नागों की भूमि यानी नागणी
चम्बा (टिहरी गढ़वाल)। देवभूमि उत्तराखंड में पर्वतों से लेकर घाटियों तक हर जगह की अपनी अलग-अलग विशेषता व ऐतिहासिक महत्व है। अधिकांश जगहों के नाम वहां की परंपराओं, मान्यताओं, कार्यो के कारण पड़े हैं। नागणी भी ऐसी जगह है, जिसे नागों की भूमि कहा जाता है। यहां कृषि कार्य तभी निर्विघ्न संपन्न होते हैं, जब नागदेवता का स्मरण कर रोट भेंट किया जाता है।
जनपद के चम्बा प्रखंड के अंतर्गत नागणी क्षेत्र की एक विशेष पहचान है। इसे वर्तमान में भले ही जनांदोलनों की कर्मभूमि के रूप में जाना जाता हो, लेकिन पौराणिक मान्यताओं व बुजुर्गो के अनुसार नागणी को नागों की भूमि भी कहा जाता है। कहा जाता है कि एक समय था जब इस क्षेत्र में भारी संख्या में नागों का वास था, तभी यहां का नाम नागणी पड़ा। नागणी बड़े भू-भाग में फली समतल जगह है। यहां सिंचित खेती की जाती है। मध्य में हेंवल नदी बहती है। माना जाता है कि कई दशक पूर्व तक यहां भारी संख्या में नाग रहते थे, जिस कारण लोगों को यहां कृषि कार्य करने में दिक्कतें आती थी। हालांकि नागों ने कभी किसी को काटा नहीं, लेकिन लोग डर के मारे अकेले खेतों में नहीं जाते थे। अंत में किसानों ने यहां नाग देवता और भूम्याल देवता की पूजा शुरू की। उसके बाद धान गेंहू, की बुवाई या रोपाई जैसे कृषि कार्य शुरू करने से पूर्व उनका स्मरण कर रोट भेंट चढ़ाना शुरू किया। तब से नाग सिर्फ कभी-कभी दिखाई देते हैं। भूलवश किसी किसान ने स्मरण कर रोट भेंट नहीं चढ़ाया, तो उन्हें खेतों में छोटे-छोटे नाग ही दिखाई देंगे। हालांकि यह किसी को काटते नहीं है फिर भी यह अपशगुन माना जाता है। यदि किसी ने उन्हें मारने का प्रयास किया, तो वे बड़ी संख्या में यह प्रकट हो जाते हैं। नागणी के पास पहाड़ी पर एक गुफा है। कहा जाता है कि काफी पहले नागराजा अर्थात् नागों के राजा इसी गुफा में रहते थे और नीचे स्थित खेतों की निगरानी करते थे। सिंचाई के समय वे खेतों में निगरानी के लिए आते थे। नागणी के शूरवीर सिंह, कुंदन सिंहलाल, बलवंत सिंह आदि का कहना है कि नई पीढ़ी के लाग इसे न माने लेकिन यही हकीकत है।
नागणी में भंडारगांव, नारंगी, बसाल, स्यूंटा, छोटा स्यूटा आदि गांव के लोगें के सिंचित खेत है। बात सिर्फ कृषि कार्य की नहीं है नागणी में खेती के अलावा नहर, मकान आदि भी बनाना होता है, तो नाग देवता का स्मरण जरूरी है तभी वह कार्य निर्विघ्न संपन्न हो सकता है।
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