Author Topic: Heroes Of Wars From Uttarakhand - देश की रक्षा में शहीद उत्तराखंड रणबाकुरे  (Read 90154 times)

adhikari harish dhoura

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चौथी बार कैलास मानसरोवर यात्रा से लौटी कामिनी
Aug 25, 10:05 pm


जागरण कार्यालय, अल्मोड़ा: चौथी बार कैलास मानसरोवर की यात्रा कर लौटी व्यवसाय से अधिवक्ता कामिनी कश्यप भोले के दर्शन से अभिभूत हैं। कामिनी कहती हैं कि उस पल के स्मरण मात्रा से पूरे शरीर में रोमांच का अनुभव होता है।

अपने आराध्य को इतने करीब से देखकर लगता है कि जीवन सार्थक हुआ। कामिनी कश्यप अब तक चार बार कैलास मानसरोवर की यात्रा कर चुकी हैं। 2011 में वह दसवें दल में शामिल थी। एक ओर जहां वह भोले बाबा व मानसरोवर की यात्रा से अभिभूत हैं, वहीं भारत की ओर से की गई व्यवस्थाओं से खासी नाराज। उन्होंने कहा कि इस बार की यात्रा में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस का व्यवहार अफसोसजनक था। उनका कहना था कि इतनी कठिन यात्रा से जीवन जोखिम में डालकर गुंजी पहुंची उनकी टीम का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। लगभग सभी यात्रियों को आगे के लिए अनफिट करार दिया। जो घोर आपत्तिजनक था। क्योंकि सबसे पहले आवेदन के बाद दिल्ली में आईटीबीपी के निर्देशों के अनुसार से स्वास्थ्य परीक्षण होता है। फिर ऐसे में गुंजी से वापस लौटने का खामियाजा आर्थिक व शारीरिक रूप से यात्री को भुगतना होता है। कामिनी कश्यप ने बताया कि बाद में पता लगा कि जो आईटीबीपी के उपकरण हैं, उनमें ही खामियां थी। उन्होंने इस बार चीन के व्यवहार पर संतोष जताया। उन्होंने कहा कि वहां के अधिकारी व कर्मचारियों का सहयोगात्मक रवैया था। वह कहती हैं कि अगले वर्ष फिर वह यात्रा के लिए आवेदन करेंगी।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Indian Defence ForcesFebruary 23
Army Chief General V K Singh presenting Sena Medal to Janki Devi, wife of Naik Kushal Singh (Posthumous) of Kumaon 13RR, during the Army Day parade at Delhi Cantt in New Delhi

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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~ शहीद कुंदन को पुण्यतिथि पर याद
 
 पिथौरागढ़।
 आपरेशन रक्षक में
 शहीद ग्राम सभा रियांसी (मूनाकोट)
 के हवलदार कुंदन सिंह खड़ायत की पुण्यतिथि पर
 सैन्य अधिकारियों के साथ ही स्थानीय लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। शहीद के परिजनों के साथ ही क्षेत्र वासियों ने कुंदन की शहादत को पूरे जिले के लिए गर्व की बात बताई।
 तमाम लोगों ने शहीद स्मारक में पुष्प चढ़ाए। इन लोगों ने कहा कि वीर सैनिक शहादत देकर देश की रक्षा करते हैं। इसलिए प्रतिवर्ष शहीदों को सम्मान देना देश के सभी नागरिकों का कर्तव्य है।




एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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सैनिक सम्मान के साथ शहीद की आखिरी विदाई


जागरण प्रतिनिधि, मेहलचौरी: मणिपुर के गोरखा हिल्स में 22 मार्च की सुबह अलगाववादियों के रिमोट चालित विस्फोट के धमाके में 39 वर्षीय हवलदार महेंद्र सिंह कैड़ा ने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिया। रविवार को सैनिक सम्मान के साथ पैतृक घाट पर बेटे ने मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया।
 विकासखंड गैरसैंण के कूनीगाड़ निवासी 15वीं असम राइफल में तैनात महेन्द्र सिंह का शव असम राइफल के जवान लेकर उनके पैतृक गांव पहुंचे। शव के पहुंचते पत्‍‌नी मुन्नी देवी, 68 वर्षीय माता अमृता देवी व बेटे नीरज उनके शव से लिपट कर रोने लगे। शहीद के अंतिम संस्कार के लिए रूद्रप्रयाग से आई पांचवी सिख रेजीमेंट के जवानों ने शहीद महेंद्र सिंह को पुष्प चक्र  भेंट कर अर्थी को कंधा लगाया तो वहां मौजूद लोगों ने देशभक्ति के नारे लगाए। अंतिम संस्कार में महेंद्र के भाई चंदन, सोभन व मोहन और पिता कलम सिंह के अलावा एसडीएम गैरसैंण केएस नेगी, सिख रेजीमेंट के नायब सूबेदार नछत्तर सिंह, असम राइफल के जेसीओ सीएस बिष्ट मौजूद रहे। इस दौरान सिख रेजीमेंट के जवानों ने तीन राउंड फायर कर शहादत को सैनिक सम्मान दिया।
 -बेटे की शहादत पर गर्व
 मेहलचौरी:
महेंद्र की पत्नी मुन्नी को उनके ब्लास्ट में मारे जाने की सूचना 22 मार्च को दोपहर दो देहरादून में मिली तो मानो उनपर दु:खों का आसमान टूट पड़ा, उस समय उनका इकलौता बेटा नीरज भी स्कूल गया था, जिसके घर आने तक उन्होंने किसी तरह अपने को संभाला। स्कूली दिनों में महेंद्र के साथी मोहन नेगी ने बताया कि वे व्यवहार कुशल भी थे, उकनी कमी हमेशा बनी रहेगी। वहीं, 15वीं असम राइफल्स से युद्ध के दौरान जख्मी सिपाही के रूप में रिटायर्ड हुए महेंद्र के पिता कलम सिंह

(source dainik jagran)

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सूडान में शहीद जवान नंदकिशोर जोशी की अंत्येष्टि उत्तराखंड मेंसूडान में विद्रोही हमले में शहीद शांति सेना के जवान नंदकिशोर जोशी का शव पहुचते ही गांव में शोक की लहर दौड़ गई.
32 वर्षीय शहीद जोशी का शव वायु सेना के हैलीकाप्टर से यहां की नैनी सैनी हवाई पटटी पर उतारा गया. सैकड़ों लोग शहीद को नम आंखों से देखने के लिये मौजूद थे. जोशी के परिवार में माता पिता, पत्नी और एक पुत्र है.
जिला मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर दूर स्थित बड़ाबे गांव के रहने वाले जोशी महार रेंजीमेंट के जवान थे.  दक्षिणी सूडान में हुए विद्रोहियों के हमले में शांति सेना के चार अन्य जवानों के साथ शहीद हो गये थे.
जोशी की रामेर घाट पर पूरे सैनिक सम्मान के साथ अंत्येष्टि किया गया.
जोशी की अंत्येष्टि में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही उनके पैतृक गांव और आस पास के गांवों के सैकड़ों लोग शामिल हुए.(source
http://www.samaylive.com/)

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बचन सिंह ने शहादत देकर निभाया 'वचन'
कोटद्वार: सैनिक का धर्म है अंतिम सांस तक देश के साथ ही साथियों की ओर आने वाली दुश्मन की गोलियों को आपने सीने पर झेलना। नायब सूबेदार बचन सिंह ने अपने इस धर्म का बखूबी निर्वहन किया और अपने प्राणों की आहूति देने से पूर्व अपने 12 साथियों को सुरक्षित बंकर तक पहुंचाया।  रविवार को जम्मू-कश्मीर से शहीद बचन सिंह का पार्थिव शरीर कोटद्वार पहुंचा। इस मौके पर सुबेदार राम सिंह ने बताया कि पाकिस्तानी सेना के हमले का जवाब देते हुए नायब सूबेदार बचन सिंह ने साथियों को बंकर की ओर भेजा। साथियों के बंकर में पहुंचने के बाद जैसे ही बचन सिंह बंकर की चले, पाकिस्तानी सेना की ओर से दागे गए राकेट की चपेट में आ गए और सैन्य धर्म निभाते हुए देश के लिए प्राणों की आहुति दे दी। गढ़वाल राइफल्स रेजीमेंटल सेंटर के कमांडेंट ब्रिगेडियर विनोद रायजादा ने कहा कि नायब सूबेदार बचन सिंह ने देश के लिए शहीद हो गढ़वाल राइफल्सय रेजीमेंटल सेंटर की परंपरा को आगे बढ़ाया है। उनके बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गढ़वाल राइफल्स को प्रथम विश्व युद्ध के बाद अंग्रेजी सेना ने बहादुरी के प्रतीक 'रॉयल रस्सी' से सम्मानित किया था व आज नायब सूबेदार बचन सिंह के बलिदान ने 'रॉयल रस्सी' की सार्थकता को साबित किया है। उन्होंने कहा कि गढ़वाल राइफल्स शहीद के परिवार का पूरा ख्याल रखेगी। उन्होंने कहा कि बचन सिंह की शहादत पर गढ़वाल राइफल्स रेजीमेंटल सेंटर को गर्व है।
 भाई को शहादत पर फº
 पाक सेना की गोलीबारी में शहीद हुए नायब सूबेदार बचन सिंह के भाई रिटायर्ड सूबेदार मेजर लक्ष्मण सिंह को अपने भाई की शहादत पर फº है। उन्होंने कहा कि भाई ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों का जो बलिदान दिया है, उस पर हमें गर्व है। वे कहते हैं कि देश सेवा में जान देने का अवसर हर किसी को नहीं मिलता है।
 शहीद की पत्‍‌नी की स्थिति नाजुक
 शहीद बचन सिंह की पत्‍‌नी सरोज की स्थिति नाजुक बनी हुई है। बचन सिंह की शहादत का समाचार मिलने के बाद से ही उनकी पत्‍‌नी सरोज काफी तनाव में है। रविवार को लगातार दूसरे दिन राजकीय संयुक्त चिकित्सालय के चिकित्सकीय दल ने शहीद के आवास में पहुंच उनकी पत्नी की स्वास्थ्य जांच की। सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. बीएस चौधरी ने बताया कि सरोज की हालत स्थिर है, लेकिन नाजुक बनी हुई है। उन्होंने बताया कि बचन सिंह की मौत का उनकी पत्‍‌नी पर गहरा सदमा लगा है, जिससे वे उभर नहीं पा रही हैं।
http://www.jagran.com/uttarakhand/pauri-garhwal-10463384.html

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Kargil Vijay Divas par Amar shaheedo ko sat sat  Naman

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उग्रवादी हमले में उत्‍तराखंड का जवान शहीदशुक्रवार, 4 अक्टूबर 2013 अमर उजाला, पिथौरागढ़ Updated @ 11:50 PM IST[/font]  assam rifles soldiers killed in militant attack अरुणाचल प्रदेश में आसाम राइफल्स में तैनात पीपली के चकद्वारी (कनालीछीना) के दीवान सिंह उग्रवादियों के हमले में शहीद हो गए। बृहस्पतिवार को सैनिक सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की गई। शहीद अपने पीछे माता-पिता, पत्नी, पुत्र और पुत्री छोड़ गए हैं।

शहीद के मौसा गैडालीनाडू के निवर्तमान ग्राम प्रधान बलवंत सिंह धामी ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश के जयरामपुर में तैनात दीवान 30 सितंबर को सैन्य टुकड़ी के साथ पेट्रोलिंग पर थे। इसी दौरान, उग्रवादियों ने घात लगाकर सैन्य टुकड़ी पर फायरिंग कर दी।

शहीद को सशस्त्र सलामी
हमले में दीवान सिंह शहीद हो गए। शहीद का पार्थिव शरीर बृहस्पतिवार को यहां पहुंचा। उनके पार्थिव शरीरको लेकर आए हवलदार गोविंद सिंह ने बताया कि दीवान सिंह ने अंतिम सांस तक उग्रवादियों से लोहा लिया।

चकद्वारी श्मशानघाट में नौ जैकलाई की सैन्य टुकड़ी ने शहीद को सशस्त्र सलामी दी। पार्थिव शरीर को मुखाग्नि शहीद के पुत्र करन सिंह (8) और चचेरे भाई मोहन सिंह ने दी। शहीद की पत्नी मंजू देवी के साथ परिजनों का रो रोकर बुरा हाल है।
http://www.dehradun.amarujala.com/news/city-news-dun/assam-rifles-soldiers-killed-in-militant-attack/

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वीरो की धरती उत्तराखंड से एक और लाल ने देश के लिए अपनी शहादत दी। एक ट्रैनिंग के दौरान जम्मू कश्मीर में उनकी गोली लगने से सुवेदार गोविन्द सिंह भौर्याल की कुछ दिन पहले मौत हो गयी थी। मात्र भूमि के लिए प्राण निछवार करनेवाले इस शहीद को शत शत नमन.
 देश के लिए शहीद सुवेदार गोविन्द सिंह भौर्याल का बेटा भी जम्मू कश्मीर में देश की सेवा में सेवारत है। शहीद सुवेदार गोविन्द सिंह भौर्याल जो मेरे गृह जिला बागेश्वर से संबंध रखते थे और मेरे गाव में ही इनका ससुराल था। खुद निजी जीवन में बहुत उतार चडाव देखा था सुवेदार गोविन्द ने. कई साल पहले एक वाहन दुर्घटना में इनके धर्म पत्नी के दोनों पाँव कट गये थे और फिर कुछ सालो बाद उनकी मिर्त्यु हो गयी थी. भगवान् दिवंगत आत्मा को शांति दे.



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 प्रथम विश्वयुद्ध के नायक बीसी गबर सिंह नेगी का जन्म भले ही मज्यूड़ गांव में हुआ हो, लेकिन सैनिकों की फसल तो स्यूटा गांव में ही लहलहाती रही है। इस गांव के युवा शहीद की शहादत से प्रेरणा लेकर सेना में भर्ती होने के लिए उत्साहित रहते हैं। आज गांव के प्रत्येक परिवार से एक व्यक्ति सेना में है।

जनपद टिहरी के चंबा विकासखंड का स्यूटा वैसे तो छोटा गाव हैं, लेकिन यहां के लोगों का देश सेवा में बड़ा योगदान है। शहीद बीसी गबर सिंह नेगी से सबसे अधिक प्रेरणा स्यूटा के लोगों ने ही ली। तभी तो इसे सैनिकों का गांव कहा जाता है। प्रथम विश्वयुद्ध से लेकर भारत-चीन व भारत-पाकिस्तान युद्ध में यहां के रणबांकुरों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। द्वितीय गढ़वाल राइफल के नायक शहीद गबर सिंह जैसे योद्धाओं से प्रेरणा लेकर 140 परिवारों के इस गांव में करीब प्रत्येक परिवार से एक व्यक्ति सेना व सुरक्षा बल में सिपाही से लेकर उच्च पदों पर आसीन हैं।

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1914-15 के प्रथम विश्वयुद्ध में स्यूटा के 36 जांबाज बीसी गबर सिंह के नेतृत्व में शामिल हुए। इनमें चार शहीद हो गए थे। शहीदों में जगतार सिंह, छोटा सिंह, बख्तावर सिंह व कान सिंह का नाम सम्मान से लिया जाता है। द्वितीय विश्वयुद्ध में भी यहां के लोग आगे रहे। इस युद्ध में गांव से दस जवानों ने भाग लिया था। इनमें लाल सिंह व वैशाख सिंह ने प्राण न्यौछावर किए। वीरता का सिलसिला यहीं नहीं रुका। 1962 में भारत-चीन युद्ध हुआ तो यहां के 40 सैनिकों ने युद्ध में भाग लिया। इसमें सत्ते सिंह शहीद हुए। --------------

कैप्टन पद से सेवानिवृत्त व गांव के प्रधान रहे पीरथ सिंह पुंडीर का कहना है कि बीसी गबर सिंह सभी के प्रेरणास्रोत हैं। 1946 में वह भी शहीद से प्रेरणा लेकर सेना में भर्ती हुए व देश के लिए 1962, 1965, 1971 की लड़ाई में भाग लिया।

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सेना में मेजर पद पर कार्यरत बालेंदु भूषण पुंडीर का कहना है कि पुराने लोगों में देशभक्ति का जो जज्बा था उसे नई पीढ़ी ने भी आत्मसात किया है। गांव के युवा सेना में भर्ती को प्राथमिकता देते हैं।

 

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