Author Topic: Politics In Uttarkhand - उत्तराखंड की राजनीति  (Read 47379 times)

पंकज सिंह महर

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देहरादून। स्थानीय निकाय चुनाव में क्षेत्रीय पार्टी उत्तराखंड क्रांति दल ने शुरुआती दौर में रणनीतिक तौर पर ही सही, अन्य सियासी दलों पर बढ़त बना ली है। पार्टी नेतृत्व ने चुनावी समर के लिए अपने योद्धाओं की पहली सूची जारी कर दी है। इस फेहरिस्त में नगर निगम देहरादून के मेयर समेत नगरपालिका व नगर पंचायत अध्यक्षों के 17 पदों पर दल के अधिकृत प्रत्याशियों के नाम घोषित किये गये हैं। राज्य के एकमात्र नगर निगम के मेयर पद को पार्टी हाईकमान ने महानगर इकाई के चहेते विवेकानंद खंडूड़ी के नाम पर ही अंतिम मुहर लगाई। गुरुवार को प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी होने की उम्मीद है।

प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में उक्रांद के केंद्रीय अध्यक्ष डा. नारायण सिंह जंतवाल ने निकाय चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की। उन्होंने बताया कि 17 पदों के लिए पार्टी के भीतर सर्वानुमति से प्रत्याशी चुने गये हैं। इसमें नगर निगम देहरादून के मेयर पद के लिए विवेकानंद खंडूड़ी का नाम फाइनल किया गया है। गौरतलब है कि महानगर इकाई की ओर से इस पद के लिए मात्र इनके नाम का ही प्रस्ताव हाईकमान को भेजा गया था। इसके अलावा नगरपालिका नैनीताल के अध्यक्ष पद के लिए प्रकाश चंद्र पांडेय का नाम तय किया गया है, जबकि रामनगर में गणेश सिंह बोरा, उत्तरकाशी में विष्णुपाल सिंह रावत, श्रीनगर में हरीश सिंह नेगी, कोटद्वार में मधु माहेश्वरी, काशीपुर में अतुल कुमार रस्तोगी, जसपुर में शकीला बेगम, खटीमा में अब्दुल फरीद सिद्दिकी, सितारगंज में नसीम बानो, टनकपुर में गंगागिरी गोस्वामी, गोपेश्वर में यदुनंदन भट्ट, जोशीमठ में राजेश नम्बूरी नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे। नगर पंचायत कालाढुंगी में अली हुसैन, लालकुआं में गीता शर्मा, बड़कोट में अनिल चौहान और डोईवाला में कांता कुकरेती का नाम अध्यक्ष पद के लिए घोषित किया गया।

हेम पन्त

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बी.जे.पी. ने भी नगरपालिका अध्यक्ष चुनाव के लिए ३२ नामो की घोषणा कर दी है, सूची इस तरह है 

Munni Devi (Didihat), Ashok Nabiyal (Dharchula), Rajendra Singh Rawat (Pithoragarh), Jayanti Lal (Champawat), Rohitash Agarwal (Tanakpur), Mahendra Mainali (Dwarahat), Subodh Sah (Bageshwar), Bhagirath Lal Chaudhary (Ramnagar), Taradutt Pande (Kaladhungi), Kishan Pande (Nainital), Nima Bist (Bhavali), BD Joshi (Bhimtal), Aruna Chauhan (Lalkuan), Madan Kumar (Khatima), Bina Sahu (Sitarganj), Puspha Arya (Gadarpur), Jaspur (Meera Bisnoi), Seema Sircar (Dineshpur), Gyanchand Gupta (Kelakhera), Brijpal Chauhan (Mahuadabra), Rishi Sati (Joshimath), Pushkar Singh Bhandari (Nandprayag), Damyanti Raturi (Karnaprayag), Saraswati Trivedi (Rudraprayag), Rajkumar Pori (Pauri), Krishnanand Maithani (Srinagar), Shashi Nainwal (Kotdwar), Asha Devi (Dugadda), Kirti Nagar (Vijay Godiyal) Uttam Das (Muni Ki Reti), Rajpal Pundir (Narendra Nagar), Nirmala Bist (Chamba), Badkot (Buddhi Singh Rawat).


Full news here - http://www.garhwalpost.com/centrenewsdetail.aspx?id=1604&nt=Breaking%20News

हेम पन्त

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Uttarakhand ki Rajya Sabha seat khali hone wali thi... sabhi jagah chunav ho chuke hain... Uttarakhand wali seat ka kya huwa? Kahin padhne-sunne me nahi aaya.... Kya kisi sadasya ko jaankari hai?

हेम पन्त

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देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा आज उस वक्त अभूतपूर्व घटनाक्रम से रूबरू हुई, जब प्रस्तावित विश्वविद्यालय विधेयक को लेकर मुख्य प्रतिपक्ष कांग्रेस के सदस्यों ने पीठ पर हमला बोल दिया। गुस्साए सदस्यों ने अध्यक्ष के आसन की तरफ विधेयक की प्रतियां उछालने के साथ ही सदन में तोड़फोड़ की। नौबत हाथापाई तक पहुंच गई थी पर सत्ता पक्ष के मर्यादित व्यवहार के चलते हालात संभल गए। धक्का-मुक्की में विधानसभा सचिव महेश चंद्र को मामूली चोटें भी आई। स्पीकर ने घटनाक्रम पर सख्त रुख अख्तियार करते हुए मार्शल से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। रिपोर्ट आने के बाद इस प्रकरण में कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही सदन की कार्यवाही अगली सूचना तक के लिए स्थगित कर दी गई है। इससे पहले भी विपक्ष के हंगामे के कारण स्पीकर को चार बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।

विधानसभा के विस्तारित सत्र में आज सुबह कार्यवाही शुरू होने के साथ ही हंगामा शुरू हो गया था पर इसकी परिणति जिस रूप में सामने आई, इसकी शायद किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। वैसे तो राज्य विधानसभा का लगभग हर सत्र हंगामेदार होता रहा है पर सोमवार को हुए अभूतपूर्व घटनाक्रम ने सभी को सकते में डाल दिया। सुबह विपक्ष ने कानून व्यवस्था और पेयजल किल्लत को लेकर शोर-शराबा किया। इस वजह से प्रश्नकाल भी नहीं चल पाया। शून्य काल में उस वक्त हालात बेकाबू हो गए, जब कांग्रेस सदस्य प्रस्तावित विवि विधेयक को लेकर तोड़फोड़ पर उतारू हो गए। संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत जैसे ही इस विधेयक पर गठित प्रवर समिति की रिपोर्ट सदन में पेश करने के लिए खड़े हुए, तभी नेता प्रतिपक्ष डा. हरक सिंह रावत के साथ ही चार पांच अन्य कांग्रेसी विधायक कूदकर वेल में आ पहुंचे और उन्होंने तोड़फोड़ शुरू कर दी। इसी बीच कुछ सदस्य अध्यक्ष के आसन की तरफ प्रस्तावित विधेयक की प्रतियां उछालते रहे। नाराज कांग्रेस सदस्यों ने सदन में पहले रिपोर्टर डेस्क और फिर सचिव की मेज को उलट दिया। बाद में उन्होंने विधानसभा रिपोर्टरों की कुर्सियों भी तोड़ दी। इससे संचार सिस्टम भी ध्वस्त हो गया। कांग्रेस सदस्यों के इस रवैये के हक्के-बक्के मार्शल बीच बचाव के लिए आए तो कांग्रेसी मारपीट पर आमादा हो गए। एक सदस्य ने तो विधानसभा सचिव पर मुक्का जड़ने के लिए हाथ भी उठा लिया था, किसी तरह मार्शल ने स्थिति को संभाला। सचिव के हाथ से माइक छीनने को लेकर काफी धक्का मुक्की हुई। इसमें उन्हें मामूली चोटें भी आई। कांग्रेस के दो सदस्यों ने अध्यक्ष की आसन पर चढ़ने की भी कोशिश की, मार्शल बामुश्किल उन्हें रोक पाए। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान बसपा के विधायक अपने सीटों पर खड़े रहे। कांग्रेस सदस्यों के हमले को देखकर सत्ता पक्ष के कुछ विधायक भी अपनी सीटों से खड़े होकर जवाब देने की तैयारी करने लगे। ऐन वक्त पर वरिष्ठ काबीना मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक और प्रकाश पंत ने उन्हें रोक लिया। सही मायने में सत्ता पक्ष के मर्यादित व्यवहार की वजह से दोनों पक्षों में मारपीट टल गई। करीब दस मिनट यह तोड़फोड़ और हंगामा चला। इसी बीच, स्पीकर हरबंस कपूर ने सत्र तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। उसके बाद ही कांग्रेसी शांत हुए। घटनाक्रम के करीब आधा घंटे बाद मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने स्पीकर के कार्यालय आकर इस मसले पर मंत्रणा की। बाद में उन्होंने स्पीकर व मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सहयोगियों के साथ विधानसभा मंडप पहुंचकर जायजा लिया। तोड़फोड़ की वजह से कार्यवाही न चल पाने की स्थिति को देखते हुए तीन बजे सदन अगली सूचना तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Uttarakhand: MLAs vandalize House
« Reply #34 on: May 13, 2008, 11:23:07 AM »
SHOCKING NEWS.

First for Uttarakhand: MLAs vandalize House

 
DEHRADUN: Ugly scenes by elected representatives that have almost become commonplace in other state assemblies appear to have come to Uttarakhand as well. For the first time since it came into existence in the year 2000, the state assembly on Monday witnessed 10 minutes of chaos — with MLAs throwing mikes and breaking chairs.

It all began in the morning, when the session had to be adjourned for 15 minutes soon after proceedings began at 11am. With opposition members in the well, determined to stall proceedings with demands for discussions on issues like water shortage and law and order, Speaker Harbans Kapoor was forced to adjourn the house yet again till 11.30am. The marshall then came in thrice to say the house was adjourned first till 11.45, then 12 noon and 12.20pm respectively.

But things took a turn for the worse at 12.20pm, when the government tried to table a report on the State Universities Bill 2008. Leader of opposition Harak Singh Rawat tore up the copy of the report and rushed to the well, followed closely by Congress and BSP MLAs. What followed was pandemonium. Opposition MLAs threw mikes on the floor and tried to smash them and broke chairs — especially those occupied by Vidhan Sabha secretariat staff.

The Speaker, marshall and the Vidhan Sabha secretary were nervous when they saw the charging MLAs throw the furniture and mikes around. BJP MLAs remained in check thanks to efforts by parliamentary affairs minister Prakash Pant and health minister Ramesh Pokhriyal Nishank, even as opposition members pulled away chairs of the secretariat staff and smashed them. No one was hurt, but the house was then adjourned till 3pm. Later, an announcement that the house would remain adjourned till further intimation.

Parliamentary affairs minister Prakash Pant said: "It is a black day in the history of the Uttarakhand assembly."

Speaker Kapoor has asked the marshal for a report. It is only after this that disciplinary action would be taken against the opposition MLAs. Denying that Congress MLAs deliberately threw the furniture and mikes on the floor of the house, Congress MLA from Tehri Kishore Upadhyaya said that these fell when the marshall tried to control the MLAs who were in the well.

Upadhyaya also said his party would try "our best that such a bill is never tabled. It is the government's way of saffronising education". Rawat told TOI the Congress would strongly oppose the University Bill which was against the autonomous nature of universities. "This will take away the freedom of the academic community and will turn the universities into government bodies," he said, adding that there was a lot of resentment among teachers against this bill. 
http://timesofindia.indiatimes.com/India/First_for_Uttarakhand_MLAs_vandalize_House__/articleshow/3034382.cms

हेम पन्त

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Anything could have happened in Uttarakhand Vidhan Sabha
« Reply #35 on: May 13, 2008, 11:44:19 AM »
Courtesy:- http://www.garhwalpost.com/centrenewsdetail.aspx?id=2910&nt=Breaking%20News

Dehradun, 12 May: Today’s incident in the House, though unprecedented, did not happen spontaneously. The trouble was expected according to insiders in the Congress. The party had worked out a strategy to stop the Select Committee Report from being tabled in the House in total contempt of the House. Tilak Raj Behad, Shailendra Mohan Singhal and Gopal Singh were deputed to ensure this. They had blocked the gallery to prevent the Marshals from entering into the House. The helpers felt so intimidated that they could not bring enough number of copies into the House.

In an informal chat in the morning, Kishore Upadhyaya and some other Congress leaders had hinted that anything could happen today and that they would not let the Government table the report.

This proved true, later. Some Congress members admitted that it had been decided that the copies of the report would be torn up and the House would not be allowed to function. It was a conscious decision not to let the House function today and tomorrow. However, what prevented the situation from turning uglier were the efforts of senior BJP leaders not to allow the Treasury members to react to Congress and BSP members. Had they reacted in a tit-for-tat way, nothing could have stopped the situation from turning into a violent free for all.
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Now Uttarkahandi MLAs have repeated what UP MLAs did 5 yrs back. This is really shameful.

Courtesy:- http://www.garhwalpost.com/centrenewsdetail.aspx?id=2910&nt=Breaking%20News

Dehradun, 12 May: Today’s incident in the House, though unprecedented, did not happen spontaneously. The trouble was expected according to insiders in the Congress. The party had worked out a strategy to stop the Select Committee Report from being tabled in the House in total contempt of the House. Tilak Raj Behad, Shailendra Mohan Singhal and Gopal Singh were deputed to ensure this. They had blocked the gallery to prevent the Marshals from entering into the House. The helpers felt so intimidated that they could not bring enough number of copies into the House.

In an informal chat in the morning, Kishore Upadhyaya and some other Congress leaders had hinted that anything could happen today and that they would not let the Government table the report.

This proved true, later. Some Congress members admitted that it had been decided that the copies of the report would be torn up and the House would not be allowed to function. It was a conscious decision not to let the House function today and tomorrow. However, what prevented the situation from turning uglier were the efforts of senior BJP leaders not to allow the Treasury members to react to Congress and BSP members. Had they reacted in a tit-for-tat way, nothing could have stopped the situation from turning into a violent free for all.
 


पंकज सिंह महर

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देहरादून। नेता प्रतिपक्ष हरक सिंह रावत ने कहा कि यदि किसी एक भी विधायक के खिलाफ कोई कार्रवाई होती है तो सारा विपक्ष इसके खिलाफ एकजुट हो जाएगा। उन्होंने कहा कि विधायक अपनी सदस्यता की कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं।

        सहारनपुर रोड स्थित एक होटल में पत्रकारों के समक्ष कांग्रेस तथा बसपा के विधायकों ने अपनी एकजुटता का खुलकर प्रदर्शन किया। इस दौरान कांग्रेस के तेरह तथा बसपा के चार विधायक वहां मौजूद थे। नेता प्रतिपक्ष हरक सिंह रावत ने कहा कि सरकार अपनी जिद पर अड़ी है। भाजपा इसे काला दिवस कह रही है। यदि यह मान भी लिया जाय कि हमने एक दिन काला किया पर सरकार तो एक काले विधेयक से पूरे इतिहास को ही काला करने जा रही है। श्री रावत ने कहा कि विधानसभा के अंदर जो हुआ वह लोकतंत्र के इतिहास के लिए ठीक नहीं है। मर्यादा और परंपरा नहीं टूटनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री, संसदीय कार्यमंत्री से लेकर सभी से अनुरोध किया गया पर सरकार ने अपनी हठधर्मिता नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा कि प्रवर समिति में बसपा तथा उक्रांद को बराबर प्रतिनिधित्व दिया गया, जबकि सदस्य संख्या के हिसाब से कांग्रेस को अधिक प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। यही नहीं, समिति का सदस्य मनोनीत करने से पहले पार्टी के विधानमंडल दल के नेता को भी दरकिनार कर दिया गया। सदन के पटल पर विवि विधेयक रखने के सरकार के दावे को भी उन्होंने खारिज किया। साथ ही कहा कि इस मामले में जल्दबाजी जाहिर करती है कि सरकार की मंशा में कहीं न कहीं खोट है। विधेयक के प्रस्तावों को उन्होंने सभी वर्गो के लिए घातक बताया। उन्होंने कहा कि यह सरकार के हाथों में सभी शक्तियां लाने के कुत्सित प्रयास हैं। नेतागिरी करने के साथ विवि से वेतन लेते रहने के मामले में उन्होंने कहा कि भाजपा के अंदर कई नेता हैं, जो ऐसा करते रहे हैं। उन्होंने इन नेताओं के नाम भी बताए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि भाजपा सरकार की नीति, नियत और मंशा ठीक नहीं है। विपक्ष ऐसी सरकार के खिलाफ आवाज उठाने का अपना दायित्व निभाता रहेगा। विवि विधेयक में राज्यपाल तथा कुलपति के अधिकारों का अतिक्रमण करने का आरोप उन्होंने सरकार पर लगाया। बसपा विधानमंडल दल नेता मो.शहजाद ने कहा कि प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा की जो स्थिति है, भाजपा सरकार उच्च शिक्षा की भी वही हालत करने पर तुली हुई है। मर्यादा की बात करने वाली भाजपा खुद मर्यादा भूल रही है। कार्रवाई के नाम पर विपक्ष को धमकाया जा रहा है। यदि किसी पर कोई कार्रवाई हुई तो पूरा विपक्ष सड़कों पर उतर आएगा। उन्होंने कहा कि पीठ पर कोई हमला नहीं हुआ है। अध्यक्ष का स्थान पूरी तरह सुरक्षित है।

पंकज सिंह महर

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देहरादून। संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने स्वीकार किया कि उत्तराखंड विश्वविद्यालय विधेयक में कई खामियां थीं। विधानसभा की प्रवर समिति ने परीक्षण के बाद उक्त खामियों का निस्तारण किया। सरकार का लक्ष्य विधेयक के जरिए राज्य की उच्च शिक्षा को व्यवस्थित करना है।

विवि विधेयक पर मचे बवाल और विधानसभा में तोड़फोड़ के बाद सरकार ने मंगलवार को विधानभवन स्थित अपने कक्ष में पत्रकारों के समक्ष अपना पक्ष रखा। संसदीय कार्य मंत्री श्री पंत ने दावा किया कि विधेयक पर विपक्ष ने हंगामा तो किया पर प्रवर समिति गठित करने की पहले उनके स्तर से ही हुई। समिति ने विधेयक के प्रमुख विषयों में संशोधन किया। सात बैठकों में शिक्षाविदों व अन्य लोगों से 30 अप्रैल तक प्राप्त सुझावों को समिति के समक्ष रखा गया। राज्य की उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार के नजरिए से समिति ने विधेयक में जरूरी संशोधन शामिल किए। संशोधित विधेयक में राज्य की सीमा के अंतर्गत स्थापित सभी राज्य विश्वविद्यालयों पर इस अधिनियम के उपबंध लागू करने का प्रावधान किया गया है। कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि पंतनगर को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। विवि के कुलाधिपति, कुलपति, प्रति कुलपति, कार्य परिषद व सभा को मिलाकर एक निगमित निकाय का स्वरूप देने की संस्तुति की गई है। प्रत्येक विवि में छात्रों को रोजगार बाजार में प्रवेश करने, उन्हें उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से नैतिक चरित्र निर्माण व क्षमता की दिशा में कार्य करने के विभिन्न प्रावधान किए गए। उन्होंने साफ किया कि विवि के अधिकारी व कृतकारी की श्रेणी में कुलाधिपति, कुलपति, प्रति कुलपति, वित्त अधिकारी, कुलसचिव व परीक्षा नियंत्रक को शामिल किया गया है। समस्त प्रशासनिक कार्यो से संबंधित ऐसी तमाम शक्तियां कुलाधिपति को प्रदान की गई हैं, जिनके माध्यम से राज्यपाल विवि की व्यवस्था संबंधी कोई भी जानकारी या अभिलेख कुलपति से मांग सकेंगे। कुलपति की नियुक्ति को सर्च कमेटी में पांच सदस्य होंगे। कुलपति का पद धारण को तीन से पांच प्रख्यात शिक्षाविदों की नामिका सरकार को कुलाधिपति को प्रेषित करेगी। कुलपति का कार्यकाल तीन वर्ष तय किया गया है। सरकार उनके कार्य के निष्पादन से संतुष्ट होने पर उनका कार्यकाल दो वर्ष और बढ़ा सकती है। कुलपति का कार्यकाल विवि में एक से ज्यादा बार नहीं होगा। प्रति कुलपति व कुलसचिव की नियुक्ति का प्रावधान भी किया गया है। परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ति अब बाकायदा कुलपति की संस्तुति पर सरकार और राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना के माध्यम से होगी। विधेयक में नए कदम के रूप में अध्ययन परिषद व शोध विकास परिषद के गठन का प्रावधान भी किया गया है। विधेयक में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के हितों को सुरक्षित रखते हुए उनके प्रवेश में उदासीनता बरतने वाले महाविद्यालय के लिए दंड का प्रावधान किया गया है। विधेयक में सौ धाराएं समाविष्ट की गई हैं।

पंकज सिंह महर

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नैनीताल। संसदीय लोकतंत्र में हिंसा और तोड़फोड़ का कोई स्थान नहीं है। जनता के त्याग और बलिदान से बने उत्तराखण्ड की विधान सभा में सोमवार को हुई घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। उत्तराखण्ड क्रांति दल का मानना है कि सदन का उपयोग राज्य हित से जुड़ी समस्याओं को उठाने में ही किया जाना चाहिए।

उक्रांद के केंद्रीय अध्यक्ष नारायण सिंह जंतवाल ने जागरण के साथ बातचीत में विधान सभा में सोमवार को हुए घटनाक्रम से खासे व्यथित थे। श्री जंतवाल ने कहा कि जिस राज्य को बनाने में जनता ने बलिदान दिया, वहां इस तरह की घटना से संसदीय लोकतंत्र पर चोट पहुंची है। उक्रांद का मानना है कि सदन में अपनी बात को मर्यादित तरीके से उठाने में ही राज्य का हित जुड़ा है। सदन के सदस्यों को चाहिए कि वे उच्चस्तरीय व्यवहार का परिचय दें। सदन में विचार-विमर्श व विचार विनिमय के बाद समस्याओं का निराकरण संभव है। उन्होंने सदन के संचालन के लिए कानून बनाने की मांग करते हुए उम्मीद जताई कि सभी दल इस मुद्दे पर गंभीर रुख अपनाएंगे। उक्रांद अध्यक्ष ने विरोध जताने के अमर्यादित तरीके अपनाने को गलत बताया। विवि अधिनियम पर श्री जंतवाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में ज्ञान का प्रवाह जारी रहे और शोध कार्यो पर कोई नियंत्रण नहीं होना चाहिए। अधिनियम में खामिया बताते हुए श्री जंतवाल ने कहा कि उक्रांद विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता कम करने का विरोध करेगा। उम्मीद जताई कि सरकार इस मामले पर सकारात्मक नजरिया पेश करेगी।

 

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