हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में कत्यूरी युग : कत्यूरी युग में पूजा पद्धति
हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में उत्तराखंड पर कत्यूरी राज भाग - ६५
Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History with reference Katyuri rule -65
Ancient History of Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History Part - 367
हरिद्वार इतिहास , बिजनौर इतिहास , सहारनपुर इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -३६७
इतिहास विद्यार्थी ::: आचार्य भीष्म कुकरेती -
कत्यूरी राजाओं ने मंदिरों को भूमि प्रदान की थी। इन भूमि के आय से मंदिरों में देवताओं को फूल , धुप , बत्ती , दिया , तेल , नैवैद्य आदि की व्यवस्था की जाती थी (१, २ )। बहुत से मंदिरों में वाद्य व संगीत , भजन , नृत्य की भी व्यवस्था होती थी (३, सुभिक्षरज ताम्र शासन ) जैसे ये मंदिर थे - गोपेश्वर , केदारनाथ , तुंगनाथ , कटारमल आदि। इन मंदिरों के देवदासियों का प्रचलन था व डा डबराल क़्नुसार (१ ) इन नृत्यकारों के वंशज आज भी हैं। इन देव दासियों के परिवारों के निर्वाह हेतु मंदिर की भूमि से आय का कुछ हिस्सा उपयोग होता था। मंदिरों में हवन आदि का भी प्रयोग होता था व मंदिर मरोम्मत आदि का व्यव जो भूमि आय से ही आता था।
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संदर्भ :
१ - शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' , उत्तराखंड का इतिहास भाग ३ वीरगाथा प्रेस दुगड्डा , उत्तराखंड , पृष्ठ ४७६
२- शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' , उत्तराखंड का इतिहास भाग १ वीरगाथा प्रेस दुगड्डा , उत्तराखंड पृष्ठ ३८०
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