Tourism in Uttarakhand > Tourism Places Of Uttarakhand - उत्तराखण्ड के पर्यटन स्थलों से सम्बन्धित जानकारी

Darchula- A Cultural Confluence

<< < (9/9)

Devbhoomi,Uttarakhand:
धारचूला क़ी नैसर्गिक सुन्दरता को देखने के लिए इस लिकं पर क्लिक करें


http://www.merapahadforum.com/photos-and-videos-of-uttarakhand/dharchula-uttarakhand/

Devbhoomi,Uttarakhand:



Photo by Ved Bhadola ji

Pawan Pathak:
व्यास घाटी में बडानी पूजा की धूम
परिवार के बड़े पुत्र को देवदर्शन को ले जाने की परंपरा
भगवान व्यास ने की थी तपस्या
कहते हैं कि व्यास घाटी में भगवान वेदव्यास ने तपस्या की थी और कुछ वेदों की रचना उन्होंने यहीं बैठकर की थी। इसीलिए इसे व्यास घाटी कहा जाता है। कुटी में पांडवों ने स्वर्गारोहण के समय विश्राम किया था। वहां पर माता कुंती के लिए कुटिया बनाई थी। इसीलिए इस स्थान को कुटी कहा जाता है।
धारचूला (पिथौरागढ़)। व्यास घाटी के गांवों में बडानी पूजा शुरू हो गई है। लोग पूजा के दौरान शिवरूपी लोकदेवता नमज्यूं की पूजा करते हैं। पूजा के लिए देवदार का करीब 50 फीट लंबा पेड़ लाया जा चुका है। इस पेड़ को दर्च्यो कहा जाता है। मान्यता है कि लोकदेवता नमज्यूं ने अपने लिए देवदार की ही छड़ी बनाई थी। यह पवित्र छड़ी हर गांव में नमज्यूं के मंदिर के आगे रख दी गई है।
बडानी पूजा का व्यास घाटी में बड़ा महत्व है। कहा जाता है कि कैलास मानसरोवर के प्रवेश द्वार में नमज्यूं की उपासना करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं। इस मौके पर परिवार के सबसे बड़े पुत्र को देवदर्शन के लिए ले जाया जाता है। बहनें अपने भाइयों के दीर्घजीवन के लिए मंगलकामना करती हैं। भादौ माह की पूर्णिमा तक चलने वाले कार्यक्रम के दौरान रोज भगवान के मंदिर में विशेष प्रकार का प्रसाद जिसे दलंग कहा जाता है, चढ़ाया जाता है। दलंग को आटे और दूध से तैयार किया जाता है। बडानी पूजा के समय प्रवास में रहने वाले सभी लोग अपने अपने घरों में पहुंच गए हैं।
नमज्यूं के मुख्य देवडांगर आनंद सिंह गर्ब्याल और कृष्ण सिंह गर्ब्याल ने बताया कि पूजा से गांवों में सुख और समृद्धि आती है।

Soruce- http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20150918a_007115002&ileft=110&itop=127&zoomRatio=136&AN=20150918a_007115002

Navigation

[0] Message Index

[*] Previous page

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 
Go to full version