Author Topic: Gairsain: Uttarakhand Capital - गैरसैण मुद्दा : अब यह चुप्पी तोड़नी ही होगी  (Read 85099 times)

गैरसैंण/ Gairsain

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राज्य आन्दोलन के समय से ही उत्तराखण्ड राज्य की जनता का समर्थन राजधानी के लिये गैरसैंण को ही मिला था. दीक्षित आयोग, जिसके सामने 64% लोगों ने गैरसैंण के समर्थन में अपने विचार रखे, उसने राजधानी की सूची में गैरसैंण को अनुपयुक्त मानकर लोकतंत्र का गला घोटने की कोशिश की है. इस मुद्दे पर राजनैतिक दलों (क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय) की चुप्पी आश्चर्यजनक रूप से शर्मनाक है. यद्यपि राज्य आन्दोलन में सक्रिय कुछ शक्तियां संगठित होकर गैरसैण के समर्थन में आन्दोलन को अग्रसर दिखाई दे रही हैं. विश्व भर में और देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे उत्तराखण्ड के प्रवासी भी राजधानी के रूप गैरसैण के लिये एकजुट होने लगे हैं.
 
एक जिम्मेदार उत्तराखण्डी होने के नाते हम राज्य आन्दोलन में शहीद हुए 42 शहीदों और मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर अपनी अस्मत पर हमला झेल चुकी महिलाओं के बलिदान को लज्जित नहीं होने देंगे. बाबा मोहन उत्तराखण्डी की शहादत को इस तरह व्यर्थ नहीं जाने दिया जा सकता. अपनी सुविधा के लिये जनता की आवाज को दबाने की साजिश रचने वाले नौकरशाहों और राजनेताओं की यह कुटिल चाल यदि सफल हुई तो उत्तराखंड वह राज्य नहीं रहेगा जिसका सपना राज्य आन्दोलन के दौरान देखा गया था.

"क्रिएटिव उत्तराखण्ड - म्यर पहाड़" और "म्योर उत्तराखण्ड" ने जिम्मेदारी ली है कि वह राज्य के युवाओं को गैरसैंण राजधानी की आवश्यकता के प्रति सजग करेगा और इस मुद्दे से जुड़ी जनभावनाओं को एक सशक्त आवाज प्रदान करेगा. दोनों संगठनों के सदस्य अगस्त के अन्तिम सप्ताह में गैरसैंण के साथ ही उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में एक जनसम्पर्क यात्रा का आयोजन करने जा रहे हैं. इस यात्रा का उद्देश्य आम जनता के बीच गैरसैण को राजधानी बनाने की अनिवार्यता को स्पष्ट करना और गैरसैण मुद्दे पर युवाशक्ति व मातृशक्ति को एकजुट करना है. कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-


27 अगस्त 2009- दिल्ली से यात्रा का शुभारंभ
28 अगस्त 2009- रुद्रपुर, हल्द्वानी, अल्मोड़ा तथा द्वाराहाट आदि में जनजागरण अभियान
29 अगस्त 2009-द्वाराहाट से गैरसैंण तक रैली
30 अगस्त 2009- उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के अग्रणी नेता स्व. विपिन त्रिपाठी जी की पुण्य तिथि पर द्वाराहाट में श्रद्धांजली सभा तथा गैरसैण मुद्दे पर एक विशाल जनसभा/विचार गोष्टी.


गैरसैंण राजधानी के मुद्दे पर इस समय आवाज बुलन्द करना अत्यन्त जरूरी है, अन्यथा यह चुप्पी उत्तराखण्ड के भविष्य के लिये घातक हो सकती है. आप सभी लोगों से अपील है कि आप इस मुद्दे पर आगे आयें और इस अभियान में सहभागी बनें.

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क्या उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण होनी चाहिए? - http://www.merapahadforum.com/development-issues-of-uttarakhand/should-uttarakhand-capital-should-be-shifted-to-gairsain/msg171/#msg171

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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We will not leave it till the capital is shifted to Gairsain.

It was during the struggle of Uttarakhand when there was echo from each corner of pahad for separate state and after a lot struggle we got.

Now this is the second time simliar echo is from the pahad for shifting of Capital.

राज्य आन्दोलन के समय से ही उत्तराखण्ड राज्य की जनता का समर्थन राजधानी के लिये गैरसैंण को ही मिला था. दीक्षित आयोग, जिसके सामने 64% लोगों ने गैरसैंण के समर्थन में अपने विचार रखे, उसने राजधानी की सूची में गैरसैंण को अनुपयुक्त मानकर लोकतंत्र का गला घोटने की कोशिश की है. इस मुद्दे पर राजनैतिक दलों (क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय) की चुप्पी आश्चर्यजनक रूप से शर्मनाक है. यद्यपि राज्य आन्दोलन में सक्रिय कुछ शक्तियां संगठित होकर गैरसैण के समर्थन में आन्दोलन को अग्रसर दिखाई दे रही हैं. विश्व भर में और देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे उत्तराखण्ड के प्रवासी भी राजधानी के रूप गैरसैण के लिये एकजुट होने लगे हैं.
 
एक जिम्मेदार उत्तराखण्डी होने के नाते हम राज्य आन्दोलन में शहीद हुए 42 शहीदों और मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर अपनी अस्मत पर हमला झेल चुकी महिलाओं के बलिदान को लज्जित नहीं होने देंगे. बाबा मोहन उत्तराखण्डी की शहादत को इस तरह व्यर्थ नहीं जाने दिया जा सकता. अपनी सुविधा के लिये जनता की आवाज को दबाने की साजिश रचने वाले नौकरशाहों और राजनेताओं की यह कुटिल चाल यदि सफल हुई तो उत्तराखंड वह राज्य नहीं रहेगा जिसका सपना राज्य आन्दोलन के दौरान देखा गया था.

"क्रिएटिव उत्तराखण्ड - म्यर पहाड़" और "म्योर उत्तराखण्ड" ने जिम्मेदारी ली है कि वह राज्य के युवाओं को गैरसैंण राजधानी की आवश्यकता के प्रति सजग करेगा और इस मुद्दे से जुड़ी जनभावनाओं को एक सशक्त आवाज प्रदान करेगा. दोनों संगठनों के सदस्य अगस्त के अन्तिम सप्ताह में गैरसैंण के साथ ही उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में एक जनसम्पर्क यात्रा का आयोजन करने जा रहे हैं. इस यात्रा का उद्देश्य आम जनता के बीच गैरसैण को राजधानी बनाने की अनिवार्यता को स्पष्ट करना और गैरसैण मुद्दे पर युवाशक्ति व मातृशक्ति को एकजुट करना है. कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-


27 अगस्त 2009- दिल्ली से यात्रा का शुभारंभ
28 अगस्त 2009- रुद्रपुर, हल्द्वानी, अल्मोड़ा तथा द्वाराहाट आदि में जनजागरण अभियान
29 अगस्त 2009-द्वाराहाट से गैरसैंण तक रैली
30 अगस्त 2009- उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के अग्रणी नेता स्व. विपिन त्रिपाठी जी की पुण्य तिथि पर द्वाराहाट में श्रद्धांजली सभा तथा गैरसैण मुद्दे पर एक विशाल जनसभा/विचार गोष्टी.


गैरसैंण राजधानी के मुद्दे पर इस समय आवाज बुलन्द करना अत्यन्त जरूरी है, अन्यथा यह चुप्पी उत्तराखण्ड के भविष्य के लिये घातक हो सकती है. आप सभी लोगों से अपील है कि आप इस मुद्दे पर आगे आयें और इस अभियान में सहभागी बनें.

पंकज सिंह महर

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हम चुप थे कहां?

हमारा सलाम है आपके संघर्ष को और समर्थन है आपके संकल्प को।

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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Uttarakhand ki Rajdhani Gair Sain Hi hogi, yah hamara sankalp hai ab samay aa gaya hai hum sabko Jagrukh rahane ka aur kisi vi Govt. ya adhikari ko manmaani nahi karane dange,
  aaeye hum sab is Gairsain Yatra ko safal banayan.

Dayal Pandey

हेम पन्त

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परिसीमन के मुद्दे पर राजनैतिक दलों के भरोसे चुप बैठकर पहाड़ की जनता अपने को ठगा महसूस कर चुकी है. इस मुद्दे पर जनता निर्णय को अपने पक्ष में करवा कर ही दम लेगी.

ना भावर ना सैंण, राजधानी सिर्फ गैरसैंण

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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पहाड़ की आवाज कोई नहीं दबा सकता !

उत्तराखंड आंलोदान के दौरान लोगो ने पहाड़ की आवाज दबाने की कोशिश की लेकिन संभव नहीं था लोगो ने अपना बलिदान दिया और उत्तराखंड राज्य पाया !

फिर से एक बार राजधानी के लिए पहाड़ की जनता की आवाज है "राजधानी गैरसैण और केवल गैरसैण"

यह होके रहेगा !

Mohan Bisht -Thet Pahadi/मोहन बिष्ट-ठेठ पहाडी

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अब सब्र क बाध तूट चुका है... सिर से पानी उपर जा चुका है..  राजधानी की जब बात होगी तो उस्मे...गैरसैण कि बात जरुर आयेगी ... और ये राजधानी गैरसैण ही बनेगी..अब हम सभी जो एक जुट हो के साथ चलना होगा... और तब तक नहि रुकना होगा... जब तक कि राजधानी.. गैरसैण नही बनती...

साथियो... अब एक येसी मसाल जगानी होगी जो तब तक नहि बुझेगी.. जब तक कि गैरसैण राजधानी  नही बन जाती...

अब किसी को भी रुकना नही है..चलते रहना है....

इस के लिये सभी को एक साथ चलना बहुत जरुरी है...

अब बस बहुत हो गया...चलो गैरसैण....

हुक्का बू

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चलो गैरसैंण, हिटो गैरसैंण,
आओ दीदी, आओ भुली,
आओ ईजा, आओ आमा,
चलें अब हम गैरसैंण,
अस्थाई से न अब काम चलेगा,
न कोई गैरसैंण का विकल्प बनेगा,
शहीदों का सपना है ये,
आंदोलन की भावना है यह,
बहुत हो गई राजनीति,
देख ली हमने इसकी परिणिति,
बहुत छले जा चुके, बहलाये जा चुके,
अब यह सब सहन न होगा,
अब हम खुद पहल करेंगे,
हम ही पहले गैरसैंण चलेंगे,
संकल्प हमारा, गैरसैंण,
भावना हमारी, गैरसैंण,
संघर्ष हमारा........................गैरसैंण।
अब एक ही नारा है, एक ही जंग,
ना भाबर ना सैंण, राजधानी सिर्फ गैरसैंण।

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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Wah Bubu kavita madhyamal saarai man baat kai ge chha, ab bhal hai go 28 Aug hain Pakk hitan chhu Gair sain yatra main,
Jai ho Bubu Hukka bubu ki

हेम पन्त

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यो लि कैसि बात कर दि दयाल जी आपने? बुबू जरुर से आयेंगे.. अपनि हुक्का-चिलम और दर्जनों गांव वालों को साथ लेकर भी आयेंगे..

 

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