विधानसभा में पेश संकल्प पर भाजपा-कांग्रेस-बसपा और यूकेडी (डी) के सदस्य कुछ नहीं बोले
गैरसैंण पर सदन में छाई चौंकाने वाली चुप्पी
अमर उजाला ब्यूरो
देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी गैरसैंण को बनाने के मुद्दे पर शुक्रवार को सभी प्रमुख सियासी दलों की पोल खुल गई। इस मुद्दे से जुड़ा संकल्प विधानसभा में आया तो सभी दलों के नेताओं ने चुप्पी साध ली। अहम बात यह है कि यूकेडी की तरफ से इस संकल्प को लाने की कोशिश कई वर्षों से चल रही थी। नेताओं की खामोशी से तो यही लगता है कि इनकी चाहत देहरादून को ही राजधानी बनाए रखने की है।
प्रदेश की राजधानी गैरसैंण बनाने की मांग के पीछे प्रमुख तर्क इसका गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के बीच स्थित होना है। राजधानी चयन के लिए सरकार ने दीक्षित आयोग का गठन किया पर उसने दून को सर्वश्रेष्ठ विकल्प बताया। गैरसैंण को उसने जनभावनाओं से जुड़ी मांग करार दिया। इस मुद्दे पर लंबी चुप्पी के बाद शुक्रवार को जब विधानसभा में यूकेडी (पी) के पुष्पेश त्रिपाठी ने गैरसैंण को राजधानी बनाने का संकल्प सदन में प्रस्तुत किया तो सभी दलों का व्यवहार चौंकाने वाला था। भाजपा और कांग्रेस की तरफ से एक भी वक्तव्य पक्ष या विपक्ष में नहीं आया। बसपा से आशा भी नहीं थी यूकेडी (डी) के ओमगोपाल रावत और दिवाकर भट्ट भी खामोश रहे। कभी बसपा में रहे काजी निजामुद्दीन जरूर गैरसैंण के हक में बोले, मगर उन्हें ताली नहीं मिली। गोया दबी जुबान में यह प्रतिक्रिया सुनने को मिली कि यह क्या मुसीबत आ गई। आखिरकार संकल्प निर्ममता के साथ दफन कर दिया गया।
गैरसैंण को राजधानी बनाने पर चर्चा नामंजूर
देहरादून। गैरसैंण को राजधानी घोषित करने के संकल्प पर चर्चा सदन में नामंजूर हो गई। पुष्पेश त्रिपाठी के संकल्प प्रस्ताव पर सभी सदस्य खामोश रहे। नेता सदन और नेता प्रतिपक्ष सदन में नहीं थे। सिर्फ बसपा के असंबद्ध विधायक काजी निजामुद्दीन ने प्रस्ताव का समर्थन किया। पुष्पेश त्रिपाठी ने 27 फरवरी, 2009 को राज्य की राजधानी गैरसैंण घोषित करने का संकल्प सदन में प्रस्तुत किया था। कुछ समय से त्रिपाठी इस पर बोलने से बच रहे थे। लिहाजा इस संकल्प पर चर्चा का मसला खिंचता रहा। शुक्रवार को सदन में पुष्पेश इस पर बोले और गैरसैंण को राजधानी बनाने के पक्ष में तर्क दिए। संकल्प पर संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने दीक्षित आयोग की रिपोर्ट का हवाला दिया। कहा कि 2006 का एक आश्वासन भी आश्वासन समिति में लंबित है। प्रावधान है कि सदन में एक ही विषय पर दो बार अलग-अलग चर्चा नहीं की जा सकती है। पीठ की ओर से चर्चा को अस्वीकृत कर दिया गया। इसका विरोध जताते हुए पुष्पेश ने सदन से बहिर्गमन किया।
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