कुमाऊं परिषद् का तीसरा वार्षिक अधिवेसन २२,२३ तथा २४ दिसम्बर १९१९ को कोटद्वार मैं सम्म्पन हुआ,राय बहादुर,बद्रिदत जोशी और अध्यछ और तारादत गैरोला इसके स्वाग्ताध्यछ थे!इसमें नैनीताल गढ़वाल और अल्मोडा जनपद ५०० से अधिक ब्यक्ति समिलित हुए,इनमें बद्रिदत जोशी,भोलादत पाण्डेय,गोविन्द्बलभ पन्त,बद्रिदत पाण्डेय,मोहन जोशी,दुर्गादत पन्त,मोहन सिंह मेहता हरगोविंद,पन्त,तारादत गैरोला,मथुरा प्रशाद नैथानी,अनुशुया प्रशाद बहुगुणा,चंनिशाह,प्रतापसिंह,गिरिजादत नैथानी,मुकंदिलालावैरिस्तर,विसम्बर्दत चंदोलाधनीराम मिश्र प्रमुख ब्यक्ति थे!
अधिवेसन के प्रथम दिन गिर्जादत नैथानी,रामदत,दुर्गापंत,नारायांस्वामी,तारादत गैरोला,बिरज्मोहन चंदोला,गोविन्द बलभ पन्त और बद्रिदत जोशी के ब्याख्यान हुए,वक्ताओं ने कुली बेगार और जंगलात कष्टों को असे और निकिर्ष्ट ठहराते हुए इन्हें निबल किर्षकों का उत्पीडन बताया! इसके साथ ही इन्हों बेगार की वास्तविकता आंग्ल कानून और इसके दुर्प्र्योग के तथ्य रखते हुए प्र्साशकों के द्वारा बेगार को जीवित रखने के अर्न्तगत तर्क भी प्रस्तुत किये,अधिवेसन के दुसरे दिन श्रीकिशन जोशी,पीताम्बर जोशी (अल्मोडा) धर्मानंद जोशी,मठुरादत त्रिवेदी (द्वारहात),जयलाल (बागेश्वर),गोपालशाह (गंगोलीहाट),केशाव्दत पन्त,आदि के पत्र पढ़े गए!जिनका समर्थन गिर्जादत नैथानी और अनुसूया प्रशाद नैथानी ने प्रस्तुत किया!इस प्रस्ताव का सदस्यों मैं बिवाद हुआ,किन्तु अन्तत बी डी चंदोला हरदार उप्प्ध्याय व तारादत गैरोला ने मत भेद सुलझाने और आम सहमती कराने मैं सफलता प्राप्त की!
कोटद्वार अधिवेसन की समाप्ति पर पर्वतीय छेत्र के लगभग १०० कार्यकर्त्ता यहाँ इ अमृतसर कांग्रेश अधिवेसन मैं समिलित हिने के किये गए!इनमें मुकुंदीलाल, अनुसूया प्रसाद बहुगुणा,बद्रिदत पाण्डेय,हर्गोविन्द्पंत,मोहन मेहता आदि प्रमुख थे,अमृतसर कांग्रेश से लोटने के उपरांत कुमाऊं परिषद् के नेताओं और कार्यकार्ताओं ने गाँव तक संघठन के प्रसार के उद्देश्य से लोक शिछन और सभाएं आयोजित की, इस प्रकार परिषद् ने ग्रामीण किर्शक जनता को सरकार द्वारा किये जा रहे शोसन के विरूद्व संघठित करने का प्रयत्न किया!
कुमाऊं परिषद् का सातवाँ और अंतिम अधिवेसन १९२६ मैं गानियाँ धोली मैं मुकुंदीलाल वैरिस्टर की अध्याछ्ता मैं संपन्न हुआ,इसके उपरांत इसी वर्स कुमाऊं परिषद् का कांग्रेश मैं विलय कर दिया गया! आगे चलकर स्वाधीनता प्राप्ति तक के जन संघर्सों के इतिहास मैं सभी सामाजिक,आर्थिक राजनैतिक प्रश्नों और सम्स्यवों के समाधान के लिए कांग्रेश ने अपना मंच प्रदान किया,इसमें जनता मैं विशेषकर निर्बल वर्ग (शिल्पकार) मैं इस संघठन के प्रति रूचि और उत्साह देखा गया!