Author Topic: Pithoragarh: Kashmir Of Uttarakhand - पिथौरागढ़: उत्तराखण्ड का कश्मीर  (Read 133910 times)

Anil Arya / अनिल आर्य

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JAY HO.. GOLU JYU.. CHAMPAWAT MAI.. FOTU ALLOWED ..  :)

हेम पन्त

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हेम पन्त

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Maharajke Park, Kasni, Pithoragarh..



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हेम पन्त

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हेम पन्त

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Pithoragarh bus station during snowfall..


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विनोद सिंह गढ़िया

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थल, जहां थलों की है भरमार
« Reply #229 on: November 02, 2011, 02:04:06 AM »
थल, जहां थलों की है भरमार

रामगंगा के किनारे स्थित भगवान शंकर के बालेश्वर मंदिर के कारण अतीतकाल से ही ख्यातिप्राप्त थल के आसपास 12 किलोमीटर के दायरे में 17 गांव ऐसे हैं जिनके नाम के पीछे थल शब्द लगा हुआ है।
कहा जाता है कि कत्यूरी शासकों ने लगभग 12वीं सदी में बालेश्वर का यह मंदिर थल के रामगंगा के तट पर स्थापित किया। भगवान बालेश्वर के मंदिर में साल में उत्तरायणी, नंदाष्टमी, शिवरात्रि, पूर्णिमा और वैशाखी पर्व पर पांच मेले लगते थे। बदलते दौर में पूर्णिमा और नंदाष्टमी के मेेले लगने बंद हो गए हैं। इस समय बैशाखी और शिवरात्रि पर यहां बड़े मेले लगते हैं। बैशाखी मेला पहले एक माह तक चलता था। यह सिमटकर तीन दिन में आ गया है। जबकि शिवरात्रि मेला पहले एक हफ्ते तक चलता था। अब यह एक ही दिन का होता है। थल के प्रतिष्ठित व्यापारी 84 वर्षीय जसवंत सिंह पांगती बताते हैं कि 40-50 के दशक में बैशाखी मेले में एक लाख का कारोबार होता था। 80 के दशक तक मेले में रौनक रही। अब मेला तीन ही दिन का होता है लेकिन कारोबार करोड़ों में जाता है। थल का महत्व इस कारण भी है कि वहां रामगंगा के तट भगवान शंकर का मंदिर है। पहले जब कैलास मानसरोवर की यात्रा पैदल होती थी तब यात्री थल के बालेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना अनिवार्य रूप से करते थे।
थल के इसी ऐतिहासिक,धार्मिक और व्यापारिक महत्व को ध्यान में रखते हुए धीरे-धीरे तमाम गांवों के नाम के साथ भी थल शब्द जुड़ गया था। इनमें जोग्यूड़ाथल, पिरमथल, अल्काथल, जड़ियाथल, रुईनाथल, शौकियाथल, बक्रीथल, आमथल, नैनीथल, लोधियाथल, जाबुकाथल,चाबुकाथल, लोहाथल, अधियाथल, तोराथल, जगथल गांव शामिल हैं।

मिलन का प्रमुख केंद्र

थल। थल केवल उस दौर का प्रमुख व्यापारिक केंद्र ही नहीं था बल्कि लोगों के मिलने का भी प्रमुख स्थान था और यही कारण है कि इसका नाम थल (स्थल) पड़ा।

Source : AMAR UJALA

 

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