Author Topic: Nainital - नैनीताल  (Read 74575 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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Re: Nainital - नैनीताल
« Reply #120 on: July 04, 2012, 03:45:35 PM »

Devbhoomi,Uttarakhand

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Re: Nainital - नैनीताल
« Reply #121 on: August 08, 2012, 01:44:29 PM »

Risky Pathak

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Re: Nainital - नैनीताल
« Reply #122 on: November 18, 2012, 11:44:03 AM »
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नैनीताल का जन्म दिन ......?

नैनीताल का इतिहास शाहजहांपुर के अंग्रेज शराब व्यापारी पीटर बैरन से शुरू नहीं होता । न ही 18 नवम्बर 1841 से । सृष्टि की उत्पत्ति के साथ ही नैनीताल भी जन्मा । आदि - अनादी काल पहले । नैनीताल का जिक्र पुराणों में है । स्कन्द पुराण के मानस खंड में नैनीताल को त्रिऋषि सरोवर कहा गया है ।पहाड़ की कन्दराओं में मानव की बसावट के बाद से नैनीताल यहाँ के धार्मिक और लोक जीवन में
रचा - बसा रहा है । भारत की पवित्र भूमि में अंग्रेजों के बलात कब्जे से सदियों पहले से नैनीताल में एक मंदिर था । इसके आसपास बसे गावों के लोग पूजा - अर्चना और पशुओं को चराने को यहाँ आते थे । इसे पवित्र भूमि माना जाता था । लिहाजा यहाँ बसावट नहीं हुई । शाहजहांपुर के अंग्रेज शराब व्यापारी पीटर बैरन नैनीताल आने वाला पहला अंग्रेज भी नहीं था । पीटर बैरन के यहाँ आने से कई साल पहले तब के कुमांऊ कमिश्नर मि .ट्रेल नैनीताल का दौरा कर चुके थे । ट्रेल को कुदरत की सुन्दरता से मालामाल इस पवित्र भूमि नैनीताल जैसे स्थान की बखूबी जानकारी थी । लेकिन नैनीताल को लेकर लोक मान्यताओं के चलते ट्रेल ने दूसरे अंग्रेजों को इसकी जानकारी नहीं दी । इस तथ्य का खुलासा खुद पीटर बैरन उर्फ़ "पिलग्रिम " ने 1844 में छपी अपनी - " नोट्स आफ वाडेरिंग इन द हिमाला " में किया है । पीटर बैरन से पहले 1841 में एक जर्मन वैज्ञानिक हाफ मीईस्टर कालाढूंगी के रास्ते नैनीताल आ चुके थे । इस लिहाज से पीटर बैरन को नैनीताल का खोजकर्ता कहना भी अनुचित है । नैनीताल पीटर बैरन के यहाँ आने से पहले से ही एक ज्ञात जगह थी । हिन्दुस्तानियों के लिए भी और चंद अंग्रेजों के लिए भी । हाँ , यह सच है कि नैनीताल में बसावट की शुरुआत का श्रेय निश्चित ही पीटर बैरन को दिया जा सकता है । दूसरे शब्दों में पीटर बैरन नैनीताल का पहला बिल्डर था । सबसे पहले उसने मल्लीताल में अपने लिए " पिलग्रिम लौज " नाम का बंगला बनाया । फिर दूसरे अंग्रेजों को नैनीताल आने का न्यौता दिया । अब सवाल यह है कि 18 नवम्बर को न नैनीताल का जन्म हुआ और न खोज । तो जन्म दिन किस बात का भाई ?।मंनाना ही है तो संरक्षण और संवर्धन दिवस मनाओ ।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: Nainital - नैनीताल
« Reply #123 on: February 13, 2013, 08:51:09 AM »
प्रयाग पाण्डे
नैनीताल की फितरत पर प्रसिद्ध जन कवि श्री बल्ली सिंह चीमा की रचना ------

अब यहाँ पल में वहां कब किसपे बरसे क्या खबर ,
बदलियाँ भी हैं फरेबी यार नैनीताल की ,
मैं तो मेरा मिट गया आकर बनकर रह गया
तू तलैय्या सी बनी है झील नैनीताल की .
लोग रोनी सूरतें लेकर यहाँ आते नहीं
रूठना भी है मना , वादी में नैनीताल की ,
अर्ध - नग्ने जिस्म हैं या रंग -बिरंगी तितलियाँ
पूछती है व्यंग से कुछ माल नैनीताल की ,
ताल तल्ली हो या मल्ली , चहकती है हर जगह
मुस्कराती औ लजाती शाम नैनीताल की ,
चमचमाती रोशनी में रात थी नंगे बदन
गुनगुनाती झिलमिलाती झील नैनीताल की ,
ख़ूबसूरत जेब हो तो हर जगह सुन्दर लगे
जेब खाली हो तो ना कर बात नैनीताल की |

 

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