सैनिक सम्मान के साथ शहीद की आखिरी विदाई
जागरण प्रतिनिधि, मेहलचौरी: मणिपुर के गोरखा हिल्स में 22 मार्च की सुबह अलगाववादियों के रिमोट चालित विस्फोट के धमाके में 39 वर्षीय हवलदार महेंद्र सिंह कैड़ा ने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिया। रविवार को सैनिक सम्मान के साथ पैतृक घाट पर बेटे ने मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया।
विकासखंड गैरसैंण के कूनीगाड़ निवासी 15वीं असम राइफल में तैनात महेन्द्र सिंह का शव असम राइफल के जवान लेकर उनके पैतृक गांव पहुंचे। शव के पहुंचते पत्नी मुन्नी देवी, 68 वर्षीय माता अमृता देवी व बेटे नीरज उनके शव से लिपट कर रोने लगे। शहीद के अंतिम संस्कार के लिए रूद्रप्रयाग से आई पांचवी सिख रेजीमेंट के जवानों ने शहीद महेंद्र सिंह को पुष्प चक्र भेंट कर अर्थी को कंधा लगाया तो वहां मौजूद लोगों ने देशभक्ति के नारे लगाए। अंतिम संस्कार में महेंद्र के भाई चंदन, सोभन व मोहन और पिता कलम सिंह के अलावा एसडीएम गैरसैंण केएस नेगी, सिख रेजीमेंट के नायब सूबेदार नछत्तर सिंह, असम राइफल के जेसीओ सीएस बिष्ट मौजूद रहे। इस दौरान सिख रेजीमेंट के जवानों ने तीन राउंड फायर कर शहादत को सैनिक सम्मान दिया।
-बेटे की शहादत पर गर्व
मेहलचौरी:
महेंद्र की पत्नी मुन्नी को उनके ब्लास्ट में मारे जाने की सूचना 22 मार्च को दोपहर दो देहरादून में मिली तो मानो उनपर दु:खों का आसमान टूट पड़ा, उस समय उनका इकलौता बेटा नीरज भी स्कूल गया था, जिसके घर आने तक उन्होंने किसी तरह अपने को संभाला। स्कूली दिनों में महेंद्र के साथी मोहन नेगी ने बताया कि वे व्यवहार कुशल भी थे, उकनी कमी हमेशा बनी रहेगी। वहीं, 15वीं असम राइफल्स से युद्ध के दौरान जख्मी सिपाही के रूप में रिटायर्ड हुए महेंद्र के पिता कलम सिंह
(source dainik jagran)