हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में कत्यूरी युग : कत्यूरी नरेश चरित्र
हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में उत्तराखंड पर कत्यूरी राज भाग - ४८
Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History with reference Katyuri rule 48 -
Ancient History of Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History Part - 350
हरिद्वार इतिहास , बिजनौर इतिहास , सहारनपुर इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - ३५०
इतिहास विद्यार्थी ::: आचार्य भीष्म कुकरेती -
चौदह कत्यूरी नरेशों में त्रिभुवनराज , निंबर व सलोणादित्य को छोड़ अन्य कत्यूरी नरेशों की उपादि पट्टमभट्टारक महाराजधिराज रहा है। अभिलेखों में कत्यूरी राजाओं को सतयुग राजा सामान बतलाया गया है। इन कत्यूरी नरेशों को दया , दाक्षिण्य , सत्य , सत्व , शील , शौर्य , औदार्य , गाम्भीर्य आदि गुणों सहित बताया गया है (२ )। ताम्रशासनों में कत्यूरी नरेशों के लिए अंकित है कि ये नरेश आदर्श जीवन यापन करते थे।
कत्यूरी नरेश दींन अनाथों के रक्षक थे।
नरेश विद्याभाषी थे। कत्यूरी नरेशों की राज सभा में दूर दूर से विद्वान् तर्क हेतु आते थे व राजा उन्हें पारितोषिक देते थे (१ )।
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संदर्भ :
१ - शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' , उत्तराखंड का इतिहास भाग ३ वीरगाथा प्रेस दुगड्डा , उत्तराखंड , पृष्ठ ४६६
२- शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' , उत्तराखंड का इतिहास भाग १ वीरगाथा प्रेस दुगड्डा , उत्तराखंड पृष्ठ ३८० (कत्यूरी शासकों के ताम्र शासन )
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