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Stinging Nettle (Bichhu Ghass) - सियूँण, बिच्छू घास , कनाली (Urtica Dioica )

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:



 Bichoo Ghas Someone who tells me what this is called (in English), gets a respectful look from me!
I tried googling it, in vain.
This is a common shrub that grows in most parts of Kumaon - touch it with your bare hands (or body part) and it'd start itching a lot. Parents use it as a weapon, after dipping it in water and then caning the hind-side. Also, the leaves are cooked to make a 'saag' like veggie dish - I've had it, not so good. Shishoon is the local term for this plant. (Snaprr flicker.com)
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:



Bichhu Ghas - Siyon.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
अब बुखार भी भगाएगी बिच्छू घास

अगर सब कुछ उम्मीद के मुताबिक रहा तो जल्द बुखार की एक और दवा का इजाद हो जाएगा। यह दवा होगी बिच्छू घास। यह घास पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाती है। अगर इस पर जारी परीक्षण सफल रहे तो उससे जल्द ही बुखार भी भगाया जा सकेगा। वैज्ञानिक इससे बुखार भगाने की दवा तैयार करने में जुटे हैं। प्राथमिक प्रयोगों ने बिच्छू घास के बुखार भगाने के गुण की वैज्ञानिक पुष्टि कर दी है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे तैयार दवा परीक्षण में पैरासीटामोल से भी बेहतर साबित हुई है। बुखार भगाने की दवा तैयार करने के लिए किए गए परीक्षण में बिच्छू घास के पत्तों का सत्व निकालकर पेट्रोलियम, क्लोरोफार्म, ईथर, एसीटोन, मेथेनाल और पानी में मिलाया गया, जिनका परीक्षण चूहों के सात समूहों पर किया गया।
इन चूहों में पहले कृत्रिम तरीके से बुखार पैदा किया गया। इसके बाद चूहों के एक समूह को पैरासीटामोल के इंजेक्शन दिए गए जबकि अन्य को बिच्छू घास के तत्व वाले घोलों के इंजेक्शन लगाए गए। परीक्षण में सामने आया कि बिच्छू घास पैरासीटामोल से ज्यादा बेहतर काम कर रही है। पैरासीटामोल के इंजेक्शन दिए हुए चूहों की अपेक्षा बिच्छू घास के सत्व के इंजेक्शन लगाए गए चूहों का बुखार जल्दी उतर गया। बिच्छू घास का बुखार खत्म करने वाला गुण एक शोध में सामने आया है।

देहरादून स्थित सरदार भगवान सिंह पीजी इंस्टीट्यूट आफ बायोमेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च के फार्मास्युटिकल केमिस्ट्री विभाग की दो शोध छात्राएं बिच्छू घास से बुखार भगाने की दवा तैयार करने के लिए परीक्षण में जुटी हैं। प्रिलिमनरी फायटोकेमिकल इंवेस्टिगेशन एंड इवैल्यूशन आफ ऐंटी पायरेटिक ऐक्टिविटी आन अर्टिका पर्वीफ्लोरा शीर्षक के तहत शोध कर रही प्रियंका पोखरियाल व अनुपमा सजवाण का कहना है कि चूहों पर परीक्षण के बाद अब महज यह देखना है कि किस रसायन के घोल ने चूहों के बुखार को जल्दी व बेहतर तरीके से खत्म किया। उनका कहना है कि स्थानीय चिकित्सा पद्धति में बिच्छू बूटी के अन्य इलाजों की वैज्ञानिक पुष्टि के लिए वे अपने प्रयोग जारी रखेंगी। क्या है बिच्छू घास आम तौर पर दो वर्ष की उम्र वाली बिच्छू घास को गढ़वाल में कंडाली व कुमाऊं में सिसूण के नाम से जाना जाता है। अर्टिकाकेई वनस्पति परिवार के इस पौधे का वानस्पतिक नाम अर्टिका पर्वीफ्लोरा है। बिच्छू घास की पत्तियों पर छोटे-छोटे बालों जैसे कांटे होते हैं। पत्तियों के हाथ या शरीर के किसी अन्य अंग में लगते ही उसमें झनझनाहट शुरू हो जाती है, जो कंबल से रगड़ने या तेल मालिश से ही जाती है। अगर उस हिस्से में पानी लग गया तो जलन और बढ़ जाती है।
पर्वतीय क्षेत्रों में बिच्छू घास का प्रयोग तंत्र-मंत्र से बीमारी भगाने, पित्त दोष, गठिया, शरीर के किसी हिस्से में मोच, जकड़न और मलेरिया के इलाज में तो होता ही है, इसके बीजों को पेट साफ करने वाली दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। पर्वतीय क्षेत्रों में इसका साग भी बनाया जाता है। माना जाता है कि बिच्छू घास में काफी आयरन होता है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

Other Benefits (ha ha)

महिलाओं ने शराबी पर लगाई बिच्छू घास


जागरण प्रतिनिधि, गोपेश्वर : पाडुली गांव की महिलाओं ने नैग्वाड़ जाकर शराबियों को खदेड़ा। पकड़े गए एक शराबी पर बिच्छू घास लगाकर उसे दंडित भी किया गया। हालांकि बाद में माफी मांगने व दुबारा शराब न पीने की कसम खिलाने के बाद शराबी को मुक्त किया गया। शराबियों से पांच बोतल कच्ची शराब जब्त कर उसे मौके पर ही नष्ट किया गया।

पाडुली गांव की महिलाएं पिछले दो माह से नैग्वाड़ अनुसूचित जनजाति बस्ती में बन रही अवैध कच्ची शराब के विरुद्ध अभियान चला रही हैं। महिलाएं दोपहर व सांय को नैग्वाड़ पहुंचकर यहां शराब पीने वाले शराबियों को खदेड़ रही हैं। जो शराबी पकड़ में आ रहा है उस पर बिच्छू घास लगाकर उसे दंडित भी किया जा रहा है। गुरुवार को महिलाएं जब नैग्वाड़ पहुंची तो वहां मौजूद शराबियों में अफरा तफरी मच गयी। शराब किसी तरह महिलाओं से जान छुड़ाकर भागे। हालांकि एक शराबी महिलाओं की पकड़ में आ गया। उस पर बिच्छू घास लगायी गयी। बाद में माफी मांगने व भविष्य में शराब न पीने की कसम खिलाने के बाद शराबी को छोड़ा गया। शराबियों को पकड़ने वाली महिलाओं में गीता देवी, मंजू देवी, रेवती देवी, संगीता देवी, बीना देवी, सुभागा देवी, शिवदेई, भारती देवी, सुलोचना देवी, देवेश्वरी देवी, बिलेश्वरी देवी, गुड्डी देवी, धर्मा देवी आदि शामिल थीं। (source dainik jagran)

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