Author Topic: Pithoragarh: Kashmir Of Uttarakhand - पिथौरागढ़: उत्तराखण्ड का कश्मीर  (Read 133927 times)

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चण्डाक से पिथौरागढ़ का दृश्य


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बिर्थी झरना


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THE OLD BRIDGE IN PITHAURAGARH


पंकज सिंह महर

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कामाख्या देवी मंदिर, पिथौरागढ़


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उत्तरांचल का पॉपुलर टूरिस्ट स्पॉट पिथौरागढ़ बड़ी संख्या में सैलानियों को लुभा रहा है। दरअसल, प्राकृतिक खूबसूरती के साथ यहां वाइट रिवर राफ्टिंग, ट्रेकिंग, हैंग-ग्लाइडिंग और स्कीइंग जैसे एडवेंचर स्पोर्ट्स खूब एंजॉय किए जा सकते हैं।

 यानी एक ही जगह पर दो मूड्स की छुट्टियां मजा मिलता है। पिथौरागढ़ एक वादी में 1851 मीटर की ऊंचाई पर बसा है। नेपाल व तिब्बत की सीमा को छूता यह शहर अपनी बेशुमार खूबसूरती के कारण 'लिटल कश्मीर' भी कहलाता है।

पिथौरागढ़ की झीलें बहुत सुंदर हैं। खासतौर पर जोलिन्गकॉन्ग और अन्छेरितल पर्यटकों को खूब लुभाती हैं। इसके अलावा, यहां कई पुराने मंदिर भी देखे जा सकते हैं, जिनसे कई तरह की पौराणिक कहानियां जुड़ी हैं। तानकपुर से 20 किलोमीटर दूर पूर्णागिरी है, तो लोहाघाट के पास रीठा साहिब है।

कहा जाता है कि रीठा साहिब वाली जगह पर कड़वे स्वाद का फल रीठा सिखों के पहले गुरु गुरुनानक के छूनेभर से मीठा हो गया था। इससे थोड़ा आगे वाइट मनु टेंपल एक देवी को समर्पित है। माना जाता है कि उनके अनुष्ठान से बारिश आती है, जिसका आना अच्छी किस्मत का प्रतीक कहा जाता है।

सुधीर चतुर्वेदी

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                           मुनस्यारी : जहां बरसता है प्रकृति का प्यार

Source NBT (29Jul/9,हेलो दिल्ली) 
 
रश्मि शर्मा
समुद्रतल से 2290 मीटर ऊंचाई पर स्थित मुनस्यारी में कुदरत अपने आंचल में तमाम खूबसूरत नजारो
ं के साथ अमूल्य पेड़-पौधे व तमाम जड़ी-बूटियों को छुपाए हुए है। उत्तराखंड के जिले पिथौरागढ़ के एक हिस्से मुनस्यारी पर कुदरत खासतौर पर मेहरबान है। इसकी इन्हीं खूबियों की वजह से ही स्थानीय लोग मुनस्यारी के लिए 'सात संसार, एक मुनस्यारी' की कहावत का प्रयोग करते हैं।

क्या हैं आकर्षण

गौरी गंगा नदी
मुनस्यारी एक विस्तृत क्षेत्र है, जहां शंखधुरा, नानासैंण, जेती, जल्थ, सुरंगी, शमेर्ली व गोड़ीपार जैसे छोटे-छोटे गांव हैं और इन्हीं गांवों के ठीक नीचे कल-कल करती गौरी गंगा नदी बहती है। लोगों का मानना है कि इस नदी में गंधंक का पानी है। यही वजह है कि इसके पानी में औषधीय गुण बताए जाते हैं और माना जाता है कि इसमें नहाने से त्वचा संबंधी तकलीफें दूर होती हैं।

सूरज के नजारे
यहां से हिमालय की सफेद ऊंची चोटियां बेहद साफ नजर आती हैं। साफ व सुहावने मौसम में यहां के खूबसूरत प्राकृतिक नजारों को देख पर्यटक पलक तक झपकना भूल जाते हैं। वैसे, मुनस्यारी उगते व डूबते सूरज के मोहक नजारों के लिए भी मशहूर है।

खलिया टॉप
मुनस्यारी आने पर पर्यटक खलिया टॉप पर ना जाएं, यह तो नामुमकिन है। हालांकि यहां पहुंचने के लिए एकदम सीधी चढ़ाई चढ़ने की हिम्मत भी जुटानी होती है। वैसे, यहां पहुंचने के बाद पंचौली चोटियों को एकदम साफ देखा जा सकता है। ऐसा लगता है कि मानो ये चोटियां नहीं, बल्कि पांच चिमनियां हों। कहा जाता है कि स्वर्ग की ओर बढ़ने से पहले पांडवों ने आखिरी बार पंचौली में ही खाना बनाया था।

वाइल्डलाइफ व बर्ड वॉचिंग
इनमें दिलचस्पी रखने वालों के लिए भी यह जगह बेहतरीन है। यहां आमतौर पर दिखाई देने वाले पक्षी विस्लिंग थ्रस, वेगटेल, हॉक कूकू, फॉल्कोन और सर्पेंट ईगल वगैरह हैं। तो मुनस्यारी के जंगल शेर, चीते, कस्तूरी मृग और पर्वतीय भालू का घर कहे जाते हैं।

एडवेंचर
एक ओर जहां क्षेत्र की'गौरी घाटी' ट्रेकिंग के लिए स्वर्ग कही जाती है, वहीं गौरी गंगा में रॉफ्टिंग के रोमांच को करीब से महसूस किया जा सकता है। इसके अलावा, सर्दियों में यहां खलिया टॉप और बेतुलीधार पर पहुंच कर भी प्रकृति का भरपूर आनंद लिया जा सकता है। मुनस्यारी से मिलम, नामीक, रालम ग्लेशियर वगैरह काफी नजदीक हैं। इसके पास जोहार घाटी है, जो किसी समय तिब्बत के साथ व्यापार करने का रूट हुआ करता था। ध्यान रखें कि आज इस रूट पर आगे बढ़ने के लिए आपको पूर्व अनुमति लेनी होती है। अगर आप किसी प्रफेशनल ट्रैक ग्रुप के साथ हैं, तो उनके पास पहले से ही परमिशन रहती है।

शॉपिंग
तिकसेन बाजार मुनस्यारी का अकेला बड़ा बाजार है। यहां ठहरने से लेकर खाने-पीने व दिलचस्प शॉपिंग तक का अरेंजमंट है। थल, नाचनी, क्यूटी, तिजम होते हुए तिकसेन बाजार पहुंचते हैं, जो मुनस्यारी के अंतर्गत ही आता है। यहां से खासतौर पर पश्मीना ऊन व उससे बनी चीजें खरीद सकते हैं।

धार्मिक स्थल
मुनस्यारी से 5 किमी पर कालामुनि डांडा में एक प्रसिद्ध मां दुर्गा मंदिर है, जिसमें लोगों की गहरी श्रद्धा है। पर्यटक भी इस मंदिर में जरूर जाते हैं। नवरात्रों में यहां के उल्का देवी मंदिर में एक बहुत बड़ा मेला लगता है, जिसे मिलकुटिया का मेला कहा जाता है। यहां दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। नौ दिन तक यहां सिर्फ ढोल, वाद्य यंत्र व नगाड़ों की भक्तिमय गूंज सुनाई देती है।

कैसे पहुंचे:
दिल्ली से मुनस्यारी करीब 590 किमी दूर हैं, वहीं काठगोदाम से इसकी दूरी 314 किमी रह जाती है, जो यहां पहुंचने के लिए करीबी रेलवे स्टेशन भी है। यहां से आगे के लिए आपको बस व टैक्सी असानी से मिल जाती हैं। पिथौरागढ़ के नैनी सैनी में एक छोटा सा हवाई अड्डा है, जो मुनस्यारी से 250 किमी की दूरी पर है।

कहां ठहरें:
कुमाऊं मंडल विकास निगम के शानदार रेस्ट हाउस के अलावा यहां पी-डब्ल्यू डी की ओर से भी ठहरने की व्यवस्था है। इसके अलावा, यहां कुछ प्राइवट होटल भी हैं, जहां आपको रुकने के लिए अच्छा अरेंजमंट मिलेगा।
 

सुधीर चतुर्वेदी

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Source : NBT (9/12/09)

देश के कुछ टूरिस्ट स्पॉट ऐसे हैं, जहां कई मूड्स की छुट्टियां एक साथ एंजॉय की जा सकती हैं। 'लिटल कश्मीर' के नाम से मशहूर पिथौरागढ़ ऐसी ही एक जगह है, जहां एडवेंचर स्पोर्ट्स के साथ नेचरल ब्यूटी और सदियों पुराने आर्किटेक्चर तक का अद्भुत नजारा देखा जा सकता है। प्राकृतिक खूबसूरती के साथ यहां वाइट रिवर राफ्टिंग, ट्रेकिंग, हैंग-ग्लाइडिंग और स्कीइंग जैसे एडवेंचर स्पोर्ट्स खूब एंजॉय किए जा सकते हैं। पिथौरागढ़ की झीलें बहुत सुंदर हैं। खासतौर पर जोलिन्गकॉन्ग और अन्छेरितल पर्यटकों को खूब लुभाती हैं। इसके अलावा, यहां कई पुराने मंदिर भी देखे जा सकते हैं, जिनसे कई तरह की पौराणिक कहानियां जुड़ी हैं।

तानकपुर से 20 किलोमीटर दूर पूर्णागिरी है, तो लोहाघाट के पास रीठा साहिब है। कहा जाता है कि रीठा साहिब वाली जगह पर कड़वे स्वाद का फल रीठा सिखों के पहले गुरु गुरुनानक के छूने भर से मीठा हो गया था। इससे थोड़ा आगे वाइट मनु टेंपल एक देवी को समर्पित है। अगर आप कुछ दिनों के लिए यहां रुक रहे हैं, तो बलेश्वर जरूर जाएं।

तनकपुर रोड पर पिथौरागढ़ से यह जगह 76 किलोमीटर दूर है। यहां आप चांद राजाओं द्वारा आठवीं शताब्दी में बनवाए गए खूबसूरत पुराने मंदिर देख सकते हैं। पिथौरागढ़ से 77 किलोमीटर दूर आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित शक्तिपीठ भी है। इससे दो किलोमीटर दूर चामुंडा देवी का मंदिर है और 14 किलोमीटर आगे भगवान शिव को समपिर्त पटल भुबनेश्वर मंदिर है।

पिथौरागढ़ से 62 किलोमीटर की दूरी पर लोहाघाट है और इससे दो किलोमीटर की दूरी पर अबोत माउंट व मायावती आश्रम हैं। माउंट अबोत में आपको कोलोनियल एरा के बंगले देखने को मिलेंगे। लोहाघाट से 45 किलोमीटर आगे देवीधूरा का वारशी मंदिर है, जो हर साल रक्षा बंधन के त्योहार पर दो गुटों में पत्थर फेंकने की प्रतियोगिता के लिए मशहूर है। पुरानी इमारतों में रुचि रखने वाले यहां से सात किलोमीटर और आगे वनासुर का किला देखने जा सकते हैं। पिथौरागढ़ के लिए दिल्ली व नैनीताल से रेग्युलर बसें चलती हैं, इसलिए सड़क मार्ग से जाने में किसी तरह की प्रॉब्लम नहीं होगी। तनकपुर यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन है और 250 किलोमीटर की दूरी पर बना पटनागर का एयरपोर्ट सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है। रहने के लिए आपको तमाम बजट रेंज के टूरिस्ट रेस्ट हाउस व होटल मिल जाएंगे।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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