Author Topic: Tourism Related News - पर्यटन से संबंधित समाचार  (Read 117964 times)

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मेले हमारी संस्कृति के परिचायक

घनसाली (उत्तरकाशी)। खतलिंग पर्यटन विकास मेला रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ शुरू हो गया।

घुत्तु भिलंग में खतलिंग पर्यटन विकास मेले का शुभारंभ करते हुए बतौर मुख्य अतिथि सांसद विजय बहुगुणा ने कहा कि मेले हमारी संस्कृति के परिचायक हैं। पर्यटन की दृष्टि से खतलिंग, पंवाली कांठा उत्तराखंड के सबसे अधिक रमणीक स्थलों में से एक है। इसे पर्यटन मानचित्र पर उभारने के लिए प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने ग्रामीणों का अह्वान किया कि वह क्षेत्र के विकास के लिए एकजुट प्रयास करें। उन्होंने कहा कि घुत्तु से पंवाली कांठा तक रज्जु मार्ग निर्माण के प्रस्ताव को राज्य से केंद्र सरकार तक पहुंचाया जाएगा, ताकि यहां पर्यटक पहुंच सकें और स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके। सांसद श्री बहुगुणा ने राइंका घुत्तु में कक्ष निर्माण के लिए सांसद निधि से दो लाख रुपए देने की घोषणा की। क्षेत्रीय विधायक ने कहा कि मेले हमारी पौराणिक संस्कृति के प्रतीक है। इन्हें सहेजने के लिए ठोस प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने राइंका घुत्तु के लिए विधायक निधि से फर्नीचर देने की घोषणा की। इसके पश्चात जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण व मीना राणा की श्रृखंलाबद्व प्रस्तुतियों ने उपस्थित दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

कार्यक्रम की शुरूआत उन्होंने देवी स्तुति नारेणी मेरी दुर्गा भवानी से की। इसके पश्चात राम गंगा नहयोलो देवतो, बिंदुली, बांद अमरावती आदि की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर मेला अध्यक्ष भरत सिंह गुसांई, एसडीएम मायादत्त जोशी, ब्लाक प्रमुख नीलम बिष्ट, जिला पंचायत सदस्य डा. नरेंद्र डंगवाल, पूर्व प्रमुख धनीलाल शाह, धनपाल सिंह राणा, गोविंद सिंह राणा, गोपाल दत्त बडोनी, सुखदेव बहुगुणा, बाल कृष्ण उनियाल, विजय गुनसोला उपस्थित थे।

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चम्पावत में निकली गौरा-महेश्वर की शोभायात्रा

चम्पावत। जनपद के अधिकांश क्षेत्रों में गौरा महेश्वर की शोभायात्रा के साथ गौरा पर्व का समापन हो गया। चम्पावत मुख्यालय के नगर और मांदली गंाव में झोड़ा चांचरी और गौरा गीतों के साथ विधिवत इसका पारायण हुआ। इस मौके पर खोल दे माता खोल दे भवानी,भवन किवाड़ा.. के स्वर गूंजते रहे। नगर में खड़ी बाजार स्थित बिष्ट भवन से ढ़ोल नगाड़ों की थाप पर महिलाओं ने गीतों के साथ गौरा और महेश्वर की शोभायात्रा निकाली।
 जिसमें महिलाएं सिर पर गौरा महेश्वर की प्रतिमाओं को लेकर चलते हुए गौरा गीतों का गायन कर रही थी, जो बालेश्वर मंदिर में पहुंचकर झोड़े में तब्दील हो गई। यहां गौरा महेश्वर के विभिन्न स्तुति गीतों के साथ ही पर्व का पारायण हुआ। चम्पावत नगर में गौरा पर्व पिछले नौ सालों से मनाया जा रहा है। पं. केशवदत्त पांडेय के अनुसार वर्ष 2000 में विवेकानंद बिष्ट की धर्मपत्‍‌नी जानकी बिष्ट, कैलाश पांडेय की पत्‍‌नी निर्मला पांडेय और समाजसेवी स्व. मुन्नी वर्मा के प्रयासों से यह आयोजन बिष्ट भवन में शुरू हुआ, जो धीरे धीरे विस्तृत रूप लेता जा रहा है।
 हालांकि अन्य क्षेत्रों में गौरा पूजन लंबे समय से चल रहा है। इस क्षेत्र में सबसे पुरानी गौरा पूजन की रस्म मॉदली गांव में सौ साल पूरे कर चुकी है। स्व. सत्यानंद उप्रेती जी के तल्लीमांदली आवास में यह पर्व उत्साह से शुारू हुआ था। उसके बाद अब यह पर्व अलग अलग स्थानों पर मनाया जाने लगा है। मांदली ज्वाला देवी मंदिर में गौरा महेश्वर की शोभायात्रा के बाद विधिवत परायण किया गया। यहां भी गौरा गीतों की धूम मची रही।


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UTTARAKHAND, प्राकृतिक  और सांस्कृतिक  विविधता  से संपन्न  क्षेत्र  है। यह  कई विशिष्ट  पर्यटन  के विकास  के लिए  भरपूर  अवसर प्रदान  करता है।  राज्य  में पर्यटन  विकास  की जिम्मेदारी  पर्यटन  विभाग, उत्तराखण्ड  सरकार  की है।  गढ़वाल  और कुमाऊं  क्षेत्रों  के पर्यटन  विकास  के लिए  दो पर्यटन  निगम हैं।  ये निगम  तीर्थयात्रा, पर्वतारोहण, ट्रेकिंग, व्हाइट  वाटर रैफ्टिंग, वाटर स्पोटर्स, स्कीइंग  और वन्य  जीवन संबंधी  पर्यटनों  का विशेष  आयोजन  करता है।  इसके लिए  ऑनलाइन  आरक्षण  की सुविधा  है।
गढ़वाल  में पर्यटन  विकास  के लिए  प्रमुख  एजेंसी  गढ़वाल  मण्डल  विकास  निगम (जीएमवीएन) का गठन  31 मार्च  1976 में हुआ  था। वर्तमान  में इसके  75 अतिथि  गृह और  गढ़वाल  क्षेत्र  में कई  बंगले  हैं। इसके  अतिरिक्त  यहां अनगिनत  छोटी-बड़ी  निजी पर्यटन  कम्पनियां  हैं जो  गढ़वाल  पर्यटन  की सुविधा  देते हैं।

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नैनी झील में गिरने वाले नालों का कोई सुध लेवा नहीं


Sep 06, 11:04 pm

नैनीताल: नैनी झील की धमनी कहे जाने वाले नालों का कोई सुध लेवा नहीं है। पिछले दिनों तेज बारिश के दौरान ढेरों मलबा इन नालों के जरिए झील में समा चुका है। कई नालों में बने कैचपिट पूरी तरह कूड़े कचरे से अटे पड़े है।

भूकटाव रोकने व कूड़ा कचरे को झील में जाने से रोकने के लिए ब्रिटिश काल में नैनी झील के चारों ओर कई दर्जन नाले बनाए गए, परन्तु इन नालों की दशा देखकर लगता नहीं कि स्थानीय प्रशासन इन नालों की दुर्दशा के प्रति तनिक भी गंभीर है। क्योंकि अधिकांश नालों में कूड़े कचरे को झील में जाने से रोकने वाले कैचपिट नहीं बने हैं। जिसके चलते तेज बारिश में बेहिसाब मलबा झील में समा जाता है। तेज बारिश में नालों के जरिए झील में समाने वाले कूड़ा-कचरा पानी की उपरी सतह पर स्पष्ट दिखाई पड़ता है। झील में गिरने वाले जिन नालों में कैचपिट लगे भी हैं उनकी भी नियमित रूप से सफाई नहीं होती है। शहर में कई स्थानों पर लगे कूड़े के ढेरों को अभी तक उठाया नहीं गया है। जिस कारण उनमें से तीव्र दुर्गध आनी शुरू हो गई है।

जिन नालों में कैचपिट टूट चुके हैं उनमें कैचपिट लगाए जाने के लिए यहां के पर्यावरण प्रेमी प्रशासन से त्वरित कार्रवाई का आग्रह करते आ रहे हैं। जिसके चलते दो वर्ष पूर्व लोनिवि द्वारा कुछ नालों में कैचपिट लगाए गए जो मात्र खानापूर्ति के सिवा कुछ भी नहीं है। हालत यह है कि अधिकांश नालों में कैचपिट नहीं लगे हैं। जिसके चलते बेशुमार कूड़ा कचरा नैनी झील में समा रहा है। इधर नगर के कई क्षेत्रों में भवन निर्माण करने वाले लोग खुदाई में निकले मलबे को शहर से बाहर न फेंककर चुपचाप रात के वक्त नालों में डाल देते हैं जो बरसात के दौरान नैनी झील में चला जाता है। इसलिए इस दिशा में ठोस कार्रवाई की जरूरत है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5768377.html

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तुंगनाथ व केदारनाथ रोपवे पर लगा ग्रहण


Sep 10, 10:33 pm

रुद्रप्रयाग। जिले में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए तुंगनाथ और केदारनाथ को रोपवे से जोड़ने के प्रदेश सरकार की घोषणा पर अमल होता नहीं दिख रहा है।

प्रदेश सरकार ने चार हजार फीट पर स्थित तुंगनाथ को चोपता से रोपवे से जोड़ने की घोषणा की थी। इसके लिए शीघ्र कार्य शुरू करने की बात कही थी, लेकिन आज तक इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई। केदारनाथ को भी रोपवे से जोड़ने की घोषणा की गई थी। इसके लिए तो 80 करोड़ भी स्वीकृत किए गए थे। पहले चरण में रामबाड़ा से केदारनाथ तक रोपवे का निर्माण किया जाना था। दूसरे चरण में गौरीकुंड से रामबाड़ा तक इसे बनाया जाना था। सरकार की धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की घोषणाएं मुंह चिढ़ा रही है। केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल ने कहा कि तुंगनाथ और केदारनाथ को रोपवे से जोड़ने को लेकर वह लगातार प्रयासरत हैं। इस बाबत वह कई बार विधानसभा व शासन में कार्रवाई की मांग कर चुकी हैं। उन्होंने कहा कि केदारनाथ रोपवे के लिए धन भी स्वीकृत है। उन्होंने कहा कि इस बाबत प्रमुख सचिव सुभाष कुमार से उनकी वार्ता हुई थी, जिसमें उन्होंने कहा कि निर्माण कंपनियों से वार्ता चल रही है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5779392.html

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माउंटेन शेफर्ड ने दिखाया सरकार को आईना

देहरादून। नंदादेवी अभियान से शुरू हुई सुनील कैंथोला की समुदाय आधारित पर्यटन विकास की पहल 'माउंटेन शेफर्ड' कंपनी के अस्तित्व में आते ही एक महत्वाकांक्षी अभियान की शक्ल ले चुकी है। उत्तरकाशी के ग्रामीण युवाओं को पर्वतारोहण, ट्रेकिंग आदि साहसिक पर्यटन गतिविधियों के जरिए रोजगार से जोड़ रही उनकी यह कंपनी अब सालाना करीब 30 लाख रुपये का व्यवसाय कर रही है। अच्छी बात यह है कि जिन स्थानीय लड़कों के सहयोग से उन्होंने इस कंपनी को स्थापित किया, कंपनी में आज उनकी भी हिस्सेदारी है। चाहे वह गाइड, पोर्टर या रसोइया ही क्यों न हों। जाहिर है, माउंटेन शेफर्ड की यह पहल पर्यटन विकास के नाम पर करोड़ों रुपये का बजट हजम करने वाली सरकारी एजेंसियों का आईना दिखाती है।

कंपनी की इन्हीं कोशिशों का परिणाम है, कि उत्तरकाशी जिले में डोईताल के निकटवर्ती अगेड़ा गांव का 20 वर्षीय सतबीर पंवार और हर्षिल के नजदीकी गांव जसपुर का 24 वर्षीय कपिल सिंह रौतेला आस्ट्रेलिया की पैरिशर घाटी में स्नो-क्लाइबिंग, स्कीइंग व कैंप-मैनेजमेंट का प्रशिक्षण लेकर स्वदेश लौट आए हैं। इन दोनों के साथ देहरादून के विवेक बडोला को भी भाषा अनुवादक के तौर पर आस्ट्रेलिया जाने का मौका मिला। हालांकि कंपनी सतबीर व कपिल को नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से पर्वतारोहण के बेसिक, एडवांस, सर्च एंड रेश्क्यू व मैथेड ऑफ इंस्ट्रक्शन कोर्स पहले ही करा चुकी है। सिडनी के 'सेंट एंड्रयूज कैथेड्रल अकादमी' के सहयोग से आयोजित इस 30 दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम में उत्तराखंड के इन दोनों लड़कों के बेहतरीन प्रदर्शन की खुद अकादमी के निदेशक रिक वैन बेखम ने लिखित रूप से सराहना की है। सोमवार को मीडिया से रूबरू हुए सतबीर व कपिल ने आस्ट्रेलिया की पैरिशर वैली में ट्रेनिंग के दौरान मिले अनुभव पत्रकारों के साथ बांटे। उन्होंने बताया कि विदेशी पर्यटकों की दल के छोटे-बड़े सदस्य में भेद-भाव न करना, पर्यावरण के प्रति खास लगाव व सख्त अनुशासन जैसी विशेषताओं ने उन्हें प्रभावित किया है। जाहिर है, उनका यह अनुभव साहसिक पर्यटन उद्योग में हमेशा उनके काम आएगा। कंपनी के प्रबंध निदेशक सुनील कैंथोला ने बताया कि माउंटेन शेफर्ड से अभी तक 70 स्थानीय ग्रामीण लड़के जुड़े हुए हैं, जिनमें से 12 लड़के कंपनी के 12 प्रतिशत शेयर के मालिक हैं। कंपनी का उद्देश्य है कि ज्यादा से ज्यादा स्थानीय युवाओं को साहसिक पर्यटन में प्रशिक्षित कर उन्हें कंपनी में हिस्सेदारी करने का मौका दिया जाए।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5790388.html

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बदरीनाथ महायोजना में हैं कई रोड़े



Sep 16, 10:44 pm

गोपेश्वर (चमोली)। बदरीनाथ पुर्नरीक्षित महायोजना के तहत धाम में निर्माण कार्य शुरू हो पाएंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता। महायोजना के तहत मांगी गई आपत्तियों की बैठक को लोगों ने सिरे से खारिज किया, उससे लगता है कि धाम में इस महायोजना को मूर्त रूप देना शासन के लिए कठिन चुनौती है।

उल्लेखनीय है कि बदरीनाथ नगर के लिए वर्ष 2025 की अवधि तक बनाए गए महायोजना प्रारूप के क्षेत्र को तीन भागों में बांटा गया है। इसमें पहला नारायणपुरी, मुख्य बाजार, पंडा निवास और मंदिर परिसर, दूसरा ग्राम बामणी का आबादी क्षेत्र व तीसरा नरपुरी क्षेत्र है। इनमें विकास की संभावनायुक्त नरपुरी क्षेत्र और सांस्कृतिक धरोहर युक्त मंदिर परिसर क्षेत्र विनियमित क्षेत्र में शामिल हैं। महायोजना के रूप को इन्हीं भागों पर अंकित किया गया है। कुल 0.14 हेक्टेयर मंदिर क्षेत्र सहित इस उपयोग में 1.44 हेक्टेयर क्षेत्र जो कि नारायणपपुरी का कुल भूभाग बदरीनाथ क्षेत्र की संवेदनशीलता को दृष्टिगत रखते हुए विनियमित क्षेत्र की सीमा में सम्मिलित किया गया है। इस भाग में तप्त कुंड, ब्रहमकपाल सहित अनेक फूल प्रसाद की दुकानें मंदिर के स्वामित्व में शामिल हैं। इस सम्पूर्ण क्षेत्र में सौन्दर्यीकरण योजना पृथक से तैयार किए जाने की आवश्यकता होगी जो मंदिर समिति के सहयोग से बनाई जा सकती है। उक्त प्रारूप के बनने के बाद नगर और ग्राम नियोजन विभाग उत्तराखंड ने धाम के स्थानीय लोगों से पिछले वर्ष जून माह में आपत्तियां मांगी गई थी। अब एक वर्ष बीत जाने के बाद उनके निस्तारण के लिए मंगलवार को धाम में बैठक हुई। बैठक में जिस प्रकार से बद्रीशपुरी के लोगों ने एकजुट होकर काली पट्टी बांध कर विरोध दर्ज करवाया उसे देखते हुए नहीं लगता कि अब धाम में यह महायोजना लागू हो पाएगी। ग्रामीणों ने तो मंगलवार को हुई बैठक का विरोध कर साफ शब्दों में कह दिया कि धाम में महायोजना को लेकर होने वाले निर्माण कार्यो को वह एक इंच भूमि भी नहीं देंगे। इधर पिछले साल से महायोजना के प्रारूप बनने के बाद धाम में स्थानीय लोगों को अपने आवासीय भवनों की मरम्मत व अन्य निर्माण कार्यो में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। महायोजना के स्वरूप को देखते हुए मास्टर प्लान के तहत सम्पूर्ण बामणी क्षेत्र विनियमित क्षेत्र में होने से वहां के लोगों को आवासीय भवन बनाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

वर्तमान में विनियमित क्षेत्र से अलग ब्रहमकपाल से आगे भृगुधारा माणा की तरफ ही स्थानीय लोगों की अधिकांश जमीनें बची हुई हैं। जहां पर निकट भविष्य में आज की आबादी को देखते हुए लोगों को अपने आवास बनाने पड़ सकते हैं। जनसुनवाई को बदरीनाथ पहुंचे नगर एवं ग्राम्य नियोजन विभाग के संयुक्त नियोजक बीपी शर्मा ने बताया कि लोगों का इस मामले में विरोध कतई सही नहीं है। कई लोगों को इस महायोजना को लेकर गलतफहमी है। उन्होंने बताया कि महायोजना का प्रारूप धाम में भविष्य की विकास योजना है और सुनियोजित विकास के लिए इसे लागू करवाया जाएगा। उन्होंने बताया कि जन सुनवाई में लोगों के द्वारा पूर्व में दी गई आपत्तियों की सुनवाई कर उनका निस्तारण किया जाएगा।

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हरकी पैड़ी पर नहीं मिलेगा गंगाजल



Sep 28, 11:04 pm


हरिद्वार। गंगा की साफ सफाई के लिए सोमवार की रात बारह बजे से गंगा का प्रवाह रोक दिया गया। गंगा क्लोजर 17 अक्टूबर यानी दीपावली तक चलेगा। चूंकि इस बार क्लोजिंग के दौरान ही ब्रह्माकुंड में बना फर्श भी तोड़ा जाएगा, इसलिए करीब दस दिन तक हरकी पैड़ी पर आचमन लायक जल भी नहीं मिलेगा।

हर साल की तरह गंगा क्लोजर दशहरे से दीपावली तक के लिए कर दिया गया है। इस दौरान गंगा में अभियान चलाकर सफाई का कार्य किया जाएगा।

यूं तो गंगा क्लोजर हर साल होता है और इस दौरान हरकी पैड़ी पर स्नान लायक जल उपलब्ध रहता है, लेकिन इस बार हरकी पैड़ी पर बने फर्श को तोड़ने का काम किया जाएगा, इसलिए हरकी पैड़ी पर एक बूंद गंगाजल भी नहीं मिलेगा। गंगा कैनाल के सहायक अभियंता केपी सिंह ने बताया कि क्लोजिंग 17 अक्टूबर की रात तक जारी रहेगी। इस दौरान हरकी पैड़ी पर जल की उपलब्धता तो कराई जाएगी, लेकिन जिस दौरान हरकी पैड़ी पर फर्श तोड़ा जाएगा, उस दौरान जलापूर्ति बंद रहेगी।

फर्श तोड़ने में कितना समय लगेगा इसका समय सिंचाई विभाग उत्तराखंड ही तय करेगा। सिंचाई विभाग हरिद्वार के अधिशासी अभियंता डीडी डालाकोटी ने बताया कि क्लोजिंग के दो-तीन दिन बाद जब पानी बिल्कुल बंद हो जाएगा तब फर्श तोड़ने का काम किया जाएगा। इसे तोड़ने और बनाने में कम से कम दस दिन का समय लग जाएगा।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5824777.html

पंकज सिंह महर

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बदरीनाथ/ऊखीमठ, निज प्रतिनिधि: बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए 17 नवंबर को अपराह्न तीन बजकर 45 मिनट पर बंद किए जाएंगे। उधर ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ के कपाट आगामी 19 अक्टूबर को बंद किए जाएंगे। सोमवार को श्री बदरीनाथ मंदिर परिक्रमा परिसर में रावल केशव प्रसाद नंबूदरी की अध्यक्षता में धर्माधिकारियों ने गृह नक्षत्रों का अध्ययन करने के बाद कपाट बंद होने के शुभ मुहूर्त निकाला। इस पर 17 नवंबर को अपराह्न 3.45 बजे मेष लग्न में कपाट बंद होने की तिथि निश्चित की। सोमवार को पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्र्वर मंदिर ऊखीमठ में आचार्यो ने केदारनाथ व मद्महेश्र्वर के कपाट बंद करने की तिथि तय कर दी। इसके अनुसार आगामी 19 अक्टूबर भगवान केदारनाथ के कपाट बंद होंगे। इसी दिन सायं को डोली गौरीकुण्ड रात्रि विश्राम के पहुंचेगी, 20 को रामपुर, 21 को गुप्तकाशी व 22 अक्टूबर को भगवान केदारनाथ की डोली ओंकारेश्र्वर मंदिर में विराजमान होगी। वहीं द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्र्वर के कपाट 20 नवंबर को बंद किए जाएंगे 23 नवबंर को शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्र्वर मंदिर में विराजमान होगी। तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट 26 नवंबर को बंद किए जाएंगे।

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ऊखीमठ पहुंची विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा


Oct 02, 10:22 pm

ऊखीमठ (रुद्रप्रयाग)। विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा शुक्रवार को ऊखीमठ तहसील मुख्यालय पहुंची। यहां पर हस्ताक्षर अभियान के तहत जनता का समर्थन मांगा गया।

विभिन्न क्षेत्रों में भ्रमण के बाद शुक्रवार को तहसील मुख्यालय ऊखीमठ पहुंची विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा का यहां भव्य स्वागत किया गया। हस्ताक्षर अभियान के बाद मुख्य बाजार में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए यात्रा के जिलाध्यक्ष आचार्य हर्ष जमलोकी ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा लोग हस्ताक्षर अभियान में समर्थन दें। उन्होंने कहा कि गो, गंगा और गांव के अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरे को दूर करने के लिए जन-जन को जागरूक करने की आवश्यकता है।

सभा में द्वारिका प्रसाद बगवाड़ी ने कहा कि गाय को माता का दर्जा प्राप्त है, इसलिए गाय की पूजा व इसका संरक्षण हमारा धर्म है। महामंत्री अनूप सेमवाल ने हस्ताक्षर अभियान के जरिए जनता का समर्थन इस राष्ट्रीय आंदोलन को सफल बनाने के लिए आवश्यक बताया।

 यात्रा दस अक्टूबर को समस्त जिले का भ्रमण कर हरिद्वार में महायात्रा के साथ मिल जाएगी। यह महायात्रा आगामी मकर संक्राति 2010 को नागपुर में समाप्त होगी। इस मौके पर ब्लाक प्रमुख फते सिंह रावत, कनिष्ठ प्रमुख दर्शनी पंवार, दीपक सिंह राणा, रघुनाथ नेगी, मुकेश मैठाणी सहित भारी संख्या में लोग मौजूद थे।

 

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