Author Topic: Flora Of Uttarakhand - उत्तराखंड के फल, फूल एव वनस्पति  (Read 301957 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Mohan Bisht -Thet Pahadi/मोहन बिष्ट-ठेठ पहाडी

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ARE DAJEW.. YO TO KAROL KUNI YEHAI...

LAMPUCHEE

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UTTARAKHAND FAMOUS BIRD GHUGHUTI
« Reply #83 on: February 04, 2008, 03:02:35 PM »

UTTARAKHAND FAMOUS BIRD GHUGHUTI



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NIGHALU USED FOR MAKING BUCKET ETC.


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घासें

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ये घासें तराई - भावर से देश को जाती है -


कांस - टोकरी बनाने को।

सींक - झाडू व कागज बनाने को।

तुली - गाड़ी ठाँपने की सिरकी।

बेंदू, नल, ताँता - चटाई बनाने को।

मूँग - रस्सी बनाने को।

भावर - कागज बनाने को।

बाँस - तराई भावर से बहुत बाहर को भेजा जाता है।



शहद भी कुमाऊँ से बहुत जाता है।
 

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फलों के नाम

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घरेलू फल

अखरोट, आलू, बुखार, अलूचा, आम, इमली, अमरुद, अनार, अँगूर, आड़ू, बड़हल, बेर, चकोतरा (इसे अठन्नी भी कहते हैं) चेरी (पयं), गुलाबजामुन, कटहल, केला, लीची, लोकाट, नारंगी, नासपती (गोल, तुमड़िया तथा चुसनी) नींबू, पांगर (chestnut ), पपीता, शहतूत (कीमू) सेब, खरबूज, तरबूज, फूट, खुमानी, काक, अंजीर आदि फल कुमाऊँ में होते हैं।



जंगली फल

आंचू (लाल व काले हिसालू), अंजीर (बेड़ू), बहेड़ा, बोल, बैड़ा, आँवला, बनमूली, बन नींबू, बेर, बमौरा, भोटिया बादाम, स्यूँता (चिलगोजा), चीलू (कुशम्यारु), गेठी, घिंघारु, गूलर, हड़, जामन, कचनार, काफल, खजूर, किल्मोड़, महुआ, मौलसिरी, मेहल, पद्म (पयं), च्यूरा, कीमू, तीमिल, गिंवाई आदि कुमाऊँ के जंगलों में होते हैं।

 

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लकड़ी

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जितनी लकड़ियाँ, घास व वनस्पतियाँ कूर्माचल के जंगलों में उत्पन्न होती हैं, उनको कौन गिना सकता है, ज्यादातर इन पेड़ों से काम पड़ता है, इनको प्राय: सब लोग जानते हैं -


अखरोट, अयाँर, अरंडी, अशोक, अर्जुन, आम इमली, उतीस, कचनार, कदम, कैल, कीकड़, खैर, सड़क, खरसू, गेठी, चंदन (तराई में कुछ पेड़ चंद-राजाओं ने लगाये थे), चीड़, च्यूरा, जामन, तुन, देवदारु, नीम, पदम पाँगर, फयाँट, पपड़ी, बबूल, बेल, बड़, बिचैण, बाँझ, बेंत, बुराँस, बाँस, मालझन (मालू), भौरु, भेकुल, भौजपत्र, किंरयाज, राई, रीठा, स्याँज, साल, शीशम, हल्दू आदि। इन पेड़ों की लकड़ी देशांतरों की जाती है।



पहाड़ से - चीड़ देवदारु, तुन।


तराई भावर से - साल, शीशम, हल्दू, खैर।


पहले 'सिद्ध बड़ु़वा' के पेड़ो से पहाड़ी कागज बनता था, जो मजबूत होता था। बाहर को भी यह कागज जाता था। अब कागज भावड़ घास तथा बाँसों से बनाया जाता है। अब पहाड़ा कागज बहुत कम बनता था।

 
 

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फलों के कारोबार

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फल यहाँ पर बहुत होते हैं। फलों के यहाँ पर अनेक बगीचे भी हैं। सेब सबसे बढिया जलना के होते थे। यह मशहूर बगीचा जनरल हीलर साहब का था, अब नैनीताल के सेठ लाला शिवलाल परमसाह का है। नाना प्रकार की चीजें यहाँ होती हैं। नारंगियाँ, सोर व गंगोली बहुत प्राचीन काल से होती आई है। अन्यत्र भी होती हैं। पहाड़ी नारंगियाँ बहुत अच्छी होती है, यद्यपि नागपुर व सिलहट के संतरों के मुकाबले में ये घटिया प्रतीत होने लगी है। यहाँ पर नारंगी की खेती को ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है। नींबू यहाँ का बहुत अच्छा व बड़ा होता है।

तराई-भावर में आम, कटहल, पपीता, केला आदि के बड़े-बड़े बाग हैं। अस्कोट में केले व आम अच्छे होते हैं। आम वाली पछाऊँ में भी खूब होता है।
http://tdil.mit.gov.in/coilnet/ignca/st_ut01.htm
 

 

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