Author Topic: Which Place is Where in Uttarakhand - उत्तराखंड में कौन से जगह किस जिले में है!  (Read 19342 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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                  कालिया  सौड,धारी देवी का स्थान श्रीनगर पोड़ी गढ़वाल उत्तराखंड
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कालिया  सौड, एक  समय  में  अपने  भूस्खलनों  के  प्रसिद्ध, आज  भागीदरी  के  साथ-साथ  एक  महत्वपूर्ण  नदी  राफ्टिंग  साइट  है।  कालिया  सौड  से  एक  किलोमीटर  नीचे  धारी  देवी  का  मंदिर  है  जो  देवी  काली  को  समर्पित  सिद्धपीठ  है।

यहां के पुजारी पाण्डेय के अनुसार, द्वापर युग से ही काली की प्रतिमा यहां स्थित है। ऊपर के काली मठ एवं कालिस्य मठों में देवी काली की प्रतिमा क्रोध की मुद्रा में है पर धारी देवी मंदिर में वह कल्याणी परोपकारी शांत मुद्रा में है। उन्हें भगवान शिव द्वारा शांत किया गया जिन्होंने देवी-देवताओं से उनके हथियार का इस्तेमाल करने को कहा।

 यहां उनके धड़ की पूजा होती है जबकि उनके शरीर की पूजा काली मठ में होती है। पुजारी का मानना है कि धारी देवी, धड़ शब्द से ही निकला है।

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पुजारी  मंदिर  के बारे  में अन्य  कथा का  पुरजोर  खंडन  करता  है। कहा  जाता  है कि  एक भारी  वर्षा  की काली  रात में  जब नदी  में बाढ़  का उफान  था, धारो  गांव  के लोगों  ने एक  स्त्री  का रूदन  सुना।  उस जगह  जाने  पर उन्हें  काली  की एक  मूर्त्ति  मिली  जो बाढ़  के पानी  में तैर  रही थी।

  एक दैवी  आवाज  ने ग्रामीणों  को इस  मूर्त्ति  को वही  स्थापित  करने  का आदेश  दिया, जहां  वह मिली  थी। ग्रामीणों  ने यह  भी किया  और देवी  को धारी  देवी  नाम दिया  गया।

पुजारी मानता है कि भगवती काली जो हजारों को शक्ति प्रदान करती है, वह लोगों से अपने बचाव के लिये सहायता नहीं मांग सकती थी। पर वह मानता है कि वर्ष 1980 की बाढ़ में प्राचीन मूर्ति खो गयी तथा पांच-छ: वर्षों बाद तैराकों द्वारा नदी से मूर्ति को खोज निकाला गया। इस अल्पावधि में एक अन्य प्रतिमा स्थापित हुई, तथा अब मूल प्रतिमा को पुनर्स्थापित किया गया है।

आज देवी की प्राचीन प्रतिमा के चारों ओर एक छोटा मंदिर चट्टान पर स्थित है। प्राचीन देवी की मूर्त्ति के इर्द-गिर्द चट्टान पर एक छोटा मंदिर स्थित है। देवी की आराधना भक्तों द्वारा अर्पित 50,000 घंटियों से की जाती है। अलकनंदा के किनारे कई गुफाएं पास ही हैं।

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                             जानकी चट्टी,यमनोत्री रुद्रप्रयाग  उत्तराखंड
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  जानकी चट्टी से  यमुनोत्री के लिए 5 किलोमीटर की चढ़ाई शुरू होती है। जानकी चट्टी का वर्णन करने के लिए केवल एक शब्द है । संकरा मेन रोड जीप स्टैण्ड से शुरू होकर 2 किलोमीटर जाने के बाद समाप्त हो जाता है। डाकघर से लेकर पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस एवं पुलिस चौकी तक सब कुछ इस एक  संकरी  सड़क पर पाया जा सकता है। इस स्ट्रीट के साथ-साथ अनेकों ढाबे हैं जहां आप गर्मागर्म भोजन और यहां तक कि स्फूर्तिदायक गन्ने का रस भी ले सकते हैं।

खच्चरों, डांडियों, कांडियों और कुलियों - जिनकी आपको यमुनोत्री तक की चढ़ाई करने के लिए भाड़े पर लेने की जरूरत पड़ सकती है - के लिए दरें कुलियों के लिए 60 से 320 रु., खच्चरों के लिए 55 से 140 रु., कांडियों के लिए 70 से 140 रु. तथा डांडियों के लिए 160 से 450 रु तक हो सकती हैं। दरें दूरी और लोड पर निर्भर करती हैं। हालांकि, ये दरें सरकार द्वारा प्रति वर्ष तय की जाती हैं और आप इस बारे में जानकी चट्टी के जिला पंचायत द्वारा संचालित यात्री व्यवस्था कार्यालय से और जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

जानकी चट्टी में नारायण भगवान को समर्पित एक लघु मंदिर है जिसके आधार पर यह सुझाव दिया गया कि इस स्थान को नारायणपुरी कहा जाए। इसके अलावा, आप हरी भरी घाटियों के साथ-साथ हिमाच्छादित पर्वतों, मुख्यतया बंदरपूंछ के शानदार नजारे देख सकते हैं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Doodha Toli (Pauri)
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दूधतोली पौढ़ी के खूबसूरत स्‍थानों में से एक है। यह स्‍थान हिमालय के चारों ओर से घिरा हुआ है। यहां का नजारा बहुत ही आकर्षक है जो यहां आने वाले पर्यटकों को सदैव ही अपनी ओर आ‍कर्षित करता है। गढ़वाल के स्‍वतंत्रता सेनानी वीर चन्‍द्र सिंह गढ़वाली को भी यह स्‍थान काफी पसंद आया था। इसलिए उनकी यह अंन्तिम इच्‍छा थी कि उनकी मृत्‍यु के बाद उनके नाम से एक स्‍मारक यहां पर बनाया जाए। यह स्‍मारक ओक के बड़े-बड़े वृक्षों के बीच स्थित है। जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में 'नेवर से डाई' लिखा गया है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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नगतिबा (Tehri Garwal)
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यह जगह समुद्र तल से 3040 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां से आप हिमालय की खूबसूरत वादियों के नजारों का लुफ्त उठा सकते हैं। इसके अतिरिक्‍त यहां से देहरादून की घाटियों का नजारा भी देखा जा सकता है। नगतिबा ट्रैर्क्‍स और पर्वतारोहियों के लिए बिल्कुल सही जगह है। इस स्थान की प्राकृतिक सुंदरता यहां पर्यटकों को अपनी ओर अधिक आकर्षित करती है। नगतिबा पंतवारी से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान अधिक ऊंचाई पर होने के कारण यहां रहने की सुविधा नहीं है। इसलिए ट्रैर्क्‍स पंतवारी में कैम्प में रहा करते हैं। इसलिए आप जब इस जगह पर जाएं तो अपने साथ टैंट व अन्य सामान जरूर ले कर जाएं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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सिमतोला : (Almora)
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यह अल्मोड़ा नगर से ३ कि.मी. की दूरी पर 'सिमतोला' का 'पिकनिक स्थल' सैलानियों का स्वर्ग है। प्रकृति के अनोखे दृश्यों को देखने के लिए हजारों पर्यटक इस स्थल पर आते-जाते रहते हैं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उपत (Almora)
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रानीखेत-अल्मोड़ा मोटर-मार्ग के पाँचवें किलोमीटर पर उपत नामक रमणीय स्थल है। कुमाऊँ की रमणीयता इस स्थल पर और भी आकर्षक हो जाती है। उपत में नौ कोनों वाला विशाल गोल्फ का मैदान है। गोल्फ के शौकीन यहाँ गर्मियों में डेरा डाले रहते हैं। रानीखेत समीप होने की वजह से सैकड़ों प्रकृति-प्रेमी और पर्वतारोही भी इस क्षेत्र में भ्रमणार्थ आते रहते हैं। प्रकृति का स्वच्छन्द रुप उपत में छलाक हुआ दृष्टिगोचर होता है। रानीखेत से प्रतिदिन सैलानी यहाँ आते रहते हैं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मजखाली (Ahead of Ranikhet-Almora):

कालिक से केवल ७ कि.मी. दूर पर रानीखेत-अल्मोड़ा-मार्ग पर मजखाली का अत्यन्त सौन्दर्यशाली स्थल स्थित है। मजखाली की धरती रमणीय है। यहाँ से हिमालय का मनोहारी हिम दृश्य देखने सैकड़ों प्रकृति-प्रेमी आते रहते हैं। मजखाली से कौसानी का मार्ग सोमेश्वर होकर जाता है। रानीखेत से कौसानी जाने वाले पर्यटक मजखाली होकर ही जाना पसन्द करते हैं।

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                      पटुवा डाँगर,नैनीताल
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जैसे ही हम नैनीताल से हल्द्वानी की ओर आते हैं, हमें चीड़ के घने वृक्षों के मध्य एक बस्ती सड़क के दाहिनी तरफ दिखाई देती है।  यही पटुवा डाँगर है। 

यह नैनीताल से १४.९ कि.मी. की दूरी पर स्थित है।  पटुवा डाँगर पहाड़ों के मध्य एक सुन्दर नगर है यहाँ प्रदेश का 'वैक्सीन' का सबसे बड़ा संस्थान है, यहाँ भी देश-विदेश के पर्यटक आते रहते हैं।

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                       हनुमानगढ़ी -Nainital
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 नैनीताल में हनुमानगढ़ी सैलानी, पर्यटकों और धार्मिक यात्रियों के लिए विशेष, आकर्षण का केन्द्र हैै। यहाँ से पहाड़ की कई चोटियों के और मैदानी क्षेत्रों के सुन्हर दृश्य दिखाई देते हैं। हनुमानगढ़ी के पास ही एक बड़ी वेद्यशाला है। इस वेद्यशाला में नक्षरों का अध्ययन कियी जाता है। राष्ट्र की यह अत्यन्त उपयोगी संस्था है।

नैनीताल की सौन्दर्य - सुषमा अद्वितीय है। नैनीताल नगर भारत के प्रमुख नगरों से जुड़ा हुआ है। उत्तर - पूर्व रेलवे स्टेसन काठगौदाम से नैनीताल ३५ कि. मी. की दूरी पर स्थित है। आगरा, लखनऊ और बरेली को काठगोदाम से सीधे रेल जाती है।

हवाई - जहाज का केन्द्र पन्त नगर है। नैनीताल से पन्त नगर की दूरी ६० कि. मीटर है। दिल्ली से यहाँ के लिए हवाई यात्रा होती रहती है।

नैनीताल जिले में कई  स्थान ऐसै हैं, जहाँ बसों द्वारा आना - जाना रहता है। हल्द्वानी, काशीपुर, रुद्रपुर, रामनगर, किच्छा और पन्त नगर आदि नैनीताल में ऐसै उभरते हुए नगर हैं, जिनमें बसों के माध्यम से प्रतिदन सम्पर्क बना रहता है।

नैनीताल नगर निरन्तर फैलता ही जा रहा है। आज यह नगर ११ - ७३ वर्ग किलोमीटर में फैला हूआ है। पर्वतारोहण, पदारोहण जैसे आधुनिक आकर्षणों के कारण, यहाँ का फैलाव नित नये ढ़ंग से हो रहा है।

 'कुमाऊँ' विश्वविद्यालय के मुख्यालय होने के कारण भी यहाँ नित नयी चहल - पहल होती है। नैनीतान में कई संस्थान हैं। पर्ववतारोहण की संस्था भी यहाँ की एक शान है।

 

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