Uttarakhand > Uttarakhand History & Movements - उत्तराखण्ड का इतिहास एवं जन आन्दोलन

Facts Freedom Struggle & Uttarakhand Year wise- आजादी की लडाई एव उत्तराखंड तथ्य

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कब क्या हुआ ?

1921- 13 जनवरी को मकर संक्रान्ति के दिन बेगार प्रथा के विरोध में किए गए आह्वान पर बागेश्वर में बदरीदत्त पाण्डे के नेतृत्व में त्रस्त जनता ने कुली बेगार के रजिस्टरों को सरयू में बहाया।

1921 - इलाहाबाद से शिक्षा प्राप्त कर पिथौरागढ़ लौटे प्रयागदत्त पंत व उनसे प्रेरित नवयुवक कृष्णानन्द उप्रेती के साथ मिलकर पिथौरागढ़ के ग्राम हुडे़ती में कांग्रेस कार्यालय के माध्यम से गांधीवादी विचार धारा का प्रचार-प्रसार किया।

1921 - हर्षदेव ओली द्वारा कालीकुमाऊं के खेतीखान में कांग्रेस कार्यालय की स्थापना।

1922 - ‘क्षत्रिय वीर’ पाक्षिक समाचार पत्र का पौड़ी से प्रकाशन। प्रतापसिंह नेगी प्रथम संपादक।

1924 - दूरस्थ पिथौरागढ़ के पुराने चौक में कांग्रेसियों की सभा में दो लोगों जमन सिंह वल्दिया एवं लक्ष्मण सिंह महर ने गांधी टोपी पहनकर कांग्रेस की सदस्यता ली।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कब क्या हुआ ?

1924 - रजवारों के अत्याचार के विरोध में पिथौरागढ़ क्षेत्र के नेताओं प्रयागदत्त पंत एवं कृष्णानन्द उप्रेती के आग्रह पर बड़े नेताओं हरगोविन्द पन्त, बद्रीदत्त पाण्डे, गोविन्द बल्लभ पन्त द्वारा अस्कोट में आकर जनजागरण।

1928 - साइमन कमीशन के विरोध में 22 अक्टूबर को बद्रीदत्त पाण्डे, प्रयागदत्त पंत व इनके सहयोगियों द्वारा कालिंका गंगोलीहाट मेले में जनसभा में बड़ी उपस्थिति।

1929- 16 जून से 2 जुलाई तक गांधी जी का कुमाऊं भ्रमण। ताड़ीखेत प्रेम विद्यालय के वार्षिकोत्सव में भाषण। 12 दिनों तक अनाशक्ति आश्रम कौसानी में प्रवास। यात्रा के दौरान जवाहरलाल नेहरू, आचार्य कृपलानी, मीरा बहन, कस्तूरबा गांधी भी मौजूद रहीं।

1929- 16 अक्टूबर को गांधी जी का देहरादून आगमन। बैरिस्टर दर्शनलाल द्वारा दी गई 5 बीघा जमीन पर श्र(ानन्द अनाथ आश्रम की आधारशिला रखी। परेड ग्राउन्ड में सभा सम्बोधित। 6 हजार रु.की थैली भेंट। अन्य संगठनांे द्वारा भी लगभग 20 हजार की राशि दी गई।

1930- क्रान्तिकारी भवानीसिंह रावत के आग्रह पर चन्द्रशेखर आजाद हथियार प्रशिक्षण हेतु दुगड्डा के नाथोपुर ग्राम आए।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कब क्या हुआ ?

1930- कण्डोलिया, पौड़ी में डिप्टी कमिश्नर ईबटसन का घेराव। 18 लोग गिरफ्तार कर जेल भेजे गए।

1930- 23 अपै्रल को चन्द्रसिंह गढ़वाली के नेतृत्व में पेशावर में सेना में बगावत।

1930- अपै्रल 23 को अल्मोड़ा में महिला सम्मेलन। गोविन्द बल्लभ पन्त के द्वारा महिलाओं की भागीदारी का प्रण लिया।

1930- 7 मई को गांधीजी की गिरफ्तारी पर नैनीताल में माल रोड़ पर विराट प्रदर्शन, गाड़ी पड़ाव में जनसभा व विदेशी वस्त्रों की होली जलाई।

1930- 25 मई को नैनीताल में नमक सत्याग्रह की घोषणा के सिलसिले में गोविन्द बल्लभ पन्त की गिरफ्तारी।

1930 - अल्मोड़ा नगर पालिका भवन पर धारा 144 के बावजूद तिरंगा फहराने की कोशिश करते पुलिस के हमले में विक्टर मोहन जोशी व शान्तिलाल घायल। मोहन जोशी की रीढ़ में आई चोट के कारण वे एकदम ठीक न हो सके। 1940 में कष्ट झेलते हुए मृत्य

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कब क्या हुआ ?

1930- 30 मई को रियासत टिहरी में वन कानूनों का विरोध करने आई जनता पर तिलाड़ी में गोलीबारी। कई लोगों की मौत।

1930- अगस्त में अल्मोड़ा के सल्ट में आन्दोलन दबाने के लिए सरकारी मुलाजिमों का अत्याचार। खुमाड़ में चार नौजवान गोली का शिकार।

1930 - अक्टूबर में दुगड्डा में दलितो(ार सम्मेलन। डोला पालकी के प्रश्न पर विचार विमर्श।

1930 - नमक सत्याग्रह पर नमक कानून तोड़ने को लेकर अनेक लोगांे गिरफ्तारी।

1931 - ब्रिटिश गढ़वाल में अनुसूया प्रसाद बहुगुणा सर्वप्रथम छपाई मशीन लाए एवं पौड़ी से ‘स्वर्ण भूमि’ एवं ‘उत्तर भारत’ नामक समाचार-पत्रों का प्रकाशन किया।

1931 - महिला आन्दोलनकारियों की सक्रियता। हल्द्वानी में विदेशी वस्त्रों की दुकानों पर धरना। आन्दोलन में भाग लेने के कारण कुन्ती देवीवर्मा, मंगला देवी, जीवन्ती देवी सहित आदि अनेक महिला आन्दोलनकारी गिरफ्तार।

1931 - यमकेश्वर में नरदेवशास्त्री की अध्यक्षता में विशाल राजनीति सम्मेलन।

1931 - 21 मई को नैनीताल में गांधी जी व पुरुषोत्तम दास टण्डन की उपस्थिति में राजनीतिक सम्मेलन।

1932 - नरदेवशास्त्री को आन्दोलन में भाग लेने के कारण देहरादून से जिला बदर।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कब क्या हुआ ?

1932 - नेहरू जी व गोविन्दबल्लभ पन्त देहरादून जेल भेजे गए।

1932 - सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान संयुक्त प्रान्त के लाट मैलकम हेली को 7 सितम्बर को पौड़ी की अमन सभा द्वारा सम्मानित करने को बुलाया गया, जिसमें इनमें सरकारपरस्त रायबहादुर, रायसाहबान, वकील, ठेकेदार, थोकदार व सेवानिवृत्त कर्मचारी थे। सम्मान पत्र पढ़ने के बाद अचानक जयानन्द भारती द्वारा इसमें तिरंगा फहराते हुए हैली गो बैक के नारे लगाए। उनको तुरन्त गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। इसके लिए उनको 1 साल की जेल हुई।

1932 - महिला नेत्री चन्द्रावती लखनपाल को धारा 144 का उल्लंघन करने व जनता को भड़कानेके आरोप में 1 साल की जेल

1934-35 - नेहरु जी को कलकत्ता में मजिस्ट्रेट ने धारा 124-ए, आई.पी.सी. के 2 साल की सजा दी। उनका यहां 28 अक्टूबर 1934 को जेल में प्रवेश हुआ और 3 सितम्बर, 1935 को रिहाहुए। जबकि खान अब्दुल गफ्फारखान भी इसमें दिसम्बर 1934 से अगस्त 1936 तक बन्द रहे।

1936 - नवम्बर में दुगड्डा में राजनैतिक सम्मेलन, मुख्य अतिथि जवाहरलाल नेहरू थे।

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