हिमालय की सुरम्य पर्वत श्रंखलाआें की मनोहर वादियों के बीच बसे उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में तीर्थाटन और पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। कल-कल करती बलखाती नदियों, ऊंचाई से गिरते जल प्रपातों, हरी-भरी घाटियों, आकाश से होड़ करते देवदार और चिनार के वृक्षों और दुर्गम पहाड़ियों का अनजान आकर्षण बरबस ही पर्यटकों को अपनी आेर खींच लेता है।
लगभग तीस हजार नब्बे वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले गढ़वाल में हर मौसम का एक अलग ही रंग और सौंदर्य है। गर्मियों में लोग इस क्षेत्र में तीर्थाटन और पर्यटन के लिए उमड़ पड़ते हैं तो सर्दियों में वे स्कीइंग, राफ्टिंग और ग्लाइडिंग जैसे साहसिक पर्यटन में मशगूल रहते हैं। हिमाच्छादित धवल पर्वत चोटियां: त्रिशूल, संतोपथ, केदारनाथ और नंदाघुंटी देश-विदेश के पर्वतारोहियों को शौर्य प्रदर्शन के लिए आकर्षित करती हैं। हिमक्रीडा के लिए आली, औली और दयारा जैसे बर्फीले ढ़लान स्कीइंग करने वाले लोगों को रोमांचकारी अनुभूति कराते हैं।
ऊंचाइयों पर स्थित रहस्यावरण में लिपटी गहरी झीलों: केदारताल, सहस्रताल, डोडीताल, बेनीताल, देवदार ताल, ब्रह्मताल तथा भैंकताल, हेमकुंड, रूपकुंड और होमकुंड जैसी अनेक भूआकृतियों का अव्यक्त सौंदर्य पर्यटकों को घुमक्कड़ी के लिए आमंत्रित करता रहता है। इन तालों को अपनी गोद में समेटे रंग-बिरंगे मनमोहक फूलों की घाटियों और अनगिनत झरनों का प्रवाह तथा हिलांस, काफल, पक्कू और मोनाल पक्षियों की मधुर वाणी में पर्यटक खुद को भूल जाता है।
उसका मन करता है कि वह प्रकृति की इन हसीन वादियों में ही खो जाए। गढ़वाल में पांच हजार मीटर से ऊपर स्नोलाइन और इससे नीचे वाले क्षेत्र में दो हजार मीटर तक का इलाका पर्यटकों के लिए सर्वाधिक आकर्षण का केन्द्र है, जहां गर्मियों में ही सर्दी की ठिठुरन का अहसास होता है। रिमझिम बारिश और घाटियों से उठता हुआ कोहरा अत्यन्त मनमोहक और स्वप्निल लगता है। इस क्षेत्र में हर साल हजारों पर्यटक घुमक्कड़ी के लिए जाते हैं।
सर्पीली सडकें कभी नदी घाटी में तो कभी पहाडी ढ़लानों की आेर बढ़ने लगती हैं। इस क्षेत्र में बांज, बुरांश, चीड, देवदार, भोजपत्र, काफल, सुरई आदि के हरे-भरे जंगल पर्यटक को ताजी और शुद्ध हवा तो देते ही हैं, साथ ही पहाड़ी ढ़लानों पर हरियाली के आवरण से उसकी सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं।
ऊंची पर्वतीय ढ़लानों पर औषधीय महत्व की वनतुलसी, सोमलता, मीठा, बच, हंसराज, रतनजोत, गिलोय, कडवी, वज्रदंती, वनफशा आदि अनेक जड़ी-बूटियां बिखरी हुई हैं। त्रिशूल शिखर पर 12 जून 107 को चढ़ने वाले प्रसिद्ध पर्वतरोही डॉ टीजी लांगस्टाफ ने एक जगह लिखा है ‘‘मैं हिमालय की पर्वत श्रंखलाआें पर छह बार पर्यटन के लिए गया और यह विश्वसापूर्वक कह सकता हूं कि एशिया में गढ़वाल सबसे सुंदर प्रदेश है।
यहां न तो कराकोरम की आदियुगीन विशेषता है और न ही एवरेस्ट की सुनसान सत्ता। यहां की पर्वतमालाएं, उपत्यकाएं, वन-उपवन, हिममंडित शैल शिखर, पशु-पक्षी और वनस्पतियां सभी ऐसे अलौकिक सुख की सृष्टि करते हैं जो अन्यत्र दुर्लभ है।’’ गढ़वाल क्षेत्र में धरती के गर्भ से फूटते गरम जल के पांच सौ से अधिक स्रोत (सोते) हैं। गर्म पानी के ये चश्मे पर्यटकों को नई स्फूर्ति और ताजगी से भर देते हैं। गंधक की मात्रा होने से इन स्रोतों में नहाने से चर्म रोग होने का भय नहीं रहता है।
इनमें तपोवन, बदरीनाथ, गौरीकुंड, गंगोत्री, यमुनोत्री, गंगनाणी आदि तप्तकुंड धार्मिक भावना से स्नान के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं। गढवाल क्षेत्र की भू-सरंचना को नदियों ने सबसे अधिक प्रभावित किया है। पीपलकोटी जैसी गहरी और संकरी नदी घाटी हो या अगस्त्यमुनि, गौचर और श्रीनगर जैसे समतल क्षेत्र, इन नदियों के अपरदन और निक्षेपण से ही निर्मित हुए हैं।
अलकनंदा नदी की प्रमुख शाखा: धौलीगंगा लुकाछिपी करते हुए विष्णु-गंगा से मिलकर विष्णुप्रयाग तथा मंदाकिनी से मिलकर रुद्रप्रयाग और भागीरथी के संगम पर देवप्रयाग जैसे पांच पवित्र और मनोहारी तीर्थप्रयागों का निर्माण करती है। गढ़वाल क्षेत्र की छोटी-छोटी नदियां आपस में मिलकर गंगा और यमुना बनकर प्रवाहित होती हैं। हरिद्वार से लेकर बंगाल की खाड़ी तक बने समतल भूभाग का अस्तित्व ही नहीं होता।
यदि ये नदियां यहां से कटाव करके मिट्टी नहीं ले जातीं। इन नदियों ने ही इस क्षेत्र की उपत्यकाआ में बेहिसाब खूबसूरत गांवों को बसाया, इन गांवों तथा सीढ़ीनुमा खेतों एवं हरे-भरे जंगलों से ऊपर हिमोढ़ों पर पसरे बुग्यालों को उगाया और हिमनदों से निर्मित भूखंडों की आेट पर पंच बदरी और पंच केदार जैसे पावन धाम बसाए। इन नदियों के कम बहाव वाले क्षेत्रों में तेजी से विकसित हो रहे रोमांचकारी खेल वाटर स्पोर्ट्स हैं। ऊंचाई वाले क्षेत्र राफ्टिंग तथा कैनोइंग के लिए अनुकूल हैं। जलक्रीड़ा वाले खेलों के लिए प्राकृतिक झीलें और छोटे बांध उपयुक्त हैं।
ग्लाइडिंग साहसिक पर्यटन खेल है जिसके लिए हिमनदों से बने कई स्थान उपयुक्त हैं। वनस्पति और बुग्याल मिश्रित ढ़लानें सैर और फिल्मांकन के लिए पर्यटकों को सबसे यादा आकर्षित करती हैं। साहसिक फोटोग्राफी भी इस क्षेत्र में विकसित हो रही है।