Author Topic: SURPRISE & UNIQUE NEWS OF RELATED TO UTTARAKHAND- जरा हट के खबर उत्तराखंड की  (Read 27022 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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हेमा मालिनी बनी स्पर्श गंगा की ब्रांड-एंबेसडर

देहरादून। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने कहा कि गंगा भारतीय संस्कृति का केंद्र है। विदेशों में भले ही नदियों को महज नौका-विहार व पिकनिक का स्थल समझा जाता हो, लेकिन भारत में गंगा को मां का दर्जा दिया गया है। लिहाजा, मां-गंगा को सुरक्षित व प्रदूषणरहित रखना हमारा प्रमुख कर्तव्य है। उन्होंने इस दिशा में राज्य सरकार के 'स्पर्श गंगा' अभियान की सराहना करते हुए भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व सिने अभिनेत्री पद्म विभूषण हेमा मालिनी को अभियान की ब्रांड-एंबेसडर घोषित किया।

भारतीय वन अनुसंधान संस्थान के सभागार में 'स्पर्श गंगा' अभियान के कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए उन्होंने गंगा समेत उसकी सहायक नदियों को भी साफ-सुथरा करने की जरूरत पर बल दिया। साथ ही, राज्य सरकार के इस पुनीत अभियान को मील का पत्थर बताते हुए गंगा व विकास की अविरल धारा को समानांतर रूप से प्रवाहित करने का आह्वान किया। भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व 'स्पर्श गंगा' की ब्रांड-एंबेसडर सिने अभिनेत्री हेमा मालिनी ने कहा कि गंगा की पवित्रता को अक्षुण बनाए रखने के अभियान से जुड़ना उनका सौभाग्य है। इस अभियान के जरिए गंगा की सेवा करने की उनकी वर्षो पुरानी कामना पूर्ण हो रही है। उन्होंने कहा कि कभी राजा भगीरथ के प्रयास से गंगा का अवतरण हुआ था, लेकिन अब इसे प्रदूषणमुक्त रखने के लिए देवभूमि से एक और भगीरथ प्रयास शुरू करना जरूरी है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6525277.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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काली नदी घाटी का  मालभोग केला   इतिहास बना                पिथौरागढ़। नाम मालभोग, लंबाई मात्र तीन से चार इंच, रंग हल्का पीला   धारीदार, कागज जैसा छिलका, खुशबू और मिठास में लाजवाब। छिलके सहित निगला   जाने वाला काली नदी घाटी क्षेत्र में पाया जाने वाला यह मालभोग केला अब   विलुप्त हो चुका है।
 चार दशक पूर्व तक जब पर्वतीय क्षेत्र में बाजार नाम की कोई चीज नहीं थी   तब काली नदी और रौंतिस नदी घाटी क्षेत्र के कुछ गांवों में एक विलक्षण   प्रजाति का केला पैदा होता था, जिसे स्थानीय भाषा में मालभौ यानि हिन्दी   नाम मालभोग कहा जाता था। नाम के अनुरूप ही यह केला अपनी विशेषताओं को लेकर   प्रसिद्ध था। यदा कदा ही पकने वाले इस केले की लंबाई मात्र तीन से चार इंच   तक होती थी। इसके छिलके में धारियां रहती थीं। केले से मुंह में पानी भरने   वाली खुशबू इसका स्वाद चखने को मजबूर कर देती थी। लोग इस केले को कागज जैसे   पतले छिलके समेत खा लेते थे।
 यह सीमान्त जिला पिथौरागढ़ की तहसील डीडीहाट और धारचूला में काली नदी   घाटी क्षेत्रों में पैदा होता था। स्थानीय लोग इसे पेट की विभिन्न   बीमारियों में भी उत्तम मानते थे जिसके चलते मालभोग केले के लिये लोग   उत्पादक गांवों में जाकर इसे बमुश्किल पाते थे।
 डीडीहाट तहसील के सांवलीसेरा, जमतड़ी , बाजार और कटाल सहित तल्लाबगड़   के कुछ गांवों में तब इसका उत्पादन होता था। पकते ही इसकी मांग काफी अधिक   होती थी। सीमित मात्रा में पैदा किये जाने वाले इस केले के उत्पादकों के   पास उस दौर में बाजार नहीं होने से इसके उत्पादन को लेकर उत्साह भी नहीं था   जिस कारण इसका उत्पादन घटता चला गया और अब यह इतिहास की चीज बन चुका है।
 क्षेत्र विशेष में पाये जाने वाले इस केले को संरक्षित रखने के कोई   प्रयास सरकारी स्तर पर भी नहीं हुए। इसके विकल्प के रूप में इसी के आकार   जैसे दूसरी प्रजाति के केले जिले के विभिन्न हिस्सों में उगाए जा रहे हैं।   आकार में मालभोग जैसा यह केला रंग और स्वाद में उसके आसपास कहीं नहीं टिकता   है।
 इस संबंध में वयोवृद्ध पर्यावरणविद एवं वृक्षमित्र कुंवर दामोदर राठौर   का कहना है कि मालभोग केले की प्रजाति यदि अभी तक जिन्दा रखी गयी होती तो   यह केला आज बाजार में छाया रहता और ग्रामीणों की आजीविका का आधार बना होता।   उनका मानना है कि अभी भी उत्पादक क्षेत्रों में इस केले के बचे पेड़ मिल   सकते हैं। इनको संरक्षित कर मालभोग केला उत्पादन फिर से शुरू किया जा सकता   है। अतीत में तमाम व्याधियों में प्रयोग में लाये जाने के बाद भी केला   उत्पादक इसकी महत्ता को नहीं समझ पाये। सरकारी मशीनरी इन क्षेत्रों तक नहीं   पहुंची। जिसके चलते प्रकृति की यह धरोहर विलुप्त हो चुकी है।
   
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6528166.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जॉज के दीवाने फ्यूंलीदास को ढोल की थाप और दमाऊं (लोक वाद्य यंत्र) की ताल   इस कदर भायी कि उन्होंने अमेरिका से भारत की राह पकड़ी और पहुंच गए टिहरी   जिले के पुजारगांव। इन दिनों वे गांव में गढ़वाली वाद्य यंत्रों के जानकार व   हिमालय नाद ग्रुप के अध्यक्ष सोहनलाल की शागिर्दी में घंटों ढोल-दमाऊं का   रियाज कर रहे हैं। गढ़वाल के लोकवाद्यों पर शोध कर रहे फ्यूंलीदास अमेरिका   के   सिंसनेटी विश्वविद्यालय में संगीत के प्रोफेसर हैं। पहाड़ की लोकसंस्कृति   के आधार ढोल-दमाऊं की गूंज सात समंदर पार अमरीका की धरती पर भी सुनाई देगी।   जल्द ही अमेरिकी विश्वविद्यालयों में इन पहाड़ी लोकवाद्यों की कक्षाएं भी   संचालित की जाएंगी। इसके अलावा आस्ट्रेलिया के लोगों ने भी इस विद्या को   सीखने में रुचि दिखाई है।   दरअसल, अमेरिका के सिंसनेटी विश्वविद्यालय में संगीत के प्रोफेसर   फ्यूंलीदास का असली नाम स्टीफन है। प्रोफसर स्टीफन को पहाड़ी लोकवाद्यों से   इस कदर लगाव है कि उन्होंने अपना नाम तक बदल डाला। इन दिनों वे पुजार गांव   में ढोल-दमाऊं और मसकबीन पर शोध कर रहे हैं। स्टीफन यहां गढ़वाली वाद्य   यंत्रों के जानकार हिमालय नाद ग्रुप के अध्यक्ष सोहनलाल के साथ रियाज करते   हैं। स्टीफन का कहना   है कि वह ढोल-दमाऊं के ताल, बढाई ताल, उंदियार, सैंधार, दुयाल, नागराजा का   मंडाण, जागरण आदि की बारीकियां सीख रहे हैं। इसके अलावा यहां के चतुली   गीत, कुमाऊंनी हुड़का, हुड़का थाली आदि का भी अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने   बताया कि इन यंत्रों को वह अपने साथ अमेरिका ले जाएंगे और फिर वहां भी इसकी   कक्षाएं शुरू की जाएगी। स्टीफन ने बताया कि वह पहले भी भारत आ चुके हैं और   उन्हें यहां के वाद्य   यंत्रों ने काफी प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि उन्हें यहां परन कई अन्य   नई चीजें भी सीखने को मिल रही है। पुजारगांव के ढोल-दमाऊं के जानकार   रोशनलाल ने बताया कि आस्ट्रेलिया से भी शीघ्र कुछ लोग इस विद्या को सीखने   के लिए यहां आएंगे। इससे हमारी लोक संस्कृति व पौराणिक वाद्य यंत्रों को   विदेशों में नई पहचान मिलेगी। उन्होंने कहा कि उनकी टीम कई भी देश के कई   स्थानों पर अपना   कार्यक्रम दे चुकी है। उन्होंने कहा लोग इन यंत्रों की ओर कम ध्यान दे रहे   हैं। आज इस संकीर्णता को बदलने की आवश्यकता है कि केवल ढुलेर ही ढोल बजा   सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसे पाठ्क्रम के रूप में शामिल कर इन्हें और   अधिक रूचिकर व समृद्ध बनाया जाना चाहिए।


(frombs rawat <bs_rawat90@yahoo.com)

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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गंगा स्वच्छता अभियान बहुत अच्छी पहल पर एक बात समझ से परे है कि "स्पर्स गंगा" में ये ब्रांड अम्बस्दर कि क्या भूमिका रहेगी गंगा तो हमारी भावनाओ से जुडी है हम इसे माँ गंगा के नाम से संबोधित करते हैं फिर इसे ब्रांड क्यों बनाया जा रहा है एक न्यूज़ चेंनेल बता रहा था कि इसके लिए हेमा मालिनी जी ने अच्छी खासी रकम भी ली है मेरा सरकार से अनुरोध है कि सिर्फ लोकप्रियता के लिए काम न करैं विकाश के लिए भी काम होने चाहिए मैं इस ब्रांड शब्द का कड़े शब्दों में बिरोध करता हू स्पर्श गंगा अभियान में चाहे हेमा मालिनी जी रहें या फिर एश्वर्या जी रहें मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी पर ये ब्रांड अबस्दर कोई न बने.
हेमा मालिनी बनी स्पर्श गंगा की ब्रांड-एंबेसडर

देहरादून। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने कहा कि गंगा भारतीय संस्कृति का केंद्र है। विदेशों में भले ही नदियों को महज नौका-विहार व पिकनिक का स्थल समझा जाता हो, लेकिन भारत में गंगा को मां का दर्जा दिया गया है। लिहाजा, मां-गंगा को सुरक्षित व प्रदूषणरहित रखना हमारा प्रमुख कर्तव्य है। उन्होंने इस दिशा में राज्य सरकार के 'स्पर्श गंगा' अभियान की सराहना करते हुए भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व सिने अभिनेत्री पद्म विभूषण हेमा मालिनी को अभियान की ब्रांड-एंबेसडर घोषित किया।

भारतीय वन अनुसंधान संस्थान के सभागार में 'स्पर्श गंगा' अभियान के कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए उन्होंने गंगा समेत उसकी सहायक नदियों को भी साफ-सुथरा करने की जरूरत पर बल दिया। साथ ही, राज्य सरकार के इस पुनीत अभियान को मील का पत्थर बताते हुए गंगा व विकास की अविरल धारा को समानांतर रूप से प्रवाहित करने का आह्वान किया। भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व 'स्पर्श गंगा' की ब्रांड-एंबेसडर सिने अभिनेत्री हेमा मालिनी ने कहा कि गंगा की पवित्रता को अक्षुण बनाए रखने के अभियान से जुड़ना उनका सौभाग्य है। इस अभियान के जरिए गंगा की सेवा करने की उनकी वर्षो पुरानी कामना पूर्ण हो रही है। उन्होंने कहा कि कभी राजा भगीरथ के प्रयास से गंगा का अवतरण हुआ था, लेकिन अब इसे प्रदूषणमुक्त रखने के लिए देवभूमि से एक और भगीरथ प्रयास शुरू करना जरूरी है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6525277.html

पंकज सिंह महर

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  देहरादून, जागरण संवाददाता: सड़क के किनारे खड़ी गाड़ी आगे बढ़ाने को लेकर हुए विवाद में पुलिस ने भाजपा विधायक राजकुमार की सरेबाजार पिटाई कर डाली। इतना ही नहीं उन्हें बाजार से प्रेमनगर पुलिस चौकी तक पीटते-पीटते ले जाने तथा उसके बाद हवालात में डालकर वहां भी मारपीट की। इससे गुस्साए विधायक समर्थकों ने चौकी में जमकर बवाल काटा। पथराव कर तोड़फोड़ कर डाली। इस बीच, भीड़ एक थानेदार पर भी हाथ साफ किए और पांवटा हाइवे पर जाम लगा दिया। एसएसपी अभिनव कुमार ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते आरोपी दरोगा समेत दस पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया। इन सभी के खिलाफ जानलेवा हमले का मुकदमा दर्ज करने के आदेश भी दिए हैं। देर रात तक आरोपी गिरफ्त से बाहर थे। घायल विधायक को दून अस्पताल में भर्ती कराया गया है। देर रात मुख्यमंत्री ने अस्पताल पहुंच कर उनका हालचाल जाना। राजधानी के कैंट थाना क्षेत्र के प्रेमनगर में सहसपुर क्षेत्र के भाजपा विधायक राजकुमार का आवास है। विधायक के मुताबिक, रविवार शाम वे सब्जी लेने प्रेमनगर बाजार में आए हुए थे। उनकी गाड़ी सड़क किनारे थी। वह चालक के साथ कार में बैठे थे, उनके पीआरओ सब्जी लेने गए थे। विधायक के मुताबिक, उन्होंने एक मिनट में गाड़ी हटाने की बात कही। इस पर पुलिस ने चालक को बाहर खींचकर चाबी छीन ली। उन्होंने विरोध किया तो उन्हें भी गाड़ी से बाहर खींच लिया। आरोप है कि परिचय देने के बावजूद दरोगा व सिपाहियों ने उनसे मारपीट की। पुलिस उन्हें सरेबाजार पीटती हुई प्रेमनगर चौकी ले गई। वहां उन्हें हवालात में डालकर भी पीटा गया। घटना की सूचना पर विधायक के बड़ी संख्या में समर्थक व भाजपा कार्यकर्ता चौकी पहुंचे। यह देखकर वहां मौजूद पुलिस कर्मी चौकी छोड़कर भाग खड़े हुए। कुछ ही देर में प्रेमनगर चौकी इंचार्ज प्रदीप राणा ने वहां पहुंचकर विधायक को हवालात से बाहर निकाला। इसके बाद भीड़ बेकाबू हो गई और उसने चौकी पर पथराव कर दिया। इसी दरम्यान कुछ लोगों ने चौकी के बाहर देहरादून-पांवटा हाइवे पर जाम लगा दिया। विकासनगर विधायक कुलदीप कुमार, राजपुर विधायक गणेश जोशी समर्थकों के साथ चौकी पहुंच गए। हालात बेकाबू होते देख एसपी सिटी जगत राम जोशी व सीओ सिटी अजय सिंह चौकी पहुंचे, लेकिन भीड़ ने उनकी एक न सुनी। और धक्का-मुक्की करने लगी। एकाध थानेदार को थप्पड़ भी जड़ दिए। इससे हालात और बिगड़ गए। बाद में एसएसपी अभिनव कुमार चौकी पहुंचे और विधायक राजकुमार से पूरी घटना का ब्योरा लिया। उन्होंने घ्घटना में संलिप्त दरोगा समेत 10 पुलिसकर्मियों को तत्काल सस्पेंड करने को आदेश दिए।

पंकज सिंह महर

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जॉज के दीवाने फ्यूंलीदास को ढोल की थाप और दमाऊं (लोक वाद्य यंत्र) की ताल   इस कदर भायी कि उन्होंने अमेरिका से भारत की राह पकड़ी और पहुंच गए टिहरी   जिले के पुजारगांव। इन दिनों वे गांव में गढ़वाली वाद्य यंत्रों के जानकार व   हिमालय नाद ग्रुप के अध्यक्ष सोहनलाल की शागिर्दी में घंटों ढोल-दमाऊं का   रियाज कर रहे हैं। गढ़वाल के लोकवाद्यों पर शोध कर रहे फ्यूंलीदास अमेरिका   के   सिंसनेटी विश्वविद्यालय में संगीत के प्रोफेसर हैं। पहाड़ की लोकसंस्कृति   के आधार ढोल-दमाऊं की गूंज सात समंदर पार अमरीका की धरती पर भी सुनाई देगी।   जल्द ही अमेरिकी विश्वविद्यालयों में इन पहाड़ी लोकवाद्यों की कक्षाएं भी   संचालित की जाएंगी। (frombs rawat <bs_rawat90@yahoo.com)

चेते रहिये, किसी दिन ढोल-दमाऊ की थाप का पेटेंट अमेरिका न करा ले।

Vinod Jethuri

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बीजेपी की सरकार व बीजेपी के बिधायक कि पिटायी...मामला समझ से परे है....

Raje Singh Karakoti

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May b Hon''ble CM of Uttrakhand can be think more seriously for getting more famous / prestigious personalities from the field of sports & cinema to endorse the rich cultural heritage of Uttrakhand just like Lilit Modi did for Gujrat by selecting Mr Amitabh Bachachan as the brand ambessdor for the state of Gujrat.

पंकज सिंह महर

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Now, Swami Ramdev turns film actor
« Reply #38 on: July 20, 2010, 10:13:49 AM »

Baba Ramdev, along with Acharya Bala Krishan and film director Kavita Chaudhary, on the set of a film in Haridwar on Monday
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Sandeep Rawat
Tribune News Service
[/b]
  Haridwar, July 19
After becoming a global brand name, Yoga Guru Swami Ramdev is now all set to make his debut on the silver screen with taking 70mm cinemascope shots today at his Kankhal-situated Kripalu Bagh Ashram premises.   The film is based on the life of the Yoga Guru and is being directed by Kavita Chaudhary who had shot to national fame by directing tele-serial “Udaan” in late ’80s. Also starring with Yoga Guru Swami Ramdev is his protégé Acharya Bala Krishan, who will be essaying their life characters in the film. As soon as the film crew arrived with the District Magistrate and other police officials themselves present at the venue, people in large numbers, despite the odd weather conditions, moved towards Kankhal.   Director Kavita’s elder sister is Kanchan Roy Bhattacharya who was the first women Director-General of the Uttarakhand Police and also the highest-ranked police officer in the country and on whom the “Udaan” serial was based.   The shooting of this mega project had begun a few months back with locals of several hill stations of the Garhwal region being filmed with duplicates of Swami Ramdev and his protégé Bala Krishnan.   Also, at Patanjali Yog Peeth, Divya Yog Temple and all major places in the city associated with Swami Ramdev’s life, struggle and achievements will be depicted in the film. Swami Ramdev was all smiles when media persons wanted to know his take on acting on a film based on his life only. Kavita refrained from divulging more about her directorial venture. The sister duo have a home in Haridwar too, which makes them closer to the city.

पंकज सिंह महर

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Mir Ranjan Negi keen to coach women's hockey team
« Reply #39 on: July 23, 2010, 10:59:47 AM »
NEW DELHI: Former India goalkeeper Mir Ranjan Negi has thrown his hat in the ring to become the new coach of the national women's hockey team after incumbent MK Kaushik resigned ON Wednesday in the wake of a * scandal.

According to Hockey India (HI) secretary general Narinder Batra, Negi has approached the federation expressing his willingness to take up the job.

However, Batra said the federation has not yet made up its mind on Negi as ultimately it is the Sports Authority of India's prerogative to name the national team coaches.

"He (Negi) approached us showing his interest in the job. We asked him to send his bio-data which will will be put forward before a panel, which is the normal procedure," Batra said.

"We don't have the right to appoint a coach. We only can make recommendations to SAI who is authorised to appoint the coach of any national team," he said.

Contrary to some reports, the HI secretary made it clear that the federation was not the first party to show its interest in Negi for the job.

"We (HI) did not contact him. It is Negi who approached us. Nothing is finalised as yet, we just asked him to send his bio-data," Batra said.

When contacted Negi confirmed that he had sent his bio-data to HI as he was keen to take up the assignment.

"Yes, I have. When I heard that they (HI) were looking for a coach, I contacted them and they asked me to send my consent and I have already sent my application to HI," he said.

"In such circumstances every coach will be apprehensive about this job. It's a challenging one but I have worked with the women's team before," Negi added.

Negi, who was later involved in the making of 2007 hit film Chak De India, came in the running for the women's team coach's job following the resignation of Kaushik yesterday, against whom a fringe player Ranjita Devi has complained of *ual harassment.

The former hockey custodian, however, expressed shock over the allegations levelled against Kaushik, with whom he not only played but also assisted the women's team.

"It's a very very sensitive matter. It's shocking, I don't have words to express," Negi said.

"So far no player has come forward and spoken. I played with him (Kaushik) for a very long time and was also a member of the coaching staff along with him but I never saw this sort of incidents," he said.

Negi's international career was a roller-coaster ride, which came to an abrupt end after he was accused of accepting bribe to concede goals during India's 1-7 loss to Pakistan in the 1982 Asian Games.

He, however, returned as a temporary goalkeeping coach for the 1998 Asian Games in which India won the gold.

Negi also has a good track record with the women's team as he was the goalkeeping coach of the side that won the gold at the 2002 Commonwealth Games and later was the assistant coach of the 2004 Asia Cup-winning side.
 
source- http://timesofindia.indiatimes.com/sports/more-sports/hockey/Mir-Ranjan-Negi-keen-to-coach-womens-hockey-team/articleshow/6201622.cms

 

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