प्रयाग पाण्डे
नैनीताल की फितरत पर प्रसिद्ध जन कवि श्री बल्ली सिंह चीमा की रचना ------
अब यहाँ पल में वहां कब किसपे बरसे क्या खबर ,
बदलियाँ भी हैं फरेबी यार नैनीताल की ,
मैं तो मेरा मिट गया आकर बनकर रह गया
तू तलैय्या सी बनी है झील नैनीताल की .
लोग रोनी सूरतें लेकर यहाँ आते नहीं
रूठना भी है मना , वादी में नैनीताल की ,
अर्ध - नग्ने जिस्म हैं या रंग -बिरंगी तितलियाँ
पूछती है व्यंग से कुछ माल नैनीताल की ,
ताल तल्ली हो या मल्ली , चहकती है हर जगह
मुस्कराती औ लजाती शाम नैनीताल की ,
चमचमाती रोशनी में रात थी नंगे बदन
गुनगुनाती झिलमिलाती झील नैनीताल की ,
ख़ूबसूरत जेब हो तो हर जगह सुन्दर लगे
जेब खाली हो तो ना कर बात नैनीताल की |