Author Topic: NARENDAR NAGAR,UTTARAKHAND,(नरेंद्रनगर,उत्तराखंड )  (Read 36299 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
भगवान शिव ने हवन कुंड से सती के शरीर को बाहर निकाला तथा शोकमग्न और क्रोधित होकर वर्षों तक इसे अपने कंधों पर ढोते विचरण करते रहें। इस असामान्य घटना पर विचार-विमर्श करने सभी देवतागण एकत्रित हुए क्योंकि वे जानते थे कि क्रोध में भगवान शिव समूची दुनिया को नष्ट कर सकते हैं।



आखिरकार, यह निर्णय लिया गया कि भगवान विष्णु अपने सुदर्शन चक्र का उपयोग करेंगे। भगवान शिव के जाने बगैर भगवान विष्णु ने अपने   सुदर्शन चक्र  से सती के शरीर को 52 टुकड़ों में विभक्त कर दिया। धरती पर जहां कहीं भी सती के शरीर का टुकड़ा गिरा, वे स्थान सिद्ध पीठों या शक्ति पीठों (ज्ञान या शक्ति के केन्द्र) के रूप में जाने गए।

उदाहरण के लिए नैना देवी वहां हैं, जहां उनकी आंखें गिरी थीं, ज्वाल्पा देवी वहां हैं, जहां उनकी जिह्वा गिरी थी, सुरकंडा देवी वहां हैं, जहां उनकी गर्दन गिरी थी और चंदबदनी देवी वहां हैं, जहां उनके शरीर का नीचला हिस्सा गिरा था

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
देवी कुंजापुरी मां को समर्पित मां कुंजापुरी देवी मंदिर  से दर्शनार्थी गढ़वाल पहाड़ियों के रमणीय दृश्य को देख सकते हैं। आप कई महत्वपूर्ण चोटियों जैसे उत्तर दिशा में स्थित बंदरपंच (6,320 मी.), स्वर्गारोहिणी (6,248 मी.), गंगोत्री (6,672 मी.) और चौखम्भा (7,138 मी.) को देख सकते हैं। दक्षिण दिशा में यहां से ऋषिकेश, हरिद्वार और इन घाटी जैसे क्षेत्रों को देखा जा सकता है।


Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
यह मंदिर उत्तरांचल में अवस्थित 51 सिद्ध पीठों में से एक है। मंदिर का सरल श्वेत प्रवेश द्वार में एक बोर्ड प्रदर्शित किया गया है जिसमें यह लिखा गया है कि यह मंदिर को 197वीं फील्ड रेजीमेंट (कारगिल) द्वारा भेंट दी गई है। मंदिर तक तीन सौ आठ कंक्रीट सीढ़ियां पहुंचती हैं।

 वास्तविक प्रवेश की पहरेदारी शेर, जो देवी की सवारी हैं, और हाथी के मस्तकों द्वारा की जा रही है। कुंजापुरी मंदिर अपने आप में ही श्वेतमय है। हालांकि, इसके कुछ हिस्से चमकीले रंगों में रंगे गए हैं।


 इस मंदिर का 01 अक्टूबर, 1979 से 25 फरवरी, 1980 तक नवीकरण किया गया था मंदिर के गर्भ गृह में कोई प्रतिमा नहीं है - वहां गड्ढा है - कहा जाता है कि यह वही स्थान है जहां कुंजा गिरा था। यहीं पर पूजा की जाती है, जबकि देवी की एक छोटी सी प्रतिमा एक कोने में रखी है।

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
कुंजापुरी मेला
वर्ष 1972 से प्रतिवर्ष दशहरा पर्व के पहले नवरात्रों के दौरान कुंजापुरी मंदिर में कुंजापुरी पर्यटन एवं विकास मेले का आयोजन किया जाता है।

यह इस क्षेत्र के सबसे बड़े पर्यटक आकर्षण केन्द्रों में से एक है। इसमें पड़ोसी क्षेत्रों के साथ-साथ दुनियाभर के लगभग 50,000 दर्शक भाग लेते हैं। यह मेला पर्यटन एवं विकास को बढ़ावा देने की दोहरी भूमिका निभाता है।

 कई प्रकार की अंतसांस्कृतिक प्रदर्शनियां और संगीत एवं नृत्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिसमें देशभर के कलाकार हिस्सा लेते हैं। सरकार भी विकास के एक साधन के तौर पर इस मेले का उपयोग करती है तथा स्थानीय किसानों को फसलों और खेती की तकनीकों के बारे में जानकारी देने के लिए इस अवसर का उपयोग करती है।

 

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1


narendar nagr palace

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1

King Tehri Narendra Singh mahalThe vast continent of India houses multitudes of cities and towns that have flourished here over the years. The state of Uttarakhand also is not an exception in this matter. Amongst several cities one can easily distinguish the importance of Narendra Nagar. In fact it is an example of a city,




which lies in the Tehri Garhwal district of the same state of India. Also a municipal board has been established so that the administration can be looked after quite well. Narendra Nagar lies 15 km north of Rishikesh.

Discovery of a town or city becomes only when one can catch hold of its demographical scenario. Over the years several demographers have conducted numerous surveys and research works so that they could throw some light on Narendra Nagar and its demographical traits. Regarding this one cannot fail to mention about the Census report that has been issued forth in the year 2001. According to this report,

 Narendra Nagar has showed a population count of 4796. Just like other places in India, male populace of Narendra Nagar constitutes 59 %. In comparison females are less thereby constituting 41 % only. Also 11 % of the total population of Narendra Nagar constitutes of children who are below six years of age.

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1


The Narendra Nagar Palace', is now home to 'Ananda - In the Himalayas', a destination spa, that looks down into the Doon valley from its majestic height of 3000 feet. Crowning a picturesque ridge of the mighty Himalayan ranges, the palace is a symbol of the grandeur and splendour of an era gone by.
 Original relief work still adorns the palace walls and two magnificent World War I cannons flank the royal gateway.

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
अगस्त 1949 को टिहरी गढ़वाल पृथक जनपद के रुप में गठित हुआ। इस जनपद के अंतर्गत वर्तमान में 9 विकासखण्ड, 7 तहसील, 1 उप तहसील एवं 928 ग्राम पंचायतें है। यहां पर दो नगरपालिका परिषद टिहरी एवं नरेन्द्रनगर तथा नगर पंचायत चम्बा, मुनिकी रेती, देवप्रयाग और कीर्तिनगर है। जनपद में 6 पुलिस स्टेशन, 5 पुलिस चौकियां तथा 76 न्याय पंचायत क्षेत्र हैं। इसके अलावा जनपद में 1773 आबाद ग्राम, 13 वन ग्राम और 54 गैर आबाद ग्राम हैं। यहां आबादी का घनत्व 148 व्यक्ति प्रति वर्गकिलोमीटर तथा कुल आबादी 604608 हैं, जिनमें पुरुष 294842 तथा महिलाएं 304766 है।

स्कंद पुराण (हिन्दुओं का पवित्र धार्मिक ग्रंथ) में इस क्षेत्र का वर्णन केदार खंड के रुप में है। इतिहास के अनुसार यहां कई दुर्ग एवं किला थे । राजा सुदर्शन को टेहरी गढ़वाल का संस्थापक माना जाता है।

यह जनपद 2100 फीट की ऊंचाई पर 30o22’54” उत्तरी अक्षांश तथा 78o31’18” पूर्वी देशांतर पर स्थित है। इस जनपद के उत्तर में उत्तरकाशी, पूर्व में रुद्रप्रयाग, दक्षिण में पौरी गढ़वाल और पश्चिम में जनपद देहरादून स्थित है। इस जनपद की प्रमुख नदियां भागीरथी, भिलंगाना, अलकनंदा तथा बालगंगा हैं।

जनपद के पूर्वी क्षेत्र में छोटी-छोटी नदियां जैसे लोस्तु, बडियार, उत्तरीय क्षेत्र में जलकुर, पश्चिम भाग में अगलाड़ तथा हेवल नदी है, जो बाद में यमुना व गंगा में समाहित होती है। यहां की भूमि ढालू व पथरीली है। घाटी वाले क्षेत्रों में दोमट व लाल मिट्टी पायी जाती है। जनपद का भौगोलिक क्षेत्रफल 3796 वर्ग किलोमीटर है।

 यहां की घाटियों में गर्मियों में अधिक गर्म व सर्दियों में अधिक ठंढ़ होती है। जनपद का अधिकतम तापमान 31.30 डिग्री सेंटीग्रेड तथा न्यूनतम 2 डिग्री सेंटीग्रेड रहता है। यहां पर औसत वर्षा 13.95 मिमी है। जनपद में वन का विस्तार 358472 हैक्टर क्षेत्र में है। जंगल में चीड़, देवदार, खैर, खरस, मोरू, बांस, बांज आदि वनस्पतियां पाई जाती है। जनपद में खनिज संपदा के अंतर्गत मैग्नेसाइड, चूना, डोलामाइट, जस्ता, फास्फेट, संगमरमर आदि पाये जाते हैं।

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22