Author Topic: Tourism Related News - पर्यटन से संबंधित समाचार  (Read 64038 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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बरपा कहर, चारधाम यात्रा बंद, पांच की मौत
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चमोली व रुद्रप्रयाग में स्कूलों में दो दिन का अवकाश घोषित

गढ़वाल/ देहरादून: मंगलवार की रात से लगातार हो रही भारी बारिश ने गढ़वाल मंडल में कहर बरपा दिया। भूस्खलन व मकान गिरने से विभिन्न स्थानों पर पांच की मौत हो गई, दूसरी ओर मलबा आने से केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री राजमार्ग भी बाधित होने से चारधाम यात्रा बंद हो गई।

रुद्रप्रयाग में राइंका कोठगी के 12 वीं कक्षा के छात्र मदोला निवासी कपिल 18 वर्ष पुत्र विरन्ेद्र सिंह की स्कूल जाते समय पहाड़ से गिरे पत्थर की चपेट में आने से मौत हो गई। चमोली और रुद्रप्रयाग में जिलाधिकारी की ओर से वर्षा के चलते सभी स्कूलों में दो दिन का अवकाश घोषित कर दिया है। नई टिहरी के थौलधार प्रखंड के महर गांव के सोबन सिंह का मकान बुधवार सुबह 7.30 बजे ढह गए, जिससे उसके 9 वर्षीय पुत्र नितिन व 6 वर्षीय पुत्री कशिश की मलबे में दबकर मौत हो गई, जबकि सोबन सिंह की पत्नी 28 वर्षीय शशि देवी गंभीर रूप से घायल हो गई। दूसरी ओर कीर्तिनगर विकासखंड के अंतर्गत डांगचौरा में मंगलवार रात्रि को बृजलाल पुत्र श्रीधर के आवासीय भवन के क्षतिग्रस्त होने से स्वयं बृजलाल, पत्‍‌नी कमला व बच्चे प्रेरणा, सुनील, अजीत घायल हो गए। श्रीनगर से 15 किमी दूर नयालगढ़ में ढहे मकान के मलबे में दबकर 75 वर्षीय सुदामा देवी की मौत हो गई।

देहरादून जनपद के विकासनगर के लक्ष्मणपुर क्षेत्र में एक घर के धराशायी होने पर दीवार के नीचे दबने से कमलेश नामक महिला की मौत हो गई। वहीं यमुना नदी में बने टापू पर फंसे 16 वन गुजरों को कड़ी मशक्कत के बाद जल पुलिस की मदद से सुरक्षित बाहर निकाला गया। पछवादून में दो दर्जन से अधिक मकान धराशायी हो गए। कालसी में व्यास लहरी क्षेत्र के डेढ़ सौ परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। विकासनगर क्षेत्र में 165 घरों में जलभराव होने की सूचना है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6707870.html

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दिल्ली व देहरादून हाइवे बंद
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हल्द्वानी : शनिवार की देर रात परिवहन निगम ने बाढ़ के चलते दिल्ली व देहरादून हाइवे पर बस सेवा बंद कर दी।

उल्लेखनीय है कि कोसी नदी के उफान पर आते ही रामनगर बैराज से 155 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इससे पड़ोसी उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद क्षेत्र में हालात बेकाबू होने लगे हैं। रामनगर के पानी ने अब दिल्ली हाइवे पर बाढ़ की शक्ल ले ली है। इधर कालागढ़ डैम से पानी छोड़े जाने से हरिद्वार-देहरादून मार्ग पर भी आधा मीटर पानी चल रहा है। इससे देहरादून रूट भी बाधित हो गया है।

परिवहन निगम नैनीताल के महाप्रबंधक मुकुल पंत ने बताया कि शनिवार की सुबह ही देहरादून मार्ग पर बाढ़ का पानी आ जाने की सूचना पर कुमाऊं से इस मार्ग पर जाने वाली बस सेवाओं को निरस्त कर दिया गया था। इस बीच दिल्ली हाइवे के बाबत सूचना मिलने के बाद शनिवार की शाम से दिल्ली रूट पर जाने वाली बसों को निरस्त कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि मार्ग खुलने की सूचना के बाद ही बस संचलन बहाल किया जाएगा।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6734625.html

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खतरे की जद में बदरीनाथ व गंगोत्री
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गोपेश्वर: बदरीनाथ धाम में नारायण पर्वत से निकलने वाले प्राकृतिक जलस्रोत का पानी सोमवार की तड़के अचानक बढ़ गया। देखते ही देखते पानी मंदिर के परिक्रमा परिसर को छूते हुए कई दुकानों में जा घुसा। कुबेर गली और काली कमली वाली गली तक जलभराव हो गया। सुबह लगभग पांच बजे मंदिर परिसर के पास जलभराव होते देख सुरक्षाकर्मियों और मंदिर समिति के कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। हालांकि समय बीतने पर धीरे-धीरे पानी कम होता चला गया। बताया जा रहा है कि मंदिर के 'तोषखाना' के बगल वाले कमरे तक पानी भर चुका था, लेकिन परिक्रमा स्थल और मंदिर सुरक्षित रहा। जलभराव के दौरान वीआईपी गेट से आवाजाही बंद हो गई।

दोपहर लगभग पौने बारह बजे मंदिर के पीछे नारायण पर्वत से तेज आवाज से साथ भूस्खलन शुरू हो गया। बदरीकाश्रम के लोग घबराकर बाहर निकले तो उन्होंने देखा कि नारायण पर्वत से पत्थर और मलबा गिर रहा है जो नेपाली धर्मशाला के पीछे तक आया। लगभग आधे घंटे तक चले भूस्खलन से हड़कंप मचा रहा। जिलाधिकारी नीरज सेमवाल ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि फिलहाल भूस्खलन से मंदिर को कोई खतरा नहीं है, लेकिन भविष्य में यह कितना खतरनाक हो सकता है इसकी पड़ताल के लिए इंजीनियरों की एक टीम बदरीनाथ रवाना कर दी गई है। श्रीबदरीनाथ धाम के वेदपाठी भुवन चंद उनियाल का कहना है कि नारायण पर्वत के शिखर से हो रहे भूस्खलन को गंभीरता से लेते हुए विशेषज्ञों से इसका परीक्षण करवाया जाना चाहिए।

उत्तारकाशी: बीते तीन दिनों से गंगोत्री धाम में लगातार बारिश हो रही थी। सोमवार सुबह मौसम खुलते ही भैरोंझाप नाले के ऊपरी हिस्से में पहाड़ी से तेज आवाज के साथ मलबा व पत्थरों के गिरने से अफरा-तफरी मच गई। हालांकि इससे अधिक नुकसान कुछ नहीं हुआ, लेकिन यदि भूस्खलन जारी रहा तो मंदिर के लिए खतरा बन सकता है। उधर, भैरोंघाट में मार्ग बाधित होने से धाम में दो दर्जन यात्री फंसे हुए हैं। इनमें 18 बंगाली व दो विदेशी पर्यटक हैं। मंदिर समिति के अध्यक्ष संजीव सेमवाल ने बताया कि मंदिर समिति ने यात्रियों के ठहरने व भोजन की व्यवस्था करा दी है। उन्होंने प्रशासन से भूस्खलन का जायजा लेने की मांग की है।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6738797.html

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                देव को लूट रहे होटल स्वामी                                                                 Sep 22, 06:11 pm                                                                                                                         
                                                                                                                                                                                                                                  कोटद्वार,  जागरण कार्यालय : 'अतिथि देवो भव:' अर्थात अतिथि देवतुल्य हैं, लेकिन  देवभूमि उत्तराखंड में यदि अतिथि के रूप में पधारे 'देवता' को लूटने का  प्रयास हो तो इसे देवभूमि का दुर्भाग्य ही कहा जाए। देश के विभिन्न  हिस्सों से यहां पहुंचे पर्यटकों के साथ इन दिनों कुछ ऐसा ही हो रहा है।
देश के विभिन्न हिस्सों से देवभूमि उत्तराखंड में पहुंचे पर्यटक  अतिवृष्टि के चलते जहां तहां फंसे हुए हैं। जहां एक ओर श्रीनगर-ऋषिकेश  राष्ट्रीय राजमार्ग बंद पड़ा है, वहीं पौड़ी-देवप्रयाग मार्ग पर भी वाहनों  का संचालन ठप है। ऐसे में पर्यटक कोटद्वार होते हुए घर वापस लौट रहे हैं।  घर वापस लौटते हुए यह पर्यटक जिस छवि को साथ ले जा रहे हैं, उसे उत्तराखंड  की संस्कृति पर बदनुमा दाग ही कहा जा सकता है।
हेमकुंड साहिब के दर्शन कर वापस लौट रहे पंजाबी समुदाय के कुछ लोगों ने  बताया कि श्रीनगर से आगे किफायती दामों पर खाना इत्यादि की सुविधाएं आसानी  से मिल रही थी, लेकिन सतपुली व कोटद्वार में दाल-चावल भी 50 रुपये प्रति  प्लेट के हिसाब से दिया जा रहा है। इतना ही नहीं, अन्य चीजों के लिए भी  भारी राशि वसूली जा रही है।
क्या कहते हैं अधिकारी
कोटद्वार : दुकानदार पर्यटकों की मजबूरी का फायदा उठा सकते हैं। पूर्ति  निरीक्षक को तमाम होटलों व ढाबों में रेट-लिस्ट चस्पा किए जाने संबंधी  निर्देश दिए जा रहे हैं, ताकि पर्यटकों से मनमानी कीमतें न वसूली जा सकें। 
..जीसी गुणवंत, उपजिलाधिकारी, कोटद्वा

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सत्यदेव सिंह नेगी

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चार धाम यात्रा मार्ग में फंसे यात्री
चार धाम यात्रा मार्ग में फंसे यात्री
उत्तराखण्ड में भारी बारिश के कारण अधिकांश सड़कों के क्षतिग्रस्त हो जाने से चार धाम यात्रा मार्ग में यात्री फंसे हुए हैं।
 गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों में रुक-रुक कर हो रही बारिश से लोगों का हाल बेहाल है।

राज्य मौसम केंद्र का कहना है कि अगले चौबीस घंटे के दौरान राज्य के कुछ हिस्सों में मध्यम वर्षा हो सकती है और गरज के साथ छीटें पड़ सकते हैं।

सड़क कटने व सड़क पर मलबा आने से चार धाम यात्रा स्थगित है। प्रशासन ने इस आशय की सूचना अन्य जिलों को दे दी है। राज्य के आपदा केंद्र के अनुसार यात्रा स्थगित होने के चलते फंसे यात्रियों के रहने और भोजन की समुचित व्यवस्था की गई है और स्वास्थ्य शिविर को भी चालू करने का प्रयास किया जा रहा है।

राज्य में बारिश से मची तबाही में इस वर्ष अब तक 167 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। पिछले चार दिनों में बारिश और उससे जुड़ी घटनाओं में मरने वालों की संख्या बढ़कर 78 हो गई है। राज्य के आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के अनुसार राहत और बचाव कार्य में स्थानीय पुलिस प्रशासन के अलावा सेना, आईटीबीपी और सीमा सड़क संगठन के लोग तत्परता से जुटे हुए हैं।

कुमाऊं क्षेत्र के आयुक्त कुणाल शर्मा ने बताया कि केंद्र द्वारा मुहैया कराए गए दो हेलीकाप्टरों को रसद आपूर्ति एवं बचाव कार्य में लगाया गया है।

टिहरी की जिलाधिकारी राधिका झा के अनुसार टिहरी बांध से होने वाले खतरों के मद्देनजर पूरे इलाके में कड़ी निगरानी रखी जा रही है। उन्होंने इस मामले पर बांध की परियोजना से जुड़े अधिकारियों के साथ बैठक भी की है।

गौरतलब है कि राज्य में मानसून ने 44 वर्षो का रिकार्ड तोड़ा है और बारिश का कहर अब भी जारी है। राज्य के मुख्यमंत्री ने आपदा से 17 सौ हजार करोड़ रुपये की क्षति होने का अनुमान लगाया है।

दूसरी ओर, सरकार के आपदा प्रबंधन की कलई खुद राज्य के विधायकों ने उस समय खोल दी, जब केंद्र सरकार द्वारा आपदा राहत के लिए भेजे गए चार हेलीकाप्टरों में से दो पर विधायक सवार होकर देहरादून पहुंचे।

जानकारी के अनुसार विधानसभा की कार्यवाही में शिरकत करने के लिए राज्य विधानसभा के सदस्य यशपाल आर्य, तिलक राज बेहड़, शैलेंद्र मोहन सिंघल और हरभजन सिंह चीमा को लेकर एक हेलीकाप्टर देहरादून पहुंचा तो दूसरे हेलीकाप्टर में गोविंद सिंह कुंजवाल, अजय टमटा, करण मेहरा और गगन सिंह रेजवार देहरादून पहुंचे।
http://www.samaylive.com/regional-hindi/uttarakhand-hindi/99384.html

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सातवें दिन भी गंगोत्री व यमुनोत्री राजमार्ग बंद
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गंगोत्री व यमुनोत्री राजमार्ग पर सातवें दिन भी आवागमन शुरू नहीं हो सका। हालांकि मौसम खुलने सेकई जगहों पर मार्ग खोल दिया है। गंगोत्री राजमार्ग चिन्यालीसौड़ से टिहरी के बीच कई जगहों पर बुरी तरह से ध्वस्त है। वहीं यमुनोत्री राजमार्ग कल्याणी, सारीगाड़, डामटा, रानाचट्टी आदि कई जगहों पर बाधित है। मार्ग खोलने में बीआरओ व लोनिवि को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। उधर दूसरी ओर ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग को एक सप्ताह बाद आवागमन के लिए सुचारू कर दिया है

गंगोत्री राजमार्ग धरासू व नालूपाणी तथा उत्तरकाशी से गंगोत्री तक खोल दिया है। हालांकि चिन्यालीसौड़ व चंबा के बीच कई जगहों पर मार्ग ध्वस्त है। इससे लोगों को चिन्यालीसौड़ से टिहरी तक पहुंचने के लिये टिहरी बांध की झील से टीएचडीसी की नावों से ढोया जा रहा है। मौसम खुलने पर फंसे हुए यात्रियों ने इस रास्ते निकला शुरू कर दिया है। दूसरी ओर धरासू-यमुनोत्री राजमार्ग कल्याणी के समीप करीब दस मीटर धंसाव वाली जगह अब भी संवेदनशील बनी है। वहीं दिल्ली यमुनोत्री राजमार्ग भी डामटा व सारीगाड के समीप, रानाचट्टी आदि में अब भी बाधित है। इस मार्ग पर भी सैकड़ों यात्री अब तक भी फंसे हैं।

जिलाधिकारी डॉ. हेमलता ढौंडियाल ने कहा कि मार्ग खोलने के लिए जिला प्रशासन, बीआरओ, लोनिवि व अन्य निगमों की ओर से युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है। उम्मीद है कि गंगोत्री राजमार्ग शनिवार तक खोल दिया जाएगा।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6751107.html

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गंगोत्री व बदरीनाथ मार्ग खुले, यमुनोत्री मार्ग बंद
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बारिश व भूस्खलन के चलते पिछले 11 दिन से गंगोत्री राजमार्ग पर फंसे यात्रियों को रविवार को राहत मिल गई। बीआरओ कर्मियों ने मार्ग से मलबा हटाकर इसे यातायात के लिए पूरी तरह सुचारू कर दिया। उधर, बदरीनाथ राजमार्ग पर शनिवार देर रात मलबा आने से यातायात बाधित रहा। हालांकि, रविवार सुबह मार्ग को खोल दिया गया। वहीं, यमुनोत्री राजमार्ग अब भी नहीं खोला जा सका है। प्रशासन एक-दो दिन में इस पर आवाजाही सुचारू होने की उम्मीद जता रहा है।

उत्तारकाशी जिले में गंगोत्री राजमार्ग पर 11वें दिन आवागमन बहाल हो सका। जबकि दिल्ली-यमुनोत्री राजमार्ग अब भी बाधित है। उत्तारकाशी की सीमा से सटे टिहरी जिले के कमांद के समीप गंगोत्री राजमार्ग को दुरुस्त कर लिया गया है। यहां अतिवृष्टि के कारण राजमार्ग सबसे ज्यादा ध्वस्त हो गया था। रविवार सुबह छह बजे बीआरओ की लगातार कोशिशों से मार्ग को आवागमन लायक बना दिया गया। इसके बाद मार्ग पर विभिन्न जगहों पर फंसे यात्री व उनके वाहन निकलने के साथ ही दूसरी ओर फंसे वाहन भी उत्तारकाशी पहुंचे। दूसरी ओर, यमुनोत्री राजमार्ग डामटा व सारीगाड के बीच अब भी दुरुस्त नहीं हो सका है। लोनिवि राजमार्ग खंड की ओर से इस मार्ग को खोलने की कोशिशें जारी हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि सोमवार तक मार्ग पर आवागमन शुरू कर दिया जाएगा। जिलाधिकारी डॉ. हेमलता ढौंढियाल ने बताया कि गंगोत्री राजमार्ग अब लगभग पूरी तरह खुला है। शीघ्र ही मार्ग को खोल दिया जाएगा।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6757590.html

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भूस्खलन से बदरीनाथ राजमार्ग हुआ बंद
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रुद्रप्रयाग-श्रीनगर के बीच सिरोबगड़ में भूस्खलन से बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग रविवार की देर शाम से बंद पड़ा है। यहां सैकड़ों वाहन फंस गए हैं। लगातार पहाड़ी से गिर रहे पत्थरों को देखते हुए बीआरओ ने प्रशिक्षित टीम को बुलाया है।

सिरोबगड़ में रविवार देर शाम भूस्खलन के बाद पहाड़ी का एक हिस्सा टूटकर बदरीनाथ राजमार्ग पर आ गिरा। पहाड़ से लगातार बोल्डर व पत्थर गिरने के चलते सोमवार को बीआरओ मलबा हटाने का कार्य शुरू नहीं कर सका। इससे मार्ग पर दोनों ओर हजारों यात्री दिनभर फंसे रहे। कई वाहनों को टिहरी व खांकरा-डुंगरीपंथ मार्ग से निकाला गया।

सीमा सड़क संगठन के कमान अधिकारी पीके आजाद ने बताया कि पहाड़ी से लगातार पत्थर गिरने से मलबा नहीं हटाया जा सका है। उन्होंने बताया कि मलबा हटाने के लिए एक्सपर्ट टीम बुलाई गई है।

source dainik jagran

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गंगोत्री मंदिर के कपाट छह को होंगे बंद

                                गंगोत्री मंदिर के कपाट छह को होंगे बंद     

                           गंगोत्री मंदिर                                                                                                            सुप्रसिद्ध गंगोत्री मंदिर के कपाट आगामी छह नवंबर को बंद होंगे।
गढ़वाल  हिमालय में स्थित सुप्रसिद्ध श्री गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष संजीव  सेमवाल ने कहा कि गंगा देवी को समर्पित इस मंदिर के कपाट दीपावली के एक  दिन बाद अन्नकूट पर्व के दिन बंद हो जाएंगे।
उत्तरकाशी जिले में 10, 000 फुट से अधिक ऊंचाई पर स्थित गंगोत्री मंदिर  के कपाट बंद होने की तिथि मंदिर समिति की कल आयोजित एक बैठक में तय की गयी।
गंगोत्री हिमालय में स्थित चार मुख्य मंदिरों, जिन्हें आमतौर पर  ‘चारधाम’ नाम से जाना जाता है, में से एक है। शेष तीन मंदिर बद्रीनाथ,  केदारनाथ और यमुनोत्री हैं।
सेमवाल ने कहा कि अब तक साढ़े तीन लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने इस वर्ष मंदिर के दर्शन किए हैं।

http://www.samaylive.com/regional-hindi/uttarakhand-hindi/101104.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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  पर्यटकों के लिए उत्तराखंड में राफ्टिंग नीति[/t][/t] 
  बीएस संवाददाता / देहरादून October 17, 2010[/t] 
  [/t] 
  [/t]  उत्तराखंड सरकार ने राज्य की नई राफ्टिंग नीति तैयार करने का फैसला किया है ताकि राज्य में साहसिक खेलों को प्रोत्साहन मिले और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके। सरकार को उम्मीद है कि इससे 1,000 करोड़ रुपये की आमदनी होगी।
नई नीति तैयार करने के लिए सरकार ने एक उच्च अधिकार प्राप्त समिति का गठन किया है। इस समिति में आला अधिकारियों को भी शामिल किया गया है। यह समिति वैसे वक्त में गठित की गई है जब यह खबर आ रही थी कि राफ्टिंग के अनुकूल गंगा के इलाके राफ्टिंग शिविर बनाने के लिए परिचालकों को पट्टे पर दिए जाने की योजना है। एक वरिष्ठï अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि नई नीति पर बातचीत के लिए 15 अक्टूबर को समिति के सदस्यों की बैठक होनी है।
राज्य में इस बात पर भी विवाद छिड़ा हुआ है कि राफ्टिंग कारोबार किसके नियंत्रण में रहे। वन विभाग राफ्टिंग कारोबार पर्यटन विभाग से अपने हाथ में लेना चाहती है। अभी राफ्टिंग का सालाना कारोबार 25 से 30 करोड़ रुपये के बीच है। यह बैठक उस वक्त बुलाई गई जब पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव और समिति के सदस्य राकेश शर्मा देश से बाहर हैं। इसलिए बैठक में वह मौजूद नहीं रह पाएंगे और पर्यटन विभाग का पक्ष नहीं रखा जा सकेगा। पर्यटन विभाग का कहना है कि इस वजह से वन विभाग को फायदा होगा इसलिए बैठक को टाल दिया जाए।
वहीं दूसरी तरफ राज्य के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि राफ्टिंग के अनुकूल क्षेत्रों को पट्टे पर देना एक लाभकारी विकल्प है और इसके जरिए सरकार अतिरिक्त राजस्व की उगाही कर सकती है। एक अनुमान के मुताबिक राज्य के साहसिक खेलों के कारोबार से तकरीबन 50,000 लोग जुड़े हुए हैं। राज्य में 109 कंपनियां राफ्टिंग के कारोबार में हैं और देवप्रयाग से लेकर मुनि की रेती के बीच के 70 किलोमीटर के क्षेत्र को इसके लिए सबसे अनुकूल माना जाता है।
मॉनसून खत्म होती ही यहां हजारों की संख्या में देसी-विदेशी पर्यटक आने लगते हैं। राफ्टिंग कारोबार में लगी कंपनियों की मुख्य मांग यह है कि उन्होंने जिस कारोबार को वर्षों की मेहनत से विकसित किया है उसमें सरकार हस्तक्षेप नहीं करे।
 
http://hindi.business-standard.com/hin/storypage.php?autono=39963

 

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