Author Topic: History of Haridwar , Uttrakhnad ; हरिद्वार उत्तराखंड का इतिहास  (Read 91136 times)

Bhishma Kukreti

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                  OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Haridwar  Region of United Uttar Pradesh

                       हरिद्वार क्षेत्र ( पूर्व उत्तरप्रदेश  भूभाग ) में गेरुआ भांड संस्कृति अवशेष

                                       हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -28   

                                                      History of Haridwar Part  --28 
                                                         
                                                   इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती

2000 ई  सन से  हरिद्वार उत्तरप्रदेश की एक तहसील थी।  आज हरिद्वार उत्तराखंड का एक जिला है।
निम्न गेरुआ भांड संस्कृति ( OCP या  Ochre Colored Pottery Culture ) स्थल उस हरिद्वार  क्षेत्र में हैं जो जिसे पहले उत्तरप्रदेश के  सहारनपुर  जिले की एक तहसील मानी जाती थी -
१- हस्तिनापुर (29 degree , 10'00" N78 degree, 00"'00 E)  - इस अवशेष स्थल से OCP ,PGW ,NBPW तीनो संस्कृतियों के अवशेष मिले हैं। अवशेष स्थल गंगा के पुराने तट के दाहिनी तरफ  हैं। अवशेष  ऊंचाई 45 फ़ीट है। अवशेष स्थल का क्षेत्रफल तीन लाख वर्ग मीटर है।  1950 -52 में डा बी बी लाल ने सर्वप्रथम पुरात्व विभाग की और से इन अवशेषों  की थी। इन अवशेष स्थल में पांच अलग अल्फ संस्कृतियों  अवशेष मिले हैं ये पाँचों संस्कृतियाँ  बीच बीच में हुयी हैं।
२- सती  कुण्ड अवशेष (29 degree, 54’00”N; 78 degree 09’600”E ) - इस अवशेष स्थल से OCP , RW और मध्य काल के अवशेष व उपकरण टुकड़े मिले हैं। 1965 -66 (IAR ) में सती कुण्ड अवशेष का प्रकाशन हुआ और फिर 1984 (J P  Joshi ) सती कुण्ड स्थल के बारे में पुनर्प्रकाशन हुआ।
३- तेलीवाला (29 degree 49’00” N; 77 degree 58’00 E) इस अवशेष स्थल से OCP , PGW संस्कृति के उपकरण टुकड़े रूप में अवशेष मिले हैं (प्रथम प्रकाशन 1965 -66 IAR और पुनर्प्रकाशन 1984  ).
४- थतौला - (29 degree 46 ’00” N; 77 degree 59 ’00 E) इस अवशेष स्थल से OCP , PGW , washed GW  संस्कृति के उपकरण टुकड़े रूप में अवशेष मिले हैं (प्रथम प्रकाशन 1963  -64  IAR और पुनर्प्रकाशन 1984  ).



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History of Haridwar to be continued in  हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास; बिजनौर इतिहास, सहारनपुर इतिहास  -भाग 28         
 

(The History of  Haridwar, Bijnor , Saharanpur write up is aimed for general readers)

 

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     OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Roorkee Tehsil of Haridwar

                             रुड़की तहसील में गेरुआ भांड संस्कृति के अवशेष

                     हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -29   

                                                      History of Haridwar Part  --29 
                             
                           
                                                   इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती


   रुड़की तहसील  संयुक्त उत्तरप्रदेश में सहारनपुर जिले के अंतर्गत एक तहसील थी।  आज रुड़की उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार जिले की तहसील है। रुड़की के आस पास गेरुआ भांड संस्कृति ( OCP या  Ochre Colored Pottery Culture ) के अवशेष निम्न स्थलों पर मिले -
बिजौली II , डाबर तलाव --------बिजौली II के क्षेत्र  जगह गेरुआ भांड संस्कृति ( OCP या  Ochre Colored Pottery Culture ) के अवशेष मिले हैं।  दोनों एक ही सेटलमेंट के अवशेष हैं।  4500 वर्ग मीटर क्षेत्र  अवशेष कृषि कार्य के कारण नष्ट हो गए हैं।
चौली --------------------- 40000 वर्गमीटर क्षेत्र में फैले क्षेत्र के पास मुस्लिम शवगृह है। इस साइट से OCP संस्कृति के प्यालों के टुकड़े आदि मिले हैं। OCP संस्कृति के आगे की संस्कृति के अवशेष भी यहां से मिले हैं।
चोडियाला ----------------यहां अब शिव मंदिर बना लिया गया है और साइट नष्ट -भ्रष्ट हो चुकी है।  इस साइट से OCP व हड़प्पा संस्कृति दोनों के अवशेष मिले हैं।
हेराहेरी -------------------गाँव के ग्रामदेवता भुमिया के बिलकुल पास में यह 4500 वर्ग मीटर की साइट है। कृषि भूमि में OCP के टुकड़े मिले थे।
मखैलिपुर ------------कृषि के कारण साइट नष्ट हो चुकी हैं। OCP व आगे की संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए थे।
सल्लापुर -भरतपुर -------4500 वर्गमीटर की साइट में अब मस्जिद आ चुकी है। यहां मिश्रित संस्कृति के चिन्ह प्राप्त हुए हैं।
शिकारपुर --------------यह साइट 1965 -66 में देखि गयी और प्रागऐताहिसिक बैलगाड़ी के पहिये के अवशेष यहां मिले हैं
तेलहरी -------4500 वर्गमीटर की साइट से OCP के कुछ टुकड़े व हड़प्पा संस्कृति के लाल टुकड़े मिले हैं। साइट नष्टप्रायः है।



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History of Haridwar to be continued in  हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास; बिजनौर इतिहास, सहारनपुर इतिहास  -भाग 30         
 

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  OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Roorkee Tehsil  & History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Roorkee Tehsil  & History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Roorkee Tehsil  & History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Roorkee Tehsil  & History of Telpura Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Roorkee Tehsil  & History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ; History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Roorkee Tehsil  & History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Roorkee Tehsil  &  History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Roorkee Tehsil  & History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Roorkee Tehsil  & History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Roorkee Tehsil  & History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Roorkee Tehsil  & History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ; History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Roorkee Tehsil  & History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Roorkee Tehsil  & History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Roorkee Tehsil  & History of Bijnor; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Roorkee Tehsil  & History of Nazibabad Bijnor ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Roorkee Tehsil  & History of Saharanpur

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                    OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Rajpur Parsu , Bijnor

                          राजपुर परसु  , बिजनौर में गेरुआ भांड संस्कृति के अवशेष

                                  हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -30   

                                                      History of Haridwar Part  --30 
                             
                           
                                                   इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती


           सर्व प्रथम 1895 -96 में राजपुर परसु  (गंगा से दो किलोमीटर पूर्व ) में ताम्र अवशेष खोजे गए थे। ये अवशेष हस्तिनापुर अवशेषों से मिलते जुले हैं।  निम्न अवशेषों की  उपलब्ध है
१- कुल्हाड़ी टाइप III a - 1060 ग्राम
२-कुल्हाड़ी टाइप III a-400 ग्राम
३-कुल्हाड़ी टाइप III b - 540 ग्राम
४-कुल्हाड़ी टाइप III b -1115 ग्राम
५-कुल्हाड़ी टाइप III b -950 ग्राम
६-कुल्हाड़ी टाइप III b -680 ग्राम
७- कुल्हाड़ी टाइप III b -
८- कुल्हाड़ी टाइप III b -
९- कुल्हाड़ी टाइप IV a  -390 ग्राम
१० -कुल्हाड़ी टाइप Ignot  -275 ग्राम
११- छड़ी /Bar -350 ग्राम
१२- बरछी Harpoon
१३-बरछी Harpoon
१४- बरछी Harpoon
१५-बरछी Harpoon 880 ग्राम
१६-बरछी Harpoon 945 ग्राम
१७-बरछी Harpoon 820 ग्राम

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History of Haridwar to be continued in  हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास; बिजनौर इतिहास, सहारनपुर इतिहास  -भाग 31         
 

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                           OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Saharanpur and Muzzaffernagar  Districts


                              हरिद्वार इतिहास संदर्भ में सहारनपुर, मजफरनगर जिलों के गेरुआ भांड संस्कृति स्थल

                                हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -31   

                                                      History of Haridwar Part  --31 
                             
                           
                                                   इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती 



पिछले अध्याय में सहारनपुर के गेरुवा भांड संस्कृति के बारे में विवरण दिया था।  हरिद्वार राजनीतिक दृष्टि स सहारनपुर से अलग हो भी तो भौगौलिक दृष्टि से हरिद्वार , बिजनौर , देहरादून , मुरादाबाद , मेरठ हरिद्वार के साथ जुड़े हैं अतः हरिद्वार के  इतिहास के तार इन जिलों से जुड़े रहे हैं। अतः सहारनपुर के ऐतिहासिक भूमिका का हरिद्वार इतिहास में समावेश आवश्यक है।

हरिद्वार इतिहास संदर्भ में सहारनपुर जिले के गेरुआ भांड संस्कृति के निम्न अवशेष स्थल हैं -
सहारनपुर जिले के स्थल ----------------------स्थल का ब्यौरा -----------------अन्य संस्कृतियों के  अवशेष ------------------------------क्षेत्रफलवर्गमीटर  ----------------खोज विवरण सन / पुनर्प्रकाशन
अघियाना खेरवाड़ा -------------------------------कृषि क्षेत्र , बिगड़ी स्थिति -------------LH -------------------------------------------------45800 -------------------------------डा डीके चक्रवर्ती 1997  (LH -Late  Harappan  )
अलीपुर ------------------------------------------- NA --------------------------------------LH -------------------------------------------------NA -----------------------------------1967 -68 & 84
बकराका ------------------------विध्वस्त, खारा नाले का किनारा ---------------------H --------------------------------------------------------NA -------------------------------१९६३-६४ ; चक्रवर्ती -२००७ (H =हड़प्पा )
बड़ागांव ------------------------मस्कारा नदी तट ----------------------------------------H -------------------------------------------------------------------------------------------------डा दीक्षित
घाना खण्डी ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९८४
घटेरा ------------------------------------------------------------------------------------------LH ------------------------------------------------------------------------------------------------------डा जोशी ,१९६३-६४
हरदाखेरी ------------------------------------------------------------------------------------LH -----------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७ -६८  ,८४
कलालहटी ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७ -६८  ,८४
काजीपुरा ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६४-६५ , ८४
मीरपुर -------------------------------------------------------------------------------------------H ---------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७ -६८  ,८४
मोहिउद्दीनपुर -----------------------------------------------------------------------------------H ---------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७ -६८  ,८४
नयागांव।/नयाबास ----------------------------------------------------------------------------H -----------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६८-६९ , ८४
राजधाना ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६४-६५
सब्दलपुर ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- १९६७ -६८  ,८४
 सरूरपुर टागा ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६५  -६६   ,८४
शुकरताल ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६५  -६६   ,८४
तौली -----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६५  -६६   ,८४
आभा ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७ -६८  ,८४
अम्बाखेरी II --------------------विध्वस्त , कृषि ------------------------------------------Washed GW ------------------------------------------------------------------------------------------------१९६३ -६४ (देशपांडे )
अनवरपुर बरूआली ----------------------------------------------------------------------------सुंगा -कुषाण --------------------------------------------------------------------------------------------------१९६५  -६६   ,८४ , सुंगा -कुषाण= SK
असनवाली -------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७ -६८  ,८४
बहेरा खुर्द ------------------------------------------------------------------------------------------LH -----------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७ -६८  ,८४
बंटीखेरा --------------------------------------------------------------------------------------------H -------------------------------------------8000
बॉण्डकी ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७ -६८  ,८४
बजीदपुर माजरा -----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६६-६७
बहरेकी ---------------------------------कृषि कारण विध्वस्त ----------------------------------------H -------------------------------------8000 --------------------------------------------------------------१९८४
बेलरा जुनारदार ----------------------विध्वस्त ----------------------------------------------PGW ,SK ----------------------------------40000 --------------------------------------------------------------
भाभरी ---------------------------------------------------------------------------------------------LH -----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७ -६८
भातपूरा ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१२००० ------------------------------------------------------------१९६०-६१
भोलानी ----------------------------------------------------------------------------------------------SK ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६५
बुड्डाखेड़ा अहीर ------------------------------------------------------------------------------------H ,PGW -----------------------------------4500 -----------------------------------------------------------------१९६५
छजुपुरा ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६६ -६७ , ८४
छपरहेरी -------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------4500 -------------------------------------------------------------१९८४
चिलेहरा -----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६६ -६७ , ८४
चौरादेव --------------------------------------------------------------------------------------------------LH -----------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७ -६८  ,८४
चुनेहटी  शेख --------------------------------------------------------------------------------------------LH -----------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७ -६८  ,८४
दाउदपुर ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६६ -६७ , ८४
धमोला ---------------------------------------------------------------------------------------------------LH -----------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७ -६८  ,८४
दूदली बुखारा ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७ -६८  ,८४-
फरीदपुर -------------------------------------------------------------------------------------------NBPW ,SK , मध्य
फतेहपुर गुज्जर --------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७ -६८  ,८४
फतेहपुर जाट ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७ -६८  ,८४
हल्लू -माजरा --------------भूम्या ग्राम मंदिर के पास -
हरी बस -------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७ -६८  ,८४
जानीपुर ---------------------------------------------------------------------------------------------------NH ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६४-६५
कबीरपुर ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७-६८
कैलासपुर --------------------हिण्डोन नदी तट , कुछ विध्वंश ,---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६६-६७
खतौली -------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६४-६५
कोटा /मुलुकपुर जोर ------------------------------------------------------------------------------------NH ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७ -६८  ,८४
कृष्णी ------------------------------------------------------------------------------------------------------H ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६६-६७
कुलकी -कलन ------------------------------------------------------------------------------------------LH /PGW -------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७ -६८
लखमंती कलन ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६६-६७. ८४
महीपुरा --------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७ -६८  ,८४
मंदवार --------------------------------------------------------------------------------------------------H ------------------------------------------------5000 --------------------------------------------------------------------------१९६८-६९ , ८४
मंडला -------------------------------------------------------------------------------------------------PGW --------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७-६८,  ८४
मथाना ----------------------------------------------------------------------------------------------LH --------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७ -६८  ,८४
मटका जरौली -------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६६-६७. ८४
नलहरा बकल ---------------------------------------------------------------------------------------H --------------------------------------------------20000 --------------------------------------------------------------------------------१९६६-६७. ८४
पजराना ------------------------------------------------------------------------------------------मध्यकाल ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६४-६५, ८४
पपरेकी -----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७ -६८  ,८४
पथौरी -------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७ -६८  ,८४
पिकी --------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६६-६७. ८४
पिंजौरा -----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६६-६७. ८४
रंगेल ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७ -६८  ,८४
रसूलपुर -----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७ -६८  ,८४
रतनखेरी -------------------------------------------------------------------------------------------H --------------------------------------------------8000 -------------------------------------------------------------------------------------१९८४
रेरी मलकापुर -------------------------------------------------------------------------------------H --------------------------------------------------8000 --------------------------------------------------------------------------------------१९६६-६७ , ८४
सलेमपुर भोर्की ----------------------------------------------------------------------------------PGW ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- १९६६-६७ , ८४
सरकारी कुमार ----------------------------------------------------------------------------------H , PGW ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६६-६७ , ८४
सरकारी शेख ----------------------------------------------------------------------------------H , PGW ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६६-६७ , ८४
शेरपुर गुज्जर -----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६६-६७ , ८४
सुभरी ख्वाजा ----------------------------------------------------------------------------------L H -- ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६७- ६८  , ८४
सुनेठी खारखेरी --------------------------------------------------------------------------------H -------------------------------------------------8000
ताहिरपुर ----------------------------------------------------------------------------------------SK , मध्यकाल -----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------१९६४ -६५-८४
जंधेरी ----------------------------------------कृष्णनाला -------------------------------H --------------------------------------------------12000
मिरगपुर -----------------------------------------------------------------------------------PGW , BSW , Early --------------------80000
संपला खैर --------------काली नदी ---------------------------------------------------H , PGW ------------------------------------40000
सिसौना जमालपुर --------हिण्डोन नदी ----------------------------------------------------------------------------------------------8000
                     उत्तरप्रदेश के मुजफरनगर जिले में गेरुआ भांड संस्कृति के अवशेषस्थल
                  OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Muzaffernagar
झिंझाना ----------- PCW भी
कैराना ----------------PCW भी
बरला ---------------BSW ,PCW भी
बघ्राजपुर ------------H भी
भमोला ----------------H भी
जरौदा ----------------H भी
पीपलसाम ----------------H भी
साधपुर ----------------H भी
शिकारपुर --
तोड़ा -------------PGW ,KRW
डंगर ------------------LH भी
नौला II --
नौला III --------------PGW भी
सीक्रेरा -------------PGW , GW , BSW , KRW , मध्यकाल भी
नलहेरा -----------LH
 


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History of Haridwar to be continued in  हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास; बिजनौर इतिहास, सहारनपुर इतिहास  -भाग 31         
 

(The History of  Haridwar, Bijnor , Saharanpur write up is aimed for general readers)

OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Saharanpur and Muzzaffernagar  Districts  & History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Saharanpur and Muzzaffernagar  Districts  & History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Saharanpur and Muzzaffernagar  Districts  & History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Saharanpur and Muzzaffernagar  Districts  & History of Telpura Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Saharanpur and Muzzaffernagar  Districts  & History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Saharanpur and Muzzaffernagar  Districts  & History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Saharanpur and Muzzaffernagar  Districts  & History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Saharanpur and Muzzaffernagar  Districts  & History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Saharanpur and Muzzaffernagar  Districts  & History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Saharanpur and Muzzaffernagar  Districts  & History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Saharanpur and Muzzaffernagar  Districts  & History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Saharanpur and Muzzaffernagar  Districts  & History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Saharanpur and Muzzaffernagar  Districts  & History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Saharanpur and Muzzaffernagar  Districts  & History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Saharanpur and Muzzaffernagar  Districts  &  History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Saharanpur and Muzzaffernagar  Districts  & History of Bijnor; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Saharanpur and Muzzaffernagar  Districts  & History of Nazibabad Bijnor ; OCP (Ochre Colored Pottery ) Culture Sites in Saharanpur and Muzzaffernagar  Districts  & History of Saharanpur

कनखल , हरिद्वार का इतिहास ; तेलपुरा , हरिद्वार का इतिहास ; सकरौदा ,  हरिद्वार का इतिहास ; भगवानपुर , हरिद्वार का इतिहास ;रुड़की ,हरिद्वार का इतिहास ; झाब्रेरा हरिद्वार का इतिहास ; मंगलौर हरिद्वार का इतिहास ;लक्सर हरिद्वार का इतिहास ;सुल्तानपुर ,हरिद्वार का इतिहास ;पाथरी , हरिद्वार का इतिहास ; बहदराबाद , हरिद्वार का इतिहास ; लंढौर , हरिद्वार का इतिहास ;बिजनौर इतिहास; नगीना ,  बिजनौर इतिहास; नजीबाबाद , नूरपुर , बिजनौर इतिहास;सहारनपुर इतिहास

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                        Pre- Aryan and Indus Culture in Haridwar , Bijnor , Saharanpur History context
                                 हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में आर्यपूर्व सिंधु -हिन्दू सभ्यता
                       
                              हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -32   

                                                      History of Haridwar Part  --32 
                             
                           
                                                   इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती 
   ऋग्वेद में  घटनाओं को  विद्वान 1200 BC से पहले  बताते और आर्य 1500 BC पहले ही पंजाब में बस चुके थे। आर्य जनो से पहले भारत में ताम्र उपकरण संस्कृति जन्म ले चुकी थी (3000 BC )। आर्य अपने साथ लौह उपकरण लाये थे।
मुंहजोदडो या सिंधु घाटी अथवा सिंधु -सरस्वती सभ्यता के अवशेष पाकिस्तान की सिंधु घाटी , बलूचिस्तान ,  पंजाब, हरियाणा , राजस्थान , गुजरात ,  और पश्चमी उत्तरप्रदेश में पाये  गए हैं।
सहारनपुर , हरिद्वार और बिजनौर के ताम्र उपकरण संस्कृति के उपकरणों और सिंधु -हिंदु संस्कृति के उपकरणों में बहुत अधिक साम्यता पाई गयी है।
                              सिंधु घाटी या हिंदु सभ्यता के लक्षण

 हिन्दू धर्म के कई मान्यताओं में वैदिक धर्म से अधिक सिंधु घाटी /हिन्दू घाटी सभ्यता का हाथ रहा है।
                              नगरों के अवशेष

हरिद्वार , बिजनौर और सहारनपुर,  आदि में भी उसी तरह नगर बसे होंगे जैसे मोहनजोदाड़ो में रहे होंगे।
नगरों का निर्माण योजना वद्ध तरीके से होता था। सड़कों के दोनों और मकान बने होते थे और खिड़कियां सड़क की और खुलतीं थी। सड़कें मुख्य राजमार्ग से जुड़ीं थीं।  स्नानागार व गोल जगत वाले भी मकानों के अंदर बने होते थे। मकान ईंटों की बने होते थे। व्यक्तिगत स्नानागारों के अतिरिक्त सामूहिक स्नानागारों की भी व्यवस्था थी।
     
मकानो में ड्रेनेज का पूरा प्रबंध था और मकानों के नालियां नगर की मुख्य नालियों से मिलतीं थीं।
                               भोजन

भोजन में गेहूं , जौ , साग सब्जी , दूध , मांश , मछली, फल , भांग , गन्ने का प्रयोग होता था।
 
                                  वस्त्र

वस्त्रों में कपास  उपयोग शुरू हो चुका था।  उन , चमड़े , छालों का प्रयोग भी वस्त्रों के लिए होता था।

                              पालतू जानवर

पालतू जानवरों में गाय , बैल , भेड़ , बकरियां , भैस , हाथी और कुत्ते पाले जाते थे। संभवतया चिड़ियाएँ भी पाली जाती थीं।

                              उपकरण
अधिकाँश उपकरण मिट्टी , लकड़ी व ताम्बे के बनते थे।  लोहा का प्रयोग शुरू नही हुआ था हुआ था। कांसे के उपकरण भी बनते थे। मिट्टी के बर्तन चाक से बनाये जाते थे।  मिट्टी के उपकरणों को भट्टी में पकाने की विधि उपयोग होती थीं।

                             परिहवन

बैलगाड़ी का उपयोग शुरू हो चुका था। पशुओं और मनुष्यों द्वारा भार बहन होता था। जलमार्ग व समुद्री मार्ग भी प्रयोग होते थे।

                 नाप तौल और विनियम

नाप तौल के लिए बाटों का उपयोग होता था।  विनियम के लिए कौड़ी व सोने की आहत मुद्राएं प्रयोग की जाती थीं।

                     सामजिक विन्यास

समाज में चार वर्ण थे -
 १-शिक्षित समाज उच्च समाज
२-सैनिक
३- शिल्पी व व्यापारी
४- दास या सेवक
दास सभ्यता मुख्य सभ्यता बन चुकी होगी।
              मूर्ति और लिपि

कांसा और ताम्बे व मिट्टी की मूर्तियां रचना का कार्य आरम्भ हो चुका था।  मुहरों का भी प्रयोग होता था।  मिट्टी के खिलौने भी अवशेषों में मिले हैं। लिपि के बारे में इतिहासकारों के मध्य बहुत अधिक मत मतांतर हैं।
कुछ द्रविड़ भाषा को सिंधु -हिंदु सभ्यता भाषा के साथ जोड़ते हैं तो कुछ अन्य भाषाओं के साथ जोड़ते हैं।

                    निवासी

उत्तर भारत के ताम्र उपकरण अवशेषों से मानव कंकाल नही मिले हैं। मोहनजोदाड़ो समाधियों से  नरकंकालों से निम्न मान के लक्षण मिले हैं -
१- कॉल मुंड
२- रोमसागरीय या द्रविड़
 ३-किरात
४- खस
अनुमान किया जाता है कि अधिसंख्य जनसंख्या का संबंध द्रविड़ मानव से था और चारों जातियां आपस में विवाह सबंध स्थापित करते थे।  किसी एक जाति को सिंधु -हिंदु सभ्यता विकास का श्रेय नही दिया जा सकता है।

                 शव संस्कार विधियां

सिंधु -हिंदु सभ्यता में शवदाह की तीन विधियां प्रयोग में रही होंगी -
१- समाधि देना और समाधि के साथ बकरे  मांश रखने की प्रथा भी थी। मोहनजोदाड़ो में शवों के सर उत्तर की और रखे गए हैं और मिट्टी के बर्तन भी रखे मिले हैं। शवों के पास आभूषण व सौंदर्य प्रसाधन सामग्री भी रखी मिली है। शायद शव पर  लेप लगाने का भी रिवाज भी था।

२- अर्ध समाधि - अर्ध समाधि में  शव को चिड़ियों से नुचवाया जाता था।
३- शव जलाना
                          उपासनालय
सिंधु -हिंदु सभ्यता में शायद मंदिर या उपासनालय  शुरू हो चुकी थी। यद्यपि उपासनालय नही मिले हैं।
                वृक्ष पूजा
सिंधु -हिंदु सभ्यता में वृक्ष पूजा शुरू हो चुकी थी।

                   पशुपति , ताबीज
    शिव का प्रारम्भिक रूप की पूजा शुरू हो चुकी थी।  नाग विभूषित शिव उपासना के लक्षण भी प्राप्त हैं।
लिंग पूजा सामन्य प्रथा बन हो चुकी थी.
पशु शायद देव रूप में भी पूजे जाते थे।
ताबीज प्रथा प्रारम्भ हो चुकी थी।

            पुनीत पशु

  पशुओं में बाघ , हाथी बैल और भैंसो को पुनीत स्थान प्राप्त।  था. नाग पूजा  प्रसार हो चुका था।
घड़ियाल , घोंघा , कछुआ को भी पूजा जाता था।
जल को देवता श्रेणी प्राप्त हो चुका था।
देवी -देवताओं को पशु बलि से प्रसन्न करने की प्रथा  थी.
उस समय की अधिसंख्य विश्वास आज भी प्रचलित हैं।

मातृ देवी पूजन भी प्रचलित थी। 
 
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History of Haridwar to be continued in  हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास; बिजनौर इतिहास, सहारनपुर इतिहास  -भाग 33         
 

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Pre- Aryan and Indus Culture in context History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ; Pre- Aryan and Indus Culture in context History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ; Pre- Aryan and Indus Culture in context History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ; Pre- Aryan and Indus Culture in context History of Telpura Haridwar, Uttarakhand ; Pre- Aryan and Indus Culture in context History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ; Pre- Aryan and Indus Culture in context History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ; Pre- Aryan and Indus Culture in context History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand ; Pre- Aryan and Indus Culture in context History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand ; Pre- Aryan and Indus Culture in context History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ; Pre- Aryan and Indus Culture in context History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ; Pre- Aryan and Indus Culture in context History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ; Pre- Aryan and Indus Culture in context History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ; Pre- Aryan and Indus Culture in context History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ; Pre- Aryan and Indus Culture in context History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar; Pre- Aryan and Indus Culture in context History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ; Pre- Aryan and Indus Culture in context History of Bijnor; History of Nazibabad Bijnor ; Pre- Aryan and Indus Culture in context History of Saharanpur

कनखल , हरिद्वार का इतिहास ; तेलपुरा , हरिद्वार का इतिहास ; सकरौदा ,  हरिद्वार का इतिहास ; भगवानपुर , हरिद्वार का इतिहास ;रुड़की ,हरिद्वार का इतिहास ; झाब्रेरा हरिद्वार का इतिहास ; मंगलौर हरिद्वार का इतिहास ;लक्सर हरिद्वार का इतिहास ;सुल्तानपुर ,हरिद्वार का इतिहास ;पाथरी , हरिद्वार का इतिहास ; बहदराबाद , हरिद्वार का इतिहास ; लंढौर , हरिद्वार का इतिहास ;बिजनौर इतिहास; नगीना ,  बिजनौर इतिहास; नजीबाबाद , नूरपुर , बिजनौर इतिहास;सहारनपुर इतिहास


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            Causes of Harappan Culture Diminution with Reference to History of Haridwar, Bijnor , Saharanpur
 
                                     हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में सिंधु /हड़प्पा संस्कृति के विनाश कारण

                                          हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -32   

                                                      History of Haridwar Part  --32 
                             
                           
                                                   इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती 


 पहले पहल इतिहासकारों ने हड़प्पा /सिंधु /हिंदु संस्कृति के विनाश का मुख्य  कारण आर्य संस्कृति के अतिक्रमण को माना। इन इतिहासकारों ने ऋग्वेद में इंद्र द्वारा शत्रुओं के किलों को ध्वस्त करने , और आर्यों द्वारा असुरों की हत्या के दृष्टांतो को मान्य माना।  किन्तु ऋग्वेद के समयकाल के बारे में एक राय  न होने और कोई विशेष प्रागैतिहासिक गवाही न मिलने से इस सिद्धांत को नही माना जा सकता है।
      हड़प्पा संस्कृति  विनाश हेतु दूसरी राय है कि  बाढ़ आने से हड़प्पा संस्कृति समाप्त हो गयी।  किन्तु एक साथ इतने बड़े भूभाग पर एकसाथ बाढ़ आने की संभावना नही सकती है।
  एक मत है कि हड़प्पा मानवों के संसाधन समाप्त हो चुके थे।  किन्तु यह मत भी बिना ठोस गवाह के उचित नही ठहरता है।
कुछ का मत है कि हड़प्पा मानव ने कहीं और पलायन किया होगा।
कुछ इतिहासकार सूखे को हड़प्पा संस्कृति का विनाश कारण  मानते हैं।
अतः अभी तक कोई ठोस  कारण नही मिलता जिससे सिद्ध हो कि कैसे हड़प्पा संस्कृति लोप हुयी।
हड़प्पा संस्कृति का आज की हिन्दू संस्कृति /हिन्दुस्तानी रिवाजों पर भरपूर असर है।




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History of Haridwar to be continued in  हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास; बिजनौर इतिहास, सहारनपुर इतिहास  -भाग 33         
 

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                        Vedic Aryan Culture in context of History of Haridwar, Bijnor , Saharanpur
                                    हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में वैदिक आर्य


                                   History of Haridwar Part  --33 

                                            हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -33   

                                                     
                             
                           
                                                   इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
 
                                     आर्य आगमन तिथि

  आर्य सभ्यता के आगमन के पश्चात भारत में लिखित साहित्य का उद्भव हुआ ।
कुछ इतिहासकार मानते हैं कि आर्यों  का आगमन भारतवर्ष में 3000 BC से पहले हो चुका होगा।  किन्तु जब एशिया माइनर , यूनान , ईरान आर्य आगमन के अध्ययन से पता चलता है कि आर्यों का आगमन 1500 BC लगभग हुआ होगा।
  वैदिक आर्य इंडो यूरोपियन -आर्य की शतम शाखा के अंतर्गत आते हैं। ईरानी आदि भाषी मूर्धन्य वर्णो (ट वर्ग ) का उच्चारण नही कर सकते हैं। जब कि ऋग्वेद की प्रथम रिचा में अग्निमिळे (ले के नीचे बिंदु ) जिसे ल/ळ  नही अपितु ड़ जैसे उच्चारित किया जाता है। भाषाविद इतिहासकार मानते हैं कि ऐसा परिवर्तन अनार्य भाषाओँ के प्रभाव से हुआ।  ऋग्वेद का रचनाकाल 1200 BC -1500 BC लगभग माना जाता है.


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History of Haridwar to be continued in  हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास; बिजनौर इतिहास, सहारनपुर इतिहास  -भाग 34         
 

(The History of  Haridwar, Bijnor , Saharanpur write up is aimed for general readers)


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              Native  Place of Aryan in context of History of Haridwar, Bijnor , Saharanpur

                          हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में आर्यों का मूलस्थान

                                        History of Haridwar Part  --34 

                                            हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -34   
                                                                                                             
                                                   इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
 
कुछ इतिहासकारों /विद्वानो के आर्यों के मूलस्थान पर निम्न विचार   हैं -
इतिहासकार -------------------------------------------------------------आर्यों का मूलस्थान


मैक्स मूलर ---------------------------------------------------------------मध्य एशिया
बाल गंगाधर तिलक ----------------------------------------------------आर्कटिक क्षेत्र
ए सी दास ---------------------------------------------------------------सप्त सिंधु (पंजाब )
नहरिंग ------------------------------------------------------------------दक्षिण रूस
पोकोमी ------------------------------------------------------------------ रूस का विस्तुला और वेजर के मध्य क्षेत्र
ब्रैण्डस्टेन ---------------------------------------------------------------किर्गीज
जर्मन नाजी विद्वान -------------------------------------------------जर्मनी
मॉर्गन ------------------------------------------------------------------पश्चिमी साइबेरिया
मैक्डोनल ---------------------------------------------------------------पूर्वी यूरोप
डा गिल्स --------------------------------------------------------------ऑस्ट्रिया -हंगरी
 
अनेक भारतीय और अन्य इतिहासकार मानते हैं कि आर्यों का मूलस्थान यूरेशिया के स्टेप प्रदेश को मानते हैं। स्टेप प्रदेश को आर्यों की मूलभूमि मानने के पीछे तर्क भाषा वैज्ञानिक तर्क है।
यूरोपीय और संस्कृत भाषा में समानता के कारण माना जाता है कि आर्यों का मूलस्थान यूरेशिया के स्टेप प्रदेशहै। इतिहासकारों ने यूरोपवासियों और भारतीय आर्यों को एक नृशंस परिवार का माना है जिसकी पुष्टि पुरात्व और नृशस विज्ञान भी करते हैं (मजूमदार और पुसलकर , वैदिक एज )।
आर्यों का गौरवर्ण , लम्बी तीखी नाक , भूरे केश व भूरी आँखें आर्यों  प्रतीकात्मक अंग हैं जो भारत में आज भी कम ही मिलते हैं।
भारत में आर्य जाति ने यूरेशिया से पूर्व की और बढ़कर भारत के उत्तर पश्चिम की पहाड़ियों से भारत में प्रवेश किया। उस समय ईरान में भी कोल जाति का वास था। सप्त सिंधु (पंजाब ) तक आ बसने के बाद भी आर्यों ने राजनीतिक उलटफ़ेरों का जिक्र ऋग्वेद में नही किया। राजनीतिक उल्ट फेर में व्यस्त होने के कारण आर्यों ने अपनी  देवस्तुतियों का संग्रह भारत प्रवेश के तुरंत बाद तुरंत नही किया अपितु तीन चार सौ साल बाद ही किया ।
 ऋग्वेद ऋचाओं की रचना जिन ऋषियों ने की उनमे प्राचीन नाम अंगिरा , रहूगण , कुशिक है।  इनका जीवन काल 1300 BC माना जाता है।
ऋग्वेद के ऋषियों जैसे भारद्वाज , कश्यप , गौतम , अत्रि , विश्वामित्र , जमदग्नि और वशिष्ठ का काल 1350 BC माना जाता है। विद्वानो का अनुमान है कि ऋग्वेद की रचना सप्तसिंधु (पंजाब ) में हुयी होगी।

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(The History of  Haridwar, Bijnor , Saharanpur write up is aimed for general readers)

Native  Place of Aryan in context ofHistory of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ; Native  Place of Aryan in context of History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ; Native  Place of Aryan in context of History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ; Native  Place of Aryan in context of History of Telpura Haridwar, Uttarakhand ; Native  Place of Aryan in context of History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ; Native  Place of Aryan in context of History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ; Native  Place of Aryan in context of History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand ; Native  Place of Aryan in context of History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand ; Native  Place of Aryan in context of History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ; Native  Place of Aryan in context of History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ; Native  Place of Aryan in context of History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ; Native  Place of Aryan in context of History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ; Native  Place of Aryan in context of History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ; Native  Place of Aryan in context of History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar; Native  Place of Aryan in context of History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;History of Bijnor; Native  Place of Aryan in context of History of Nazibabad Bijnor ; Native  Place of Aryan in context of History of Saharanpur

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                                  Arguments for supporting Aryan from Indian Soil

                                                आर्यों का मूलस्थान भारत के समर्थन  में तर्क


                                                      History of Haridwar Part  --35 
                                            हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -35   
                                                                                 
                           
                                                   इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
यद्यपि पुरात्व , भाषा विज्ञान के तर्क सिद्ध नही होता है कि आर्य भारत की धरती के ही हैं।  फिर भी कुछ इतिहासकार भारत  आर्यों का मूलस्थान मानते हैं।
  इन इतिहासकारों का  आर्यों का मूलस्थान  विदेशी धरती मानने  विरुद्ध तर्क दिए हैं -
१- पुरातन भारतीय साहित्य में कोई गाथा नही मिलती जो कहती हो कि आर्य बाहर से आये थे।  वास्तव में प्राचीन साहित्य में आर्यों की जम्नभूमि सप्तसिंधु कहा गया है।
२-आर्य संस्कृत भाषा  वैदिक  व प्राकृत शब्द अधिक मिलते हैं व विदेशी शब्द कम मिलते हैं।  यदि आर्य बाहर से आये होते तो संस्कृत  विदेशी  शब्द अधिक मिलते।
३- आर्यों का मूल साहित्य ऋग्वेद है।  यदि आर्य विदेश से आते तो  वहां भी किसी  ऋग्वेद की भी रचना होती होती।
४-ऋग्वेद की ऋचाओं  में भौगौलिक वर्णन से पता चलता कि ऋग्वेद  रचनाकार पंजाब के आस पास रहते थे।
यद्यपि हिन्दू इतिहासकार भावनावश भारत को आर्यों का मूलस्थान मानते हैं किन्तु सिंधु घाटी की उत्तरी व पश्चमी भारत  फैली होने से यह तर्क समाप्त हो जाता है कि आर्यों का मूलस्थान भारत था। सिंधु घाटी के नृ -कपालों से सिद्ध होता है कि हड़प्पा मानव आर्य नही थे।

              गढ़वाल में सप्तसिंधु की कपोल कल्पना

कुछ भावुक गढ़वाली आर्यों  जन्मभूमि गढ़वाल मानते हैं हैं।  जब कि महाभारत में गढ़वाल के स्थानीय नागरिकों को अनार्य (खस , कुलिंद , तंगण , किरात , दरद आदि कहा गया है।  ऋग्वेद में हिमालय का वर्णन  ना के बरोबर है। बाद के साहित्य में भी गढ़वाल -कुमाऊं -हिमाचल निवासियों को खस ही कहा गया है।




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History of Haridwar to be continued in  हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास; बिजनौर इतिहास, सहारनपुर इतिहास  -भाग 36         
 

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Bhishma Kukreti

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                        Physical Characters of Indian Aryans in context History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur

                             हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में आर्यों की  शारीरिक विशेषतायें


                                                      History of Haridwar Part  --36 
                                            हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -36   
                                                                                 
                           
                                                   इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
          ऋग्वेद में आर्यों के शारीरिक लक्षणों पर स्पष्ट वर्णन नही मिलता  है। जो ऋग्वेदिक देवताओं की विशेषतायें वर्णित हैं विद्वान उन्ही को भारतीय  आर्यों के शारीरिक लक्सण  मानते हैं।
ऋग्वेद की रचना  के एक हजार वर्ष पश्चात पतंजलि  ने अपने समय के ब्राह्मणो को गोरा , शुद्ध आचार वाला , कपिल व पीत रंग के बालों वाला बतलाया है।
बौद्ध साहित्य में (पतंजलि से चार सौ साल पूर्व व ऋग्वेद से छै सौ साल पश्चात ) बुद्ध के रंग को सुवर्ण व आँखों को अलसी के रंग समान अभिनील  कहा गया है।
 ऋग्वेद में वर्णित देवताओं को आधार बनाकर विद्वानो का मत है कि आर्य गोरे , दाढ़ी मूछ व बालों का रंग पिंगल था।
आर्यों का आकार लम्बा , बड़ा गला , पुष्ट उदर व सुंदर बाहें थीं। तीखी नाक भी आर्यों की विशेषता थी ,
अनार्यों को काला बतलाया गया है।


संदर्भ - डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड  इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य

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History of Haridwar to be continued in  हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास; बिजनौर इतिहास, सहारनपुर इतिहास  -भाग 37         
 

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