डांडा नागराजा मंदिर- सीममुखिम कु दूसरू रूप
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सरोज शर्मा गढ़वाली पाॅप लिटरेचर-209
पौड़ी से 37 किलोमीटर दूर च नागराजा मंदिर, उत्तराखंड का गढ़वाल मंडल म जै देवशक्ति कि सर्वाधिक मान्यता च, वु च भगवान कृष्ण क अवतार का रूप मा बहुमान्य नागराजा कि, पौराणिक मान्यताओं क अनुसार भगवान कृष्ण थैं ई क्षेत्र अत्यंत पावन और सुंदर लग त ऊं न नाग कु रूप धैरिक भूमि मा लेट लेटिक ऐकि परिक्रमा कैर, किन्तु ऐ का नाम से स्थापित पूजास्थल पौडी से लेकि जौनसार भाबर तक भौत पयै जंदिन, नागराजा थैं समर्पित इन्नी बहुमान्य देवस्थल पौडी जनपद मुख्यालय से लगभग 40-41 किलोमीटर दूरी पर एक पहाड़ी क माथ स्थित च जु कि डांडा नागराजा क नाम से जंणै जांद,
पौडी शहर से लगभग 45 किलोमीटर दूर अदवानी- बगानीखाल मार्ग मा स्थित च डांडा नागराजा मंदिर,
पौराणिक दृष्टि से यै मंदिर कु अलग ही महत्व च, उत्तराखंड क गढ़वाल मंडल मा जै देवशक्ति कि सर्वाधिक मान्यता च वु कृष्ण अवतार रूप क नागराजा मंदिर, ऐक मुख्य धाम उत्तर काशी मा सीममुखिम च इन मान्यता च ई दुइया मंदिर एक ही छन, काफल, बांज, बुरांस का घैंणा वृक्षो से घिरयूं ई मंदिर पर्यटको खुण आकर्षण कु केंद्र च,
ई मंदिर इतगा उंचै मा स्थित च यख से चन्द्रबदनी (टिहरी) ,भैरव गढ़ी (कीर्तीखाल ),महाबगढ ( यमकेश्वर) ,कण्डोलिया (पौडी) कि पहाडियो कि सुन्दरता भि दिखै जांद,
मंदिर क पुजारी श्री चंडि प्रसाद देशवाल न यै मंदिर की मूलस्थापना लगभग 150 वर्ष पैल कैर छै, इन बतंदीन, परंपरा अनुसार नजदीकि गौं सिल्लू का पुजरी यख पूजा अर्चना करदिन, वर्तमान मा श्री चंडी प्रसाद देशवाल और मनमोहन देशवाल बारी बारी से बखूबी पूजा अर्चना कु कार्य निभांणा छन, ग्राम रीई का शेखरान्नद चमोली का प्राचीन मंदिर क वर्ष 1994 मा जीर्णोद्धार कैरिक यैकि सुन्दरता और भि निखार दयाई ,पर्यटन विभाग द्वारा मंदिर कु सौंदर्यीकरण जारी च,
प्रत्येक 13-या 14 वर्ष मा अप्रैल मा मंदिर मा मेला आयोजित किए जांद, जैमा विषेशकर महिलाये अपणि पारंपरिक वेश-भूषा मा मुंडम कलश सजै कि शोभायात्रा का रूप मा भगवान श्रीकृष्ण थैं श्रद्धा सुमन अर्पित करदिन, यै अवसर पर पुरूष श्रधालुओ की भि बराबर भूमिका रैंद, यै दिन मनौती पूरण हूण से मंदिर मा घंटा अर्पित करदिन, यख पर्यटको खुण ठैराण कु धर्मशाला, होटल और पर्यटक अतिथि गृह छन, उन त यै मंदिर मा कभी भि ऐ सकदौ लेकिन मार्च से जून तक कण्डोलिया टेका अदवानी का जंगल बुरांस का फूलों से लदयां रैंदिन पर्यटक ठण्डी ठण्डी हवा और बांज बुरांस क छायादार बृक्षो क आनंद लेकि मंदिर तक पौंछ सकदिन।