Uttarakhand > Uttarakhand History & Movements - उत्तराखण्ड का इतिहास एवं जन आन्दोलन
History of Haridwar , Uttrakhnad ; हरिद्वार उत्तराखंड का इतिहास
Bhishma Kukreti:
हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास : शाही महाराजा आनंदपाल (१००१ -१०१० ) व मुस्लिम आतंकवादी महमूद का आक्रमण
हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में उत्तर भारत में मुस्लिम आतंकवादियों का अधिकार भाग - ३
Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History with reference, the start Muslim Terrorism in North India -3
Ancient History of Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History Part - 380
हरिद्वार इतिहास , बिजनौर इतिहास , सहारनपुर इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - ३८०
इतिहास विद्यार्थी ::: आचार्य भीष्म कुकरेती -
शाही नरेश जयपाल की आत्म हत्या उपरान्त उनके पुत्र ने हिन्दू राष्ट्र का उत्तराधिकार हासिल किया। मुस्लिम आतंकवादी महमूद ने सन १००८ में इस क्षेत्र पर आक्रमण किया। फरिस्ता के स्ट्रगल फोर एम्पायर (पृष्ठ ८ ) अनुसार आनंदपाल को विप्पति में पाकर भोज व उत्तर भारत के कुछ नरेशों ने अपनी सेना सहायता हेतु भेजी। उडमाण्ड में भयंकर युद्ध हुआ जिसमे हिन्दू सेना ने हजारों मुस्लिम आतंकियों को काट डाला । हिन्दुओं की जीत होने वाली थी कि राजा आनदपाल का हाथी बिफर पड़ा जिसे देखकर हिन्दू सेना में भगदड़ मच गयी और मुस्लिमआतंकियों को पीछा करने का अवसर मिल गया। मुस्लिम आतंक महमूद ने नगरकोट के मंदिर में छापा डाला और अपार धन राशि छीन डाली (१ ) । क्रूर मुस्लिम आतंकी महमूद के सामने आनदपाल को पराजित स्वीकार करनी पड़ी और महमूद को भारत में अंदर घुसने का अवसर मिला व थानेश्वर नगर के मदिरों को लूटा व प्रजा पर अत्त्याचार किये (१ व २ )।
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संदर्भ :
१ - शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' , उत्तराखंड का इतिहास भाग ३ वीरगाथा प्रेस दुगड्डा , उत्तराखंड , पृष्ठ ४८४
२- डी सी मैक डावल , द शाहीज ऑफ़ काबुल एंड गांधरा vol III 1968 , पृष्ठ १८९ -२२४
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उत्तरी भारत पर आतंकवादी मुस्लिम आक्रांताओं के आक्रमण व अधिकार समय उत्तराखंड ;
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हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास : हिन्दू शाही नरेश त्रिलोचनपाल
हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में उत्तर भारत में मुस्लिम क्रूरता व मुस्लिम आतंकवादियों का अधिकार भाग -४
Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History with reference, the start Muslim Cruelty, Muslim Terrorism in North India - 4
Ancient History of Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History Part - 381
हरिद्वार इतिहास , बिजनौर इतिहास , सहारनपुर इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -३८१
इतिहास विद्यार्थी ::: आचार्य भीष्म कुकरेती -
हिन्दू शाही नरेश आनंदपाल की मृत्यु 1012 में हुयी और उसका निडर राजकुमार त्रिलोचनपाल गद्दी पर नियुक्त हुआ। हिंदी नरेश त्रिलोचनपाल अपने बियर दादा की भांति क्रूर , जन हत्त्यारा , आतंकवादी महमूद की आधीनता स्वीकार नहीं करना चाहता था। जबकि प्रजा पीड़क , बिधर्मियों का हत्त्यारा , बिलंच महमूद त्रिलोचनपाल के राज्य के आगे गंगा प्रदेश के मंदिरों व जनता को लूटना खसोटना , लोक को त्रास दिलाना चाहता था। महमूद ने त्रिलोचनपाल की अर्थात हिन्दू शाही नई राजधानी निंदुन को जीता व पश्चिम व मध्य भाग अपने क्रूर राज्य में मिला लिया महमूद ने इस भाग में भी त्राहि मचाई। इस तरह शाही नरेश त्रिलोचनपाल का राज्य पूर्व पंजाब व सरहद तक सीमित रह गया (१, २ ) । हिन्दू लोक महाभारत , जैनिज्म व बौद्धवादी अहिंसा में विश्वास रखता था तो हिंसा में नहीं उत्तर सके जैसे क्रूर हिंसावादी आतंकवादी मुस्लिम थे यथा महमूद।
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संदर्भ :
१ - शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' , उत्तराखंड का इतिहास भाग ३ वीरगाथा प्रेस दुगड्डा , उत्तराखंड , पृष्ठ ४८४
२- अब्दुल रहमान , द last two dynasties of saahis , १९७९
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उत्तरी भारत पर आतंकवादी मुस्लिम, लोक हत्त्यारे मुस्लिम आक्रांताओं के आक्रमण व अधिकार समय उत्तराखंड ; निर्दयी हत्त्यारा महमूदड़ गजनी व हिंदू शाही नरेश त्रिलोचनपाल , महमूद गजनी द्वारा नरमुंड होली
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हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास : सरसावा नरेश चांद राय से शाही नरेश का युद्ध
हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में उत्तर भारत में मुस्लिम क्रूरता व मुस्लिम आतंकवादियों का अधिकार भाग -५
Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History with reference, the start Muslim Cruelty, Muslim Terrorism in North India - 5
Ancient History of Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History Part - 382
हरिद्वार इतिहास , बिजनौर इतिहास , सहारनपुर इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - ३८२
इतिहास विद्यार्थी ::: आचार्य भीष्म कुकरेती -
सरसावा नरेश नरेश चांद राय व शाही नरेश त्रिलोचनपाल मध्य झड़पें व एक दुसरे को नीचा दिखाने का कार्य लगातार चल रहते था। जन हत्त्यारा , मुस्लिम आतंकवाद का चेहरा महमूद के आक्रमणों से भय भीत हो दोनों मध्य रजामन्दी बनी। राजा त्रिलोचनपाल के पुत्र भीमपाल का विवाह राजा चंद्र की पुत्री से हुआ। . जब भीमपाल अपनी बहू को लेने सरसावा आया तो मूर्ख चंद्र ने उसे कैद क्र लिया व शत्रुता में इजाफा हुआ।
ये दोनों मूर्ख राजा आपस में लड़ रहे थे तो लोक हत्त्यारा, मुस्लिम निर्दयी , मुस्लिम आतंकवादी महमूद मथुरा , कन्नौज जीतने आगे बढ़ा। कम सेना होते त्रिलोचनपाल के बस का मुस्लिम आतंकवाद को रोकना मुश्किल था (२ )। त्रिलोचनपाल ने भोज की शरण ली (२ , ३ )।
हजन त्त्यारा , मुस्लिम आतंकवादी महमूद आगे बढ़ता गया व मथुरा तक पंहुचा। रस्ते में जन हत्त्याएं व लूटमार करता गया। इलियट व डाउसन अनुसार कोकलस कलचुरी ने रोकने का पर्यटन किया किन्तु बिफल रहा। मथुरा कन्नौज को मुस्लिम आतंकवादी महमूद ने लूटा। कन्नौज राजा भाग गया। नरपिशाच मुस्लिम आतंकवादी महमूद ने हजारों न्र नारियों को कैद किया व बही , पागल जैसे यातना दी।
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संदर्भ :
१ - शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' , उत्तराखंड का इतिहास भाग ३ वीरगाथा प्रेस दुगड्डा , उत्तराखंड , पृष्ठ ४८५
२- इलियट ऐंड डाउसन हिस्ट्री ऑफ इंडिया बाइ इट्स ऑन हिस्टोरियन भाग २ पृष्ठ ४८ व अपेंडिक्स
३- जाटलैंड . कॉम/ होम्स /त्रिलोचनपाल
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उत्तरी भारत पर आतंकवादी मुस्लिम, लोक हत्त्यारे मुस्लिम आक्रांताओं के आक्रमण व अधिकार समय उत्तराखंड ;
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हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में सरसावा नरेश चंद्र की हार
हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में उत्तर भारत में मुस्लिम क्रूरता व मुस्लिम आतंकवादियों का अधिकार भाग -६
Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History with reference, the start Muslim Cruelty, Muslim Terrorism in North India -6
Ancient History of Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History Part - 383
हरिद्वार इतिहास , बिजनौर इतिहास , सहारनपुर इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - ३८३
इतिहास विद्यार्थी ::: आचार्य भीष्म कुकरेती -
लूट की सामग्री लेकर क्रूर , जन हत्त्यारा ,मुस्लिम आतंकवादी महमूद अपनी सेना लेकरमुस्लिम आतंकी महमूद मथुरा -थानेश्वर रास्ते पर बढ़ा। सरसावा का बियर , जन हितैषी हिन्दू नरेश राजा चंन्द्र मुस्लिम आतंकवादी महमूद से भिड़ने तैयार था। किन्तु शाही राजकुमार भीमपाल के परामर्श पर सरसावा नरेश हिमालय के किसी ऊँचे स्थान पर पंहुच गया। यह स्थान के रस्ते झाड़ियों से युक्त थे। डा डबराल ने इलियट व डाउसन का संदर्भ देते बताया कि निर्दयी , क्रूर , प्रजा हत्त्यारा महमूद ने ६ जनवरी १०१९ की अर्ध रात्रि में राजा चंद्र के शिविर में धावा बोलै जिसमे राजा की सेना को मार दिया गया। सैनकों व जनता के आभूषणों को निकला गया। ३० लाख दीराम के आभूषणों के अतिरिक्त ७५ लाख न्र नारी बंदी बनाये गए वे बेचे गए। (१ )
हरिद्वार , सहारनपुर की जनता ने अति क्रूरतम समय भोगा।
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संदर्भ :
१ - शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' , उत्तराखंड का इतिहास भाग ३ वीरगाथा प्रेस दुगड्डा , उत्तराखंड , पृष्ठ ४८६
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उत्तरी भारत पर आतंकवादी मुस्लिम, लोक हत्त्यारे मुस्लिम आक्रांताओं के आक्रमण व अधिकार समय उत्तराखंड ;
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हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में शाही राजकुमार भीमपाल
हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में उत्तर भारत में मुस्लिम क्रूरता व मुस्लिम आतंकवादियों का अधिकार भाग -
Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History with reference, the start Muslim Cruelty, Muslim Terrorism in North India -
Ancient History of Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History Part -
हरिद्वार इतिहास , बिजनौर इतिहास , सहारनपुर इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -
इतिहास विद्यार्थी ::: आचार्य भीष्म कुकरेती -
डाक्टर शिव प्रसाद डबराल अनुसार प्रजा पीड़ादायक , मानव हत्त्यारा , आतंकी , जाहिल , जंगली मुस्लिम राजा महमूद के लौट जाने के बाद संभवतया शाही राजा त्रिलोचनपाल व उसके पुत्र भीमपाल ने भोज परमार व विद्याधर चंदेल के व राजा चंद्र के राज्य पर अधिकार कर लिया था। इससे लगता है शाही नरेश राज्य का हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर पर अधिकार हो गया था (१ )।
कन्नौज के प्रतिहार नरेश के राजयपाल ने बिन लड़े कातिल , प्रजा हत्त्यारा , मुस्लिम आतंकवादी महमूद की आधीनता स्वीकार कर ली थी। विद्याधर ने कायर राजयपाल की हत्त्या करवा दी जिससे कातिल , मुस्लिम आतंकी महमूद ने विद्याधर को दंड देने १०२० में फिर से उत्तर भारत पर आतंक फैलाने व प्रजा पीड़ित करने , लूटमार करने पुनः मुस्लिम आतंकी महमूद आ गया (स्ट्रगल फोर एम्पाइयर पृष्ठ १७ ) ।
मुस्लिम आतंकी हिमालय की तलहटी से आगे बढ़े। यमुना के तट पूर्वी पर ाआतंकी मुस्लिम महमूद से लड़बे लगे किन्तु त्रिलोचन पाल मारा गया व भीमपाल ने अजमेर नरेश के यहां शरण ली व लगभग १०२५ में उसका देहावसान हो गया।
मुस्लिम आतंकी महमूद ने लूट खसोट , प्रजा को कत्ले आम करने की संस्कृति शुरू की जो मुस्लिम आतंकी औरंगजेव व बाद तक जारी रहा।
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संदर्भ :
१ - शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' , उत्तराखंड का इतिहास भाग ३ वीरगाथा प्रेस दुगड्डा , उत्तराखंड , पृष्ठ ४८७
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उत्तरी भारत पर आतंकवादी मुस्लिम, लोक हत्त्यारे मुस्लिम आक्रांताओं के आक्रमण व अधिकार समय उत्तराखंड ;
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