Author Topic: EXCLUSIVE PHOTO TRISUL Peaks UTTARAKHAND-त्रिशूल पर्वत की फोटो  (Read 9982 times)

पंकज सिंह महर

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पंकज सिंह महर

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ग्वालदम से त्रिशूल पर्वत


पंकज सिंह महर

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Kiran Rawat

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Thank you Mehta Ji & Pankaj Ji,
one more pic from the same collection

Trishul Peak from Kausani (Gandhi Ashram) with the valley of Garur & Baijnath


Devbhoomi,Uttarakhand

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त्रिशूल पर्वत के बारें में कुछ तथ्य



त्रिशूल पर्वत शिखर के विषय में बताते हैं। तुमने भगवान शंकर की प्रतिमा और उनके चित्र अनेक बार देखे होंगे। उनमें भगवान के हाथ में उनका शस्त्र त्रिशूल अवश्य देखा होगा। हिमालय की पर्वत माला में स्थित एक हिम शिखर का नाम उसी त्रिशूल के आधार पर पड़ा है। तुम सोचोगे क्या यह पीक त्रिशूल के समान दिखाई पड़ती है? पर त्रिशूल पीक भगवान के त्रिशूल की तरह तो नहीं दिखती, किन्तु त्रिशूल के समान इसके तीन शिखर अवश्य हैं।

इन्हें त्रिशूल प्रथम, त्रिशूल द्वितीय और त्रिशूल तृतीय कहा जाता है। सबसे ऊंचा शिखर त्रिशूल प्रथम है। समुद्रतल से इसकी ऊंचाई 7,120 मीटर है। द्वितीय और तृतीय शिखर क्रमश: 6,690 मीटर और 6,007 मीटर ऊंचे हैं। एक बात और बतायें, यह तीनों शिखर एक रिज के माध्यम से आपस में जुड़े हैं। त्रिशूल पीक उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में स्थित है। बागेश्वर कुमाऊं के पश्चिमी भाग में है। वहां इस हिमशिखर को पवित्र माना जाता है।

पता है, आरम्भ में जब इस पीक पर चढ़ने के प्रयास शुरू हुए तो  वहां के पोर्टर त्रिशूल शिखर पर चढ़ने से मना कर देते थे, क्योंकि उनकी नजरों में तो त्रिशूल एक पवित्र और पूजनीय पर्वतचोटी है। कई प्रयासों के बाद त्रिशूल पीक पर पहुंचने का पहला सफल प्रयास 1907 में हुआ था। तब टी. जी़ लॉन्गस्टाफ अपने साथ दो अन्य ब्रिटिश पर्वताराहियों और कुछ गाइड और पोर्टरों के साथ इस शिखर को स्पर्श करने में कामयाब हुए थे। उन्होंने घाटी से होकर त्रिशूल हिमनद का मार्ग चुना था।

पता है रास्ते में उन्हें कुछ स्थानों पर बर्फीले तूफानों का सामना भी करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। तुम जानते हो ना, जो हिम्मत नहीं हारता, वह हर मुसीबत का सामना कर सकता है।  एक विशेष बात यह है कि तब हिमालय के हिमशिखरों में त्रिशूल सबसे ऊंची पीक थी, जिस पर इंसान ने फतह पायी थी अर्थात् उस समय तक त्रिशूल से ऊंची किसी चोटी को इंसान छू नहीं सका था। एक रोचक बात और बतायें, 1987 में यूगोस्लाविया के एक अभियान में पर्वतारोहियों ने एक साथ तीनों चोटियों के रिज को पार किया। पर्वतों पर चढ़ाई के दौरान उन्हें कहीं-कहीं बर्फ की दीवार जैसे पहाड़ भी पार करने पड़े।

 इसके लिए उन्हें बर्फ की कुल्हाड़ी से रास्ता बना-बना कर चढ़ना पड़ता था।  आश्चर्य की बात यह है कि इस अभियान के दो सदस्यों ने शिखर से पैराग्लाइडिंग भी की थी। त्रिशूल समूह पर पर्वतारोहण के लिए कुमाऊं में अल्मोड़ा, कौसानी, ग्वालदम, देबाल, बेदिनी बुग्याल और रूपकुण्ड होकर बेस कैम्प जाना होता है।

यह तो तुम जानते हो हर व्यक्ित पर्वतारोहण नहीं कर सकता, लेकिन हिमालय की इस पवित्र चोटी को देखने की चाह हर इंसान की होती है। इसलिए त्रिशूल पीक के मनोरम स्वरूप को देखना हो तो तुम कौसानी जा सकते हो। वहां अनेक व्यू पाइंट हैं, जहां से इस हिमशिखर को देखा ज सकता है। सोच लो त्रिशूल पर्वत शिखर के बर्फ से ढके तीनों शिखर देख तुम्हारा मन भी बड़े होकर पर्वतारोही बनने को करने लगेगा।

Devbhoomi,Uttarakhand

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त्रिशूल23,360 फुट (7120 मीटर) की ऊंचाई के साथ त्रिशूल एक शानदार पर्वत है जो नंदा देवी की दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित है। गढ़वाल क्षेत्र में सबसे पहले इस पर्वत की चढ़ाई की गई थी।

सर्वप्रथम 1907 में इसकी चढ़ाई हुई थी। आज भारत में इस पर्वत का सबसे अधिक पर्वतारोहरण होता है और इसकी ऊंचाई 7,000 मीटर से अधिक है। सर्वोत्तम समय जुलाई-सितंबर है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार त्रिशूल भगवान शिव का शस्त्र है।



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Trisul (Hindi: त्रिशूल) is a group of three Himalayan mountain peaks of western Kumaun, in the central part of Uttarakhand state of India, near the Bageshwar district, named after the weapon, Trishul. They form the southeast corner of the ring of peaks enclosing the Nanda Devi Sanctuary, and are located about 15 kilometres (9 mi) west-southwest of Nanda Devi itself. Trisul is named after the trident of Lord Shiva. The main peak, Trisul I, is notable for being the first peak over 7,000 m (22,970 ft) to have ever been climbed, in 190

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Devbhoomi,Uttarakhand

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