Author Topic: Uttarakhand Ghasyari in Common Wealth Game -दुनिया देखेगी उत्तराखंड की 'घस्यारी'  (Read 7476 times)

umeshbani

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निसंदे ये हम सब उत्तराखंडी लोगों के लिये गर्व की बात है .............   इंतजार रहेगा ३ अक्टूबर का ................


पहाड़ की घस्यारी पर अतीत में खुदेड़ गीत लिखे गए और उसके दर्द को पारंपरिक गीतों में व्यक्त किया गया.  तब के पहाड़ और आज के पहाड़ में बहुत परिवर्तन आ गया है.  तब  घस्यारी कहो या पहाड़ की नारी...शादी कम उम्र में हो जाती थी...सास से बहुत डरती थी...शिक्षित भी नहीं थी...काम की कठिन डगर होती थी....उसे खुद बहुत लगती थी.  तब जिंदगी पहाड़ में पहाड़ जैसी थी....आज की घस्यारी का जीवन सुखद है....शिक्षित है...संचार से जुड़ी है.   उत्तराखंड के घस्यारी  गीत का प्रदर्शन रास्ट्र मंडलीय खेलों के उदघाटन के अवसर पर होगा...ये हमारे लिए गर्व की बात है.     


KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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घसयारी नृत्य- एक छोटा परिचय...
« Reply #21 on: September 17, 2010, 11:32:48 AM »


दाज्यू लोगो, थोडा बहुत जानकारी "घसयारी नृत्य" (जो की अब कुमाऊं का प्रसिद्व लोक नृत्य गीत बन चुका है) के बारे मे मेने भी पता की है जो आप लोगो के साथ सेअर कर रहा हुं.

सामान्यत: लोग इसे लोक की रचना मानते हैं जबकि यह गीत "घा काटण जाणु हो दीदी" स्व० मोहन उप्रेती द्वारा संगीतबद्व किया गया था, यह गीत अल्मोडा की एडंस इण्टर कालेज की अध्यापिका (नाम का पता नही लग पाया) द्वारा लिखा गया था और इसकी नृत्य संरचना स्व० तारा दत्त सती द्वारा तैयार की गयी थी जिसके पहले प्रदर्शन में यह गीत नईमा खान जी (जो की वर्तमान मे नईमा उप्रेती जी हैं) के द्वारा गाया गया। देश के प्रतिष्टित सभी कार्यक्रमों मे उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए १९५० के दशक में इस लोक नृत्य गीत की अनगीनत प्रस्तुतियां दी गयी।

अधिक जानकारी लेना अभी बाकी है......

फ़ोरुम के द्वारा यह जानकर बडी प्रसन्ता हुई कि आज इस लोक नृत्य गीत की प्रस्तुति कामन वेल्थ गेम मे भी होने जा रही है.. अत: फ़ोरुम के सभी गणमान्य सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया इस लोक नृत्य गीत के बारे में अपनी और अधिक जानकारी हमारे बीच में भी रखें।

धन्यवाद.

कैलाश पांडेय

Devbhoomi,Uttarakhand

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राष्ट्रमंडल खेलों ·े दौरान दिखेगी उत्तराखंड ·ी सांस्·ृति· झल·
 नयी दिल्ली, 23 सितंबर : भाषा : अपने धार्मि· और खूबसूरत पर्यटन स्थलों ·े लिये विश्व विख्यात उत्तराखंड ·ी समृद्ध सांस्·ृति· विरासत ·ी झल· यहां राष्ट्रमंडल खेलों ·े दौरान पेश ·ी जाएगी जिसमें गढ़वाल से ले·र ·ुमाऊं और जौनसार ·े 100 से अधि· ·ला·ार विभिन्न ·ार्य·्रमों में लगभग ए· घंटे ·ी प्रस्तुति पेश ·रेंगे।
  संस्·ृति विभाग उत्तराखंड और उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्·ृति· ·ेंद, इलाहाबाद ·े संयुक्त
तत्वावधान में आयोजित ·िये जा रहे इस ·ार्य·्रम ·ो ‘बीट्स आफ उत्तराखंड’ नाम दिया गया है जिसमें इस पहाड़ी राज्य ·े सभी वाद्य यंत्र, नृत्य और गीतों ·ा शानदार समन्वय ए· साथ देखने ·ो मिलेगा।
  उत्तराखंड संस्·ृति विभाग से जुड़े अतुल यदुवंशी ·े निर्देशन में हो रहे इस ·ार्य·्रम
·ो पौड़ी गढ़वाल ·ा गढ़·ला सांस्·ृति· ·ेंद्र, ·ुमाऊं ·ा प्र·ाश बिष्ट ग्रुप, चमोली ·ा प्रेम हिन्दवाल ग्रुप और जौनसार ·ा नंदलाल भारती ग्रुप मिल·र पेश ·रेंगे। पिछले दो महीने से इस पर लगातार रिहर्सल चल रही है जब·ि देहरादून ·े भातखंडे संगीत महाविद्यालय में दस दिन ·ी विशेष ·ार्यशाला भी आयोजित ·ी गयी जो ·ल समाप्त हुई।
  गढ़·ला सांस्·ृति· ·ेंद, ·े अध्यक्ष त्रिभुवन उनियाल ने देहरादून से ‘भाषा’ ·ो बताया
·ि यह पहला अवसर होगा जब·ि उत्तराखंड ·ी सभी बोलियों ·े लोग ए· साथ मंच पर ·ार्य·्रम पेश ·रेंगे। उन्होंने ·हा, ‘‘ यह नया और अद्भुत प्रयोग है। इसमें गीत, संगीत और नृत्य ·े जरिये उत्तराखंड ·ी संस्·ृति ·ी झल· पेश ·ी जाएगी।’’ उनियाल ने ·हा, ‘‘ ऐसा पहली बार होगाा जब·ि उत्तराखंड ·े सभी वाद्य यंत्र ए· ·ार्य·्रम
में साथ में बजेंगे । इसमें ढोल दमाऊ से ले·र बांसुरी, हुड़·ा, भंपोरा, डौंर थाली,
बीणई, तुरई, मस·बीन, शंख, रणसिंगा, नगाड़ा आदि शामिल हैं । ’’
 अपनी तरह ·े इस विशिष्ट ·ार्य·्रम में पौड़ी ·ा ·ेदार नृत्य, चमोली ·ा पौंडा नृत्य,
जौनसार ·ा हारुल नृत्य और ·ुमाऊं ·ा छपेली नृत्य पेश ·िया जाएगा । अतुल यदुवंशी जहां
इस·ा निर्देशन ·रेंगे वहीं संगीत संयोजन अनिल बिष्ट ·ा होगा जो पिछले दो दश· से
भी अधि· समय से लो· नृत्य और लो· गायन से जुड़े हुए हैं।
 उनियाल ने ·हा, ‘‘इस ·ार्य·्रम ·ी शुरुआत ·ेदारखंड यात्रा से होगी और इसमें पूरे
उत्तराखंड ·े विविध रंगों ·ी छटा बिखेरी जाएगी । ’’
 इस ए· घंटे ·े ·ार्य·्रम ·ा गीत भी उनियाल ने ही तैयार ·िया है । जिस·े बोल ‘स्वर्ग
च म्यारो उत्तराखंड हमारो, रंगीलो छबीलो रौतेलु मुल्· म्यारो ’ : स्वर्ग है मेरा उत्तराखंड,
रंगीला, छबीला देश है मेरा, : हैं ।
 

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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COMMON WEALTH ME DIKHEGI UTTARAKHAND KI SANSKRITI....

विनोद सिंह गढ़िया

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राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान दिखेगी उत्तराखंड की सांस्कृतिक झलक

अपने धार्मिक और खूबसूरत पर्यटन स्थलों के लिये विश्व विख्यात उत्तराखंड की समद्ध सांस्कृतिक विरासत की झलक राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान पेश की जाएगी जिसमें गढ़वाल से लेकर कुमाउं और जौनसार के 100 से अधिक कलाकार विभिन्न कार्यक्रमों में लगभग एक घंटे की प्रस्तुति पेश करेंगे।

संस्कृति विभाग उत्तराखंड और उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कतिक केंद्र इलाहाबाद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किये जा रहे इस कार्यक्रम को बीटस आफ उत्तराखंड नाम दिया गया है जिसमें इस पहाड़ी राज्य के सभी वाद्य यंत्र, नत्य और गीतों का शानदार समन्वय एक साथ देखने को मिलेगा।

उत्तराखंड संस्कृति विभाग से जुड़े अतुल यदुवंशी के निर्देशन में हो रहे इस कार्यक्रम को पौड़ी गढ़वाल का गढ़कला सांस्कृतिक केंद्र, कुमाऊं का प्रकाश बिष्ट ग्रुप, चमोली का प्रेम हिन्दवाल ग्रुप और जौनसार का नंदलाल भारती ग्रुप मिलकर पेश करेंगे। पिछले दो महीने से इस पर लगातार रिहर्सल चल रही है जबकि देहरादून के भातखंडे संगीत महाविद्यालय में दस दिन की विशेष कार्यशाला भी आयोजित की गयी जो कल समाप्त हुई।

गढ़कला सांस्कृतिक केंद्र के अध्यक्ष त्रिभुवन उनियाल ने देहरादून से बताया कि यह पहला अवसर होगा जबकि उत्तराखंड की सभी बोलियों के लोग एक साथ मंच पर कार्यक्रम पेश करेंगे। उन्होंने कहा कि यह नया और अदभुत प्रयोग है। इसमें गीत, संगीत और नत्य के जरिये उत्तराखंड की संस्कृति की झलक पेश की जाएगी।

उनियाल ने कहा कि ऐसा पहली बार होगा जबकि उत्तराखंड के सभी वाद्य यंत्र एक कार्यक्रम में साथ में बजेंगे। इसमें ढोल दमाउ से लेकर बांसुरी, हुड़का, भंपोरा, डौंर थाली, बीणई, तुरई, मसकबीन, शंख, रणसिंगा, नगाड़ा आदि शामिल हैं।

अपनी तरह के इस विशिष्ट कार्यक्रम में पौड़ी का केदार नत्य, चमोली का पौंडा नृत्य, जौनसार का हारुल नृत्य और कुमाउं का छपेली नृत्य पेश किया जाएगा। अतुल यदुवंशी जहां इसका निर्देशन करेंगे वहीं संगीत संयोजन अनिल बिष्ट का होगा जो पिछले दो दशक से भी अधिक समय से लोक नृत्य और लोक गायन से जुड़े हुए हैं। उनियाल ने कहा कि इस कार्यक्रम की शुरुआत केदारखंड यात्रा से होगी और इसमें पूरे उत्तराखंड के विविध रंगों की छटा बिखेरी जाएगी। इस एक घंटे के कार्यक्रम का गीत भी उनियाल ने ही तैयार किया है। जिसके बोल स्वर्ग च म्यारो उत्तराखंड हमारो, रंगीलो छबीलो रौतेलु मुल्क म्यारो (स्वर्ग है मेरा उत्तराखंड, रंगीला, छबीला देश है मेरा)।

 
http://www.livehindustan.com/news/location/rajwarkhabre/248-0-138827.html&locatiopnvalue=8

Devbhoomi,Uttarakhand

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     राष्ट्रमंडल खेलों में गूंजी बीट ऑफ उत्तराखंड
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नैनीताल: दिल्ली में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में उत्तराखंड के सौ से अधिक लोक कलाकारों ने एक साथ प्रस्तुति देकर देशी-विदेशी पर्यटकों को राज्य की लोक संस्कृति से रूबरू कराया। इस दौरान छोलिया नर्तकों ने खूब धमाल मचाया।

उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र इलाहाबाद व उत्तराखंड शासन के सहयोग से दिल्ली हॉट में दो हिस्सों में सांस्कृतिक संध्या आयोजित की गई। बीट्स ऑफ उत्तराखंड में राज्य के सौ कलाकारों ने एक साथ ढोल-दमाऊं, नगाड़े, डौर, बिणाई, सिनाई, मुरली, थाली आदि वाद्य यंत्रों के साथ प्रस्तुति दी।

कार्यक्रम संचालन कर लौटे उद्घोषक हेमंत बिष्ट ने बताया कलाकारों ने पहले भाग में केदार नृत्य, हारुल, छपेली आदि प्रस्तुत की। कार्यक्रम के दूसरे भाग का नाम फोल्क जलवा था जिसमें जम्मू एंड कश्मीर का जगरू, हिमाचल प्रदेश चौरी नाटी, पंजाब का भंगड़ा, उत्तराखंड का छोलिया, राजस्थान की चकी का प्रस्तुतीकरण किया गया। इसे देशी-विदेशी पर्यटकों की भरपूर सराहना मिली।

 इस मौके पर सांस्कृतिक केंद्र निदेशक श्री शुक्ला, संस्कृति विभाग उत्तराखंड की निदेशक बीना भट्ट समेत कई प्रवासी उत्तराखंडी व देशी-विदेशी पर्यटक मौजूद थे। इस दौरान कवि अशोक चक्रधर ने भी कवितामय प्रस्तुति दी। सांस्कृतिक संध्या का संचालन ऑल इंडिया रेडियो दिल्ली की आशा निवेदी व हेमंत बिष्ट ने संयुक्त रूप से किया।

sourec dainik jagran

 

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