नहीं भूलेगा २ अक्टूबर
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हमारे देश के इतिहास में २ अक्टूबर एक महत्वपूर्ण दिन है.
हम सब जानते हैं कि इस दिन दो महान विभूतियों का जन्म
हुआ था. महात्मा गाँधी जी और लालबहादुर शास्त्री जी. एक का
नारा अमन एक का जय जवान जय किसान. दोनों ही हमारे
देश के लिए इतना कुछ कर गए जो भुलाये नहीं भूलेगा.
२ अक्टूबर उत्तराखंड के जख्मों को भी हरा करता है. इस दिन
१९९४ में राष्ट्र-प्रहरियों की जननी उत्तराखंड की नारी का अक्षमनीय
अपमान हुआ. वर्दीधारी भेड़ियों ने नारी शक्ति का अपमान कर घोर
अपराध किया. आज तक उन भेड़ियों को सजा नहीं दी गयी.
उत्तराखंड के जनमानस की यह मांग अभी तक अपूर्ण है.
मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर आज भी आवाज गूँज रही है--
दो अक्टूबर चौरानबे की हो रही थी भोर
रामपुर तिराहे पर मचा भेड़ियों का शोर
रायी-बगोवाली की चौपाल जग गयी थी
भेड़ियों के तांडव से जंग छिड़ गयी थी.
कायरों ने राह में छिप कर घात लगाई
नारी के अपमान की योजना बनाई
निर्दोष निहत्थों पर लाठी बन्दूक चलायी
सैनिकों की जननी पर क्रूरता बरसाई .
मैं दुर्योधन दुशासनों के बीच घिर गयी थी
वर्दी में नरपिशाचों के नीयत फिर गयी थी
कई कृष्ण आये तब बचाने मेरी लाज
उनकी मानवता का आज भी ह्रदय पर राज.
दिल की तमन्ना तब अधूरी रह गयी थी
कमर में दराती की कमी खल गयी थी
काश ! उस दिन मेरे हाथ में दराती होती
हैवानों के चिथड़ों की खबर छपी होती.
पूरन चन्द्र कांडपाल- सदस्य
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