Author Topic: Uttarakhand News And Views- उत्तराखण्ड समाचार एवं आपकी प्रतिक्रियायें  (Read 78842 times)

विनोद सिंह गढ़िया

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[justify]ये सतबुंगा की रेडियो कुमाऊं वाणी है

एक पहाड़ी से निकल दूसरी पहाड़ी पर टकराकर लौटने वाली रेडियो की मधुर आवाज का अहसास शहरों में रहने वालों को नहीं हो सकता। खैर टीवी, सीडी के शोर में यह आवाज अब गांवों में भी गुम हो गई है। विविध भारती के गीतों से गूंजने वाली घाटियों को आज बस याद किया जा सकता है।
ऐसे लोगों की गिनती भी शायद अब बहुत कम हो जिन्होंने रेडियो को छूकर देखा है। इसके बावजूद एक रामगढ़ ब्लाक का गांव सतबुंगा सैकड़ों गांवों को रेडियो से बांधता है। यह कम्यूनिटी रेडियो वह माध्यम है जहां आज भी पूरी तरह कुमाऊं के हितों की बात होती है। यहां केवल किसानों के प्रतिनिधि नहीं बोलते, किसान को भी बोलने का मौका मिलता है क्योंकि यह है ‘रेडियो कुमाऊं वाणी’ और इसका स्लोगन है ‘आपुण रेडियो, आपुण बात’।
आपुण रेडियो, आपुण बात को भले ही स्वयंसेवी संस्था टेरी संचालित कर रही हो, लेकिन इसे चलाया गांवों के लोगों ने ही है। कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने से लेकर उसे प्रसारित करने तक की जिम्मेदारी 17 लोगों की टीम पर है। कार्यक्रम हर वर्ग के लोगों के लिए हैं और सीधे स्थानीय लोगों को फायदा दिलाते हैं।
सहायक स्टेशन मैनेजर हरीश बिष्ट बताते हैं कि दस किमी की हवाई रेंज में चलने वाला यह रेडियो पहाड़ के हर जिले को टच करता है। अल्मोड़ा, रानीखेत, चंपावत, बागेश्वर और पिथौरागढ़ तक में इसके श्रोता हैं। उन गांवों में इस रेडियो का विशेष महत्व है जो 21वीं सदी में भी टीवी, अखबार और इंटरनेट से दूर हैं। ऐसे गांवों में ‘आपुण रेडियो, आपुण बात’ आज मनोरंजन का सबसे पसंदीदा जरिया है।

कुछ खास कार्यक्रम

बच्चों की दुनिया
गली-गली सिम-सिम (बच्चों के लिए)
बाजार लाए बौछार (किसानों के लिए)
दीदी बैणी क्वीण (महिलाओं के लिए)

सप्ताह के कार्यक्रम
सोमवार : उत्तराखंड की कला और संस्कृति से जुड़े कार्यक्रम, एक विशेष स्टोरी
मंगलवार : विज्ञान और नई पहल (किसी खास व्यक्ति पर खबर)
बुधवार : खेतीबाड़ी और जंगलों पर कार्यक्रम और किसानों से परिचर्चा
बृहस्पतिवार : महिलाओं के अलावा स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रम
शुक्रवार : बच्चों से संबंधित कार्यक्रम, नाटक आदि
शनिवार : शिक्षा से जुड़े मुद्दों के अलावा बहस और फरमाइशी कार्यक्रम
रविवार : कुमाऊं के विशेष लोगों से बातचीत
इसके अलावा रोज के रूटीन कार्यक्रम अलग हैं।



सौजन्य : राजीव पांडे -अमर उजाला
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Rajen

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