अरे दाज्यू, मैं तो नहीं समझता कि ऐसे असंस्कारित उत्तराखण्डियों को हमें जबाब भी देना आहिये, जो यह नहीं जानते कि उत्तराखण्ड क्या है और गैरसैंण की महत्ता उत्तराखण्डियों के लिये क्या है?
गैरसैंण उत्तराखण्डियों के संघर्ष का सपना है। आत्मा है इस उत्तराखण्ड की, हम जैसे सिरफिरे-पागलों (जिनकी संख्या ज्यादा है) की भावना है, हमारे लिये गैरसैंण बद्रीनाथ जी के समान है, मक्का है वह हमारा.....स्वर्ण मंदिर है....।
इस गैरसैंण में हमारे ५२ शहीदों की आत्मा वास करती है। लाखों आन्दोलनकारी जो घर-बार छोड़कर पुलिस वालों की भद्दी गालियां झेल रहे थे, वह महिलायें जो आन्दोलन के दौरान इसके विरोधियों की छेड़खानी का शिकार होती थी, उनकी भावना है। उत्तराखण्ड के लिये मुजफ्फरनगर में जो कुछ हो गया, उस कड़वे घूंट का प्रतिफल है उत्तराखण्ड और उसी उत्तराखण्ड की भावना है गैरसैंण।
इन वेवकूफ लोगों को क्या समझाना, हम अपना संघर्ष जारी रखेंगे, यह तो कल भी ऐसा ही कुछ कहते थे और आज उत्तराखण्ड हमने बनाया कहने लगे।
वो एक कहावत है" हाथी चलते रहते हैं और कुत्ते भौंकते रहते हैं" तो भौंकने दो क्या फर्क पड़ता है।