Author Topic: Gairsain: Uttarakhand Capital - गैरसैण मुद्दा : अब यह चुप्पी तोड़नी ही होगी  (Read 85997 times)

dajyu/दाज्यू

  • Newbie
  • *
  • Posts: 13
  • Karma: +2/-0
लेकिन जब तक पहाड़ के लिये कुछ करने के नाम पर अपने नाम को आगे करने, कोई संस्था बनाकर उसके लिये चंदा उगाहने और  पहाड़ के हालात बदलने के नाम पर साल में एक दो बार पहाड़ के प्रायोजित  टूर करने  की प्रवृति सामने रहेगी तब तक पहाड़ का भला होने वाला नहीं। गैरसैण के नाम पर प्रश्न चिन्ह लगाने वाले कितने लोग उत्तराखंड के मानचित्र पर गैरसैंण को पहचान सकते हैं। उनमें से कितने लोगों को उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति की सही सही जानकारी है। लेकिन नहीं उन्हें बिना जाने समझे सिर्फ विरोध करना है तो करेंगे।

आज राजधानी बदलने से पहाड़ के बुनियादी विकास की नींव पड़ेगी। उन अधिकारियों, नेताओं को भी उन्ही सब असुविधाओं से दो चार होना पड़ेगा जिन्हेंएक आम उत्तराखंडी हर दिन झेलता है। यह लोकतंत्र है कोई राजशाही तो नहीं कि प्रजा परेशान और राजा महान। यदि उत्तराखंड  भूकंप प्रभावित क्षेत्र है तो क्या, राजधानी भी ऐसे ही जगह में हो तो क्या बुरा है।  आप  राजधानी को ऐसे क्षेत्र से निकालकर अलग बनाना चाहते हैं ताकि जनता मरे और आप राहत कार्यों का हवाई सर्वेक्षण करने पहुंच जायें। नीरो ऐसे ही तो बंशी बजा रहा था जब रोम जल रहा था।

सुदूर क्षेत्र में बैठे एक आम उत्तराखंडी को किसी भी काम के लिये राजधानी जाने के लिये कितना समय लगता है उससे आपको क्या मतलब। आपके पास जहाज है, गाड़ी है पहुंच जाइए देहरादून, हल्द्वानी या नैनीताल। आपको इससे क्या कि एक पहाड़ी को 2 मील दूर से हर रोज पीने का पानी लाना पड़ता है। आप कहेंगे इसकी क्या जरूरत है मिनरल वाटर क्यों नहीं खरीद लेता। पढ़ाई के लिये पांच मील दूर स्कूल जाना होता है जिसमें साल के आधे से ज्यादा दिन पढ़ाई नहीं होती। आप कहेंगे घर बैठे ई-लर्निंग क्यों नहीं कर लेता। अस्पताल जाने के लिये 15 मील चलना पड़ता है। मेडिकल इंस्योरेंस नहीं है क्या?

जब पहाड़ से निकले लोग ही बड़े शहरों में जाकर पहाड़ के असली दुख दर्दों को भूल जाते हैं और सिर्फ फैशन के लिये उत्तराखंड प्रेम की दुहाई देते हैं और खुद को पहाड़ी कहलाने में शर्म महसूस करते हैं तो उन देहरादून में बैठे शहरों में पले बड़े अधिकारियों का क्या दोष। "गैरसैण क्यों "यह सवाल ही एक बहुत बड़ा तमाचा है उन लोगों पर जिन्होंने पहले उत्तराखंड का सपना देखा और अब राजधानी परिवर्तन की जिद पाले बैठे हैं। यह तमाचा है हर उस पहाड़ में रहने वाले उत्तराखंडी पर जो आज भी अपने दैनिक सुख सुविधाओं के लिये जूझ रहा है। पहाड़ में शराब घर घर पहुंच गयी है, ऐसा कहने वाले लोग बहुत मिलेंगे, लेकिन उसका समाधान क्या है यह कोई नहीं बतायेगा। इसके जिम्मेवार भी वही लोग हैं जो पूछते हैं गैरसैण क्यों?

यह अभी जारी रहेगा आजके लिये इतना ही। अभी आज की रोटी-सब्जी का जुगाड़ करना है बल।

---कल जारी रहेगा---

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0


Excellent Lines Sunder Ji.

Some people have apprehension that if Capital is shifted to Gairsain, Govt has to spend a lot of money on them which can be presently used for various development.

However, there are people who must not be knowing that Central Govt has already allotted 1000 or more in this regard which will be lapsed in 2010 or 12, if capital is not shifted before.

I think keeping in mind the fast development of Uttarakhand Govt must shift the Capital at the earliest.


चिंगारी नीकल चुकी है, आग सुलगने लगी है।
दिल्ली से हवा ने, गैरसैण को रुख कर लिया है।
तुफानो का जीक्र होने लगा है,
कुतॅको के कुतॅक उडने लगे है।
सब जय उत्तराखण्ड कहने लगे है।


पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
अरे दाज्यू, मैं तो नहीं समझता कि ऐसे असंस्कारित उत्तराखण्डियों को हमें जबाब भी देना आहिये, जो यह नहीं जानते कि उत्तराखण्ड क्या है और गैरसैंण की महत्ता उत्तराखण्डियों के लिये क्या है?

गैरसैंण उत्तराखण्डियों के संघर्ष का सपना है। आत्मा है इस उत्तराखण्ड की, हम जैसे सिरफिरे-पागलों (जिनकी संख्या ज्यादा है) की भावना है, हमारे लिये गैरसैंण बद्रीनाथ जी के समान है, मक्का है वह हमारा.....स्वर्ण मंदिर है....।

इस गैरसैंण में हमारे ५२ शहीदों की आत्मा वास करती है। लाखों आन्दोलनकारी जो घर-बार छोड़कर पुलिस वालों की भद्दी गालियां झेल रहे थे, वह महिलायें जो आन्दोलन के दौरान इसके विरोधियों की छेड़खानी का शिकार होती थी, उनकी भावना है। उत्तराखण्ड के लिये मुजफ्फरनगर में जो कुछ हो गया, उस कड़वे घूंट का प्रतिफल है उत्तराखण्ड और उसी उत्तराखण्ड की भावना है गैरसैंण।

इन वेवकूफ लोगों को क्या समझाना, हम अपना संघर्ष जारी रखेंगे, यह तो कल भी ऐसा ही कुछ कहते थे और आज उत्तराखण्ड हमने बनाया कहने लगे।
वो एक कहावत है" हाथी चलते रहते हैं और कुत्ते भौंकते रहते हैं" तो भौंकने दो क्या फर्क पड़ता है।

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 572
  • Karma: +5/-0
दाज्यु आप तो बहुत अच्छी तरहै जानते है उत्तराखण्ड के बारे मे। उत्तराखण्ड पर आपकी पकड बहुत मजबूत है।

Mohan Bisht -Thet Pahadi/मोहन बिष्ट-ठेठ पहाडी

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 712
  • Karma: +7/-0
dajyu aapne kamal kardiya thaira aur man mai aag paida kar di gairsain rajdhani ki... ab hum bhi mar mitne ko tyar hai.... mai aapke ek ek sabd ko apne andar bhal laita hoon ....

aur sundar bhai aapki kavita bahut sundar hai.. hame aur bhi jyada takat meel rahi hai jai ho aap sabki..

bas ab sirf aur sirf gairsain.. hi yaad aara ha hai mai to aaj kal sapna bhi gairsain ka dekh raha hon... ye majak nahi hakikat hai.. kal raat ko mai soya bhi nahi isi baare mai soch kar.. maire ghar waale paresha.. thai.. ki aaj iska birth daya hai per ye so nahi raha ab unhe mai kasie samjau maire mann kya aag lagi hai...



लेकिन जब तक पहाड़ के लिये कुछ करने के नाम पर अपने नाम को आगे करने, कोई संस्था बनाकर उसके लिये चंदा उगाहने और  पहाड़ के हालात बदलने के नाम पर साल में एक दो बार पहाड़ के प्रायोजित  टूर करने  की प्रवृति सामने रहेगी तब तक पहाड़ का भला होने वाला नहीं। गैरसैण के नाम पर प्रश्न चिन्ह लगाने वाले कितने लोग उत्तराखंड के मानचित्र पर गैरसैंण को पहचान सकते हैं। उनमें से कितने लोगों को उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति की सही सही जानकारी है। लेकिन नहीं उन्हें बिना जाने समझे सिर्फ विरोध करना है तो करेंगे।

आज राजधानी बदलने से पहाड़ के बुनियादी विकास की नींव पड़ेगी। उन अधिकारियों, नेताओं को भी उन्ही सब असुविधाओं से दो चार होना पड़ेगा जिन्हेंएक आम उत्तराखंडी हर दिन झेलता है। यह लोकतंत्र है कोई राजशाही तो नहीं कि प्रजा परेशान और राजा महान। यदि उत्तराखंड  भूकंप प्रभावित क्षेत्र है तो क्या, राजधानी भी ऐसे ही जगह में हो तो क्या बुरा है।  आप  राजधानी को ऐसे क्षेत्र से निकालकर अलग बनाना चाहते हैं ताकि जनता मरे और आप राहत कार्यों का हवाई सर्वेक्षण करने पहुंच जायें। नीरो ऐसे ही तो बंशी बजा रहा था जब रोम जल रहा था।

सुदूर क्षेत्र में बैठे एक आम उत्तराखंडी को किसी भी काम के लिये राजधानी जाने के लिये कितना समय लगता है उससे आपको क्या मतलब। आपके पास जहाज है, गाड़ी है पहुंच जाइए देहरादून, हल्द्वानी या नैनीताल। आपको इससे क्या कि एक पहाड़ी को 2 मील दूर से हर रोज पीने का पानी लाना पड़ता है। आप कहेंगे इसकी क्या जरूरत है मिनरल वाटर क्यों नहीं खरीद लेता। पढ़ाई के लिये पांच मील दूर स्कूल जाना होता है जिसमें साल के आधे से ज्यादा दिन पढ़ाई नहीं होती। आप कहेंगे घर बैठे ई-लर्निंग क्यों नहीं कर लेता। अस्पताल जाने के लिये 15 मील चलना पड़ता है। मेडिकल इंस्योरेंस नहीं है क्या?

जब पहाड़ से निकले लोग ही बड़े शहरों में जाकर पहाड़ के असली दुख दर्दों को भूल जाते हैं और सिर्फ फैशन के लिये उत्तराखंड प्रेम की दुहाई देते हैं और खुद को पहाड़ी कहलाने में शर्म महसूस करते हैं तो उन देहरादून में बैठे शहरों में पले बड़े अधिकारियों का क्या दोष। "गैरसैण क्यों "यह सवाल ही एक बहुत बड़ा तमाचा है उन लोगों पर जिन्होंने पहले उत्तराखंड का सपना देखा और अब राजधानी परिवर्तन की जिद पाले बैठे हैं। यह तमाचा है हर उस पहाड़ में रहने वाले उत्तराखंडी पर जो आज भी अपने दैनिक सुख सुविधाओं के लिये जूझ रहा है। पहाड़ में शराब घर घर पहुंच गयी है, ऐसा कहने वाले लोग बहुत मिलेंगे, लेकिन उसका समाधान क्या है यह कोई नहीं बतायेगा। इसके जिम्मेवार भी वही लोग हैं जो पूछते हैं गैरसैण क्यों?

यह अभी जारी रहेगा आजके लिये इतना ही। अभी आज की रोटी-सब्जी का जुगाड़ करना है बल।

---कल जारी रहेगा---


Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 572
  • Karma: +5/-0
धन्यबाद मेहता जी

वैसे तो अंग्रेजी हमारे लिए समझना बहुत मुसकिल होता है पर जीतना भी समझ मे आया बस आ गया. इस महत्वपुणॅ जानकारी के लिए पुनः धन्यबाद।

Mohan Bisht -Thet Pahadi/मोहन बिष्ट-ठेठ पहाडी

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 712
  • Karma: +7/-0
sundar bhai mai aapko personal mesage nahi kar paa raa hon jo aapne mujhe pucha tha chahe to aap mujhe call kar sakte hai 9310999960


mehta jyu yaar yo me sundarhe message ni kar sakany patt an ke problem chhu...
चिंगारी नीकल चुकी है, आग सुलगने लगी है।
दिल्ली से हवा ने, गैरसैण को रुख कर लिया है।
तुफानो का जीक्र होने लगा है,
कुतॅको के कुतॅक उडने लगे है।
सब जय उत्तराखण्ड कहने लगे है।


Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 572
  • Karma: +5/-0
धन्यबाद मोहन दाज्यु

अभी मेरे पास फोन लाइन अवेलेबल नही है मै आपको लाइन अवेलेबल होने पर ही फोन कर पाउगा।

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 572
  • Karma: +5/-0
अधिक नही दो शब्द

सरकार का मतलब हुआ सासन करना और नेता का मतलब हुआ जनता कि सेवा करना, देश कि सेवा करना. अब दोनो शब्दो का अगर अथॅ नीकाला जाय तो बनता है?

जन्ता और देश सेवा करने वाले सासक.

जन्ता के साथ देश शब्द इसलिए जोड रहा हु क्योकी उत्ताखण्ड से पहले हम भारत मे रहते है यानी जब भारत है तभी उत्तराखण्ड है।
अब सासन करने वालो की गद्दी हमने लगा दी किनारे मे, अब उन्होने अपना हुकम दे दिया की ये होना चाहिए वो होना चाहिए हम ये करंगे हम वो करंगे, जब नही हुआ तो जनता मिलो दूर से पुछने के लिए जाती है कि देश सेवको ये सब कब होगा तो वो क्या करते है पता है आपको? सायद नही होगा

वो किनारे किनारे से होकर के केन्द्र मे पहुच जाते है। और उनके चमचे बाहर आकर कहते है? वो तो दिल्ली मे है कुछ विशेष काम से गये है विशेष काम यानी अगली योजना के बारे मे बात करने गये है।
यानी पहला काम तो हुआ नही दुसरा काम लेने गये है किसके लिए?

उत्तराखण्ड की जनता के लिए.

अब पकड लो इन देश सेवको को पूछ लो इन परदेश सेवको से.
कहा पकडोगे दिल्ली या देहरादून?
या फिर अपना सा मुह लेके वपस घर लौट आओगे खैर ये आपकी जेब पर निभॅर है कि आप क्या करोगे।

इसलिए गैरसैण का बीरोध करने वालो से मै यह कहना चाहता हु, यह बतलाना चाहता हु कि ये जन्ता कि सेवा, देश कि सेवा करने वालो को किनारे मै बिठाने के बजाय उत्तराखण्ड के बीचो बीच मै बिठाना सबकी सूलियत है।
ताकी ये सासन करने वाले, जन्ता कि सेवा करने वाले, विकास के वादे करने वालो को उत्तराखण्ड के बीचो बीच मे से बहाने बनाकर भागने मे आसानी ना हो।
अब देहरादून से तो ये जन सेवक किनारे लग जाते है इस लिए ये अपने ऐस आराम के लिए उत्तराखण्ड की राजधानी किनारे पर ऱखना चाहते है। ताकी इनहै जनता की कोई कच कच न सुनाई दे।


सुन्दर सिंह नेगी

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 572
  • Karma: +5/-0
बिरोधियो की टिप्पणी का हमै इन्तजार है

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22