धूप सेकनी हो तो पहाड़ चले आइए
चम्पावत: पर्वतीय क्षेत्रों में दिसंबर का महीना चिल्ला जाडे़ के लिए
जगजाहिर है, लेकिन इन दिनों यहां का मौसम बेहद खुशगवार बना हुआ है। दिन में
लोग शानदार धूप का आनंद ले रहे हैं। मैदानी क्षेत्र भले कोहरे की मार झेल
रहा है, परंतु पहाड़ पर सुबह-शाम छोड़कर ठंड का नामोनिशान नहीं है।
सितंबर माह के बाद यहां शीतकालीन वर्षा नहीं हुई है। अलबत्ता नवंबर माह
में एक दो रोज हल्की बूंदाबांदी हुई थी। वैसे तो इन दिनों सुबह-शाम पाले की
ठंड का असर है, लेकिन मैदानी क्षेत्रों के कोहरे की तुलना में इसका ग्राफ
कम ही बना हुआ है। पिछले एक दशक तक पर्वतीय क्षेत्रों में नवंबर-दिसम्बर
में ठंड का ग्राफ बेहद तेज होता था और यहां के लोग मैदानी इलाकों में
प्रवास के लिए जाया करते थे, परंतु ग्लोबल वार्मिग का असर यहां दिख रहा है।
अब पहाड़ में ठंड का ग्राफ कम है। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक जहां
यहां की प्राकृतिक छठा सभी को मनभावन लग रही है। वहीं लोग गुनगुनी धूप का
आनंद ले रहे हैं। दिन का आलम तो यह है कि लोग एक कमीज में भी शुकून महसूस
कर रहे हैं। मौसम के जानकारों का कहना है कि भले अभी धूप खिली हुई हो,
लेकिन इस बार जिस तरह से बरसात हुई है उससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि
शीतकालीन वर्षा होते ही यहां अच्छी बर्फबारी हो सकती है। बहरहाल इन दिनों
पर्वतीय क्षेत्रों में मौसम बेहद खुशगवार बना हुआ है और यहां आने वाले
बंगाली पर्यटकों की तादाद पिछले सालों की तुलना में बढ़ी हुई है।
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