मुनस्यारी : जहां बरसता है प्रकृति का प्यार
Source NBT (29Jul/9,हेलो दिल्ली)
रश्मि शर्मा
समुद्रतल से 2290 मीटर ऊंचाई पर स्थित मुनस्यारी में कुदरत अपने आंचल में तमाम खूबसूरत नजारो
ं के साथ अमूल्य पेड़-पौधे व तमाम जड़ी-बूटियों को छुपाए हुए है। उत्तराखंड के जिले पिथौरागढ़ के एक हिस्से मुनस्यारी पर कुदरत खासतौर पर मेहरबान है। इसकी इन्हीं खूबियों की वजह से ही स्थानीय लोग मुनस्यारी के लिए 'सात संसार, एक मुनस्यारी' की कहावत का प्रयोग करते हैं।
क्या हैं आकर्षण
गौरी गंगा नदी
मुनस्यारी एक विस्तृत क्षेत्र है, जहां शंखधुरा, नानासैंण, जेती, जल्थ, सुरंगी, शमेर्ली व गोड़ीपार जैसे छोटे-छोटे गांव हैं और इन्हीं गांवों के ठीक नीचे कल-कल करती गौरी गंगा नदी बहती है। लोगों का मानना है कि इस नदी में गंधंक का पानी है। यही वजह है कि इसके पानी में औषधीय गुण बताए जाते हैं और माना जाता है कि इसमें नहाने से त्वचा संबंधी तकलीफें दूर होती हैं।
सूरज के नजारे
यहां से हिमालय की सफेद ऊंची चोटियां बेहद साफ नजर आती हैं। साफ व सुहावने मौसम में यहां के खूबसूरत प्राकृतिक नजारों को देख पर्यटक पलक तक झपकना भूल जाते हैं। वैसे, मुनस्यारी उगते व डूबते सूरज के मोहक नजारों के लिए भी मशहूर है।
खलिया टॉप
मुनस्यारी आने पर पर्यटक खलिया टॉप पर ना जाएं, यह तो नामुमकिन है। हालांकि यहां पहुंचने के लिए एकदम सीधी चढ़ाई चढ़ने की हिम्मत भी जुटानी होती है। वैसे, यहां पहुंचने के बाद पंचौली चोटियों को एकदम साफ देखा जा सकता है। ऐसा लगता है कि मानो ये चोटियां नहीं, बल्कि पांच चिमनियां हों। कहा जाता है कि स्वर्ग की ओर बढ़ने से पहले पांडवों ने आखिरी बार पंचौली में ही खाना बनाया था।
वाइल्डलाइफ व बर्ड वॉचिंग
इनमें दिलचस्पी रखने वालों के लिए भी यह जगह बेहतरीन है। यहां आमतौर पर दिखाई देने वाले पक्षी विस्लिंग थ्रस, वेगटेल, हॉक कूकू, फॉल्कोन और सर्पेंट ईगल वगैरह हैं। तो मुनस्यारी के जंगल शेर, चीते, कस्तूरी मृग और पर्वतीय भालू का घर कहे जाते हैं।
एडवेंचर
एक ओर जहां क्षेत्र की'गौरी घाटी' ट्रेकिंग के लिए स्वर्ग कही जाती है, वहीं गौरी गंगा में रॉफ्टिंग के रोमांच को करीब से महसूस किया जा सकता है। इसके अलावा, सर्दियों में यहां खलिया टॉप और बेतुलीधार पर पहुंच कर भी प्रकृति का भरपूर आनंद लिया जा सकता है। मुनस्यारी से मिलम, नामीक, रालम ग्लेशियर वगैरह काफी नजदीक हैं। इसके पास जोहार घाटी है, जो किसी समय तिब्बत के साथ व्यापार करने का रूट हुआ करता था। ध्यान रखें कि आज इस रूट पर आगे बढ़ने के लिए आपको पूर्व अनुमति लेनी होती है। अगर आप किसी प्रफेशनल ट्रैक ग्रुप के साथ हैं, तो उनके पास पहले से ही परमिशन रहती है।
शॉपिंग
तिकसेन बाजार मुनस्यारी का अकेला बड़ा बाजार है। यहां ठहरने से लेकर खाने-पीने व दिलचस्प शॉपिंग तक का अरेंजमंट है। थल, नाचनी, क्यूटी, तिजम होते हुए तिकसेन बाजार पहुंचते हैं, जो मुनस्यारी के अंतर्गत ही आता है। यहां से खासतौर पर पश्मीना ऊन व उससे बनी चीजें खरीद सकते हैं।
धार्मिक स्थल
मुनस्यारी से 5 किमी पर कालामुनि डांडा में एक प्रसिद्ध मां दुर्गा मंदिर है, जिसमें लोगों की गहरी श्रद्धा है। पर्यटक भी इस मंदिर में जरूर जाते हैं। नवरात्रों में यहां के उल्का देवी मंदिर में एक बहुत बड़ा मेला लगता है, जिसे मिलकुटिया का मेला कहा जाता है। यहां दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। नौ दिन तक यहां सिर्फ ढोल, वाद्य यंत्र व नगाड़ों की भक्तिमय गूंज सुनाई देती है।
कैसे पहुंचे:
दिल्ली से मुनस्यारी करीब 590 किमी दूर हैं, वहीं काठगोदाम से इसकी दूरी 314 किमी रह जाती है, जो यहां पहुंचने के लिए करीबी रेलवे स्टेशन भी है। यहां से आगे के लिए आपको बस व टैक्सी असानी से मिल जाती हैं। पिथौरागढ़ के नैनी सैनी में एक छोटा सा हवाई अड्डा है, जो मुनस्यारी से 250 किमी की दूरी पर है।
कहां ठहरें:
कुमाऊं मंडल विकास निगम के शानदार रेस्ट हाउस के अलावा यहां पी-डब्ल्यू डी की ओर से भी ठहरने की व्यवस्था है। इसके अलावा, यहां कुछ प्राइवट होटल भी हैं, जहां आपको रुकने के लिए अच्छा अरेंजमंट मिलेगा।