Uttarakhand > Uttarakhand History & Movements - उत्तराखण्ड का इतिहास एवं जन आन्दोलन

Facts Freedom Struggle & Uttarakhand Year wise- आजादी की लडाई एव उत्तराखंड तथ्य

<< < (3/4) > >>

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कब क्या हुआ ?

1937- संयुक्त प्रान्त के चुनावों में उत्तराखण्ड से हरगोविन्दपन्त, जगमोहनसिंह नेगी, आनन्द सिंह, अनुसूया प्रसाद बहुगुणा, रामप्रसाद टम्टा का चयन।

1937 - फरवरी में लैंसडौन से कर्मभूमि पत्र का प्रकाशन। भक्तदर्शन, भैरवदत्त धूलिया का जुड़ाव।

1938 - 5, 6 मई श्रीनगर में राजनैतिक सम्मेलन। मुख्य अतिथि जवाहर लाल एवं विजयलक्ष्मी पण्डित।

1938 - गुमखाल से आगे पौड़ी तक सड़क बनाने के लिए 7 नवम्बर से गाड़ी सड़क आन्दोलन उग्र हुआ। सभी प्रतिनिधि सभाओं के प्रतिनिधियों ने इस्तीफे दिए।

1938 - 23 जनवरी, एम.एन.रॉय की अध्यक्षता में राजपुर (देहरादूनद्) में ‘टिहरी प्रजामण्डल’ की स्थापना।

1939 - 30 जून को दुगड्डा में राजनीतिक सम्मेलन, नेहरू जी का आगमन, सम्मेलन में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल।
1939 - 29,30 अक्टूबर को उभ्याड़ी (रानीखेत) में राजनीतिक सम्मेलन।

1940 - 8 दिसम्बर, डाडामण्डी कांग्रेस भवन में सत्याग्रह की रूपरेखा तैयार की गई।

1941 - डोला-पालकी के प्रश्न पर महात्मा गांधी द्वारा ब्रिटिश गढ़वाल में व्यक्तिगत सत्याग्रह पर प्रतिबन्ध।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कब क्या हुआ ?

1941 - 23 फरवरी, डोला-पालकी कुप्रथा को समाप्त करने के लिए लैंसडौन में सम्मेलन। बलदेव सिंह आर्य एवं कलम सिंह को कुप्रथा समाप्त करने वाली कमेटी में रखा गया।

1941 - नैनीताल, हल्द्वानी, काशीपुर में व्यक्तिगत सत्याग्रह में भाग लेने के कारण कई महिलाओं को कारागार में भेजा, चमोली तहसील में 118 लोग गिरफ्तार, जिनको 1 दिन से 1 साल तक की सजा हुई।

1942 -भारत छोड़ो आन्दोलन के तहत देहरादून, नैनीताल, अलमोड़ा, पौड़ी में सैकड़ों लोगों की गिरफ्तारी हुई, जिन्हें देहरादून, बरेलीे, बिजनौर, देहरादून, रामपुर व अन्य जेलों में भेजा गया।

1942 - अगस्त में देघाट मल्ला में आन्दोलन को दबाने के लिए गोरी पुलिस के गोलीचालन से दो नवयुवक शहीद।

1942 - 5 सितम्बर को सल्ट के खुमाड़ में आन्दोलनकारियों पर पुलिस के गोली चालन में चार नवयुवकों की मौत। गांधी जी ने कुमाऊं की बारदोली कहा।

1942 - 31 अगस्त को देहरादून के डी.ए.वी. कालेज में छात्रों द्वारा धारा 144 का उल्लंघन कर गिरफ्तारियां दीं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कब क्या हुआ ?

1944 - 25 जुलाई, श्रीदेव सुमन की टिहरी जेल में 84 दिन के अनशन के बाद मृत्यु।

1944 - गैर भारतीय मूल की सरला बहिन को आन्दोलन के लिए महिलाओं को उकसाने व
आन्दोलनकारियों के परिवारों की सहायता करने लिए 2 माह का कारावास।

1946-26 मई में गंाधीजी का दुबारा देहरादून आगमन। 1947 - 22 मार्च देहरादून के भोगपुर नरदेव शास्त्री की
अध्यक्षता में राजनीतिक सम्मेलन।

1947 - ब्रिटिश संसद में 18 जुलाई को माउन्टबेटन योजना के तहत एक्ट पारित कर देश विभाजन कर दो देश मुल्क बना दिए गए।

1947 - 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ। सभी जपनदों के कलेक्ट्रेटों पर यूनियन जैक के स्थान
पर तिरंगा फहराया गया।

1948 - 11 जनवरी, नागेन्द्रदत्त सकलानी एवं मोलू भरदारी कीर्तिनगर में पुलिस गोली के शिकार।

1948- जनवरी में टिहरी रियासत पर जनता का कब्जा, 1 फरवरी 1948 को अन्तरिम सरकार बनी।

1949 - 1 अगस्त, रियासत टिहरी का संयुक्त प्रान्त में विलय।

(संकलन: एल. मोहन)

Devbhoomi,Uttarakhand:
                     कब क्या हुआ था :?
               ================


 
1897      कोटद्वार-नजीमाबाद रेलसेवा शुरू

1899      काठगोदाम रेलसेवा से जुड़ा

1900      हरिद्वार-देहरादून रेल सेवा शुरू


1903      टिहरी नगर में पहिली बार विद्युत व्यवस्था

1905      देहरादून एयरफोर्स में एक्स-रे-संस्थान की स्थापना

1912      मवाली में क्षय रोग अस्पताल की स्थापना तथा मसूरी में विद्युत योजना

1914      गढ़वाली वीर दरवान सिंह नेगी को ‘विक्टोरिया क्रॉस’ प्रदान किया गया।

1918      सेठ सूरज मल द्वारा ऋषिकेश में ‘लक्ष्मण झूला’ का निर्माण

1922      ‘गढ़वाल राइफल्स’ को रायल की उपाधि एवं नैनीताल विद्युत प्रकाश से नहाया।

1926      ‘हेमकुन्ट’ साहिब की खोज।

1930      चन्द्रशेखर आजाद का दुगड्डा में अपने साथियों के साथ परीक्षण हेतु आगमन।

देहरादून में नमक सत्याग्रह।

मंसूरी में मोटर मार्ग प्रारम्भ।

1932      देहरादून में ‘इण्डिया मिलिट्री एकेडमी’ की स्थापना

1935      ऋषिकेश-देवप्रयाग मोटर मार्ग का निर्माण

1938      हरिद्वार-गोचर हवाई यात्रा ‘हिमालयन एयरवेज कम्पनी’ द्वारा शुरू।

1942      हैदराबाद रेजीमेन्ट का कुमांऊ रेजीमेन्ट में विलय।

1946      देहरादून डी.ए.वि.कॉलेज में कक्षायें शुरू

1948      रूड़की इन्जीनियरिंग कॉलेज विवि. बना

1949      टिहरी रियासत का उत्तर प्रदेश में विलय

अल्मोड़ा कॉलेज की स्थापना।

1953      रूड़·की में ‘बंगाल सैपर्स’ की स्थापना

1954      हैली नेशनल पार्क का नाम बदलकर जिम कार्बट नेशनल पार्क रखा गया।

1958      मंसूरी में डिग्री कॉलेज की स्थापना

1960      पंत नगर में कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की आधारशिला

1973      गढ़वाल एवं कुमांऊ विश्वविद्यालय की घोषणा एवं चार नये जिलों की स्थापना

1999      चमोली में भूकम्प से 110 व्यक्तियों की मौत और अन्त में 9 नवम्बर 2000 को उत्तरांचल राज्य की स्थापना।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

1857 के गदर से आई कुमाऊं में क्रांति की लहर

अल्मोड़ा: ब्रितानी हुकूमत के अत्याचारों से त्रस्त गुलाम हिंदुस्तानियों के 1857 का विद्रोह गदर नाम से इतिहास में दर्ज हो गया। यही था स्वतंत्रता आदोलन का पहला सशक्त शंखनाद। इसने दक्षिण से उत्तर व पूरब से पश्चिम तक के भारतवासियों को अंग्रेजों के खिलाफ खड़ा कर दिया। कुमाऊंभला इससे भला कैसे अछूता रह सकता था। पहाड़ के बाके वीर संग्राम में कूद गए। इसकी भनक जैसे ही अंग्रेजी शासकों के कमिश्नर रैमजे हेनरी को लगी वह तत्काल कुमाऊं पहुंच गया। उसने कुमाऊं व गढ़वाल में मार्शल लॉ लागू कर दिया। सारी आंदोलनकारी गतिविधियों पर रोक लगा दी गई। अब ब्रिटिश साम्राज्य के हुक्मरानों का अत्याचार और बढ़ गया। गरम दल के कई स्वतंत्रता संग्रामियों को नैनीताल के एक गधेरे में फांसी पर लटका दिया गया। उस गधेरे का नाम ही फांसी गधेरा पड़ गया। आज भी वह इसी नाम से जाना जाता है। 1958 आते-आते इसकी आग काली कुमाऊं में उग्र बगावत के रूप में फैल गई। विशुं पटट्ी के देश भक्त कालू सिंह महरा, आंनद सिंह फत्र्याल व विशन सिंह करायत आर-पार के संघर्ष के लिए कूद गए। आंनद सिंह फत्र्याल व विशन सिंह करायत को सरकार का विद्रोही करार देते हुए अंग्रेजों ने उन्हें गोली से उड़ा दिया। कालू सिंह महरा को आजीवन जेल की सजा सुनाई गई। इसी दौर में स्वामी विवेकानंद अल्मोड़ा आए। उनके ओज का परिणाम था कि लाला बद्री साह ठुलघरिया ने आर्थिक मदद के लिए आंदोलन में दिल खोल कर पैसा दिया। तभी युवा स्वामी सत्यदेव का भी आगमन हुआ। उन्होंने परतंत्रता  के खिलाफ खड़े हो कर स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष का पाठ पढ़ाया। जिससे अनेक युवा प्रभावित हुए। उनमें ज्वाला दत्त जोशी, वाचस्पति पंत, हरीराम पांडे, सदानंद सनवाल, शेख मानुल्ला व बद्री साह प्रमुख आंदोलकारियों में गिने जाते हैं। उसी दौर में देशभक्ति भावना व अंग्रेजी सरकार के खिलाफ आग उगलने वाली साप्ताहिक पत्रिका 'अल्मोड़ा अखबार' ने बगावत का झंडा बुलंद कर दिया।  अल्मोड़ा से निकला यह समाचार पत्र राष्ट्रीय पत्रिका बन गई। इस पत्रिका का संपादन कुर्माचल केसरी बद्री दत्त पांडे, विक्टर मोहन जोशी व जयंिहंद का नारा देने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी राम सिंह धौनी जैसे संग्रामी ने किया।
 इंसेट-
 प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन की प्रमुख गतिविधियां
 - 1914 में बद्री दत्त पांडे, लाला चिरंजी लाल, डॉ. हेम चंद्र जोशी, मोहन जोशी ने होम रूल लीग की स्थापना की।
 - 1917 में कुमाऊं परिषद की स्थापना हुई। अग्रणी भूमिका में भारत रत्‍‌न पं.गोविंद बल्लभ पंत, बद्रीदत्त पांडे, तारा दत्त गैरोला, बद्री दत्त जोशी, प्रेम बल्लभ पांडे, बैरिस्टर मुकंदी लाल, इंद्र लाल साह, मोहन सिंह दरम्वाल रहे।
 - 1920 में महात्मा गांधी के नागपुर अधिवेशन में बद्रीदत्त पांडे के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल कुली बेगार अन्याय को लेकर मिला।
 - 1921 में मकर संक्रांति के दिन कुली बेगार के रजिस्टरों को सरयू में प्रवाहित किया गया।
 -1941 में गांव-गांव में सत्याग्रहियों ने स्वाधीनता आंदोलन चलाया
 - पांच सितंबर 1942 को खुमाड़ में अंग्रेजों ने गोली चलाई, जिसमें गंगा राम, खीमानंद व चार दिन बाद चूड़ामणी, बहादुर सिंह की मौत हो गई।


(http://www.jagran.com)

Navigation

[0] Message Index

[#] Next page

[*] Previous page

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 
Go to full version