चंपावत के कत्यूरी राजा झलराई की यूं तो सात रानियां थीं, लेकिन संतान एक भी नहीं थी। ज्योतिषियों ने राजा को आठवें विवाह की सलाह दी। अर्द्धरात्रि में राजा को स्वप्न हुआ कि नीलकंठ पर्वत पर कलिंका नामक सुंदरी उनकी प्रतीक्षा कर रही है। राजा लाव-लश्कर के साथ नीलकंठ पहुंचे। कलिंका के साथ वहां उनका विधिवत विवाह हो गया।
कलिंका गर्भवती हुई। सातों रानियों ने ईर्ष्यावश एक षड्यंत्र के तहत प्रसव कै समय कलिंका की आंखों पर पट्टी बांध दी और जब शिशु उत्पन्न हुआ, तो शिशु के स्थान पर सिल-बट्टा रखकर यह प्रचारित कर दिया गया कि कलिंका ने सिल-बट्टे को जन्म दिया है। शिशु को मारने के लिए रानियों ने पहले उसे हिलीचुली नामक खतरनाक गायों के आगे डाल दिया, लेकिन जब एक गाय उसे दूध पिलाने लगी, तब उन्होंने उसे बिच्छू घास के ढेर पर फेंक दिया। जब वहां भी उसे कुछ नहीं हुआ, तो उसे नमक के ढेर पर रख दिया, लेकिन नमक जैसे शक्कर में बदल गया।
अब रानियों ने उसे नमक से भरे संदूक में रख काली नदी में बहा दिया। सात दिन और सात रातें बीतने के बाद वह संदूक गोरीघाट में भाना नामक मछुवारे को मिला। मछुआरे पति-पत्नी ने बालक का नाम गोलू रखा और उसका पालन-पोषण किया।