इस प्रकार पहला दल जिसमें इस्वरिदत ध्यानी,हरिदत बोडाई,मंगत राम खान्त्वात,जीवानंद बडोला,योगेस्वर्प्र्षद खंडूडी,आदि कार्य करता थे!गढ़वाल के पूर्वी भाग इंडियापैनी,बीरोंखाल,साबली,गुजडू,की ओर गया,दुसरे दल मैं भैराव्दत धूलिया,भोलादत डबराल,मथुराप्रसाद नैथानी,आदि कार्य करता नोगांवखाल छेत्र मैं जनमत तैयार करने मैं प्रयत्नशील थे!नोगांवखाल छेत्र मैं इन कार्यकर्ताओं के आने से पूर्व ही केशर सिंह रावत ने सरकारी नौकरी का पद त्याग कर बेगार उन्नमूलन आन्दोलन को संघठित ओर सक्रियता प्रदान की थी!
उत्तराखंड मैं बेगार आन्दोलन के प्रमुख केंद्र बागेश्वर मैं जनवरी १९२१ मैं मकर संक्रांति मेले के अवसर पर जनता ने बेगार रजिस्टरों को सरयू नदी मैं डुबोकर आन्दोलन का संख नाद किया!इस प्रकार धीरे-धीरे बागेश्वर की जन भावना उत्तराखंड मैं फेलने लगी,गढ़वाल के नोगांव छेत्र मैं इसी अवधि मैं डिप्टीकमिश्नर पी मेसन सरकारी भ्रमण पर पहुंचे थे!किन्तु इससे पूर्व ही केशर सिंह रावत के नेतृत्व मैं कार्यकर्ताओं ने सरकारी अधिकारीयों और कर्मचारियों को बेगार न देने के लिए जनता को सचेत कर दिया था!ग्रामीण जनता ने जन भावनाओं के अनुरूप पी मेसन और उसके अधिनस्त कर्मचारियों को बेगार न देकर आन्दोलन को आरम्भ किया,डिप्टी कमिश्नर का सामान वहीं पड़ा रहा,फलस्वरूप मेसन को दोरा अधूरा छोड़ना पड़ा!तत्पश्चात मेसन ने पोडी लोटकर मेसन कुली बेगार एजेंसी के माध्यम से अपना सामान नोगंव्खाल से मंगवाया,इस तरह से सम्पूर्ण चौंदकोट मैं संघठित रूप से बेगार विरोधी आन्दोलन के स्वर जनता को उद्देलित करने लगे!
प इस्वरीडट ध्यानी के नेतृत्व मैं एक दल बीरोंखाल,बदलपुर की ओर गया था!उन्होंने अप्रेल १९२१ मैं कठोलिया महदेव मैं सभा आयोजित कर कुली बेगार का पुतला जलाया,उदयपुर के यम्केस्वर स्थान पर ठाकुर कुंदन सिंह जी अध्य्क्चता मैं बेगार विरोधी सभा आयोजित की गयी! सभा मैं उकंदिलाल वैरिस्टर,थौक्दार केशर सिंह रावत,भैराव्दत धूलिया,भोलादत चंदोला,आदि प्र्मुह नेता उपस्तिथ थे!सभा मैं थौक्दार उत्तमसिंह (रेंजर) के अनुमोदन के साथ सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित किये गए!इन प्रस्तावों मैं कुली बेगार को गैर कानूनी ठहराते हुए जनता के वनों पर परम्परागत अधिकार की मांग की गयी!
मंगत राम खंतवाल के गाँव बन्दखानी मैं उनके प्रवेश करने पर दो वर्स तक प्रतिबंध रहा,ओर चमेथाखाल प्राइमरी स्कूल की पुनर्स्थापना स्वाधीनता प्राप्ति के बाद हो सकी!