Author Topic: Tourism Related News - पर्यटन से संबंधित समाचार  (Read 67677 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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औली पहुंचे प्रमुख सचिव पर्यटन, जायजा लिया
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सैफ गेम्स की तिथियां नजदीक आते ही औली में अधिकारियों की आवाजाही बढ़ गई है। प्रमुख सचिव पर्यटन राकेश शर्मा ने बुधवार को औली पहुंचकर सैफ गेम्स की तैयारियों का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने निर्माण कार्य करा रहे विभागों के अधिकारियों को काम में तेजी लाने के निर्देश दिए।

प्रमुख सचिव पर्यटन राकेश शर्मा हवाई मार्ग से औली पहुंचे। यहां जीएमवीएन के गैस्ट हाउस में सम्बन्धित अधिकारियों के साथ हुई बैठक में उन्होंने सैफ विंटर गेम्स की तैयारियों के बारे में विस्तार से चर्चा की। इसके बाद वे अधिकारियों के साथ स्नो मेकिंग सिस्टम से सबन्धित झील के निर्माण स्थल पर पहुंचे। कार्य की गुणवत्ता व मानकों पर संतोष जताते हुए श्री शर्मा ने झील के किनारे की जा रही लाइटिंग के कार्य को शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए। इस दौरान कार्यदायी संस्था की पीठ थपथपाते हुए उन्होंने कहा कि औली में बनाई गई झील एशिया की एकमात्र ऐसी झील है जो दस हजार फीट की उंचाई पर बनाई गई है। इसके बाद उन्होंने स्कीइंग स्लोप का भी निरीक्षण किया। उन्होंने अधिकारियों को शेष बचे कार्यों को जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए। श्री शर्मा गुरुवार तक औली में ही रहेंगे। निरीक्षण के दौरान उनके साथ जीएमवीएन के एमडी डी. सैंथियल पांडियन, अपर सचिव खेल बीएस मनराल, डबल्यूजीएफआई के पूर्व अध्यक्ष एसएस पांगती, सीडीओ वी षणमुगम आदि मौजूद थे।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6964777.html

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 :( धूप सेकनी हो तो पहाड़ चले आइए
चम्पावत: पर्वतीय क्षेत्रों में दिसंबर का महीना चिल्ला जाडे़ के लिए
जगजाहिर है, लेकिन इन दिनों यहां का मौसम बेहद खुशगवार बना हुआ है। दिन में
 लोग शानदार धूप का आनंद ले रहे हैं। मैदानी क्षेत्र भले कोहरे की मार झेल
रहा है, परंतु पहाड़ पर सुबह-शाम छोड़कर ठंड का नामोनिशान नहीं है।

 
सितंबर माह के बाद यहां शीतकालीन वर्षा नहीं हुई है। अलबत्ता नवंबर माह
में एक दो रोज हल्की बूंदाबांदी हुई थी। वैसे तो इन दिनों सुबह-शाम पाले की
 ठंड का असर है, लेकिन मैदानी क्षेत्रों के कोहरे की तुलना में इसका ग्राफ
कम ही बना हुआ है। पिछले एक दशक तक पर्वतीय क्षेत्रों में नवंबर-दिसम्बर
में ठंड का ग्राफ बेहद तेज होता था और यहां के लोग मैदानी इलाकों में
प्रवास के लिए जाया करते थे, परंतु ग्लोबल वार्मिग का असर यहां दिख रहा है।
 अब पहाड़ में ठंड का ग्राफ कम है। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक जहां
यहां की प्राकृतिक छठा सभी को मनभावन लग रही है। वहीं लोग गुनगुनी धूप का
आनंद ले रहे हैं। दिन का आलम तो यह है कि लोग एक कमीज में भी शुकून महसूस
कर रहे हैं। मौसम के जानकारों का कहना है कि भले अभी धूप खिली हुई हो,
लेकिन इस बार जिस तरह से बरसात हुई है उससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि
शीतकालीन वर्षा होते ही यहां अच्छी बर्फबारी हो सकती है। बहरहाल इन दिनों
पर्वतीय क्षेत्रों में मौसम बेहद खुशगवार बना हुआ है और यहां आने वाले
बंगाली पर्यटकों की तादाद पिछले सालों की तुलना में बढ़ी हुई है।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6995393.html
 

विनोद सिंह गढ़िया

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मुनस्यारी जैसा सौंदर्य और कहीं नहीं

पिथौरागढ़/बेरीनाग/मुनस्यारी। उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वारिन घोष दो दिनी भ्रमण पर सीमांत जिले में पहुंच गए हैं। हेलीकाप्टर से आए चीफ जस्टिस ने शुक्रवार को चौकोड़ी, मुनस्यारी, नारायण आश्रम, पांगू के सौंदर्य को निहारा। घोष ने मुनस्यारी को देश की सबसे खूबसूरत जगह बताया। उन्होंने मुनस्यारी में मुंसिफ कोर्ट खोलने का प्रयास करने का भरोसा स्थानीय लोगों को दिया। मुख्य न्यायाधीश शनिवार को पाताल भुवनेश्वर का भ्रमण करेंगे।
उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस वारिन घोष को लेकर आया हेलीकाप्टर सुबह विख्यात पर्यटन स्थल चौकोड़ी उतरा। एसडीएम बीएल राना के नेतृत्व में अधिकारियों ने मुख्य न्यायाधीश की अगवानी की। मुख्य न्यायाधीश ने कुछ समय तक हिमालय की चोटियों के दीदार किए। नाश्ते के बाद वह मुनस्यारी रवाना हो गए। मुनस्यारी पहुंचने पर एसडीएम जेएस राठौर, एडवोकेट देव सिंह बोरा आदि ने उनकी अगवानी की। चीफ जस्टिस पंचाचूली समेत अन्य हिमालयी पर्वत श्रृंखलाओं को देखकर आनंदित थे।
उन्होंने कहा वह देश के तमाम हिस्सों में घूमे हैं लेकिन मुनस्यारी जैसा प्रकृति का अलौकिक सौंदर्य कहीं नहीं देखा। उन्होंने कहा मिलम तक सड़क बनने के बाद क्षेत्र का महत्व और बढ़ेगा। उन्होंने कहा मुनस्यारी में मुंसिफ कोर्ट स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा। वह मुनस्यारी में 20 मिनट तक रुके। इसके बाद हेलीकाप्टर ने नारायण आश्रम के लिए उड़ान भरी। चीफ जस्टिस रात्रि विश्राम पिथौरागढ़ में करेंगे।

http://epaper.amarujala.com/svww_index.php

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गुज्जरों की गतिविधियों से बुग्याल को खतरा
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बाहरी क्षेत्रों से आने वाले वन गुज्जरों के मवेशियों से मध्य हिमालय के मखमली बुग्याल खतरे में है। इससे जहां पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, वहीं उच्च हिमालय में दुर्लभ बहुमूल्य वनस्पति को भी हानि हो रही है। जबकि वन विभाग इस संवेदनशील मुद्दे पर आंख मूंदे बैठा है।

हिमालय में समुद्र तल से दस हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित बुग्याल में मानवीय गतिविधियों की लगातार बढ़ती संख्या से इन्हें नुकसान हो रहा है। गर्मी में बिजनौर, ऋषिकेश समेत बड़ी संख्या में वन गुज्जर व उनके मवेशी नियमों को ताक पर रखकर यहां का रुख करते हैं तथा मई से अक्तूबर तक यहां पर डेरा जमाए रखते हैं। इस दौरान गुज्जर यहां गंदगी तो करते ही हैं। साथ ही, यहां की बहुमूल्य जड़ी-बूटियों का दोहन भी करते हैं। वनस्पति विज्ञान के प्रवक्ता डॉ जगदम्बा प्रसाद गैरोला का कहना है कि उच्च हिमालय के बुग्यालों में बड़ी संख्या में गुज्जरों की मौजूदगी के चलते यहां की बहुमूल्य वनस्पति को नुकसान पहुंचना स्वाभाविक है।

क्या हैं नियम:-

-वन विभाग से अनुमति जरूरी

-प्रतिबंधित वन क्षेत्र में जाने की नहीं दी जाती अनुमति

-प्रभागीय वनाधिकारी द्वारा दी जाती है अनुमति

महत्वपूर्ण बिन्दु

1-मई से अक्तूबर माह के बीच होती है गुज्जरों की आवाजाही

2-लगभग एक लाख मवेशी आते हैं प्रति वर्ष( जिनमें भेड़, बकरी, भैंस, गाय शामिल हैं)

3-पांच हजार तक वन गुज्जर आते रहते हैं बुग्यालों में

4-मवेशियों के पांव से बुग्याल की जमीन को भी पहुंचता है खतरा

कौन-कौन से बुग्याल हो रहे प्रभावित

पवाली बुग्याल, पटागणिया, खाम बुग्याल, तुंगनाथ-चोपता बुग्याल, ममणी बुग्याल, पाण्डव सैरा बुग्याल, केदारनाथ बुग्याल

क्या कहते हैं अधिकारी

वन गुज्जरों को वन विभाग की अनुमति लेना आवश्यक है। जबकि प्रतिबंधित क्षेत्र में जाने की अनुमति नहीं दी जाती है। वन गुज्जरों को लेकर वन विभाग चौकसी करता है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7046587.html

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पंवाली बुग्याल से राज्य को स्कीनिंग में मिलेगी नई दिशा
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पंवाली बुग्याल को मोटर मार्ग से जोड़ने की कवायद से राज्य में जहां स्कीनिंग को एक नई दिशा मिल सकेगी, वहीं पर्यटन के क्षेत्र में भी देशी-विदेशी पर्यटन भी आकर्षित हो सकेंगे।

पर्यटन मानचित्र से अलग-थलग पड़े पंवाली बुग्याल पर आखिरकार सरकार महकमे नजर पड़ ही गई। प्रदेश के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल की इस बुग्याल को सड़क से जोड़ने की घोषणा से इस पर्यटक स्थल की सूरत बदल जाएगी। जिले के विकास खंड जखोली के अंतर्गत प्राकृतिक सौंदर्य से लबालब पंवाली बुग्याल अभी तक देशी-विदेशी पर्यटक के लिए अनजान बना हुआ है। इसका मुख्य कारण इसके प्रति पर्यटन विभाग की बेरुखी है, साथ ही यहां जाने के लिए आज तक न कोई ट्रैकिंग रूट विकसित हो सका है, और न ही संपर्क मार्ग। घने जंगलों के बीच कई किमी का पैदल सफर होने के चलते बहुत कम संख्या में यहां पर्यटक पहुंच पाते हैं। गत दिनों जखोली मेले में पहुंचे सूबे के मुख्यमंत्री ने चिरबटिया से पंवाली तक मोटर मार्ग निर्माण की घोषणा से यहां पर्यटन की नई संभावनाएं पैदा हो गई हैं।

कई किमी लम्बा यह बुग्याल काफी खूबसूरत हैं, तथा समुद्र तल से बारह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां पर स्कीनिंग के पर्याप्त ढ़लान होने से राज्य में स्कीनिंग की नई संभावनाएं भी पैदा होंगी तथा यहां पर्याप्त मात्रा में बर्फ भी पड़ती है, ऐसे में यहां सड़क बनने से यह बुग्याल देश विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल हो सकेगा।

मुख्य बिन्दु-

स्कीनिंग के लिए पर्याप्त ढ़लान

16 किमी लम्बा बुग्याल

मौसम के अनुकूल बर्फ पर्याप्त

विभिन्न प्रजाति के फूल व खूबसूरत बुग्याल पर्याप्त मात्रा में

क्या कहते हैं अधिकारी

पंवाली बुग्याल प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर है तथा स्कीनिंग के लिए अच्छी ढलान है, ऐसे में सड़क से जुड़ने से यह बुग्याल राज्य में जहां स्कीनिंग की नई संभावनाएं होंगी, वहीं साल भर पर्यटकों के लिए भी खुला रहेगा।

सीमा नौटियाल, जिला पर्यटन अधिकारी

http://in.jagran.yahoo.com/news

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कैम्पटीफाल पर अतिक्रमण का दाग
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अपनी सुंदरता के लिए पर्यटन मानचित्र में स्थान बनाने वाला कैम्पटीफाल पर भी अतिक्रमणकारियों की गिद्ध दृष्टि लग गई है। इससे यह प्राकृतिक जल प्रपात अपनी सुंदरता खोता जा रहा है।

प्रखंड जौनपुर के अंतर्गत मसूरी से 14 किमी की दूरी पर दिल्ली-यमुनोत्री मार्ग पर स्थित कैम्प्टीफाल प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में शुमार है। इस पर्यटक स्थल में प्रतिदिन हजारों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं, लेकिन प्रशासन की अनदेखी के चलते स्थानीय लोग यहां पर लगातार अतिक्रमण कर रहे हैं। अतिक्रमण होने से इस जल प्रपात के वेग में भी कमी आ रही है, जिससे यह अपनी सौन्दर्यता खो रहा है। यही नहीं मोटरमार्ग से मुख्य झील तक आने वाले रास्तों पर पर भी अतिक्रमण होन से हरियाली कम हो रही है। दिल्ली से आयी पिंकी, ऋतु और महाराष्ट के पंकज, शालनी का कहना है कि पांच साल पहले यहां की सुन्दरता काफी अधिक थी।

वहीं दूसरी ओर सरकार की बात करें तो शासन ने इसके सौंदर्यीकरण के लिए पांच करोड़ स्वीकृत किए थे, लेकिन यहां आज भी काफी कम कार्य हुए हैं। साथ ही जिला प्रशासन विगत तीन वर्षो से मुख्य झील के चारों अतिक्रमण हटाने व प्रभावितों को अन्यत्र बसाने की बात तो कर रहा है, लेकिन इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है।

इस संबंध में उप जिलाधिकारी नासीर खान का कहना है कि पर्यटन स्थल के आसपास अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

Dainik jagran news

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सैफ खेलों के बहिष्कार की चेतावनी
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जीएमवीएन कर्मचारी संगठन ने राज्य सरकार की निगम विरोधी नीति व नियमितिकरण की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। संगठन ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर आंदोलन तेज करने के साथ ही सैफ खेलों के बहिष्कार की चेतावनी दी है।

मंगलवार को संयुक्त महासंघ केएमवीएन तथा जीएमवीएन के आह्वान पर कर्मचारियों ने संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले जीएमवीएन बचाओ के नारे के साथ जुलूस प्रदर्शन किया। कलक्ट्रेट में जिलाधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपने के बाद सभी कर्मचारी जीएमवीएन सभागार में एकत्र हुए जहां संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष पुरुषोत्तम पुरी ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार की निगम विरोधी नीति से गढ़वाल मंडल में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों का शोषण हो रहा है। विभागीय पदोन्नति के बजाय अक्षम लोगों और अकुशल लोगों को भ्रष्टाचार में लिप्त होकर नियुक्ति दी जा रही है। वर्षो से दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमितकरण नहीं किया जा रहा है। वहीं वर्षो से सरकार की ओर से मेजबानी का जिम्मा संभालने वाले जीएमवीएन को अलग कर औली में सैफ खेलों की जिम्मेदारी किसी एनजीओ के हवाले कर दी है। कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि शीघ्र उनकी मांग पर अमल नहीं किया गया तो आगामी एक जनवरी से सभी कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर देंगे और औली में 14 जनवरी से शुरू होने वाले सैफ खेलों का बहिष्कार करेंगे। इस मौके पर प्रबंधकीय वेलफेयर ऐसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष बीडी पेटवाल, वीपी बडोला, मुकेश भट्ट, विजय पुरोहित, उपेंद्र चौहान, सुरेश पंवार, रेनू उनियाल, कुंवर सिंह राणा मौजूद रहे।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7097702.html

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औली के स्लोप में गिरी 3 इंच बर्फ
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आखिरकार औली के स्लोप पर बर्फ से ढक गए। मौसम के बदले मिजाज से आयोजकों की सांसें भी लौट आई हैं। गुरुवार को औली के स्लोप में दो से तीन इंच बर्फबारी हुई। दूसरी ओर मौसम अनुकूल होते ही स्नो मेकिंग सिस्टम ने भी काम करना शुरू कर दिया है। अब औली में 14 जनवरी से प्रस्तावित सैफ विंटर गेम्स के समय पर शुरू होने की उम्मीद जग गई है।

दो बार तिथियां टलने के बाद सैफ विंटर गेम्स औली में 4 जनवरी से प्रस्तावित हैं। आयोजन आगे खिसकने की मुख्य वजह बर्फबारी न होना माना जा रहा था। अनुकूल तापमान व नमी न मिलने से स्नो मेकिंग सिस्टम से भी अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पा रहे थे। विपरीत हालात में विंटर गेम्स फेडरेशन आफ इण्डिया (डब्लूजीएफआई) के पदाधिकारियों के चहरे मुरझाए हुए थे।

गुरुवार को मौसम ने करवट ली और मौसम का पहला हिमपात औली के स्लोप बर्फ से लकदक हो गए। गुरुवार की सुबह लगभग छ: बजे से औली में बर्फबारी शुरू हुई जो देर शाम तक रुक-रुक कर होती रही। दूसरी ओर मौसम अनुकूल होते ही स्नोमेकिंग सिस्टम ने भी तेजी से बर्फ बनानी शुरू कर दी है। गुरुवार को तापमान और आ‌र्द्रता दोनों सिस्टम के अनुकूल पाई गई। नेशनल स्कीयर्स राकेश रंजन भिलिंगवाल का कहना है कि स्कीइंग के लिए स्लोप पर कम से कम 6 इंच मोटी बर्फ की परत जमी होनी चाहिए। यदि एक दो दिन ऐसी ही बर्फबारी हुई तो निसंदेह इस बार मौसम सैफ विंटर गेम्स के आयोजन में खलल नहीं डालेगा। उनका कहना है कि आज की तिथि में भी औली से 10 नम्बर टावर से 8 नम्बर टावर तक स्कीइंग का अभ्यास किया जा सकता है। स्थानीय स्कीयर्स अपनी स्कीइंग किट निकालकर शुक्रवार से अभ्यास शुरू करने की तैयारी में हैं।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7107660.html

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      मसूरी और धनोल्टी में हिमपात, सैलानियाें की मौज
 
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शुक्रवार तड़के पहाड़ों की रानी मसूरी और धनोल्टी में बर्फबारी हुई। सुबह लोग जागे तो लालटिब्बा और धनोल्टी के कुछ क्षेत्र बर्फ की सफेद चादर ओढ़े हुए थे। यह नजारा देख सैलानी चहक उठे और भारी संख्या में धनोल्टी और लालटिब्बा का रुख कर हिमपात का मजा लिया। हालांकि, लगातार हो रही बारिश के कारण मसूरी में बर्फ थोड़ी देर में ही पिघल गई। दोपहर बाद मसूरी में दोबारा हल्की बर्फ गिरी। बर्फबारी के चलते मौसम में ठंडक और बढ़ गई है। रात को भी बर्फबारी की संभावना जताई जा रही है।
शुक्रवार तड़के धनोल्टी और मसूरी में मौसम का पहला हिमपात हुआ। इससे न्यू ईयर मनाने पहाड़ों की रानी पहुंचे पर्यटकों का उत्साह दोगुना हो गया। माल रोड पर हल्की फुहारों के बीच चहलकदमी कर सैलानियों ने मौसम का जमकर लुत्फ उठाया। हालांकि, बारिश के चलते मसूरी में बर्फ कुछ ही देर में पिघल गई। इससे बड़ी संख्या में पर्यटक धनोल्टी और लालटिब्बा की ओर चले गए। यहां सैलानियों ने जमकर मौज मस्ती की। उधर, दिन भर बारिश जारी रहने से तापमान में खासी गिरावट दर्ज की गई। शाम के समय मसूरी में दोबारा बर्फ के हल्के फाहे पड़े। इससे सैलानियों के चेहरे खिल गए। उम्मीद है कि लगातार हो रही रही बारिश के चलते शुक्रवार रात को मसूरी में जमकर हिमपात हो सकता है। यह नए साल पर देश-विदेश से मसूरी घूमने आए हजाराें सैलानियों के लिए यह बढ़ा तोहफा होगा। परिजनाें संग पंजाब से आए पर्यटक कुलदीप सिंह, तरसेन सिंह आदि ने बताया कि धनोल्टी और लालटिब्बा में बर्फ देखने की उनकी हसरत पूरी हो गई है।

http://www.amarujala.com/state/Uttrakhand/4889-2.html

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पटागंणिया पर्यटक स्थल के प्रति उदासीन पर्यटन विभाग
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पर्यटन विकास के प्रति प्रशासन की उदासीनता के चलते प्रसिद्ध पर्यटक स्थल पटागंणिया तमाम प्राकृतिक सौन्दर्य के बाद भी पर्यटन मानचित्र पर अलग-थलग पड़ा हुआ है। यही कारण है कि आज भी इस महत्वपूर्ण स्थान की जानकारी तक पर्यटकों को नहीं मिल पाती।

जिले में प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर समुद्र तल से नौ हजार फीट की ऊँचाई पर स्थित पटागणियां जखोली विकास खड के अंतर्गत आता है। यहां पर दूर तक मखमली बुग्याल व भारी मात्रा में बर्फबारी होती है। जिससे यहां के सौन्दर्य में चार चांद लग जाते हैं, लेकिन इतने प्राकृतिक सौन्दर्य के बाद भी पर्यटक मानचित्र पर अपनी जगह नहीं बना पाया है। इसके लिए पर्यटन विभाग की भूमिका भी संदिग्ध है।

पिछले तीन दशक से यहां के विकास के लिए संघर्षरत सामाजिक कार्यकर्ता गुलाब सिंह राणा सरकार के बेरुखी से काफी नाराज हैं। वह कहते हैं कि तीस वर्षो से यहां के विकास के लिए विभिन्न मंचों पर अपनी आवाज उठाता रहा हूँ, लेकिन आज तक पर्यटन विभाग इस स्थान को विकसित नहीं कर पाया है। यहां जाने के लिए मोटर मार्ग के साथ ही अच्छा ट्रैक रूट भी नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार इसके विकास के लिए आगे आए तो यहां पर पर्यटन की अपार संभावनाएं है, साथ ही यह स्थान पर्यटन से भी जुड़ सकेगा।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7179229.html

 

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