यह अकादमी 1 अक्तूबर 1932 को कार्यशील हो गयी। तब इसकी क्षमता चालीस कैडेट थी। ब्रिगेडियर एल.पी.कॉलिन्स, डी.एस.ओ, ओ.बी.ई, इसके प्रथम कमाण्डेंट थे।
इसके प्रथम पाठ्यक्रम के रोल्स पर सैम मानेकशाह, स्मिथ डन और मूसा खान थे। ये सभी बाद में अपने देशों की सेनाओं के अध्यक्ष बने, भारत, बर्मा अर पाकिस्तान। सरकार ने रेलवे कालेज, देहरादून की सम्पदा अधिकृत कर ली, जिसमें अच्छी इमारतें, और एक वृहत प्रांगण था, जो इनकी तत्कालीन आवश्यकताओं के अनुरूप था।
अकादमी का औपचारिक उद्घाटन प्रथम पाठ्यक्रम के अन्त में 10 दिसंबर 1932 को किया गयाथा। फ़ील्ड मार्शल सर फिलिप चैटवोड, बैरोनेट, जी.सी.बी, ओ.एम, जी.सीएस.आई, के.सी.एम.जी, डी.एस.ओ, भारत के तत्कालीन कमाण्डर-इन-चीफ, जिनके नाम पर मुख्य इमारत और केन्द्रीय सभागार का नाम है, ने इसका उद्घाटन किया था। उनके भाषण का एक अंश आज भी इस अकादमी का ध्येय कहलाता है।