(16 मई 2013 उत्तराखण्ड राज्य निर्माण आन्दोलनकारी स्व0 निर्मल कुमार जोषी पण्डित की पन्द्रहवीं पुण्य तिथि पर विषेश)
उत्तराखण्ड राज्य निर्माण आन्दोलन के पुरोधा रहे स्व0 निर्मल कुमार जोषी पण्डित के बलिदान को 16 मई 2013 को पन्द्रह वर्श का समय व्यतीत हो चुका है, लेकिन जन स्मृतियों में वे आज भी लोगों के बीच मौजूद हैं। 16 मई 1998 को दिल्ली सफदरजंग अस्पताल में अपने अंतिम सांस लेने वाले स्व0 पण्डित की राज्य निर्माण आन्दोलन में निभाई गई भूमिका को तथा उत्तराखण्ड को नषामुक्त उत्तराखण्ड राज्य बनाने के लिये किये गये आन्दोलनों में उनकी भूमिका को विस्मृत नहीं किया जा सकता है। लेकिन यह कैसा संयोग है कि जब एक नषामुक्त राज्य आन्दोलन के पुरोधा रहे जीवट व्यक्तित्व का बलिदान दिवस हो और उसी अवधि में सरकार राज्य भर में षराब के ठेकों के टेंडर खोल रही हो। इस कृत्य से ऐसा प्रतीत होता है कि उत्तराखण्ड राज्य सरकार प्रमुख राज्य आन्दोलनकारी एवं नषामुक्त राज्य का सपना देखने वाले पुरोधा के बलिदान दिवष को भूल गई है। स्व0 पण्डित के सपनों को उत्तराखण्ड तो नहीं बन पाया, लेकिन ठीक इसके विपरीत राज्य सरकार गाॅव गाॅव तक षराब पहुंचाने पर आमादा है, जो गाॅव वर्तमान में विकास की राह देख रहे हैं, वहाॅ पर विकास तो नहीं हो पाया लेकिन अंग्रेजी तथा देषी षराब की दुकान उन गाॅवों में खुल चुकी है, इससे तो ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार स्व0 पण्डित के बलिदान को भूल जाना चाहती है।
स्व0 निर्मल पण्डित की भूमिका चाहे वह राज्य निर्माण आन्दोलन रहा हो चाहे षराब बिरोधी आन्दोलन अथवा कोई भी जनहित के कार्य के लिये किया गया आन्दोलन हर जगह अग्रणी रही है। नषामुक्त उत्तराखण्ड राज्य का सपना संजोये स्व0 पण्डित ने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। उनकी मृत्यु के बाद तत्कालीन सरकार ने उनके परिवार के साथ कई वायदे किये तथा कोरी घोशणायें की लेकिन वे आज चैदह वर्श व्यतीत होने के उपरान्त भी पूरी नहीं हो पाई। इन चैदह वर्शो में स्व0 पण्डित के पिताजी की मृत्यु पुत्र वियोग के कारण हो गई, वर्तमान में उनकी माताजी अपने मायके चिटगल गंगोलीहाट जिला पिथौरागढ में रह रही हैं, उनके पास रहने के लिये आज अपना मकान तक नहीं है। उनकी आर्थिक स्थिति अत्यन्त दयनीय है तथा वे वर्तमान में अत्यधिक वृद्व एवं बीमार अवस्था में हैं, स्व0 निर्मल पण्डित ही उनके वृद्वावस्था के एकमात्र सहारा थे उनकी मृत्यु के बाद वे अब अपना एकाकी जीवन व्यतीत कर रहें हैं।
स्व0 पण्डित की मृत्यु के समय कई सामाजिक संगठनों ने भी उनके बलिदान को न भुलाने का संकल्प लिया और उनके परिवार के साथ रहने की बात कही, लेकिन समय के साथ सारे सामाजिक संगठन इस बात को भूल चुके हैं कि उनके द्वारा उस परिवार के साथ क्या वायदे किये थे।
स्व0 निर्मल पण्डित के इस बलिदान दिवस पर समस्त उत्तराखण्ड राज्य के निवासियों से यह अपील है कि वे राज्य को नषामुक्त बनाने के लिये यह संकल्प लें कि वे किसी भी प्रकार का नषा नहीं करेंगे, यही स्व0 पण्डित को सच्ची श्रद्वांजलि होगी।
किषोर कुमार पन्त
एडवोकेट
अध्यक्ष
माॅ गिरिजा विहार उत्थान समिति (रजि0)
हल्द्वानी जिला- नैनीताल (उत्तराखण्ड)