चलो गैरसैंण, हिटो गैरसैंण,
आओ दीदी, आओ भुली,
आओ ईजा, आओ आमा,
चलें अब हम गैरसैंण,
अस्थाई से न अब काम चलेगा,
न कोई गैरसैंण का विकल्प बनेगा,
शहीदों का सपना है ये,
आंदोलन की भावना है यह,
बहुत हो गई राजनीति,
देख ली हमने इसकी परिणिति,
बहुत छले जा चुके, बहलाये जा चुके,
अब यह सब सहन न होगा,
अब हम खुद पहल करेंगे,
हम ही पहले गैरसैंण चलेंगे,
संकल्प हमारा, गैरसैंण,
भावना हमारी, गैरसैंण,
संघर्ष हमारा........................गैरसैंण।
अब एक ही नारा है, एक ही जंग,
ना भाबर ना सैंण, राजधानी सिर्फ गैरसैंण।