शहीद मनोज मेरा सहपाठी रह चुका है. वह बहुत ही मृदुभाषी व विनम्र स्वभाव का था. यह खबर मैं लगभग हफ़्ता भर पहले पढ चुका था, लेकिन मुझे लगा कि यह कोई और मनोज होगा. लेकिन घर जाकर पता चला कि यह मेरा सहपाठी मनोज ही था.
प्यारे मनोज को मेरी और पूरे फोरम की और से अश्रुपूर्ण श्रद्धांजली
मनोज भट्ट अमर रहे
वड्डा(पिथौरागढ़): देश की सुरक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीद मनोज भट्ट को सोमवार को हजारों नम आंखों ने अंतिम विदाई दी। गगनभेदी नारों के बीच स्थानीय रामेश्वर घाट में सैन्य सम्मान के साथ शहीद की अंत्येष्टि की गयी।
जम्मू कश्मीर में तैनात जिले के सौन गांव निवासी मनोज भट्ट ने शुक्रवार को शहादत दे दी थी। नौ कुमाऊं रेजीमेंट के जवान मनोज जम्मू कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे और शुक्रवार को गश्त के दौरान विस्फोट में शहीद हो गये। जवान का पार्थिव शरीर सोमवार को उनके गांव पहुंचा। इसकी जानकारी लगते ही बड़ाबे, तडे़मियां, बेलाल गांव, आठगांव शिलिंग, धारी सहित दर्जनों गांवों के हजारों लोग शहीद के घर पहुंचे और शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की। गांव से शुरू हुई शहीद की अंतिम यात्रा में हजारों लोगों ने भाग लिया। शहीद के सम्मान में लोगों ने गगनभेदी नारे लगाये।
सौन गांव के रहने वाले शहीद मनोज ने राजकीय इण्टर कालेज बड़ाबे से शिक्षा हासिल की और वर्ष 1998 में सेना में भर्ती हो गये। शहीद मनोज अपने पीछे पत्नी और दो छोटे पुत्र छोड़ गये है। शहीद के पिता श्रीकृष्ण भट्ट भी पूर्व सैनिक है।