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Chopta Tungnath Mini Switzerland of Uttarakhand-चोपता तुंगनाथ उत्तराखंड

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Devbhoomi,Uttarakhand:

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Way to chopta Tunganath

Devbhoomi,Uttarakhand:

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 ऊखीमठ:भगवान तुंगनाथ के कपाट 16 और मद्महेश्वर के कपाट 20 मई को श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे।

रविवार को बैसाखी पर्व के अवसर पर पंचाग गणना के अनुसार धर्माधिकारी, वेदपाठी, हक-हकूधारी एवं पंचगाई के लोगों की मौजूदगी में अपने-अपने शीतकालीन गद्दीस्थलों में कपाट खोलने की घोषणा की गई है। पंचगद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट खुलने की तिथि 20 मई को निर्धारित की गई। 16 मई को ओंकारेश्वर मंदिर से सभामंडप में लाई जाएगी, 17 मई को ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ ही अविस्थान करेगी। 18 मई को भगवान की चलविग्रह डोली ओंकारेश्वर मंदिर से अपने धाम के लिए प्रस्थान कर रांसी में रात्रि विश्राम करेगी। 19 को रांसी से चलकर गौंडार तथा 20 मई को गौंडार से मद्महेश्वर धाम पहुंचेगी, इसी दिन शुभलग्नानुसार प्रात: 11 बजे भगवान के कपाट आम श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे। वहीं मक्कूमठ के मार्कंडेय मंदिर में तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ की कपाट खोलने की तिथि 16 मई निर्धारित की गई। 14 मई को भगवान तुंगनाथ की डोली मुख्य मंदिर से प्रस्थान कर रात्रि विश्राम के लिए भूतनाथ मंदिर पहुंचेगी। 15 को भूतनाथ मंदिर से चोपता तथा 16 मई को तुंगनाथ पहुंचेगी, जहां इसी दिन शुभलग्नानुसार प्रात: 7.15 बजे भगवान के कपाट आम श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए

 Dainik Jagran

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
पहाड़ों की गोद में बसे इस मंदिर में छिपा है भगवान शिव का एक बड़ा रहस्य

देवभूमि उत्तराखंड में स्थित यह अद्भुत मंदिर महाभारत काल में भगवान शिव के क्रोध को शांत करने के लिए बनाया गया था।  यह मंदिर एक हजार साल पुराना है और पंच केदारों में यह सबसे ऊंचाई पर मौजूद है। तुंगनाथ की चोटी तीन धाराओं का स्रोत है, जिनसे अक्षकामिनी नदी बनती है। यह मंदिर चोपता से 03 किमी दूर स्थित है। माना जाता है कि कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार के कारण शिवजी पांडवों से नाराज हो गए थे। उनका गुस्सा शांत करने के लिए ‌ही पांडवों ने तुंगनाथ मंदिर का निर्माण किया था। तुंगनाथ उत्तराखंड में गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक पर्वत है। इस पर्वत पर ही तुंगनाथ स्थित मंदिर है। तुंगनाथ मंदिर 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां पंच केदारों में से एक रूप में भगवान शिव की पूजा होती है. ये क्षेत्र गढ़वाल हिमालय के सबसे सुंदर स्थानों में से एक है। जुलाई-अगस्त के महीनों में यहां मीलों तक फैले मखमली घास के बुग्याल स्वर्ग में होने का अहसास कराते हैं। यहां के मैदानों की तुलना स्विट्जरलैंड से की जाती है।
 
    Source amar ujala

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