Author Topic: Uttarakhand At A Glance - उत्तराखण्ड: एक परिचय  (Read 39582 times)

पंकज सिंह महर

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खेती-बाड़ी

खेती-बाड़ी का काम यहाँ पर प्राय: प्राचीन ढ़ंग से होता है। पहाड़ों की ढालों में काट-काटकर खेत बनाये गये हैं, जिनमें अनाज बोया जाता है। जहाँ कहीं हो सकता है, पर्वतीय नदियों से नाला काटकर नहर ले जाता हैं, जिन्हें 'गुल' कहते हैं। उनसे सिंचाई होती है। कहीं-कहीं पहाड़ की घाटियों में नदी के किनारे बड़ी उपजाऊ जमीने हैं। ये 'सेरे' कहे जाते हैं। जिस जमीन में पानी से सिंचाई नहीं हो सकती, वह 'उपजाऊ' कहलाती है। गाँव के हिस्से 'तोक, सार, टाना' आदि नामों से पुकारे जाते हैं।

यों तो खेती हल चलाकर होती है। किन्तु कहीं-कहीं ऐसी पर्वतीय जगहें हैं, जहाँ बैल नहीं जा सकते। वहाँ कुदाली (कुटल) से खोदकर खेती करते है । फसलें प्राय: दो होती हैं। तराई भावर में कहीं-कहीं तीन फसलें होती हैं। फसलों में जो-जो चीजें पैदा होती हैं, उनका ब्यौरा नीचे दिया गया है -


खरीफ

अनाज - धान, मडुवा, मानिरा, कौणी, चीणा, चौलाई या चुआ, उगल (फाफरा), मक्का।

तराई भावर में इनके अलावा ज्वार, बाजरा, गानरा आदि भी होते हैं।

दालें - उर्द, भट, गहत, रैंस, अरहर, मूँग । अरहर पर्वतों में नहीं होता।

तिलहन - सरसों, तिल, भंगीरा।


रबी

अनाज - गेहूँ, जौं, भावर में गानरा
दालें - मसूर, मटर (चना भावर तराई में)
तिलहन - अलसी, सरसों।


रुई यहाँ पर यत्र-तत्र कुछ होती है। फसल खरीफ के साथ भाँग भी बोई जाती है, जिसके पत्तों से चरस बनती है। इसके बीज पीसकर जाड़ों में तरकारी में डालकर खाये जाते हैं। ये बड़े गरम होते हैं। भागों के रेसों से रस्सियाँ तथा बोरी का कपड़ा बनता है।

गन्ना कहीं-कहीं पहाड़ों में भी होता है। अदरख, हल्दी, मिर्च, बहुतायत से बाहर भेजे जाते हैं। आलु व घुइयाँ (पिनालु) बहुत होते हैं। बंडे (गडेरी) ८-१० सेर तक होते हैं, और कलकत्ते तक भेजे जाते हैं।

तम्बाकु निजी खर्च के लिए कहीं-कहीं बोया जाता है।

लोगों की मुख्य गुज़र खेती से होती है। पर खेती लोगों के पास थोड़ी-थोड़ी बोने से सब बातों की गुज़र उससे नहीं होती, इसलिए लोग नौकरी करते हैं। तमाम भारत में, खासकर उत्तरी भारत में बहुत से लोग उच्च सरकारी व अन्य नौकरियों में फैले हैं।

कुमाऊँ में कुमाऊँ के लायक अनाज पैदा नहीं होता। तराई-भावर से अनाज पर्वतों को जाता है, किन्तु यह ज्यादातर नगरों को जाता है, जैसे नैनीताल, भवाली, रानीखेत, अल्मोड़ा मुक्तेश्वर आदि। देहात अन्न के बारे में प्राय: स्वावलंबी हैं

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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The following stanza is really great for UK.


अस्युत्तरस्यां दिशि देवतात्मा हिमालयो नाम नगाधिराज:।
पूर्वापरौं तोयनिधी वगाह्य स्थित: पृथि इवमानदणड:।।

पंकज सिंह महर

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फूल

फूल कुमाऊँ में बहुत होते हैं। मुख्य ये हैं - बेला, चमेली, चंपा, गुलाब, कुंज, हंसकली, केवड़ा, जुही (जाई), रजनीगंधा (हुस्नहाना), गेंदा, गुलदावरी, डलिया, गुलबहार, मोतिया, नरगिस, कमल, सूर्य व चन्द्र तथा अन्य प्रकार के। शिलिंग, जिनकी सुगंध दूर तक फैलती है, इन पर्वतों का एक खआस फूल है। यह सितंबर के बाद फूलता है। बुरांस जब बसंत में जंगलों में खिलता है, तो टेसू से कई गुना सुन्दर दिखाई देता है। गुल बाँक भी कई कि का होता है।


अँग्रेजी फूलों में ऐस्टर, बिगोनिया, डलिया, हौलीहौक, कैलोसिया, कौक्स कौम, टफूशिया, स्वीट विलियम, स्वीट सुल्तान, जीरेनियम, पिट्रेनियाँ, जिनियाँ, डेजी, कागजू फूल आदि होते हैं।

देशी फूल खुशबूदार होते हैं। अँग्रेजी फूल देखने में उत्तम होते हैं, पर विशेषत: निर्गेध होते हैं।

हिमालय के पास तथा जंगलों में नाना प्रकार के जंगली फूल खिलते हैं, जिनमें कई बड़े सुन्दर या खुश्बुदार होते हैं। कुछ जहरीले भी होते हैं।

विश्वा प्रसिद पर्यटक स्थल फूलों की घाटी भी इसी खूबसूरत उत्तराखंड राज्य मे शोभायमान है.


फल
घरेलू फल


अखरोट, आलू, बुखार, अलूचा, आम, इमली, अमरुद, अनार, अँगूर, आड़ू, बड़हल, बेर, चकोतरा (इसे अठन्नी भी कहते हैं) चेरी (पयं), गुलाबजामुन, कटहल, केला, लीची, लोकाट, नारंगी, नासपती (गोल, तुमड़िया तथा चुसनी) नींबू, पांगर (chestnut ), पपीता, शहतूत (कीमू) सेब, खरबूज, तरबूज, फूट, खुमानी, काक, अंजीर आदि फल कुमाऊँ में होते हैं।

जंगली फल

आंचू (लाल व काले हिसालू), अंजीर (बेड़ू), बहेड़ा, बोल, बैड़ा, आँवला, बनमूली, बन नींबू, बेर, बमौरा, भोटिया बादाम, स्यूँता (चिलगोजा), चीलू (कुशम्यारु), गेठी, घिंघारु, गूलर, हड़, जामन, कचनार, काफल, खजूर, किल्मोड़, महुआ, मौलसिरी, मेहल, पद्म (पयं), च्यूरा, कीमू, तीमिल, गिंवाई आदि कुमाऊँ के जंगलों में होते हैं।

जड़ी-बूटियाँ


१. छड़ीला या दगद फूल
२. पद्म
३. दारुहल्दी
४. घुड़बच
५. मुलीम
६. पखानवेद
८. रीठा मीठा दाने का
९. दालचीनी, तेजपात
१०. राजिगरा सफेद व काले छीटे का
११. हंसराज सबज
१२. चिरायता मोटा
१३. कोटू फाफरा दाने का
१४. अमलतास फली व गूदा
१५. सुहागा
१६. बिरोजा
१७. समोया
१८. घासीजीरा
१९. तेजपत्ता
२०. मिर्च दड़ा
२१. सींक
२२. सिंगाड़ा मोटे दाने का
२३. बनफ्सा
२४. ब्राह्मी
२५. बिजसार की छाल
२६. बबूल
२७. खैर
२८. कायफल की छाल तथा रसौद, कुचिला, पुनर्नवा रोहिणी, पिपली, तरुड़, गेठी, लीसा आदि।

पंकज सिंह महर

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चाय के बगीचे

बज्यूला, ग्वालदम, डूमलोट, ओड़ा, लोध, दुनागिरि, जलना, बिसनर, गौलपालड़ी, बेनीनाग, डोल, लोहाघाट, झलतोला, कौसानी, स्याही देवी, चौकोड़ी, छीड़ापानी आदि में चाय की खेती होती थी। इन सब में कौसानी, बेनीनाग तथा लोध ने खूब नाम कमाया। कौसानी की चाय अब नाम-मात्र को रह गई है। चौकड़ी व बेनीनाग में अभी बहुत कुछ चाय ठा. देवीसिंह व दानसिंह बिष्ट बना रहे हैं। ये ही सबसे बड़ी चाय के बगीचे यहाँ पर रह गये हैं।

पर्वतीय खेती में अत्यधिक श्रम तथा दक्षता की आवश्यकता होती है। सीढ़ीदार खेतों को पुरातन यंत्रों से जोतना एक कठिन कार्य है। यद्यपि बाढ़ तथा सूखा जैसे प्राकृतिक प्रकोपों से सामान्यत: यह क्षेत्र मुक्त रहा था। परन्तु भूमि के कटाव तथा भूस्नखल जैसी समस्यायें उठती रही।

प्रारम्भ में किसान असुरक्षा के कारण अस्थिर तथा घुमक्कड़ थे। कुछ समय तक एक स्थान पर खेती करने के बाद दूसरे स्थान की तलाश में निकल जाते थे। फसल परिवर्तन की परिवर्तन की परम्परागत व्यवस्था इस क्षेत्र के लिए अत्यनत उपयुक्त थी, बशर्तें� भूमि की उर्वरता बनी रहे। ऊँची ढलानों में पैदावार कम होती थी जबकि घाटियों की भूमि अत्यन्त उपजाऊ थी। जहाँ भूमि का छोटे से छोटा भाग भी श्रम पूर्वक जोता जाता था। एटकिन्सन से सोमेश्वर व भीमताल की घाटियों को सम्पूर्ण एशिया में सुन्दरतम व उर्वरतम बताया है। खास जाति के लोग, जो पश्चिमी एशिया से आये थे, मुख्यत: पशुपालन करते थे और अपने पशुओं को चराने के लिए उन्होंने पर्वतों की तलहटी में बसना श्रेयस्कर समझा। बाद में उन्होंने पशुचारण के साथ खेती भी स्वीकार की।

कुमाऊँ में विभिन्न राजवंशों ने राज्य किया। विभिन्न जन जातियों के बीच निरन्तर युद्धों से खेती पर असर पड़ा और भूमि की उर्वरता क्षीण होती चली गयी। चीनी यात्री ह्मवेनसांग, जो हर्ष काल के समय भारत आया था, ने पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र को देखकर लिखा कि यह अत्यन्त सम्पन्न है, भूमि उर्वर है तथा मुख्य फसलें हैं मोटा गेहूँ, जौ, उवा तथा फाफर। यहाँ खेतों में बीजों के अंकुरण तथा फसलों की रक्षा हेतु खेतों के देवता भूमिया (क्षेत्रपाल), वनों के संरक्षण का देवता सैम, पशुधन में वृद्धि का देवता चामू, बधाण, कलबिष्ट इत्यादि।

पंकज सिंह महर

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उत्तराखण्ड : देश का सत्ताइसवां राज्य

राज्य का गठन     -     9 नवम्बर, 2000
कुल क्षेत्रफल       -      53,483 वर्ग कि०मी०
कुल वन क्षेत्र      -       35,394 वर्ग कि०मी०
राजधानी         -       देहरादून (अस्थाई)
सीमायें
    अंर्तराष्ट्रीय     -  चीन एवं नेपाल
    राष्ट्रीय        -  उत्तर प्रदेश एवं हिमाचल प्रदेश
उच्च न्यायालय     - नैनीताल
प्रति व्यक्ति आय    - 15186 रुपये
कुल जनसंख्या     -  84,89,349
      पुरुष        -   43,25,924
      महिला      -    41,63,425
लिंग अनुपात     -    (964 महिला : 1000 पुरुष)
जनसंख्या घनत्व   -   159 प्रति वर्ग कि०मी०
कुल साक्षरता      -   71.06 %
      पुरुष        -   83.06 %
      महिला       -  59.06 %
मण्डल           -   03
जिले            -   13
तहसील          -   78
विकास खण्ड      -   95
न्याय पंचायत     -   670
ग्राम पंचायत      -   7227
कुल ग्राम         -   16826
आबाद ग्राम      -     15761
गैर आबाद ग्राम   -     1065
आबाद वन ग्राम    -    165
शहरी इकाइयां      -    86
नगर निगम       -    01
नगर पंचायत      -    31
छावनी परिषद     -     09

पंकज सिंह महर

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उत्तरांचल में राष्ट्रीय पार्क और अभयारण्य देखने लायक हैं। इनमें १० प्रमुख हैं:

(क) नन्दादेवी नेशनल पार्क (८३० वर्म कि.मी.), चमोली।
(ख) राजाजी नेशनल पार्क (८२० वर्ग कि.मी.), चमोली।
(ग) फूलों की घाटी (८७५० कि.मी.), चमोली।
(घ) अस्कोट मस्क डीयर अभचारण्य (५९३ वर्ग कि.मी.), पिथौरागढ़।
(च) बिन्सर अभयारण्य (४५५९ वर्ग कि.मी.), अल्मोड़ा।
(छ) गोविन्द पशुविहार अभयारण्य (४८१ वर्ग कि.मी.), उत्तरकाशी।
(ज) केदारनाथ अभयारण्य (९६७ वर्ग कि.मी.), चमोली रुद्र प्रयाग।
(झ) मसूरी अभयारण्य (९६७ वर्ग कि.मी.), देहरादून।
(ट) सोनानन्दी अभयारण्य (१०८२ वर्ग कि.मी.), पौड़ी गढ़वाल।
(ठ) जिम कोर्बेट नेशनल पार्क (५२९९ वर्ग कि.मी.), उधम सिंह नगर, पौड़ी गढ़वाल।

पंकज सिंह महर

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उत्तराखण्ड में एक नगर निगम है।
देहरादून नगर निगम

पंकज सिंह महर

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उत्तराखण्ड में ३२ नगर पालिका परिषदें हैं।
१ - नगर पालिका परिषद, अल्मोड़ा
२-  नगर पालिका परिषद, खटीमा।
३-  नगर पालिका परिषद, सितारगंज।
४-  नगर पालिका परिषद, रुद्रपुर।
५-  नगर पालिका परिषद, गदरपुर।
६-  नगर पालिका परिषद, किच्छा।
७-  नगर पालिका परिषद, बाजपुर।
८-  नगर पालिका परिषद, काशीपुर।
९-  नगर पालिका परिषद, जसपुर।
१०- नगर पालिका परिषद, टनकपुर।
११- नगर पालिका परिषद, नैनीताल।
१२- नगर पालिका परिषद, रामनगर।
१३- नगर पालिका परिषद, हल्द्वानी।
१४- नगर पालिका परिषद, भवाली।
१५- नगर पालिका परिषद, पिथौरागढ़।
१६- नगर पालिका परिषद, बागेश्वर।
१७- नगर पालिका परिषद, उत्तरकाशी।
१८- नगर पालिका परिषद, गोपेश्वर।
१९- नगर पालिका परिषद, जोशीमठ।
२०- नगर पालिका परिषद, नरेन्द्रनगर।
२१- नगर पालिका परिषद, टिहरी।
२२- नगर पालिका परिषद, ऋषिकेश।
२३- नगर पालिका परिषद, मसूरी।
२४- नगर पालिका परिषद, विकास नगर।
२५- नगर पालिका परिषद, श्रीनगर।
२६- नगर पालिका परिषद, दुगड्डा।
२७- नगर पालिका परिषद, कोटद्वार।
२८- नगर पालिका परिषद, पौड़ी।
२९- नगर पालिका परिषद, रुद्रप्रयाग।
३०- नगर पालिका परिषद, हरिद्वार।
३१- नगर पालिका परिषद, रुड़की।
३२- नगर पालिका परिषद, मंगलौर।

पंकज सिंह महर

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उत्तराखण्ड में २७ नगर पंचायत हैं।
१-  नगर पंचायत, द्वाराहाट।
२-  नगर पंचायत, दिनेशपुर।
३-  नगर पंचायत, शक्तिगढ़।
४-  नगर पंचायत, महुआडाबर।
५-  नगर पंचायत, केलाखेड़ा।
६-  नगर पंचायत, महुआखेड़ा।
७-  नगर पंचायत, सुल्तानपुर।
८-  नगर पंचायत, चम्पावत।
९-  नगर पंचायत, लोहाघाट।
१०- नगर पंचायत, लालकुआं।
११- नगर पंचायत, कालाढ़ुंगी।
१२- नगर पंचायत, भीमताल।
१३- नगर पंचायत, डीडीहाट।
१४- नगर पंचायत, धारचूला।
१५- नगर पंचायत, बड़कोट।
१६- नगर पंचायत, नन्दप्रयाग।
१७- नगर पंचायत, कर्णप्रयाग।
१८- नगर पंचायत, गौचर।
१९- नगर पंचायत, मुनि की रेती।
२०- नगर पंचायत, कीर्तिनगर।
२१- नगर पंचायत, चम्बा।
२२- नगर पंचायत, देवप्रयाग।
२३- नगर पंचायत, डोईवाला।
२४- नगर पंचायत, हरबर्टपुर।
२५- नगर पंचायत, झबरेड़ा।
२६- नगर पंचायत, लक्सर।
२७- नगर पंचायत, लण्ढौर।

पंकज सिंह महर

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STD Codes for cities in Uttarakhand

City                                     Code

ALMORA                               05962
BAGESHWAR                        05963
BHATWARI-I                         01374
BHATWARI-II                        01377
CHAKRATA                           01360
CHAMOLI                              01372
CHAMPAWAT                        05965
DEHRADUN                           0135 
DEOPRAYAG-I                       01378
DEOPRAYAG-II                      01370
DHARCHULA                          05967
DUNDA                                  01371
HALDWANI-I                          05946
HALDWANI-II                         05945
JOSHIMATH-I                         01389
JOSHIMATH-II                        01381
KARAN PRAYAG                     01363
KASHIPUR                             05947
KHATIMA-I                            05943
KHATIMA-II                           05948
KICHHA-I                              05944
KICHHA-II                             05949
LANSDOWN-I                        01386
LANSDOWN-II                       01382
LANSDOWN-III                      01348
MUNSIARI                             05961
NAINITAL                              05942
PARTAPNAGAR                      01379
PAURI-I                                01368
PAURI-II                               01346 
PITHORAGARH                      05964
PUROLA                               01373
RAJGARH                             01375
RANIKHET                            05966
ROORKEE-I                          01332
ROORKEE-II                         01334
TEHRI                                  01376
UKHIMATH                           01364

 

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