चलें क्या पिंडारी ग्लेशियर.......
::::::::::::::::::::::::::::
अंतिम किस्त..
तो.... सुंदरढूंगा घाटी से अब वापस चलें. गाईड पोर्टर आपको जातोली तक छोड़ देंगे. जातोली में एक रात बिताने के बाद अगले दिन यहां से धाकुड़ी या फिर सौंग के खलीधार स्थित निगम के रेस्ट हाउस का लक्ष्य रखें. रात्रि विश्राम वहीं करने के बाद सौंग पहुंचने के बाद आपको वाहन मिल जाएगा.
अब इस मार्ग में दूसरे सड़क मार्ग की थोड़ी सी जानकारी आपसे मैं और बांच लूं.
इस टै्किंग रूट में अब धाकुड़ी से आगे खर्किया तक कच्ची सड़क बन गई है. लेकिन अभी ये सड़क बरसातों में करीब तीनेक माह तक बंद हो जाती है. इसके लिए दो मोटर मार्ग हैं. एक है बागेश्वर, भराड़ी, सौंग, लोहारखेत, चौड़ास्थल, पेठी, कर्मी, विनायक धार, धूर होते हुए खर्किया तथा दूसरा मार्ग बागेश्वर, कपकोट, डोटिला, चीराबगड़, परमटी, गांसू, गोदियाधार, सरण, कर्मी, तोली, विनायक धार, धूर होते हुए खर्किया तक है. धूर से बांई ओर को सड़क तीख होते हुए बधियाकोट को निर्माणाधीन है. खर्किया तक जाने के लिए अभी दूसरा मार्ग कपकोट-सरण—कर्मी से ही ज्यादा आवाजाही है. पहले मार्ग की अपेक्षा ये मार्ग छोटा है.
बहरहाल् ये दोनों मोटर मार्ग कच्चे और कई जगहों पर खतरनाक बने हैं. हांलाकि कपकोट-कर्मी मोटर मार्ग के चौड़ीकरण का काम चल रहा है, लेकिन सड़क के गड्ढों की वजह से इस मार्ग में चलने वाली जीपें रेंगती सी लगती हैं. कई जगहों में कीचड़ की वजह से ये सड़क जानलेवा बनी है. बागेश्वर से कपकोट होते खर्किया तक पहुंचने में लगभग चार घंटे तक लग जाते हैं, जबकि ये दूरी लगभग सत्तर किलोमीटर ही है.
ये मोटर मार्ग अभी सिर्फ जीपों के साथ ही मोटर बाईकों के चलने लायक हैं. यदि आप बाईक में सफर करना चाहते हैं तो अपने साथ पंचर किट, पंप जरूर रखें.
हिमालयी क्षेत्र की यात्रा के लिए कुछ कायदे-कानूनों से भी आपको अवगत करवा दूं, ताकि बे-वजह आप परेशां ना हों. यात्रा मार्ग में पड़ने वाले गांवों की रीति-रिवाजों का सम्मान कीजिए. अनुशासन के साथ ही शांति बनाए रखें. प्राकृतिक जल स्रोतों को गंदा ना करें. जंगली जानवर, जैसे घुरड़, काकड़, मोनाल, भालू आदि के दिखने पर शोर ना करें. ये आपका नहीं उनका घर है. आपने जिस जगह में रात्रि विश्राम के लिए टैंट लगाया हो या जिस रेस्ट हाउस में रहे हों, वहां आस-पास गंदगी ना फैलाएं. प्लास्टिक, थैलियां रास्तों में ना फैंके, अपने साथ वापस लाकर निगम के कूड़ादान में डालें. अपनी टीम में चलने में जो कमजोर हों उन्हें हर रोज बदल-बदल कर सबसे आगे रखिए, ताकि उनका मनोबल बना रहे. ग्रुप में कभी भी दूरी ना बनाएं, साथ-साथ चलें. उंचाई पर संकरे रास्ते पर चलते हुए ध्यान रहे कि कोई पत्थर आपसे नीचे ना गिरे और ना ही कभी पत्थर नीचे गिराएं. अकसर इस तरह की घटनाओं से बड़ी दुर्घटना का खतरा रहता है. भूस्खलन क्षेत्र (स्लाईडिंग जोन) में एक-एक करके सावधानी से खामोश होकर चलें. जंगलों में आग ना लगाएं. ग्लेशियर से निकलने वाली बर्फानी नदियों का बहाव काफी तेज होता है. इन्हें पैदल पुलों से पार करते वक्त सावधानी बरतें. हिमालयी क्षेत्र का मौसम पल-पल बदलते रहता है. चलते वक्त कभी अत्यधिक बारिश हो जाने पर घबराएं नहीं, सुरक्षित मैदान वाले स्थान पर थोड़ा ठहर लें. वस्तुस्थिति के अनुसार अपने विवेक से काम लें. अत्यधिक आत्मविश्वास से बचें.
पिंडर घाटी समेत उत्तराखंड में अन्य हिमालयी क्षेत्रों में जाने के लिए आप बागेश्वर में मेरे अनुभवी पर्वतारोही साथी संजय परिहार (09412985919, 09760880320) तथा भुवन चौबे (09411710503, 08449269770, 05963-221051) से सम्पर्क कर सकते हैं.

तो अब... पिंडर घाटी क्षेत्र में फैले ग्लेशियरों तक की यात्रा करने के लिए आपके पास सभी विकल्प हैं कि आप किस तरह से अपनी सुखद यात्रा करना चाहेंगे..