वाह गड्या जी क्या फोटो है इन बकरी वाले फोटो को देख कर मुझे बड़ा उदास
लग रहा है मैं जब भी अपने घर जाता हूँ बकरी चराने जंगल मैं जरूर जाता हूँ ...
बिल्कुल कविन्द्र दाज्यू बकरियों को देख के तो उदास तो लगेगा ही, क्योंकि हम कहीं न कहीं इनसे जुड़े हैं , हमारे माता-पिता इनसे जुड़े थे , बचपन में हमने भी इन्हें जंगल ले जा के चराया है !
बचपन में मैं भी इनको चराने जाता था , हमारी 03 बकरियां थी ! जिनका नाम लाली, सन्नू और पप्पू था ! आज भी ये मुझे याद आते हैं !