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और मसीहा के रूप में आए जिम कार्बेट Jul 24, 07:02 pm
बताएं बृजेश भट्ट, रुद्रप्रयाग
बीसवीं सदी में रुद्रप्रयाग के लिए मसीहा बनकर आए जिम कार्बेट को जिले के लोगों ने भुला दिया है। क्षेत्र को नरभक्षी बाघ के आतंक से मुक्ति दिलाने वाले जिम कार्बेट के नाम पर मुख्यालय में एक मात्र स्मारक है, उसकी भी बदहाल स्थिति किसी से छिपी नही है। अलबत्ता एक संस्था की ओर से गत वर्ष से जिम कार्बेट के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें याद कर लिया जाता है।
25 जुलाई 1875 को नैनीताल में जन्मे प्रकृति प्रेमी व छायाकार एडवर्ड जिम कार्बेट का रुद्रप्रयाग के लिए योगदान अविस्मरणीय है। बीसवीं सदी की शुरूआत में रुद्रप्रयाग क्षेत्र नरभक्षी बाघ के आतंक खौफजदा था, लेकिन इससे छुटकारा दिलाने वाला कोई नहीं था। 125 लोगों को शिकार बना चुके नरभक्षी का आतंक ऐसा था कि लोगों का घर से बाहर निकलना दूभर हो गया था। इसी बीच मसीहा बनकर जिम कार्बेट रुद्रप्रयाग पहुंचे और 70 दिनों के प्रयास के बाद दो नरभक्षी गुलदार को मारने में सफलता हासिल की। इसमें से एक को बेंजी के पास व दूसरे को गुलाबराय में मार गिराया। उस समय के रुद्रप्रयाग निवासी शिव सिंह जगवाण बताते है कि पूरा क्षेत्र उनकी आवभगत में जुटा रहा और उन्हें लोग मसीहा के रूप में पूजने लगे। वहीं इस सबके बावजूद आज जिम कार्बेट को याद करने वाले चंद लोग ही जिले में शेष हैं। जिले में जिस स्थान पर जिम कार्बेट ने नरभक्षी गुलदार को मारा था वहां पर एक मात्र स्मारक बनाया गया है, वह भी बदहाल स्थिति में है। सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले रंगकर्मी ओपी सेमवाल कहते हैं कि पिछले दो वर्षो से जिम कार्बेट स्मारक के सौन्दर्यीकरण एवं संग्रहालय के लिए वन व पर्यटन विभाग से सम्पर्क कर प्रस्ताव भी भेजा गया, लेकिन अभी कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है।
आज भी ताजा हैं कार्बेट की यादें
नगर निवासी 92 वर्षीय शिवसिंह जगवाण अपने अनुभवों को बांटते हुए कहते हैं कि हालांकि वह उस समय मात्र छह वर्ष के थे, लेकिन जिमकार्बेट के प्रति जनता में बड़ा प्रेम व श्रद्धा थी, उनका भव्य स्वागत होता था तथा सामुहिक रुप से लोग उनके लिए भोजन बनाते थे। वहीं जिम कार्बेट के काफी नजदीकी रहे गुलाबराय के ईश्वरीदत्त देवली के पुत्र काशीराम देवली कहते हैं जिम कार्बेट ने उस समय सत्तर दिनों तक रुद्रप्रयाग में रह कर संघर्ष किया तथा आखिरकार बाघ को मार गिराया।
जिम कार्बेट से जुडे़ कुछ मुख्य बिन्दु:-
-रुद्रप्रयाग में कार्बेट द्वारा मारे गए नरभक्षी बाघों की संख्या-2
-70 दिनों तक रुद्रप्रयाग में किया प्रवास
-टार्च खराब होने पर मंगाई कलकत्ता से
(Source-dainik jagran)