है।

Source - http://www.livehindustan.com/news/lifestyle/lifestylenews/50-50-156120.html

हेम पन्त

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A Writeup on Angling from www.NainitalSamachar.in

ताल के किनारे मछली मारने वालों को देखना कई बार गहन अनुभूति देता है। पर नैनीताल जैसे शहर में अब ऐसे दृश्य दिखाई नहीं देते। जबकि मछली पकड़ना अब उच्च वर्ग के पर्यटकों के शौक में शामिल हो चुका है। गर्मियों का सीजन शुरू होने के साथ ही पर्यटक उत्तरी भारत के पर्यटन स्थलों और पहाड़ों की तरफ रुख करने लगते हैं। पर्यटकों का एक खास वर्ग शहरों की गहमागहमी से दूर झील और नदियों के तट पर मछलियों की हलचल के बीच उन्हें पकड़ने का रोमाँच महसूस करना चाहता है। यही वजह है कि पर्यटन और मछली पकड़ना एक नए किस्म के रिश्ते में जुड़ने लगे हैं। पर्यटन व्यवसाय से जुड़े कुछ आयोजक एंगलिंग के लिए आठ-दस दिन के पैकेज टूर भी चला रहे हैं। गर्मियों का सीजन शुरू होने के साथ ही हिमालय क्षेत्र की नदियों में मत्स्य -क्रीड़ा के शौकीनों की हलचल दिखाई देने लगती है। देश के कई भागों से मछलियों को पकड़ने के रोमांचक खेल में रुचि रखने वाले लोग प्रकृति की गोद में बैठ कर साफ पानी में मछलियों की गतिविधियों के बीच अपनी इच्छा के अनुरूप मछलियों को पकड़ने की चुनौती से निबटने के लिए पहुंचते हैं। सुनहरी महासीर और ट्राउट मछलियों को अपने काँटे में फँसाने व कब्जे में करने के रोमांचक खेल में उनके कई घंटे कब बीत गए पता ही नहीं चलता। कई स्थानीय लोग भी अपने भोजन के लिए मछलियाँ पकड़ने में व्यस्त देखे जा सकते हैं। ऊँचे पर्वतीय क्षेत्र में ठंडे पानी में रहने वाली मछलियों के खास ठिकानों तक पहुँचने के लिए टूर आयोजकों या स्थानीय लोगों की मदद लेना एक आवश्यकता बन जाता है।

ट्राउट मछली के शिकार करने के लिए जम्मू-कश्मीर की बर्फानी नदियों, हिमाचल प्रदेश में सतलुज और ब्यास के ऊपरी हिस्सों, उत्तराखंड की पिंडर व भागीरथी आदि नदियाँ और पूर्वात्तर की कुछ झीलें प्रमुख आकर्षण हैं। हिमालय क्षेत्र की नदियों में ब्यास और इसकी सहायक नदियों व हिमाचल प्रदेश की गिरि नदी, हरियाणा के ताजेवाला और उत्तराखंड में डाक पत्थर के बीच यमुना, ऋषिकेश और टिहरी के बीच रामगंगा और इसकी सहायक नदियाँ और काली, सरयू, पूर्वी एवं पश्चिमी रामगंगा, पूर्वी एवं पश्चिमी नयार, सौंग और कोसी, जम्मू-कश्मीर में चेनाब और सहायक नदियाँ, तावी इखनी नाला तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र में जिया भोरेली, दिबांग, सुबांसिनी और मानस नदियाँ महासीर की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। इनके अलावा कुमाऊँ के तालाबों- भीमताल, नौकुचियाताल, खुर्पाताल, नल दमयंती ताल और सात ताल में पर्याप्त संख्या में महासीर हैं।

भारत में मत्स्य-क्रीड़ा के लिए सबसे अच्छा समय अक्तूबर से नवम्बर का और फिर फरवरी के मध्य से मई तक होता है जबकि नदियाँ हर तरह की मछलियों से भरी-पूरी रहती हैं। मछली पकड़ने वालों की सबसे पहली पसंद महासीर का शिकार करने में होती है जो कि अच्छे-भले मछली मारों के पसीने छुटा देती है। दक्षिण भारत में मत्स्य-क्रीड़ा के लिए अप्रैल से सितम्बर का समय उपयुक्त है। विभिन्न प्रकार की मछलियों के प्रजनन काल की जानकारी होना आवश्यक है क्योंकि इस काल में मछली मारने की अनुमति नहीं होती। हिमालय क्षेत्र में दिसम्बर से मार्च के बीच बेहद ठंड होने के कारण मौसम ठीक नहीं कहा जा सकता है। उत्तरकाशी में डोडीताल में प्रायः हर मौसम में मछली पकड़ना संभव होता है। विकल्प के तौर पर ऋषिकेश क्षेत्र, जिम कार्बेट पार्क क्षेत्र में रामगंगा और शारदा नदियाँ भी हैं।

महाशीर को खतरा गैर कानूनी ढंग से व गलत तरीकों से चोरी-छिपे शिकार करने वालों से है। ये लोग बॉम्बिंग, बिजली के करंट और ब्लीचिंग पाउडर के इस्तेमाल जैसे तरीकों से बड़ी मात्रा में मछलियाँ मार कर ले जाते हैं। यहाँ अधिक संख्या में परमिट जारी कर पर्यटकों को आकर्षित किया जाना चाहिए, ताकि घातक तरीकों से महाशीर के शिकार की प्रवृत्ति को रोका जा सके।

कई राज्यों के मात्स्यकी विभागों ने मछली पालन और उनके प्रजनन को बढ़ावा देने के उपाय किये हैं। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की सरकारों ने इस दिशा में उल्लेखनीय काम किये हैं। तेजी से घटती मत्स्य संपदा के संरक्षण के बारे में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आई.सी.ए.आर.) तथा इसकी मत्स्य अनुसंधान संस्थाएँ सजग हैं। वे अपने मत्स्य प्रजनन केन्द्रों में इन मछलियों की वंशवृद्धि के बारे में अनुसंधान व उपाय खोजने में संलग्न हैं। सम्बद्ध राज्य सरकारों के सहयोग से ट्राउट और महासीर के वंश विस्तार के लिए बीज तैयार करने को प्राथमिकता दी जा रही है। शीत जल मात्स्यकी निदेशालय भीमताल द्वारा ट्राउट और महाशीर मछलियों के बीज तैयार किये जा रहे हैं।

 

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