उत्तराखंड के जांबाज को मिला ‘कीर्ति चक्र’
उत्तराखंड के जांबाज सूबेदार अजय वर्धन तोमर को मरणोपरांत ‘कीर्ति चक्र’ से सम्मानित किया गया है। एक दिसंबर 2014 को जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते हुए वह शहीद हो गए थे।
मूलत: पौड़ी गढ़वाल के पट्टी लंगूर तल्ला के जवाड़ गांव और देहरादून में माजरी माफी निवासी सूबेदार अजय वर्धन तोमर 14 गढ़वाल राइफल्स में थे। एक दिसंबर 2014 को जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में नौगाम सेक्टर में घुसपैठ कर रहे आतंकियों से मुठभेड़ में तोमर शहीद हो गए थे।
48 घंटे तक चली मुठभेड़ में सैन्य टुकड़ी ने लश्कर-ए-तैय्यबा के कुछ आतंकियों को ढेर किया था। तोमर ने सालभर पहले ही दून में मकान बनाया था। शहीद की पत्नी लक्ष्मी सास, बेटी भूमिका और बेटे अक्षत संग यहां रहती हैं।
भूमिका नवीं, जबकि अक्षत पांचवीं कक्षा में पढ़ता है।सूबेदार अजय वर्धन को मरणोपरांत कीर्ति चक्र मिलने पर परिवार गर्व महसूस कर रहा है। भूमिका और अक्षत ने कहा कि� जांबाज पिता पर उन्हें हमेशा नाज रहेगा। बता दें कि इस पुरस्कार के एवज में प्रदेश सरकार की ओर से शहीद के परिजनों को आर्थिक सहायता दी जाती है।
हरीश गिरि, ईश्वरी लाल टम्टा, जीत सिंह को राष्ट्रपति पदक
रुद्रपुर के अग्निशमन अधिकारी हरीश गिरि, रेडियो इंस्पेक्टर ईश्वरी लाल टम्टा और 31 बटालियन के प्लाटून कमांडर विशेष श्रेणी जीत सिंह को गणतंत्र दिवस पर सोमवार को देहरादून में सराहनीय सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया जाएगा। देहरादून में राज्यपाल केके पाल उन्हें सम्मानित करेंगे।
मूलरूप से अल्मोड़ा के बजवाड़ निवासी हरीश गिरी 1978 में पुलिस में भर्ती हुए। नौकरी के दौरान ही उन्होंने पढ़ाई पूरी कर फायर सेफ्टी में डिप्लोमा और एलएलबी किया। अपने कार्यकाल के दौरान वे नैनीताल, पिथौरागढ़, देहरादून के साथ ही उत्तर प्रदेश के बरेली और पीलीभीत में भी तैनात रह चुके हैं।
एफएसओ हरीश गिरी ने मोबाइल पर बताया कि दिसंबर 2013 से वह रुद्रपुर में तैनात हैं। वर्ष 2010 में सराहनीय सेवा सम्मान चिह्न से भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है। बताया कि फिलहाल उनका परिवार हल्द्वानी में रह रहा है। उधर, ईश्वरी लाल टम्टा 1976 में पुलिस सेवा में आए।
वे मूलरूप से बागेश्वर के गांव उडेरखानी के मूल निवासी हैं। तीनों की इस उपलब्धि पर एसएसपी नीलेश आनंद भरणे, एएसपी टीडी वैला, सीओ सिटी राजीव मोहन, सीएफओ एनएस कुंवर ने बधाई दी है।