हिमालय के गोद में बसी वाली देवभूमि में कूड़ा करकट
बर्फ के श्वेत-धवल मुकुट से सजे गिरिराज हिमालय, मखमली व खूबसूरत बुग्यालों, सदानीरा नदियों के साथ चार प्रमुख तीर्थ धामों और सैकड़ों देवस्थलों को अपने भीतर समेटे देवभूमि उत्तराखंड की सेहत के लिए पल-पल सुरसा के मुंह की तरह बढ़ रहे कूड़े-कचरे ने खतरा पैदा कर दिया है। राज्य कूड़े के बड़े ढेर में तब्दील हो रहा है। दून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, नैनीताल जैसे जिलों के तराई क्षेत्र ही नहीं, प्रमुख चार धाम, पर्यटक स्थल और ट्रेकिंग रूट हर दिन सैकड़ों टन अजैविक व हानिकारक कूड़ा-कचरा उगल रहे हैं।
सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट की तमाम रणनीति फिलहाल बड़ी मात्रा में इकट्ठा हो रहे कूड़े-कचरे के आगे बौनी दिखती है। विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक सूबे में 72 फीसदी जैविक, 26 फीसदी प्लास्टिक-पालीथीन जैसा अजैविक कचरा और दो फीसदी धूल-मिट्टी कचरा है।
कूड़े के ढेर बढ़ाने में कम आय वर्ग से लेकर निम्न-मध्यम, उच्च-मध्यम व उच्च वर्ग समेत जनता के सभी वर्गो की भागीदारी है। मैदानी जिलों व तराई क्षेत्रों के शहरी इलाकों में कूड़ा निस्तारण की समस्या विकराल रूप ले चुकी है। सूबे के शहरों में हर व्यक्ति प्रति दिन कुक्ड फूड, मिनरल वाटर, लजीज कुरकुरे-चाकलेट-टाफी के साथ दूध व दही के इस्तेमाल के जरिए तकरीबन 300 ग्राम अजैविक कूड़ा जुटा रहा है तो मैदानी ग्रामीण क्षेत्रों में यह स्थिति तकरीबन 200 ग्राम है।
अच्छी आर्थिक हैसियत वाले शहरी इलाके कूड़ा जमावड़े में कई गुना आगे हैं। अनुमान है कि दून में हर दिन 210, हरिद्वार में 60, ऊधमसिंह नगर में 55 टन से ज्यादा कूड़ा-कचरा जमा हो रहा है। हिमालयी क्षेत्र में कूड़ा निस्तारण में योगदान दे रहे विशेषज्ञों का तीर्थ स्थलों, पर्यटक स्थलों व ट्रेकिंग रूटों पर कूड़े के बारे में आंकड़े चौंकाने वाले हैं।
इसके मुताबिक यात्रा सीजन की छमाही में ही यात्री व श्रद्धालु बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री यात्रा मार्गो पर तकरीबन क्रमश: 40 टन, 70, 20, 35 टन से ज्यादा कूड़ा ला रहे हैं। फूलों की घाटी व ट्रैकिंग रूटों के हाल और बुरे हैं। सूबे में तकरीबन 123 ट्रेकिंग रूट हैं। सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट से जुड़े विशेषज्ञ विपिन कुमार, पर्यटन महकमे के विनोद श्रीवास्तव मानते हैं कि कूड़े के ढेरों को बढ़ने से रोकने को व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान जरूरी है।
श्रीनगर व काठगोदाम में रिसाइक्लिंग प्लांट, जोशीमठ, सोनप्रयाग, बदरीनाथ व जानकीचट्टी में कूड़ा निस्तारण को कांपेक्टर लगाए गए हैं। कांपेक्टर जल्द कार्य प्रारंभ करेंगे। शहरी विकास विभाग की अपर सचिव निधिमणि त्रिपाठी के मुताबिक कूड़ा निस्तारण पर प्रभावी ढंग से अमल करने को पीपीपी मोड में इसे अंजाम दिया जाएगा।