शिक्षाविद्, भाषा विशेषज्ञ एवं मूर्धन्य साहित्यकार डॉ. हरिदत्त भट्ट 'शैलेश' नहीं रहे। वे 81 वर्ष के थे। उनके निधन की खबर से शिक्षा, साहित्य, संस्कृति एवं रंगकर्म के क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। मंगलवार को हरिद्वार में खड़खड़ी घाट पर उनका अंतिम संस्कार होगा। डॉ. शैलेश अपने पीछे भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं।
साहित्यकार डॉ. शैलेश लंबे समय से गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थे और दिल्ली के वेदांता हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा था। तीन दिन पूर्व तबीयत बिगड़ने पर उन्हें हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट भर्ती कराया गया, जहां सोमवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली।
उनके निधन की खबर से साहित्य, संस्कृति व कला जगत में स्तब्धता छा गई। मुंबई से उनकी अभिनेत्री बेटी हिमानी शिवपुरी भी दून पहुंच गई। मंगलवार को हरिद्वार में उनका अंतिम संस्कार होगा।
15 जून 1930 को उत्तराखंड के ग्राम भट्टवाड़ी में जन्मे श्री भट्ट वर्तमान में दून स्कूल में अपनी बहू मालविका भट्ट एवं बेटे हिमांशु भट्ट के पास रह रहे थे। दून स्कूल में हाउस मास्टर और हेड ऑफ द हिंदी लैंग्वेज रहते हुए 32 वर्ष तक अध्यापन करने वाले डॉ. शैलेश पांच वर्ष एसएन कॉलेज में भी प्रिंसिपल रहे।
हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और गढ़वाली पर समान रूप से कमांड रखने वाले डॉ. शैलेश की 400 से अधिक कहानियां, उपन्यास, एकांकी, संस्मरण, यात्रावृत्त और लेख हिंदी-अंग्रेजी की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए।