पिथौरागढ़ की झीलें बहुत सुंदर हैं। खासतौर पर जोलिन्गकॉन्ग और अन्छेरितल पर्यटकों को खूब लुभाती हैं। इसके अलावा, यहां कई पुराने मंदिर भी देखे जा सकते हैं, जिनसे कई तरह की पौराणिक कहानियां जुड़ी हैं। तानकपुर से 20 किलोमीटर दूर पूर्णागिरी है, तो लोहाघाट के पास रीठा साहिब है।
कहा जाता है कि रीठा साहिब वाली जगह पर कड़वे स्वाद का फल रीठा सिखों के पहले गुरु गुरुनानक के छूनेभर से मीठा हो गया था। इससे थोड़ा आगे वाइट मनु टेंपल एक देवी को समर्पित है। माना जाता है कि उनके अनुष्ठान से बारिश आती है, जिसका आना अच्छी किस्मत का प्रतीक कहा जाता है।
अगर आप कुछ दिनों के लिए यहां रुक रहे हैं, तो बलेश्वर जरूर जाएं। तनकपुर रोड पर पिथौरागढ़ से यह जगह 76 किलोमीटर दूर है। यहां आप चांद राजाओं द्वारा आठवीं शताब्दी में बनवाए गए खूबसूरत पुराने मंदिर देख सकते हैं। पिथौरागढ़ से 77 किलोमीटर दूर आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित शक्तिपीठ भी है।
इससे दो किलोमीटर दूर चामुंडा देवी का मंदिर है और 14 किलोमीटर आगे भगवान शिव को समर्पित पटल भुबनेश्वर मंदिर है। यहां जाने के लिए आपको एक सुरंग से गुजरना होगा। यह यात्रा आपको अध्यात्म के साथ रोमांच से भी भर देता है।