Geographical and Flora -Fauna Other Aspects of Kulind in context History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में कुलिंद राज्य का भूगोल , वनस्पति आदि
History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur Part -- 81
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 81
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
महाभारत में कुलिंद राज्य का विस्तृत वर्णन मिलता है और स्वाभाविक कि गढ़वाल , कुमाऊं की पहाड़ियों का अधिक वर्णन मिलेगा। अपितु भाभर क्षेत्र का भी वर्णन मिलता है। इससे महभरतकालीन हरिद्वार, बिजनौर और सहारनपुर की स्थिति का भी आकलन किया जा सकता है -
सरोवर - अधिकतर पहाड़ी सरोवरों का वर्णन मिलता है.
कुण्ड -तप्त कुण्ड का वर्णन नही है पर ऐसे गरम पानी के स्रोत्रों का भी शोणित अग्निनिवास के नाम से वर्णन महाभारत में है
जलवायु -
नदियों का वर्णन से लगता है छोटी नदियां गर्मियों में सूख जाती थीं , जड़ों में पतझड़ होता था।
भाभर (यहां पर अंदाज से हरिद्वार , बिजनौर और सहारनपुर के संदर्भ में ) में गर्मियों में भी नदियों में जल रहता था। भाभर की नदियों के तट पर प्रचुर मात्रा में पेड़ होते थे जंतुओं को प्राणदायक थे। इन वनों में पलास , तिलक , आम , चंपा के अतिरिक्त अन्य फूल फल भी होते थे।
भाभर क्षेत्र में वनस्पति
भाभर क्षेत्र में व शिवालिक ढालों में बेल , आक , खैर , कैथ व बांकली पेड़ मिलते थे। ग्रीष्म कल में झाड़ियाँ सूख जाती थी जो वर्षाकाल में जंगल जैसे होते थे।
फल फूल
खाद्य फल देने वाले वृक्ष - कुलिंद जनपद में अम्बाड़ा, अंजीर , अनार , आम , आंवला , इंगुद , कैथ , खजूर , गम्भीरी , गूलर , जामुन , ताल , तिन्दुक , तेंदु , नीम्बू , बहेड़ा , बरगद , बेर , बेल , भिलावा आदि वृस्ख मिलते थे
फूलवाले पेड़ पौधे - अशोक , इन्दीवर , कनेर , कुटज , कोविदार , चमपा , तिलक , पाटल , परिजात , पुन्नाग , मंदार , बकुल आदि थे व कमल व कीचकवेणु भी मिलते थे।
प्राणी वर्ग
भाभर के वनों में मृग , सिंह , बाघ , एण, हाथी , सुवर , भैंसे मिलते थे।
पक्षियों में गौरया , कदम्ब , कांरडव , कुरर , क्रौंच , चक्रवाक, जलकुक्कुट , पुंस्कोकिल , प्रियक , प्लव , बगुला , भृंगराज , मद्गु , सारस हंस आदि
मधुमखी , सांप , भौंरे , डांस भी मिलते थे।
** संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज
घोषाल , स्टडीज इन इंडियन हिस्ट्री ऐंड कल्चर
आर के पुर्थि , द एपिक सिवलीजिसन
Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 17/3/2015
History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur to be continued Part --82
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास to be continued -भाग -82
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