लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को भारत का अगला सेना प्रमुख और अनिल धस्माना को RAW की कमान सौंपी गई है। रावत और धस्माना, दोनों ही उत्तराखंड के हैं। इस समय इन दोनों के अलावा उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाले कई अन्य लोग रक्षा और खुफिया विभाग में टॉप पदों पर नियुक्त हैं। रावत और धस्माना दोनों ही उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल इलाके से आते हैं।[/size]राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल भी पौड़ी गढ़वाल से हैं। तटरक्षक बल प्रमुख राजेंद्र सिंह भी देहरादून के नजदीक बसे चकराता गांव से ताल्लुक रखते हैं। उधर हाल ही में डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिटरी ऑपरेशन्स (DGMO) नियुक्त किए गए अनिल भट्ट भी उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल के रहने वाले हैं। देश के इतने अहम पदों पर उत्तराखंड के लोगों की नियुक्ति पर गर्व जताते हुए प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ BJP नेता बी.सी. खंडूरी ने कहा, 'हमारे प्रदेश को देव भूमि कहा जाता है। अब यहां के इतने सारे लोग देश की सुरक्षा से जुड़े इतने वरिष्ठ पदों पर तैनात हैं। इससे उत्तराखंड देव भूमि के साथ-साथ वीर भूमि भी हो गई है। यह हमारे लिए गर्व की बात है। साथ ही, इससे यह भी पता चलता है कि उनपर कितना भरोसा किया गया है।'
खंडूरी ने आगे कहा, 'देश की सुरक्षा से जुड़े विभागों में एकसाथ इतने टॉप पदों पर उत्तराखंड के लोगों की नियुक्ति प्रदेश के लिए काफी अच्छी बात है। वे सभी काफी योग्य अधिकारी हैं और मैं उम्मीद करता हूं कि वे ऐसा काम करें जिससे कि देश और राज्य उनपर गर्व महसूस करे।' उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाले लोगों को इतनी अहम रक्षा व खुफिया जिम्मेदारियां सौंपने का चलन मोदी सरकार ने शुरू किया। प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में रिटायर्ड IPS अधिकारी अजीत डोभाल को अपना NSA नियुक्त किया। डोभाल इससे पहले खुफिया ब्यूरो (IB) के निदेशक रह चुके थे। पिछले एक साल में उत्तराखंड के कई लोगों को अहम पद सौंपे गए। इसी साल फरवरी में राजेंद्र सिंह को कोस्ट गार्ड का प्रमुख नियुक्त किया गया। राजेंद्र चकराता गांव के हैं और उनकी पढ़ाई मसूरी में हुई है। पौड़ी गढ़वाल के श्रीनगर स्थित हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी से उन्होंने स्नातक की पढ़ाई की है।
नवंबर में अनिल भट्ट को भारतीय सेना द्वारा की जाने वाली सभी गतिविधियों पर नजर रखने वाले DGMO का पद दिया गया। यह पद काफी अहम माना जाता है। सितंबर में भारत द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद इस पद की संवेदनशीलता और बढ़ गई है। भट्ट ने मसूरी के सेंट जॉर्ज कॉलेज से पढ़ाई की है। वह टिहरी गढ़वाल के रहने वाले हैं। अब लेफ्टिनेंट जनरल रावत और धस्माना को भी अहम पद सौंप दिए जाने के बाद रक्षा गलियारों में उत्तराखंड का महत्व और बढ़ गया है। नए सेना प्रमुख रावत जब 1970 के दशक में देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) में प्रशिक्षण ले रहे थे, तब ब्रिगेडियर आरएस रावत (रिटायर्ड) वहां नियुक्त थे। वह बताते हैं कि उत्तराखंड के लोगों का एकसाथ इतने सारे पदों पर नियुक्त होना कोई संयोग नहीं है। ब्रिगेडियर रावत ने कहा, 'उत्तराखंड में सेना और रक्षा विभाग से जुड़ने की गौरवशाली परंपरा रही है। यहां लोगों में सेना और रक्षा एजेंसियों में शामिल होने की ईमानदार लगन है, ताकि वे देश की सेवा कर सकें। उनके स्वभाव और शारीरिक मजबूती भी उन्हें महत्वपूर्ण बनाती है। मुझे याद है कि सेना प्रमुख नियुक्त किए गए बिपिन रावत बेहद अनुशासित और मेहनती छात्र थे। ट्रेनिंग के दौरान दिखाए गए उनके गुणों के कारण मुझे भरोसा है कि वह महान सेना प्रमुख बनेंगे।'